केरल में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। गुरुवार (29 दिसंबर 2022) तड़के 56 ठिकानों पर छापेमारी की गई। रिपोर्टों के अनुसार प्रतिबंध के बाद पीएफआई को नए नाम से खड़ा करने की प्लानिंग थी। अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के संपर्क में होने और आतंकी गतिविधियों के लिए देश-विदेश से फंड जुटाने की कोशिश होनी की बात भी कही जा रही है।
केरल में पीएफआई से जुड़े लोगों के ठिकानों पर NIA की रेड सुबह चार बजे शुरू हुई और ख़बर लिखे जाने तक जारी थी। छापेमारी PFI के उन सदस्यों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ की गई जो देश के खिलाफ साज़िश रच रहे थे। इनमें वे ओवर ग्राउंड वर्कर भी शामिल हैं जो आधिकारिक तौर पर पीएफआई के सदस्य नहीं हैं, लेकिन उसके लिए काम करते हैं। सितंबर 2022 में बैन किए जाने के बाद से केरल में पीएफआई के खिलाफ एनआईए की यह 5वीं रेड है। NIA सूत्रों की मानें तो केरल में ही PFI के सबसे ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं और बैन किए जाने के बाद भी अपनी गतिविधियाँ जारी रखे हुए हैं।
National Investigation Agency (NIA) raids underway at 56 locations in Kerala in the Popular Front of India (PFI) case. Visuals from Ernakulam. https://t.co/6IQEZkI2Kf pic.twitter.com/re5qi37qoL
— ANI (@ANI) December 29, 2022
जाँच एजेंसियों के मुताबिक PFI को किसी दूसरे नाम से दोबारा खड़ा करने की कोशिश की जा रही थी। इसके साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में आतंकी गतिविधियों की भी प्लानिंग की जा रही थी। इसके लिए देश और विदेश से धन जुटाए जा रहे थे। NIA ने तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, एर्नाकुलम, अलप्पुझा और मलप्पुरम जिलों समेत कई अन्य स्थानों पर दबिश दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अकेले एर्नाकुलम में 8 जगहों और तिरुवनंतपुरम में 6 स्थानों पर NIA की टीम ने रेड मारी है।
बता दें कि पीएफआई का गठन वर्ष 2006 में केरल में हुआ था। यह संगठन तीन मुस्लिम संगठनों केरल नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु के मनिता नीति पसरई को मिलाकर बनाया गया था। साल 2009 में इसने एक राजनीतिक मोर्चा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया भी बना लिया था।
भारत सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) को देश विरोधी और गैर कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाया। जिसके बाद सितंबर 2022 में सरकार ने PFI और उससे जुड़ी 8 संस्थाओं को 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।