Wednesday, May 14, 2025
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₹63000 करोड़ में भारत ने खरीदे परमाणु बम दागने में सक्षम 26 राफेल मरीन: जानिए कब तक मिलेगा पहला फाइटर जेट, कैसे फ्रांस के साथ इस डील से बदल जाएँगे समंदर के समीकरण?

राफेल मरीन में लगी Scalp मिसाइल 300 किमी तक मार कर सकती है। Meteor मिसाइल हवा में 120-150 किमी दूर तक दुश्मन के विमानों को मार गिरा सकती है। 70 किमी रेंज वाली Exocet एंटी-शिप मिसाइल समुद्र में दुश्मन के जहाजों को तबाह कर सकती है।

भारत ने अपनी नौसेना को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। नई दिल्ली में सोमवार (28 अप्रैल 2025) को भारत और फ्रांस के बीच 63 हजार करोड़ रुपए की मेगा डील साइन हुई, जिसमें भारत को 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स मिलेंगे। ये विमान न सिर्फ समुद्र में भारत की ताकत बढ़ाएँगे, बल्कि दुश्मन देशों जैसे पाकिस्तान और चीन के लिए भी एक सख्त संदेश होंगे।

ये डील इसलिए भी खास है, क्योंकि ये फ्रांस के साथ भारत की अब तक की सबसे बड़ी हथियार डील है। राफेल मरीन विमानों को INS विक्रांत जैसे विमानवाहक पोत पर तैनात किया जाएगा, जो भारत को समुद्र में एक नई ताकत देगा। आइए इस डील को, राफेल मरीन की खासियतों को और इसके महत्व को आसान भाषा में समझते हैं।

राफेल मरीन की विशेषताएँ: एक ताकतवर फाइटर जेट

राफेल मरीन एक ऐसा फाइटर जेट है, जो समुद्र में भारत की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा। इसकी खासियतों को समझें:

डिज़ाइन और ताकत: राफेल मरीन की लंबाई 50.1 फीट और चौड़ाई 10.80 मीटर है। इसका वजन 15 हजार किलो तक हो सकता है। इसमें 11,202 किलो फ्यूल भर सकता है, जिससे ये लंबे समय तक उड़ान भर सकता है। ये 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है और इसकी रफ्तार 2205 किमी प्रति घंटा है।

रेंज और ताकत: इसकी रेंज 3700 किमी है, यानी ये इतनी दूर तक हमला कर सकता है। इसमें 30 एमएम की ऑटो कैनन गन और 14 हार्ड प्वाइंट्स हैं, जहां हथियार लगाए जा सकते हैं।

खास फीचर्स: ये विमान सिर्फ एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसमें फोल्डिंग विंग्स हैं, जो इसे विमानवाहक पोत पर आसानी से रखने में मदद करते हैं। ये बहुत कम जगह पर भी लैंड कर सकता है।

हथियारों की ताकत: राफेल मरीन में कई तरह की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं, जैसे स्काल्प (Scalp) मिसाइल, जो 300 किमी तक मार कर सकती है, और मेटियोर (Meteor) मिसाइल, जो हवा में 120-150 किमी दूर तक दुश्मन के विमानों को मार गिरा सकती है। इसके अलावा, इसमें 70 किमी रेंज वाली एक्सोसेट (Exocet) एंटी-शिप मिसाइल भी है, जो समुद्र में दुश्मन के जहाजों को तबाह कर सकती है।

एडवांस टेक्नोलॉजी: ये विमान परमाणु हथियार दागने में सक्षम है। इसमें एडवांस रडार है, जो पनडुब्बियों को खोजकर उन्हें नष्ट कर सकता है। साथ ही, ये 10 घंटे तक फ्लाइट रिकॉर्ड कर सकता है।

बीच हवा में रीफ्यूलिंग: राफेल मरीन को हवा में ही रीफ्यूल किया जा सकता है, जिससे इसकी रेंज और बढ़ जाती है।

भारत के लिए कस्टमाइजेशन: दसॉ एविएशन ने इन विमानों को भारत की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया है। इसमें एंटी-शिप स्ट्राइक, न्यूक्लियर हथियार लॉन्च करने की क्षमता और मजबूत फ्रेम जैसे फीचर्स शामिल हैं। कंपनी भारत को हथियार प्रणाली, स्पेयर पार्ट्स और जरूरी टूल्स भी देगी।

राफेल मरीन क्यों जरूरी था?

भारतीय नौसेना के पास अभी INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत जैसे दो विमानवाहक पोत हैं, जहाँ पुराने मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात हैं। लेकिन इन मिग-29के विमानों में कई समस्याएँ हैं, जैसे रखरखाव की ज्यादा जरूरत और कम उपलब्धता। नौसेना को 2022 में ही कहना पड़ा था कि INS विक्रांत को मिग-29के के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन अब उसे एक बेहतर डेक-बेस्ड फाइटर जेट चाहिए। राफेल मरीन इस कमी को पूरा करेगा।

एडवांस टेक्नोलॉजी की जरूरत: राफेल मरीन में मिग-29के से कहीं ज्यादा एडवांस रडार, सेंसर और हथियार ले जाने की क्षमता है।

पुराने विमानों का विकल्प: मिग-29के की जगह लेने के लिए राफेल मरीन एकदम सही है, क्योंकि भारत पहले से ही वायुसेना के लिए 36 राफेल जेट्स इस्तेमाल कर रहा है। इससे रखरखाव और ट्रेनिंग में आसानी होगी।

सामरिक जरूरत: भारत की समुद्री सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में राफेल मरीन जैसे मॉडर्न जेट्स की जरूरत थी।

स्वदेशी विमान में देरी: भारत का अपना ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) बनने में अभी 10 साल लग सकते हैं। तब तक राफेल मरीन एक अंतरिम समाधान है।

ट्रायल में जीत: 2022 में नौसेना ने गोवा में राफेल मरीन और अमेरिका के F/A-18 सुपर हॉर्नेट का ट्रायल किया था। राफेल मरीन ने इसमें बाजी मारी, जिसके बाद भारत ने इसे चुना।

इंडियन नेवी को क्या ताकत मिलेगी?

राफेल मरीन की तैनाती से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

समुद्र में मजबूत पकड़: INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर राफेल मरीन की तैनाती से भारत समुद्र में अपनी पकड़ मजबूत करेगा। ये विमान समुद्र, जमीन और हवा में हमला करने में सक्षम हैं।

एडवांस हथियार और रडार: राफेल मरीन के एडवांस रडार और हथियार दुश्मन की पनडुब्बियों, जहाजों और विमानों को आसानी से निशाना बना सकते हैं।

लंबी रेंज और रीफ्यूलिंग: 3700 किमी की रेंज और हवा में रीफ्यूलिंग की सुविधा से ये विमान लंबे मिशन पर जा सकते हैं।

न्यूक्लियर स्ट्राइक की ताकत: परमाणु हथियार दागने की क्षमता इसे एक रणनीतिक हथियार बनाती है।

पाकिस्तान और चीन पर कैसे भारी पड़ेगा?

राफेल मरीन की ताकत पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन देशों के लिए एक बड़ा खतरा है।

पाकिस्तान के F-16 से बेहतर: राफेल मरीन पाकिस्तान के F-16 से कहीं ज्यादा एडवांस है। इसकी मेटियोर मिसाइल 120-150 किमी दूर तक दुश्मन के विमानों को मार सकती है, जो F-16 की रेंज से बाहर है।

चीन के J-20 को टक्कर: चीन का J-20 विमान भी राफेल मरीन की रडार टेक्नोलॉजी और हथियारों के सामने कमजोर पड़ सकता है। राफेल की लंबी रेंज और सटीक हमले की क्षमता इसे बेहतर बनाती है।

समुद्र में बढ़त: समुद्र में चीन और पाकिस्तान की नौसेना पर भारत की पकड़ मजबूत होगी। राफेल मरीन की एंटी-शिप मिसाइलें दुश्मन के जहाजों को आसानी से नष्ट कर सकती हैं।

रणनीतिक दबाव: परमाणु हथियार दागने की क्षमता दुश्मन देशों पर रणनीतिक दबाव बनाएगी।

भारत और फ्रांस के बीच सोमवार (28 अप्रैल 2025) को नई दिल्ली में 26 राफेल मरीन विमानों की डील साइन हो गई। भारत की तरफ से रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने डील पर साइन किए। डील के तहत भारत, फ्रांस से 22 सिंगल सीटर विमान और 4 डबल सीटर विमान खरीदेगा। इन फाइटर जेट्स की खरीद को 23 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में मंजूरी मिली थी। यह मीटिंग पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद बुलाई गई थी।

राफेल मरीन डील भारत के लिए एक गेम-चेंजर है। ये न सिर्फ नौसेना को मॉडर्न बनाएगा, बल्कि समुद्र में भारत की ताकत को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। 2028 से शुरू होने वाली इसकी डिलीवरी 2031 तक पूरी हो जाएगी और तब तक भारत समुद्र में एक नई ताकत के रूप में उभरेगा।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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