कभी छत्तीसगढ़ के जंगलों से लेकर झारखंड के अलग-अलग इलाकों में नक्सली खुले तौर पर घूमा करते थे। हजारों नक्सली छत्तीसगढ़ के जंगलों में डेरा डाले रहते थे। लेकिन सुरक्षाबलों की लगातर कार्रवाई के चलते अब नक्सलियों की संख्या सिमटने लगी है।
नक्सलियों का संगठन तार-तार हो चुका है। भारत में नक्सलियों का सबसे बड़ा समूह कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) अब अंतिम दिन गिन रहा है। इसका संगठन भी टूट चुका है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मात्र 300 नक्सली ही इस संगठन में बचे हैं।
समस्या सिर्फ लड़ने वाले नक्सलियों की ही नहीं है बल्कि नेतृत्व का क्राइसिस भी इस संगठन में है। रिपोर्ट बताती है कि अब नक्सलियों के पास नेता भी नहीं बचे हैं। जहाँ उसकी शीर्ष संस्था पोलित ब्यूरो में मात्र 4 लोग बचे हैं तो वहीं सेंट्रल कमेटी में मात्र 14 लोग ही बचे हैं।
नक्सलियों के पास नहीं बचा नेतृत्व
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2005 से अब तक (2025) पोलित ब्यूरो (PB) के 14 नक्सली या तो पकड़े गए हैं या मार दिए गए हैं। इसके चलते अब पोलित ब्यूरो में सिर्फ 4 एक्टिव मेंबर बचे हैं। पोलित ब्यूरो में अब मुप्पल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति, मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ अभय, थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवजी और मिसिर बेसरा बचे हैं।
आशंका है कि गणपति की भी मौत हो चुकी है। हालाँकि, यह भी स्पष्ट नहीं है। वहीं, सेंट्रल कमेटी (CC) के मेंबर भी तेजी से कम हुए हैं। 2007 से अब तक 26 सेंट्रल कमिटी सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं या मार दिए गए हैं। कुछ ने आत्मसमर्पण किया है। अब CC में सिर्फ 14 एक्टिव मेंबर बचे हैं, जिसमें चार PB नेता भी शामिल हैं।
बस्तर के CRPF IG पी सुंदरराज ने बताया है कि नक्सलियों का कमांड ढाँचा अब पूरी तरह से बिखर चुका है। लगातार खुफिया जानकारी और आत्मसमर्पण से संगठन पूरी तरह से टूट गया है। IG ने कहा, “कुल 300 हथियारबंद लोग दंडकारण्य और कुछ दूसरे इलाकों में छिप कर बैठे हैं, उनके पास अब सिर्फ 2 रास्ते हैं या तो आत्मसमर्पण करें या मारे जाएँ।”
एक-एक कर मारे जा रहे नक्सली कमांडर
नक्सलियों के संगठन को कमजोर करने के लिए सुरक्षाबलों ने कई बड़े ऑपरेशन चलाए हैं। इन ऑपरेशनों में उनके कई बड़े नेता मारे गए हैं। हाल ही में बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों ने एक बड़े ऑपरेशन में टॉप नक्सली कमांडर भास्कर को मार गिराया। भास्कर पर ₹45 लाख का इनाम था और वह इस इलाके में बचे कुछ बड़े नक्सली नेताओं में से एक था।
इससे पहले मई 2025 में नक्सलियों के सबसे बड़े नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। 30 साल से भी ज़्यादा समय में यह पहली बार हुआ है जब नक्सलियों का इतना बड़ा नेता मारा गया है। यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल यूनिट DRG ने किया था।
इसके अलावा, 6 जून 2025 को इसी जिले में एक और सीनियर नक्सली नेता नरसिम्हा चालम उर्फ सुधाकर को भी मार गिराया। सुधाकर पर 40 लाख का इनाम था और वह बसवराजू के बाद आंदोलन का एक अहम नेता माना जाता था। वह पहले आयुर्वेद का छात्र था और बाद में नक्सलियों में शामिल हो गया था।
2024-25 में टूटी कमर
नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में वर्ष 2024 के बाद तेजी आई है। लगातार CRPF, पुलिस और DRG बड़े ऑपरेशन कर नक्सलियों का सफाया कर रही है। कई ऑपरेशन में 30 से अधिक नक्सली मारे गए हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में 290 नक्सलियों को मार गिराया गया था। इस दौरान 1,090 को गिरफ्तार किया गया था। वहीं 881 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया था। यह कार्रवाई 2025 में दोगुनी तेजी पकड़ चुकी है।
वर्ष 2025 में 226 नक्सली मार गिराए जा चुके हैं। इसके अलावा 418 को गिरफ्तार भी किया गया है। मारे जाने के डर से 896 ने आत्मसमर्पण कर दिया है। कर्रेगुट्टा पहाड़ जैसे नक्सलियों के गढ़ भी अब खाली करवा लिए गए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि भारत को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त किया जाएगा। उन्होंने 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने की डेडलाइन रखी है। नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने का मौका भी दिया जा रहा है, लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें सुरक्षाबलों की गोली का सामना करना पड़ेगा।