Monday, October 7, 2024
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चेन्नई में बांग्लादेश क्रिकेट टीम के ‘स्वागत’ से भड़के नेटिजन्स, BCCI को भेजी लानत: कहा- ये हिंदू नरसंहार के मौन समर्थक

सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर इस बात की ओर इशारा करती है कि BCCI और भारतीय क्रिकेटरों से अपेक्षा की जा रही है कि वे सिर्फ खेल तक सीमित न रहें, बल्कि ऐसे सामाजिक मुद्दों पर भी आवाज उठाएँ, जो उनके धर्म और देश से जुड़े हों।

भारत और बांग्लादेश के बीच टेस्ट और टी20 सीरीज का आयोजन भारतीय जमीन पर हो रहा है, जबकि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा ने सोशल मीडिया पर गुस्सा पैदा कर दिया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पर लोगों का गुस्सा उतर रहा है और लोग सोशल मीडिया पर बीसीसीआई के प्रति तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

15 सितंबर को जब बांग्लादेश की पुरुष क्रिकेट टीम चेन्नई पहुँची और उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया, तो कई नेटिज़न्स ने इस पर नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि ऐसे समय में जब बांग्लादेश में हिंदू मारे जा रहे हैं, हम उन खिलाड़ियों का स्वागत कैसे कर सकते हैं।

सोशल मीडिया पर दिखा गुस्सा

सोशल मीडिया पर चर्चित यूजर ‘Mr Sinha’ ने ट्वीट किया, “हम वाकई इन बांग्लादेशी क्रिकेटरों का स्वागत सम्मानित मेहमानों की तरह कर रहे हैं? इनमें से ज्यादातर हिंदुओं के नरसंहार के मूक समर्थक हैं।”

पत्रकार अजीत भारती ने लिखा, “बेशर्म BCCI! पैसे के लिए पाकिस्तानी टीम के आगे नाचने से लेकर अब यहाँ तक, यह एक नई नीचता है।”

हिंदू आध्यात्मिक नेता राधारमण दास ने ट्वीट किया, “BCCI ने विश्वभर के हिंदुओं के विरोध की पूरी तरह अनदेखी की है। बस देखिए कि BCCI और ICC ने आज कैसे बांग्लादेशी क्रिकेटरों का स्वागत किया, जबकि बांग्लादेश में हिंदुओं का जातीय सफाया हो रहा है। आप पर शर्म आती है।”

उद्यमी और लेखक अरुण कृष्णन ने बताया कि वह बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं के उत्पीड़न को देखते हुए भारत बनाम बांग्लादेश सीरीज नहीं देखेंगे। उन्होंने ट्वीट किया, “शर्म की बात है BCCI! मैं, और मेरे जैसे लाखों आत्म-सम्मानित हिंदू, इस सीरीज को नहीं देखेंगे। और हमारे क्रिकेट जगत पर भी शर्म आती है कि वे BLM के लिए घुटने टेक सकते हैं, लेकिन अपने धर्म के लोगों के लिए आवाज नहीं उठा सकते, जो बांग्लादेश में मारे जा रहे हैं।”

राष्ट्रवादी ट्विटर हैंडल ‘Kreately’ ने लिखा, “आप शर्मसार हैं। उम्मीद है कि कोई आत्म-सम्मानित हिंदू टिकट नहीं खरीदेगा।”

लोकप्रिय यूजर कनिष्का दधीच ने हिंदू समुदाय के जल्द सबकुछ भूल जाने की प्रवृत्ति पर सवाल उठाते हुए लिखा, “भारत में क्रिकेट मैच के लिए एक आतंकवादी राष्ट्र ‘बांग्लादेश’ का स्वागत करना शर्मनाक है। हमने अपने इतिहास से क्या सीखा?”

मीडिया पोर्टल ‘हिंदू पोस्ट’ ने कहा, “जब तक हिंदू आत्म-सम्मान और रीढ़ की हड्डी नहीं विकसित करते, तब तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार बेमानी है। हम बांग्लादेशी हिंदुओं के उत्पीड़न और पीड़ा के साथ एकजुटता में बांग्लादेश के साथ क्रिकेट सीरीज भी रद्द नहीं कर सके? इतना ही नहीं – हम बांग्लादेशी टीम के लिए लाल कालीन बिछाते हैं, जिससे हिंदुओं के जख्मों पर नमक छिड़कते हैं!”

हिंदू पोस्ट ने भारतीय क्रिकेटरों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और कहा, “क्यों भारत का एक भी हिंदू क्रिकेटर हिंदुओं के समर्थन में आवाज नहीं उठाता? वास्तव में, केवल दानिश कनेरिया ने हिम्मत दिखाई और भारत से पाकिस्तान का दौरा न करने की स्पष्ट माँग की, खासकर पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों के भयानक हालातों को देखते हुए।”

‘द जयपुर डायलॉग्स’ ने लिखा, “हमें शर्म आनी चाहिए! बीसीसीआई को शर्म आनी चाहिए। हम उन लोगों का हमारे साथ क्रिकेट खेलने के लिए स्वागत कर रहे हैं, जो हमारे हिंदू भाइयों और बहनों को रोजाना मार रहे हैं। इनमें से 50% खिलाड़ी भारत में हिंदू नरसंहार के समर्थक हैं।”

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की लंबी फेहरिस्त

बांग्लादेश में हालिया तख्तापलट के बाद से हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं। बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद से 205 से अधिक हिंदू मंदिरों, दुकानों और व्यवसायों पर हमले हो चुके हैं।

OpIndia पहले बता चुका है कि कैसे खुलना शहर के सोनाडांगा आवासीय क्षेत्र में ‘ईशनिंदा’ के आरोप में एक हिंदू लड़के उत्सव मंडल को मुस्लिम भीड़ द्वारा लगभग मार दिया गया था। इसी तरह, 60 हिंदू शिक्षकों, प्रोफेसरों और सरकारी अधिकारियों को मुस्लिम छात्रों द्वारा अपने पदों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।

मानवाधिकार कार्यकर्ता और निर्वासित बांग्लादेशी ब्लॉगर असद नूर ने हाल ही में खुलासा किया कि अल्पसंख्यक समुदाय को कैसे ‘जमात-ए-इस्लामी’ इस्लामी मजहब में शामिल होने के लिए मजबूर कर रहा है।

6 सितंबर को, चटगांव शहर के कादम मुबारक इलाके में भगवान गणेश की मूर्ति लेकर जा रहे हिंदू भक्तों के जुलूस पर हमला किया गया था।

इस पूरे घटनाक्रम ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे हमलों पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड के रवैये को लेकर गहरा सवाल खड़ा किया है। सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर इस बात की ओर इशारा करती है कि BCCI और भारतीय क्रिकेटरों से अपेक्षा की जा रही है कि वे सिर्फ खेल तक सीमित न रहें, बल्कि ऐसे सामाजिक मुद्दों पर भी आवाज उठाएँ, जो उनके धर्म और देश से जुड़े हों।

मूल रूप से यह रिपोर्ट अंग्रेजी में प्रकाशित की गई है। मूल रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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