सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (29 अक्टूबर 2021) को पुडुचेरी में मंदिर के नजदीक स्थित एक बार को बंद करने का आदेश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि पूजा की जगह से बार की पर्याप्त दूरी उसे बंद करने का आधार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यदि दोनों के बीच की दूरी 114.5 मीटर है, जो तय दूरी 100 मीटर से ज्यादा है। अदालत ने यह भी कहा कि हो सकता है कि कुछ लोग प्रार्थना करना चाहते हों और कुछ लोग पीना चाहते हों।
बता दें कि पुडुचेरी के थ्रोबथियाम्मम मंदिर के प्रवेश द्वार से 114.5 मीटर की दूरी पर जोठी बार बना हुआ है। इसी को बंद कराने या शिफ्ट कराने को लेकर याचिका दायर की गई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मद्रास HC ने भी बार को बंद करने या उसे स्थानांतरित करने से इनकार किया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी।
मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील नंदकुमार ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और बी वी नागरत्ना की बेंच के सामने कहा कि बार और मंदिर के बीच की दूरी कम होने के चलते कई लोग शराब पीकर मंदिर आते हैं और फिर हंगामा करते हैं। अकसर मंदिर के अनुष्ठानों और त्योहारों में दखल देते हैं। उनका तर्क था, “अगर बार बंद नहीं किया जा सकता तो जनभावनाओं का ध्यान रखते हुए उसे दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना चाहिए।”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “हम श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएँ आहत नहीं करना चाहते, लेकिन एक बार दोनों के बीच की संवैधानिक दूरी बन जाने के बाद कानूनी रूप से अदालतें ज्यादा कुछ नहीं कर सकतीं। ऊपर से मंदिर ट्रस्ट ने बार के नजदीक होने पर आपत्ति नहीं जताई है। हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप क्यों करें?”
जब नंदकुमार ने फिर से बार में शराब पीकर आने वालों के मंदिर में हंगामा करने की दलील दी तो जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “अगर बार 500 मीटर या 10,000 मीटर भी दूर हो तो भी शराब पीने वाले लोग जो मंदिर जाना चाहते हैं, वो वैसे ही हंगामा कर सकते हैं।”
HC ने क्या आदेश दिया था?
मद्रास हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजीब बैनर्जी और सेंथिलकुमार राममूर्ति की बेंच ने 16 जुलाई को सिंगल जज बेंच के आदेश को पलट दिया था। सिंगल जज वाली बेंच ने अथॉरिटीज से बार का लाइसेंस कैंसिल करने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ अपील पर HC की डिविजन बेंच ने कहा कि मंदिर से बार के बाहरी ढाँचे की दूरी 114.5 मीटर दर्शाई गई है, जो कि प्रतिबंधित दूरी से ठीक-ठाक ज्यादा है। HC ने कहा था कि ऐसी स्थिति में बार का लाइसेंस रद्द करने का कोई मतलब नहीं बनता। हालाँकि HC ने साफ कहा कि अगर मंदिर और बार के बीच की जमीन पर नियमित रूप से धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं तो अथॉरिटीज जरूरी कार्रवाई कर सकती है।