Sunday, September 29, 2024
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‘1 Rupee clinic’ की मदद से युवती ने स्टेशन पर बच्चे को जन्म दिया, पीयूष गोयल ने किया रीट्वीट

कल (अप्रैल 26, 2019) 20 साल की एक लड़की ने कोंकण कन्या एक्सप्रेस में सफर करते हुए ठाणे स्टेशन पर नवजात को जन्म दिया। ट्रेन में सफर के दौरान युवती को प्रसव पीड़ा शुरु हुई तो “1 रुपए क्लिनिक” की स्टाफ ने उस लड़की की मदद की और विषम परिस्थितियों में भी एक माँ का प्रसव सही सलामत कराया।

“1 रुपए क्लिनिक” की इस उपलब्धि को रेल मंत्री ने अपने ट्विटर अकॉउंट पर शेयर किया और साथ ही लिखा कि ठाणे के चौकीदार राष्ट्र की सेवा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। जाहिर है इस घटना के बाद “1 रुपए क्लिनिक” की निष्ठा और लगन की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। किसी भी महिला के जीवन में प्रसव एक ऐसा अनुभव होता है जिसमें भले ही स्त्री को असीम पीड़ा से गुजरना पड़े लेकिन वो उसका मलाल कभी नहीं करती। लेकिन सच यह भी है कि कई बार उचित स्वास्थ्य सुविधा न मिलने के कारण इस वेदना को झेलते हुए स्त्रियाँ अपनी जान तक गवाँ बैठती हैं।

भारतीय रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय के अनुसार साल 2011-13 में एक लाख जीवित शिशुओं के जन्म पर 167 महिलाओं की जान प्रसव के दौरान गई थी। हालाँकि 2014-16 में 22 प्रतिशत की कमी के साथ ये सूची 167 से घटकर 130 हो गई। स्पष्ट है कि यदि उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हो तो प्रसव पीड़ा के कारण होती मौतों को भी रोका जा सकता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ सबके लिए उपलब्ध हैं कि समाज का हर तबका उनका लाभ उठा सके?

एक ओर जहाँ झोलाछाप डॉक्टरों ने भी आज अपना शुल्क निम्न वर्ग के व्यक्ति की एक दिन की आय जितना कर दिया है वहीं भारतीय रेलवे के सहयोग से संचालित होने वाली “1 रुपए क्लिनिक” मात्र ₹1 में स्वास्थ्य संबंधी परामर्श देता है। इनकी वेबसाइट के होमपेज पर ही इसका जिक्र है। इतना ही नहीं यहाँ मात्र ₹5 में ब्लड प्रेशर की जाँच होती है और ECG का शुल्क केवल ₹50 है। मैजिकदिल द्वारा शुरू हुए “1 रुपए क्लिनिक” की परिकल्पना हर आम व्यक्ति के स्वास्थ्य लाभ के लिए है। जहाँ भागती दौड़ती जिंदगी में लोग स्वास्थ्य से दूर होते जा रहे हैं वहीं भारतीय रेलवे के साथ मिलकर मैजिकदिल ने मुम्बई के हर लोकल स्टेशन पर यह सुविधा उपलब्ध कराई है। यहाँ चौबीस घंटे न केवल प्रशिक्षित MBBS डॉक्टरों से परामर्श केवल ₹1 में मिलता है बल्कि फार्मेसी और डायग्नोस्टिक सेन्टर जैसी सुविधाएँ भी डिस्काउंट पर उपलब्ध हैं।

आर्थिक स्थिति ठीक न रहने के कारण जो लोग अपनी स्वास्थ संबंधी दिक्कतों को नजरअंदाज करने की अनचाही कोशिश करते थे, उनके पास अब खुद का इलाज कराने के लिए एक बेहतर विकल्प मौजूद है। मैजिकदिल का मकसद किसी क्षेत्र तक सीमित न रहकर बड़े पैमाने पर विस्तार करना है ताकि कोई भी अक्षम व्यक्ति स्वास्थ्य के सवाल से समझौता न करे और पैसों की कमी के चलते हार न माने और सुविधा का लाभ उठाए। “1 रुपए क्लिनिक” मुंबई के लगभग हर लोकल स्टेशन पर मौजूद है।

मुम्बई जाती ट्रेन में लड़की के प्रसव के दौरान “1 रुपए क्लिनिक” की सक्रियता बेहद सराहनीय है। क्योंकि सही समय पर मदद न पहुँचने पर कुछ भी अनहोनी हो सकती थी। प्रसव भले ही एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन आज के समय में उचित स्वास्थ्य सुविधा मिलना सबसे बड़ी जरूरत है क्योंकि बीमारी कोई भी हो लेकिन इलाज सबका होना जरूरी है।

“1 Rupee” clinic वेबसाइट का लिंक- https://www.1rupeeclinic.com/about_us

मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के प्रोफेसर रवीन और टेनिसन यौन शोषण के दोषी करार

मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में जूलॉजी के प्रोफेसर के खिलाफ यौन शोषण के आरोप सही पाए गए हैं। आरोपों की जाँच के लिए मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज (एमसीसी) द्वारा गठित आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) एक महत्वपूर्ण नतीजे पर पहुँची है। ICC ने अपनी रिपोर्ट में छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोप में प्रोफेसर आर रवीन को दोषी पाया है और उनके सहयोगी सैमुअल टेनिसन को रवीन को प्रोत्साहित करने का दोषी माना गया है।

यह मामला पिछले महीने सामने आया जब एमसीसी में जूलॉजी विभाग के छात्रों ने प्रोफेसर रवीन पर अपनी डिपार्टमेंट ट्रिप के दौरान छात्राओं के साथ कर्नाटक में दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया। छात्रों ने रवीन पर अनुचित तरीके से छूने, उनकी ड्रेसिंग के बारे में भद्दे कमेंट पास करने और उनकी निजता भंग करने का आरोप लगाया। यात्रा इस साल जनवरी में आयोजित की गई थी।

यात्रा के बाद, छात्रों ने सामूहिक और गोपनीय रूप से प्रोफेसर के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत उनके विभागाध्यक्ष (HoD) को सौंपी। हालाँकि, एचओडी की निष्क्रियता से पीड़ित, 50 छात्रों में से 36, जो कर्नाटक भ्रमण का हिस्सा थे, ने एक औपचारिक हस्ताक्षर के साथ अपनी शिकायत दर्ज कराई।

एचओडी ने छात्रों को घटना इस बारे में अनौपचारिक जाँच के लिए आमंत्रित किया था। हालाँकि, इस मीटिंग का कोई परिणाम नहीं निकला और हेड ने प्रोफेसर रवीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बजाय केवल चेतावनी के साथ दोनों ‘दोषी’ प्रोफेसरों को छोड़ दिया। उनके अनुसार उन्होंने अपनी कार्रवाई को सही ठहराया क्योंकि दोनों के खिलाफ कोई पिछली शिकायत नहीं मिली थी।

प्रोफेसर रवीन द्वारा यौन उत्पीड़न का अन्य मामला तब सामने आया जब 1997-2000 के जूलॉजी विभाग के बैच के छात्र भी सामने आए और उन्होंने अपने समय में कॉलेज के भ्रमण के दौरान उत्पीड़न की घटनाओं को साझा करने की हिम्मत दिखाई। पुराने छात्रों के समय HoD ने आरोपित को 15 दिनों के लिए निलंबित कर दिया था। हालाँकि, निलंबन का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया क्योंकि यह निलंबन उनकी गर्मियों की छुट्टियों के दौरान हुआ था।

छात्रों के अनुसार जब उन्हें एहसास हुआ कि कॉलेज विभाग ने उनसे झूठ बोला था, तो वो विरोध करने लगे। यह तब की बात है जब ICC की स्थापना की गई थी और एक औपचारिक जाँच शुरू हुई। बाहरी सदस्य और वकील शीला जयप्रकाश की समिति ने कई दौर की जाँच की। इसके बाद, समिति ने 24 अप्रैल को रिपोर्ट जारी करने से पहले इस मुद्दे पर अपने निष्कर्षों को सुरक्षित रखा। उसी दिन इस रिपोर्ट की एक प्रति छात्रों और निदेशक मंडल को सौंप दी गई।

आईसीसी ने माना कि रवीन और टेनीसन यौन उत्पीड़न में शामिल हैं। “यह समिति की सर्वसम्मत निष्कर्ष है कि डॉ. रवीन और डॉ. टेनीसन ने अनफ्रेंडली कार्य/अध्ययन का माहौल बनाकर यौन उत्पीड़न किया, जिसके परिणामस्वरूप शिकायतकर्ताओं के खिलाफ लैंगिक भेदभाव हुआ।” रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए इसे प्राचार्य को भेज रही है।

छात्रों ने समिति की रिपोर्ट, दृष्टिकोण और टिप्पणियों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे अब इस रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार दोषी प्राध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कॉलेज के प्राचार्य का इंतजार कर रहे हैं।

जीसस एजुकेशन हॉस्टल में नाबालिग आदिवासी छात्राओं से दुष्‍कर्म की जाँच के लिए केंद्र ने CM फडणवीस को लिखा पत्र

केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री हंसराज अहीर ने महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर चंद्रपुर में ‘इनफैंट जीसस एजुकेशन सोसायटी’ द्वारा संचालित छात्रावास में रहने वाली नाबालिग आदिवासी छात्राओं के साथ दुष्‍कर्म के मामलों में FIR दर्ज करने में हुई देरी के सिलसिले में जाँच कराने को कहा है। इस घटना से स्‍थानीय लोगों में काफी गुस्‍सा है और वे सीबीआई से जाँच कराने की माँग कर रहे हैं। 

बीते दिनों चंद्रपुर के राजुरा तहसील में ‘इनफैंट जीसस एजुकेशन सोसाइटी‘ द्वारा संचालित छात्रावास में रहने वाली नाबालिग आदिवासी छात्राओं के साथ दुष्‍कर्म के मामले सामने आए थे। इन मामलों में FIR दर्ज करने में देरी हुई थी। राज्य के वित्तमंत्री और चंद्रपुर के संरक्षक मंत्री सुधीर मुंगंटीवार के मामले की जाँच के आदेश के बाद पुलिस और आदिवासी विभाग हरकत में आया था और कार्रवाई शुरू हो पाई थी। 

मेडिकल परीक्षण में भी छात्राओं से दुष्‍कर्म की पुष्टि हुई है। मामले में हॉस्टल के सुपरिटेंडेंट और डिप्टी सुपरिटेंडेंट को गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोपितों के खिलाफ IPC और पॉक्सो (POCSO) एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया। आरोपितों पर SC/ ST एक्ट की धाराओं के तहत भी केस दर्ज हुआ। 

कॉन्ग्रेस को ‘जिन्नाह’ की पार्टी बताने वाले शत्रुघ्न सिन्हा की सफाई, चिदंबरम ने कहा ‘ख़ामोश’

बड़बोले शत्रुघ्न सिन्हा के लिए मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं बल्कि अब पहले से ही कई अन्य मुश्किलों का सामना कर रही कॉन्ग्रेस के लिए उन्होंने नई मुसीबत खड़ी कर दी। कॉन्ग्रेस को मो. अली जिन्नाह की पार्टी बता और देश के विकास में उनके महान योगदान की गाथा सुनाने के बाद अब शत्रुघ्न सिन्हा ने इसे लेकर आज सफाई दी। बयान पर मचे सियासी घमासान के बाद सिन्हा को अपनी गलती का एहसास हुआ और कहा कि उन्होंने कल जो भी कहा था वो स्लिप ऑफ टंग था, उनकी जुबान फिसल गई थी। वो कहना चाहते थे मौलाना आजाद, लेकिन उनके मुँह से मो. अली जिन्नाह निकल गया।

बता दें कि कॉन्ग्रेस के टिकट पर बिहार के पटना साहिब से चुनाव लड़ रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के सौसर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कह दिया था कि भारत की आजादी और विकास में जिन्नाह का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

सिन्हा के कॉन्ग्रेस में शामिल होने के बाद से ही गाँधी परिवार और उसके महान योगदान का गुणगान करने के क्रम में उन्होंने कुछ ऐसा कर दिया जो कॉन्ग्रेस के लिए फिर से एक सेल्फ गोल हो गया। सिन्हा ने यादगार भाषण में कहा, “कॉन्ग्रेस परिवार महात्मा गाँधी से लेकर सरदार वल्लभ भाई पटेल तक, मो अली जिन्नाह से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक, इंदिरा गाँधी से लेकर राजीव गाँधी और राहुल गाँधी तक की पार्टी है। भारत की आजादी और विकास में इन सभी का योगदान है। इसलिए मैं कॉन्ग्रेस पार्टी में आया हूँ। और एक बार आ गया हूँ, पहली और शायद आखिरी बार, अब जाने का सवाल नहीं है।”

उनके इसी बयान पर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है और एक बार फिर भाजपा को कॉन्ग्रेस पर हमले का मौका मिल गया। इसे लेकर कॉन्ग्रेस बैकफुट पर है और उसे अपनी तरफ से सफाई भी देनी पड़ रही है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस ने इस बयान से पूरी तरह पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हुए उल्टा भाजपा को ही सफाई देने को कहा।

गौरतलब है कि आज पी चिदंबरम ने भी एक तरह से सिन्हा से किनारा करते हुए कहा, “उनके (सिन्हा) जो भी विचार हैं, उसका स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए। कुछ दिन पहले वह भाजपा का हिस्सा थे। भाजपा को बताना चाहिए कि वह इतने साल तक पार्टी का हिस्सा क्यों थे। मैं पार्टी के हर सदस्य के बयान पर स्पष्टीकरण नहीं दे सकता। सिर्फ पार्टी के आधिकारिक स्टैंड पर ही कुछ बोल सकता हूँ।”

बेचारे सिन्हा को शायद अब समझ नहीं आ रहा होगा कि क्या करें, जाएँ तो जाएँ कहाँ? बोले तो बोले क्या? आज शायद उन्हें धोबी के गधे वाली बात ज़रूर याद आई होगी जो न घर का होता है न घाट का। खैर जो भी हो बड़बोले सिन्हा को अब खुद को ही कहने का समय आ गया है ‘ख़ामोश।’

फ़र्ज़ी डिफेंस पत्रकार अजय शुक्ला के झूठ का पर्दाफ़ाश, भारतीय वायुसेना ने दिया जवाब

27 फरवरी को श्रीनगर में हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जाँच के लिए IAF कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी के गठन के संदर्भ में झूठी ख़बर फैलाने के लिए NDTV के पूर्व पत्रकार और वर्तमान बिजनेस स्टैंडर्ड के स्तंभकार, अजय शुक्ला को भारतीय वायु सेना ने आड़े हाथों लेते हुए ट्विटर पर उनके ब्लॉग का जवाब दिया।

भारतीय वायु सेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कहा गया कि अजय शुक्ला ने अपने ब्लॉग में ग़लत अनुमान लगाया था कि 27 फरवरी को श्रीनगर में हुई Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जाँच के लिए गठित IAF कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी को कुछ समय के लिए रोका गया गया है। भारतीय वायु सेना ने कहा, “यह उनकी कल्पना है और भारतीय वायु सेना इसे स्पष्ट रूप से नकारती है।”

IAF ने यह भी कहा कि विमान दुर्घटनाओं की कोर्ट ऑफ़ एन्क्वॉयरी पूरी होने में कुछ समय लगेगा। सभी मामलों में जाँच पूरी होने तक IAF द्वारा एक कोर्ट ऑफ़ एन्क्वायरी की कार्यवाही पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। वायुसेना ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव और कोर्ट ऑफ़ एन्क्वॉयरी पूरा होने के बीच कोई संबंध नहीं है।

अजय शुक्ला ने लिखा था कि भारतीय वायु सेना को आदेश दिया गया है कि वह चुनाव तक अपनी कोर्ट ऑफ़ एन्क्वायरी की कार्यवाही रोककर रखे जिसमें यह सामने आने वाला था कि एयरफोर्स का हेलीकॉप्टर बालाकोट हमले के एक दिन बाद “Friendly Fire” में वायुसेना की ही मिसाइल द्वारा मार गिराया गया था। शुक्ला के अनुसार यह बात सामने आ जाती तो सरकार पर और चुनावों पर इसका बुरा असर पड़ता इसीलिए सरकार ने कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी रोक रखी थी। भारतीय वायुसेना ने शुक्ला के इन दावों का खंडन किया है।

इसके अलावा, अजय शुक्ला ने अपने ब्लॉग में यह भी लिखा था कि भारतीय वायु सेना ने इन वाहियात अटकलों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि पूछताछ अभी भी जारी है और किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए कोर्ट ऑफ़ एन्क्वायरी को समय लगता है और इस पर कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।

यह स्पष्ट है कि अजय शुक्ला ने अपने बेतुके सिद्धांतों के साथ IAF कोर्ट ऑफ़ एन्क्वायरी के नाम पर 2019 के चुनावों में भ्रामकता फैलाने का प्रयास किया। उनकी मंशा रहती है कि वो पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की ओर से किए गए अभियानों से यह सिद्ध कर सकें कि सरकार इससे कुछ छिपाने का काम कर रही है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद अजय शुक्ला, भारत पर पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे आतंक और बलिदानियों के परिवारों के बारे में बात करने की बजाय आतंकवादी हमले से प्रधानमंत्री मोदी को मिलने वाले ‘लाभ’ पर अधिक चिंतित रहते हैं। वास्तव में यह स्पष्ट झूठ अन्य तथाकथित पत्रकारों द्वारा भी आगे बढ़ाया गया था।

बालाकोट हवाई हमले पर जिन पत्रकारों को भारत सरकार पर संदेह था, अजय शुक्ला ने उन्हीं के झूठ को और आगे बढ़ाने का काम किया। इस झूठ को आगे बढ़ाने वालों में कृष्ण प्रताप सिंह और अभिसार शर्मा भी शामिल थे जिन्होंने शुक्ला के ब्लॉग को खूब रीट्वीट किया था।

इस्लामिक स्टेट ने श्री लंका के बाद पश्चिम बंगाल में हमला करने की दी धमकी

ईस्टर के मौके पर रविवार (अप्रैल 21, 2019) को श्रीलंका में सीरियल ब्लास्ट की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अब भारत में भी धमाका करने की धमकी दी है। इस्लामिक स्टेट ने एक पोस्टर के जरिए भारत में भी धमाके करने की धमकी दी है। आईएस समर्थित एक टेलिग्राम चैनल ने बांग्ला भाषा में एक पोस्टर मैसेज भी जारी किया है। पोस्टर में लिखा है, “शीघ्र आश्छी, इंशाअल्लाह…” जिसका मतलब है, “जल्द आ रहे हैं।” पोस्टर पर अल मुरसालात का लोगो भी लगा हुआ है। इस पोस्टर को देखकर आशंका जताई जा रही है कि आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट भारत में भी आत्मघाती हमले कर सकता है। सुरक्षा एजेंसियाें ने इस संदेश को काफी गंभीरता से लिया है और इसकी वजह से पश्चिम बंगाल में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

शनिवार (अप्रैल 27, 2019) को कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मामले की पुष्टि की और साथ ही ये भी बताया कि एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल की सीमा के आस-पास के सभी क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी शुरू कर दी है। इसके साथ ही आतंकी मंसूबे को नाकाम करने के लिए पुलिस और भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ भी आपसी समन्वय स्थापित किया गया है। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की खुफिया एजेंसियाँ सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक तौर पर जाँच अभियान चला रही हैं।

बता दें कि, पश्चिम बंगाल में पहले से ही इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी है। जमात-उल-मुजाहिदीन (जेएमबी) नामक स्थानीय आतंकवादी संगठन के एक हिस्से के साथ आईएस जुड़ा हुआ है। इसी साल फरवरी में कोलकाता के बाबूघाट इलाके से जेएमबी का एक आतंकी अरिफुल इस्लाम को गिरफ्तार किया गया था। वह 2018 में होने वाले बोधगया विस्फोट में शामिल था। इस दौरान पूछताछ में उसने असम में बढ़ रहे आतंकी संगठन के साथ ही चिराग असम में जमात-उल-मुजाहिदीन के ट्रेनिंग कैंप होने का भी खुलासा किया था।

गौरतलब  है कि जमात-उल- मुजाहिदीन ने तीन साल पहले भी पश्चिम बंगाल के कई जिलों में पोस्टर चिपकाया था और इस पोस्टर के जरिए वहाँ के स्थानीय युवाओं से आतंकी संगठन से जुड़ने की अपील की थी। इस्लामिक स्टेट द्वारा भेजे गए इस मैसेज के बाद राज्य की सुरक्षा एजेंसियाँ विशेष तौर पर आतंकी नेटवर्क का पता लगाने और उसे नाकाम करने में जुट गई हैं।

मेरे पति ने नहीं की घरेलू हिंसा, मीडिया ने फैलाई अफवाह: त्रिपुरा CM बिप्लब देब की पत्नी

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब के बारे में खबर आई थी कि उनकी पत्नी नीति देब ने उन पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है और साथ ही उन्होंने तलाक की अर्जी भी दी है। खबरों के मुताबिक, तलाक की याचिका नई दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में दायर की गई है। मनीकंट्रोल, CNBCTV18, क्विंट, डीएनए, इत्यादि उन मीडिया हाउस में से हैं, जिन्होंने इस खबर को दिखाया।

मगर सीएम बिप्लव देव की पत्नी नीति देब ने इन तमाम दावों को नकारते हुए एक फेसबुक पोस्ट की है। इस पोस्ट में उन्होंने झूठे दावों का स्क्रीनशॉट पोस्ट करते हुए इस बात का खंडन किया है कि उन्होंने अपने पति के खिलाफ ऐसा कोई आरोप लगाया है। नीति देब ने लिखा है कि सिर्फ गंदे, भद्दे और बीमार किस्म की मानसिकता वाले लोग ही घटिया प्रचार के लिए इस तरह की अफवाहें फैलाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि प्रभावशाली लोगों के खिलाफ राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए इस तरह की गंदी अफवाहों को फैलाने के लिए उन्हें मोटी रकम दी जाती है। लेकिन दुख की बात ये है कि लोग ऐसी बेतुकी बातों पर प्रतिक्रिया देते हैं, सुनते हैं और भरोसा भी कर लेते हैं। आगे उन्होंने लिखा कि अफवाह फैलाने वाले न केवल उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि त्रिपुरावासियों से उन्हें मिले प्रेम, लगाव और इज्जत का भी अपमान कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से उन पर भरोसा रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील भी की है।

नीति देब ने CNBCTV18 के ट्वीट का जवाब देते हुए रिपोर्ट को फर्जी खबर बताया और साथ ही इसके लिए समाचार एजेंसी की आलोचना करते हुए कहा कि झूठी पब्लिसिटी पाने के लिए अफवाहों के आधार पर ऐसी खबरें चलाकर एक सम्मानित महिला की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि एक अपराध है।

नीति देब ने अपने फेसबुक अकाउंट पर इन झूठी अफवाहों को लेकर मजाकिया लहजे में भी एक पोस्ट करते हुए लिखा था कि ये सब कब हुआ, उन्हें तो पता भी नहीं चला। उन्होंने इसमें लिखा था कि उनका प्यार शर्त रहित और सच्चा है और इसके लिए उन्हें किसी को कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है।

नीति देब के द्वारा इस खबर का खंडन करने के बाद CNBCTV18 ने अपनी खबर हटा ली और साथ ही ट्वीट भी डिलीट कर दिया।

मगर कई मीडिया आउटलेट्स ने पहले ही CNBC की खबर के आधार पर ये खबर चला दी थी, जो कि अभी ऑनलाइन साइटों पर मौजूद हैं और सोशल मीडिया साइटों पर शेयर किए जा रहे  हैं।

INS विक्रमादित्य पर आग बुझाने के दौरान 5 साथियों को बचाते हुए Lt Cmdr धर्मेंद्र सिंह चौहान हुए बलिदान

शुक्रवार (26 अप्रैल) को भारतीय नौसेना के विमानवाहक युद्धपोत INS विक्रमादित्य में लगी आग को बुझाने के दौरान रतलाम के निवासी 30 वर्षीय लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान वीरगति को प्राप्त हो गए। भारतीय नौसेना ने अपने बयान में कहा कि यह हादसा उस वक़्त हुआ जब INS विक्रमादित्य युद्धपोत कर्नाटक के कारवार स्थित हार्बर में प्रवेश कर रहा था। अब इसे लेफ़्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह चौहान का जज़्बा ही कहेंगे कि उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर ज़िम्मेदारी निभाते हुए पोत पर लगी आग पर काबू पाने का साहस दिखाया।

इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शोक व्यक्त करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की है। साथ ही अन्य ट्विटर यूज़र्स ने भी उन्हें अपने ट्वीट के ज़रिए श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

ख़बर के अनुसार, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने अपने शोक संदेश में कहा, “हम उनके साहस और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम करते हैं और यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करेंगे कि उनका बलिदान बेकार नहीं जाए। हम हमेशा और हर समय उनके परिवार के साथ खड़े रहेंगे।” अभी पिछले ही महीने लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान की शादी हुई थी। उनके परिवार में केवल अनकी माँ और पत्नी ही बचे हैं।

अपने इकलौते बेटे के बलिदान पर लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान की माँ टमाकुंवर का रो-रोकर बुरा हाल है। बेसुध अवस्था में उन्हें हर तरफ़ केवल उनके ‘बहादुर लाल’ का ही चेहरा नज़र आता है। अपने बेटे के अदम्य साहस पर उन्हें गर्व है और इसीलिए वो हर समय एक ही बात कहती हैं कि ‘मेरा रियल हीरो चला गया’। लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान की माँ ने बताया कि उनके बेटे ने आग में फँसे अपने पाँच साथियों को भी बचाया।

जानकारी के अनुसार, लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान के पिता उनके साथ नहीं रहते थे, अकेली माँ ने ही उन्हें पाला-पोसा था। कड़े संघर्षों के बाद माँ ने उन्हें इंजीनियर बनाया था। इसी ग़म में वो रोती-बिलखती अपने बेटे को याद करती हैं और उनके ना होने के सदमे को वो नहीं झेल पा रही हैं। इस मंज़र को देखने वालों का कलेजा मुँह को आ जाता है।

फ़िलहाल, घटना के कारणों का पता लगाने के लिए ‘बोर्ड ऑफ़ एन्कवायरी’ जाँच के आदेश दे दिए गए हैं। नौसेना ने इस बात की भी जानकारी दी कि जो अन्य पाँच अधिकारी आग बुझाने के दौरान बच गए थे, वो धुएँ की चपेट में आने से बेहोश हो गए थे। उन्हें तुरंत इलाज के लिए कारवार स्थित नौसैनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। INS विक्रमादित्य को नवंबर 2013 में रूस के सवेरोदविंसक में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।

8 राज्यों में आतंकी हमले की खबर निकली झूठी, फर्जी कॉल करने वाला गिरफ्तार

कल (अप्रैल 26,2019) एक व्यक्ति ने बेंगलुरु पुलिस को कॉल करके दावा किया कि कर्नाटक समेत 8 राज्यों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की साजिश कर रहे हैं। इस व्यक्ति के दावे के बाद पुलिस हरकत में आ गई। जब मामले की जाँच हुई तो मालूम चला कि यह फर्जी कॉल थी, जिसे 65 साल के एक ड्राइवर ने किया था। फर्जी कॉल करने वाले उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है।

गौरतलब है कि इस कॉल के बाद कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक और आईजी अधिकारियों ने अन्य 7 राज्यों (तमिलनाडु, केरल, पुदुचेरी, गोआ, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र) के डीजीपी को पत्र लिखकर अलर्ट रहने को कहा था।

गौरतलब है, शुक्रवार (अप्रैल 26, 2019) की शाम साढ़े 5 बजे स्वामी सुंदर नाम के आरोपित ने खुद को लॉरी ड्राइवर बताते हुए बेंगलुरु पुलिस को कॉल किया और दावा किया कि कर्नाटक समेत 8 राज्यों में आतंकी ट्रेनों में हमला कर सकते हैं। साथ ही यह भी बताया कि तमिलनाडु के रामनाथपुरम में 19 आतंकी मौजूद हैं। जानकारी मिलते ही कर्नाटक पुलिस ने अन्य संबंधित राज्यों की पुलिस को पत्र लिखकर आवश्यक कदम उठाने को कहा।

इसी बीच बता दें कि एक अन्य व्यक्ति ने चेन्नई पुलिस कार्यालय में कॉल करके रामेश्वरम में मशहूर पंबन सी-ब्रिज को ब्लास्ट से उड़ाने की धमकी दी है। जिसके बाद पुलिस ने स्निफर डॉग्स और बम डिटेक्शन स्क्वॉड के साथ जाकर इलाके में सर्च ऑपरेशन की शुरुवात कर दी। यहाँ पंबन और रामेश्वरम को जोड़ने वाली सड़क और रेल ब्रिजों की जाँच के साथ ही रोड ब्रिज पर चल रहे वाहनों की भी तलाशी ली जा रही है।

मायावती के कार्यकाल में हुए घोटाले की CBI जाँच शुरू: ₹1,179 करोड़ का हुआ था घाटा

मायावती के कार्यकाल में 7 बंद चीनी मिलों को बेचने में हुए घोटाले के संबंध में सीबीआई लखनऊ की ऐंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की है। इसके अलावा 14 अन्य चीनी मिलों की बिक्री को लेकर 6 अलग जगहों पर भी आरंभिक जाँच करने के निर्देश दिए गए हैं।

साल 2010-11 में इन मिलों को बेचने में हुए घोटाले के कारण प्रदेश सरकार को ₹1,179 करोड़ का राजस्व घाटा हुआ था। जिसके मद्देनज़र गत वर्ष 12 अप्रैल को यूपी सरकार ने 21 (14+7) चीनी मिलों की बिक्री में हुई गड़बड़ियों में सीबीआई जाँच की माँग की थी।

सीबीआई ने इस मामले में गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, दिल्ली के रोहिणी निवासी राकेश शर्मा, सुमन शर्मा, बेहट के निवासी मोहम्मद नसीम अहमद और मोहम्मद वाजिद का नाम दर्ज़ किया है। इन लोगों के ख़िलाफ़ सीबीआई ने धोखाधड़ी, जालसाजी और कंपनी एक्ट 1956 की धारा 629 (ए) के तहत मामला दर्ज किया है।

इससे पूर्व साल 2017 में 9 नवंबर को राज्य चीनी निगम लिमिटेड ने चीनी मिल खरीदने वाली दो फर्जी कंपनियों के ख़िलाफ़ गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसे सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन विंग की जाँच के पश्चात दर्ज किया गया था।

चूँकि लोकसभा चुनावों का दौर जारी है तो इस जाँच के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में अभी 4 चरण के चुनाव होने बाकी हैं ऐसे में जाँच का असर सपा-बसपा के गठबंधन पर पड़ सकता है। बता दें कि इस मामले की लोकायुक्त जाँच रिपोर्ट अखिलेश सरकार को सौंपी गई थी, लेकिन तब इस मामले पर ज्यादा गौर नहीं किया गया था।