Sunday, September 29, 2024
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कॉन्ग्रेस की मीटिंग में ‘खाली कुर्सियों’ की फोटो लेना मना है, पीट दिए जाओगे!

तमिलनाडु में कॉन्ग्रेस की चुनावी बैठक में खाली कुर्सियों की फोटो क्लिक करना एक फोटो जर्नलिस्ट को काफ़ी महँगा पड़ गया। इंडिया टुडे की ख़बर के अनुसार, एक तमिल साप्ताहिक पत्रिका के पत्रकार पर कॉन्ग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का गुस्सा इस क़दर भड़का कि उसकी जमकर धुनाई ही कर डाली। नौबत तो यहाँ तक आन पड़ी कि बुरी तरह से घायल हुए पत्रकार को स्थानीय निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

दरअसल, यह घटना शनिवार (6 अप्रैल) की है जहाँ पत्रकार की पिटाई इसलिए हो गई क्योंकि वो तमिलनाडु के विरुधुनगर ज़िले में कॉन्ग्रेस पार्टी की चुनावी बैठक में खाली कुर्सियों की तस्वीरें ले रहे थे।

पत्रकार का नाम आरएम मुथुराज है जोकि तमिल की एक साप्ताहिक पत्रिका में बतौर फोटो जर्नलिस्ट हैं। पिटाई के दौरान घटनास्थल पर मौजूद अन्य पत्रकारों ने हस्तक्षेप किया जिसके बाद दोनों समूहों के बीच जमकर हंगामा हुआ।

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी के नेता एसजी सूर्या ने कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं के इस अभद्र कृत्य के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी का मज़ाक उड़ाया। फ़िलहाल फोटो जर्नलिस्ट आरएम मुथुराज ने पुलिस में शिक़ायत कर मामला दर्ज करा दिया है। उधर, पुलिस ने मामले का संज्ञान में लिया और विरुधुनगर के सरकारी अस्पताल में दौरा भी किया।

NIA के हाथ लगा 2017 में CRPF कैंप पर हमला करने वाला JeM का आतंकी

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने शनिवार (अप्रैल 6, 2019) को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी सैयद हिलाल अंद्राबी (35 वर्षीय) को गिरफ़्तार कर लिया है। अंद्राबी ने 2017 में CRPF पर हुए आतंकी हमले को अंजाम दिया था। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले से संबंध रखने वाले सैयद हिलाल को गिरफ्तारी के बाद अदालत में पेश किया गया जिसके बाद उसे पाँच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

ख़बर के अनुसार, 30 दिसंबर 2017 को दक्षिण कश्मीर के लेथपोरा में CRPF कैंप पर किए गए हमले के आरोप में आतंकी सैयद को NIA ने जम्मू से गिरफ़्तार किया। CRPF कैंप पर हुए इस आतंकी हमले में पाँच सुरक्षाकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसके अलावा 36 घंटे तक चली गोलीबारी में तीन आतंकियों को मार गिराया गया था।

NIA के अनुसार, CRPF हमले का मुख्य साज़िशकर्ता सैयद हिलाल ही है जिसने इसे अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा NIA ने यह भी बताया कि आतंकी सैयद ने अन्य आतंकवादियों की न सिर्फ़ मदद की बल्कि उन्हें शरण भी दी। जानकारी के अनुसार, CRPF कैंप पर हमला करने से पहले उस जगह की पूरी तरह से जाँच-पड़ताल भी की गई थी जिससे अधिक से अधिक क्षति पहुँचाई जा सके। सैयद हिलाल की गिरफ़्तारी के बाद इस हमले में गिरफ़्तार किए गए आतंकवादियों की संख्या बढ़कर चार हो गई है।

सैयद हिलाल अंद्राबी की गिरफ़्तारी निसार अहमद तांत्रे के बाद हुई, जिसके भाई नूर त्राली ने जम्मू-कश्मीर में जैश को पुनर्जीवित करने में मदद की थी, NIA ने उसी मामले में UAE से निकाले जाने के बाद गिरफ़्तार किया था।

पिछले महीने NIA ने 2017 के हमले के कथित साज़िशकर्ता के रूप में पुलवामा से फ़ैयाज़ अहमद मगरे को गिरफ़्तार किया था और उस पर हमले से पहले लेथपोरा में CRPF ग्रुप सेंटर की टोह लेने और आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया था।

BJP में शामिल हुए पूर्व आर्मी जनरल, पार्टी को बताया किसी फौजी की पहली पसंद

राजनीतिक दल भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में कई नए चेहरों के साथ चुनावी मैदान में उतरने वाली है। बीते कुछ दिनों में कई बड़े नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा। अब इस लिस्ट में एक और बड़ी शख्सियत का नाम जुड़ चुका है। पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्ट‍िनेंट जनरल शरत चंद्र विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज की मौजूदगी में शनिवार (अप्रैल 6, 2019) को भाजपा में शामिल हो गए

जनरल शरत चंद्र को जून 1979 में गढ़वाल राइफल्स में नियुक्त हुए थे और पिछले ही साल यानी 1 जून 2018 को भारतीय थलसेना के उप प्रमुख पद से रिटायर हुए हैं। बीजेपी में शामिल होने के मौके पर उन्‍होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राजनीति में आएँगे, मगर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता और उनकी विचारधारा से काफी प्रेरित हुए। इसी वजह से उन्होंने राजनीति में आने का मन बनाया। उन्होंने कहा कि वो देश की सेवा में अपना योगदान देना चाहते हैं और मौजूदा समय में देश को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है।

सेना में अपने 39 साल के करियर में सक्रिय कॉम्‍बैट लीडर के तौर पर कई भूमिकाएँ निभाने वाले जनरल चंद ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि जितना भाजपा की सरकार ने सेना के लिए काम किया है उतना किसी और सरकार ने नहीं किया। एक पार्टी के रुप में भाजपा किसी भी फौजी की पहली पसंद है। गौरतलब है कि श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन’ के दौरान भी सेना की कमान शरत चंद्र ने ही संभाली थी। पूर्व उप सेना प्रमुख को भारतीय सेना में शानदार करियर के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।

CM कमलनाथ के OSD के घर आयकर विभाग का छापा, अब तक ₹9 करोड़ बरामद

लोकसभा चुनाव शुरू होने से ठीक पहले आयकर विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई की है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के दो अधिकारियों- ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) प्रवीण कक्कड़ और सलाहकार राजेंद्र कुमार मिगलानी के आवास पर रविवार सुबह आयकर विभाग ने छापेमारी की है। छापे में अभी तक आयकर विभाग की टीम ने ₹9 करोड़ बरामद किए हैं। कक्क्ड़ इंदौर के निवासी हैं जबकि राजेंद्र दिल्ली में रहते हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार छापेमारी की कार्यवाही अभी जारी है।

आयकर विभाग की टीम ने दिल्ली और मध्य प्रदेश के 6 ठिकानों पर छापे मारे हैं। देर रात 3 बजे तकरीबन 15 अधिकारियों की एक टीम ने प्रवीण कक्क्ड़ के स्कीम नंबर 74 स्थित घर पर छापेमारी शुरु की। इसके अलावा विजय नगर स्थित शोरूम सहित अन्य स्थानों की जाँच की जा रही है। बताया जा रहा है कि वह पहले से ही कई एजेंसियों के रडार पर थे। जब वो पुलिस अधिकारी थे, तभी से उनके खिलाफ कई मामलों में जाँच की जा रही थी।

गौरतलब है कि प्रवीण कक्कड़ कॉन्ग्रेस के करीबी माने जाते हैं। कमलनाथ के सीएम बनते ही भूपेंद्र गुप्ता ओएसडी बने थे, ज‍िन्हें हटाकर हाल ही में प्रवीण कक्कड़ को ओएसडी बनाया गया है। कक्कड़ मध्यप्रदेश पुलिस में अधिकारी थे। सालों पहले कक्कड़ ने स्वैच्छिक अवकाश (VRS) ले ल‍िया था। एमपी विधानसभा चुनाव के दौरान वे कॉन्ग्रेस के वॉर रूम के प्रभारी थे। कक्कड़ को पुलिस सेवा में रहते हुए सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जा चुका है। वे 2004 से 2011 तक केंद्रीय मंत्री रहे कांतिलाल भूरिया के विशेष अधिकारी भी रह चुके है। इससे पहले आयकर विभाग के अधिकारियों ने कर्नाटक में कॉन्ग्रेस और जेडीएस गठबंधन से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।

शर्मनाक: कॉन्ग्रेस प्रवक्ता ने लाइव टीवी डिबेट में BJP प्रवक्ता के ऊपर फेंका पानी

जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, न्यूज़ चैनलों पर बहस गर्माती जा रही है। चैनल में डिबेट पर अक्सर आपने राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं को उत्तेजित होकर अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए देखा और सुना होगा। मगर कल रात एक डिबेट शो के दौरान कॉन्ग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने सारी मर्यादाओं को लांघते हुए एक नया ही कारनामा कर दिया।

दरअसल, कॉन्ग्रेस और भाजपा दोनों पक्षों के प्रवक्ता एक प्राइवेट मीडिया चैनल में अपनी राय देने पहुँचे थे। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच बहस शुरु हो गई और बहस की बीच कॉन्ग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा इतने बौखला गए कि उन्होंने भाजपा प्रवक्ता केके शर्मा के ऊपर गिलास का पानी फेंक दिया। हालाँकि न्यूज एंकर संदीप चौधरी, आलोक शर्मा को शांत कराने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आलोक शर्मा आपे से बाहर हो गए थे और उनके द्वारा फेंके गए पानी के छींटे एंकर संदीप चौधरी और वहाँ बैठे रिटायर्ड आर्मी जनरल पर भी पड़े, जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई।

डिबेट के दौरान भाजपा प्रवक्ता ने आलोक शर्मा के लिए गद्दार शब्द का इस्तेमाल किया, जिसके बाद वो भड़क गए और दोनों के बीच जुबानी जंग छिड़ गई। भाजपा और कॉन्ग्रेस दोनों प्रवक्ता एक दूसरे पर हमलावर होने लगे। विवाद को बढ़ता देख एंकर संदीप ने दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन इसी बीच आलोक शर्मा को इतना गुस्सा आ गया कि उन्होंने भाजपा प्रवक्ता की ओर गिलास में भरा पानी ही फेंक दिया। इसके बाद गुस्से में भाजपा प्रवक्ता भी काफी भड़क गए और आलोक शर्मा से इस बात के लिए माफी माँगने के लिए कहने लगे।

एंकर ने भाजपा प्रवक्ता से भी इस तरह की भाषा का प्रयोग करने से मना किया और साथ ही आलोक शर्मा से सभी पैनलिस्ट से माफी माँगने के लिए कहा, लेकिन कॉन्ग्रेस प्रवक्ता लगातार अपनी बात पर अड़े रहे और भाजपा नेता पर गद्दार कहने का आरोप लगाते रहे। एंकर के समझाने के बाद भी दोनों प्रवक्ता काफी तीखे शब्दों में बात कर रहे थे। लिहाजा एंकर ने बीच में कार्यक्रम खत्म कर दिया और दोनों को स्टूडियो से चले जाने के लिए कहा।

टीवी डिबेट शो के दौरान हुई यह घटना अत्यंत शर्मनाक है। विचारों में मतभेद होना राजनीति में आम बात है लेकिन अब राजनीतिक दलों के बीच बढ़ने वाला मनभेद भी साफ जाहिर होने लगा है, जिसकी वजह से इसकी तरह की अमर्यादित घटना देखने को मिल जाती है, जो जनता को भी सोचने पर विवश कर देती है।

बेटे के IAS का रिजल्ट आया तब पिता पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भर रहे थे, बेच दिया था घर

UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) परीक्षा परिणाम की घोषणा हो चुकी है। इस परीक्षा में हर किसी के संघर्ष की अपनी अलग कहानी देखने और सुनने को मिलती है। मध्य प्रदेश के प्रदीप सिंह की कहानी इन्हीं में से एक हैं। इस परीक्षा में मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले प्रदीप सिंह को ऑल इंडिया में 93वीं रैंक मिली है। उनकी कामयाबी कई मायनों में अहम है और दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। कारण ये है कि बेहद साधारण परिवार से आने वाले प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं।

प्रदीप के पिता ने बेटे की पढ़ाई के लिए अपना घर तक बेच दिया था और कम पैसों के बावजूद अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए कभी कोई कमी नहीं होने दी। शायद यही वजह रही कि प्रदीप ने पहले ही प्रयास में अपने माता-पिता का सपना पूरा कर दिखाया और UPSC परीक्षा में इस वर्ष सफल हुए।

प्रदीप का UPSC का रिजल्ट का समाचार उनके पिता के पास ऐसे समय आया, जब उनके पिता पेट्रोल पंप पर लोगों की गाड़ियों में पेट्रोल भरने का काम कर रहे थे। प्रदीप के पिता इंदौर के एक पेट्रोल पंप पर नौकरी करते हैं।

UPSC-2018 के परिणाम में 93वीं रैंक हासिल करने वाले प्रदीप सिंह मूलरूप से बिहार के रहने वाले हैं, मगर पिछले 25 साल से इनका परिवार इंदौर में रह रहा है। प्रदीप के पिता मनोज सिंह इंदौर के देवास रोड स्थित पेट्रोल पम्प पर काम करते हैं। मनोज सिंह के 2 बेटे हैं। बेटे संदीप ने MBA किया है और दूसरा बेटा, यानि प्रदीप आज IAS बन गया है। प्रदीप ने देवी अहिल्या इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज से 2017 में बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की थी।

UPSC रिजल्ट आते ही प्रदीप के पिता के पास मीडिया भी पहुँच गया। मनोज सिंह ने बताया कि वे बेटे की सफलता से काफी खुश है। बेटे को पढ़ाने-लिखाने में उन्होंने काफी संघर्ष किया, वहीं उनका कहना है कि बेटे ने भी मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, रोजाना 17-18 से घंटे पढ़ता था।

प्रदीप की इस उपलब्धि पर उनके पिता मनोज सिंह ने कहा, “परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, मगर दोनों बेटों को पढ़ने-लिखने का भरपूर अवसर दिया। बेटे प्रदीप ने प्रशासनिक सेवा जाने में इच्छा जताई, तो आर्थिक दिक्कत आ गई थी। बेटे के ख्वाब को पूरा करने के लिए मकान तक बेचना पड़ा, लेकिन अब बेटे की कामयाबी से सातवें आसमान पर हूँ।”

राहुल गाँधी को जनता अब जूते से ही जवाब देगी: आडवाणी के अपमान पर लोगों ने दिया जवाब

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी जिस तरह की ओछी बयानबाजी द्वारा जनता का ह्रदय जीतने का प्रयास कर रहे हैं, उसे देखते हुए लग रहा है कि सत्ता में पहुँचने की उनकी छटपटाहट के चलते उनकी मानसिक हालत तेजी से बदलने लगी है। राहुल गाँधी ने शुक्रवार (5 अप्रैल, 2019) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के चलते अपनी पारम्परिक संस्कृति का परिचय देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को लेकर बेहद घृणित बयान दे डाला। इसके बाद राहुल गाँधी आडवाणी के अपमान और पीएम मोदी के खिलाफ दिए बयान के कारण सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। कई यूजर्स ने उन पर पीएम पद का सम्मान ना करने का भी आरोप लगाया है।

सोनिया गाँधी के बेटे और कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी ने दरअसल महाराष्ट्र के चंद्रापुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, “भाजपा हिंदुत्व की बात करती है। हिंदू धर्म में गुरु को महान बताया गया है। मोदी के गुरु कौन हैं? आडवाणी। मोदी ने जूता मारकर आडवाणी को स्टेज से निकाला। गुरु का अपमान करना हिंदू धर्म नहीं है।”

इस पर कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने राहुल गाँधी से सवाल किया है कि हाल ही में अल्पकालीन समय के लिए हिन्दू बने राहुल गाँधी को हिन्दू संस्कृति पर ज्ञान देने से बचना चाहिए।

ट्विटर यूजर दीक्षा ने लिखा, “अरे राहुल गाँधी मोदी जी के गुरु आडवाणी जी और फिर उन्होंने जूते मारे और फिर ये हिन्दु धर्म मे कहाँ लिखा है? कर क्या रहे हो महोदय! ठीक से हिंदी तो पढ़ लेते! कहाँ से शुरू होते हो और कहाँ को चले जाते हो। चुनाव में दिमाग तो नहीं खिसक गया न आपका?”

राजीव रंजन राजू लिखते हैं, “राहुल ने पिता तुल्य आडवाणी का अपमान किया, जनता इसका जबाब जूते से देगी।”

वहीं @DrAditya_IITBHU ने राहुल गाँधी के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा है, “राहुल गाँधी जी के अनुसार ‘आडवाणी जी को मोदी जी ने जूते से मारकर मंच से उतारा’ सही है, तो जनता के अनुसार ‘इन्दिरा गाँधी जी ने मात्र सत्ता प्राप्ति के लिए अपने पुत्र संजय गाँधी जी की हत्या करवाई और भावनात्मक माहौल बनाने के लिए घड़ियाली आँसू बहाई’ यह भी बात सत्य होनी चाहिए।” देखा जाए तो सोशल मीडिया पर इस तरह के कमेंट निंदनीय हैं, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद का सपना देख रहे राहुल गाँधी को मर्यादा लाँघते हुए देखने के बाद शायद इंटरनेट पर समय बिताने के लिए कुछ भी लिखने वाले लोगों से मर्यादा जैसी बातों की उम्मीद करना बेकार है।

दूसरे ट्विटर यूज़र ने लिखा है, “पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह के ड्राफ्ट को सरेआम फाड़ने वाला बदजुबान राहुल गाँधी का हिन्दू धर्म व गुरु शिष्य परंपरा की दुहाई देना शर्मनाक है। ये क्या लड़ेगा मोदीजी से? इसे तो संस्कार ही नहीं हैं।

भाजपा नेता आडवाणी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के बाद राहुल गाँधी ने कहा, “2019 का चुनाव विचारधाराओं की लड़ाई है और कॉन्ग्रेस की विचारधारा भाईचारा, प्रेम और सौहार्द से मोदी के नफरत, क्रोध और विभाजनकारी विचारधारा पर जीत हासिल करेगी।”

खैर, पहले तो राहुल गाँधी को अपनी धोती संभालनी ही सीखनी चाहिए, लोकतंत्र और प्यार मोहब्बत की बातें तो उसके बाद भी की जा सकती हैं।

शेखर गुप्ता को विदेशी वेंडर्स का चहेता कहे जाने पर NDTV ने पूर्व-नौसेना प्रमुख का साक्षात्कार डिलीट किया

अभी कुछ दिन पहले ही अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में आरोप पत्र में कुछ पत्रकारों के नाम का उल्लेख किया गया था। मगर जल्द ही यह पता चला कि शेखर गुप्ता नाम के एक पत्रकार, जिन्हें हथियार दलाल क्रिश्चियन मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड सौदे के बारे में कम आक्रामक लेख लिखने के लिए ‘प्रभावित’ किया है।

अगस्ता वेस्टलैंड डील के बिचौलिए मिशेल को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और फिलहाल वह हिरासत में है। जाँच एजेंसियाँ उससे किकबैग के बारे में पूछताछ कर रही हैं कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों को खरीदने के सौदे को कैसे सील कर दिया गया। मिशेल ने कई नामों का खुलासा किया है, कुछ सीधे और कुछ कोड नामों के रूप में जैसे कि FAM अर्थात परिवार, AP, RG, आदि में शेखर गुप्ता का नाम मीडिया आउटलेट्स द्वारा एक्सेस किए गए चार्जशीट के कुछ हिस्सों में सीधे उल्लेख किया गया था।

खबर फैलने के बाद, शेखर गुप्ता ने अपने समाचार पोर्टल ‘द प्रिंट’ के माध्यम से एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि क्रिश्चियन मिशेल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के आरोप पत्र में किया गया दावा कि अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे घोटाले में एक प्रमुख संदिग्ध मिशेल ने गाय डगलस नाम के व्यक्ति के माध्यम से शेखर गुप्ता को द इंडियन एक्सप्रेस में लिखे लेखों में टोन डाउन करने के लिए कहा था। गुप्ता ने आगे दावा किया कि चॉपर घोटाले की मीडिया जाँच में वह सबसे आगे थे और उनके नेतृत्व में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सबसे पहले घोटाले की स्टोरी को प्रकाशित किया था। इसके साथ ही उन्होंने क्रिश्चियन मिशेल द्वारा इस कथित रहस्योद्घाटन की ‘टाइमिंग’ पर भी संदेह जताया।

शेखर गुप्ता ने इस बयान के बाद इस घटना के बारे में ज्यादा बात नहीं की। हालाँकि, यह पहली बार नहीं है, जब शेखर गुप्ता का नाम रक्षा सौदों में लिप्त विदेशी कंपनियों के बारे में बात करते हुए आया है।

लगभग 4 साल पहले, अक्टूबर 2014 में एक विवाद छिड़ गया था, जब एनडीटीवी ने अचानक पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी का एक साक्षात्कार लिया था, जिसका शीर्षक “एक्स-नेवी चीफ एक्सप्लोसिव डिस्क्लोजर्स” था। और फिर इस इंटरव्यू को डिलीट कर दिया गया। जिसके बाद ये सवाल उठने लगा कि कोई मीडिया हाउस अपने एक्सक्लूसिव खबर को क्यों हटाएगा और वो भी तब, जब चैनल ने खुद इंटरव्यू लिया हो। इससे साफ जाहिर होता है कि इस साक्षात्कार में कुछ ऐसा था, जिसे मीडिया हाउस छिपाना चाहती होगी।

फरवरी 2014 में, एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी नौसेना दुर्घटनाओं की एक शृँखला की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने वाले पहले भारतीय नौसेना प्रमुख बने। आईएनएस सिंधुरत्न में 26 फरवरी, 2014 को मुंबई तट पर आग लगने से दो अधिकारियों की मौत की जिम्मेदारी लेते हुए एडमिरल जोशी ने उसी दिन इस्तीफा दे दिया और उनके इस्तीफे को कुछ घंटों के भीतर स्वीकार कर लिया गया।

कुछ महीनों बाद, एनडीटीवी के वरिष्ठ रक्षा पत्रकार नितिन गोखले को एडमिरल जोशी का एक विशेष साक्षात्कार लेने का मौका मिला, जहाँ उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि पूर्व नौसेना प्रमुख को किन परिस्थितियों में इस्तीफा देना पड़ा था। इंटरव्यू में एडमिरल जोशी ने एक बेकार और अक्षम मॉडल सशस्त्र बलों के बारे में अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि प्रणाली में सुधारों की आवश्यकता थी, लेकिन निहित स्वार्थ ऐसे सुधारों को रोक रहे थे।

पूर्व नौसेना प्रमुख ने कहा कि ऐसे निहित स्वार्थों के पास अधिकार था, लेकिन कोई जवाबदेही नहीं थी, जबकि सशस्त्र बलों के पास जवाबदेही है। जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया, लेकिन कोई अधिकार नहीं। साक्षात्कार वास्तव में एक्सप्लोसिव था, क्योंकि उसमें यह पता चला था कि कैसे यूपीए शासन काल में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की उपेक्षा की गई थी।

“एक्सक्लूसिव: पूर्व नौसेना प्रमुख ने यूपीए सरकार पर किया हमला” और “एक्स-नेवी चीफ द्वारा एंथनी के वर्षों का मूल्यांकन किया गया” साक्षात्कार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एनडीटीवी के कुछ सबटाइटल थे।

हालाँकि, कुछ दिनों के भीतर ही, एनडीटीवी द्वारा इस एक्सक्लूसिव और एक्सप्लोसिव इंटरव्यू को डिलीट कर दिया गया। यहाँ तक कि साक्षात्कार के ट्रांसक्रिप्ट के साथ रिपोर्ट को भी गायब कर दिया गया।

क्या एनडीटीवी वालो ने कॉन्ग्रेस नेताओं के दबाव में आकर वीडियो डिलीट किया? हालाँकि, यह दावा किया गया है कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब एनडीटीवी ने प्रधानमंत्री कार्यालय से संपादकीय लाइनें भी ली। लेकिन उस संभावना को ज्यादातर खारिज किया जाता रहा है, क्योंकि साक्षात्कार का वह हिस्सा जहाँ एडमिरल जोशी यूपीए सरकार पर हमला बोल रहे हैं, अभी भी एनडीटीवी की वेबसाइट पर बरखा दत्त के एक शो के हिस्से के रूप में उपलब्ध है, जो उस समय एनडीटीवी के साथ थी। इससे जाहिर होता है कि एनडीटीवी ने कॉन्ग्रेस के दबाव में आकर इंटरव्यू डिलीट नहीं किया। तो अब सवाल ये है कि अगर कॉन्ग्रेस पार्टी का दबाव नहीं है, तो फिर इंटरव्यू क्यों डिलीट किया गया?

इस रहस्य को तीन साल बाद अक्टूबर 2017 में काफी हद तक सुलझाया गया, जब नितिन गोखले ने फेसबुक पोस्ट में इसके बारे में बताया। उन्होंने उन परिस्थितियों का खुलासा किया जिसकी वजह से साक्षात्कार को हटाया गया था और इसी कारण उन्होंने एक महीने के भीतर एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि इस तरह की सेंसरशिप फिर से हो सकती है।

“हिंदी और अंग्रेजी दोनों में कम से कम पाँच बार टेलीकास्ट होने के बाद, एनडीटीवी प्रबंधन ने एडमीरल डीके जोशी के साथ साक्षात्कार की सामग्री को अपमानजनक माना और इसे हटाने का फैसला किया। मेरा संदेह डिफेम होने से अधिक था, एडमिरल जोशी ने एनडीटीवी के कुछ सहयोगियों और दोस्तों को शायद करारा जवाब दिया था। इसलिए साक्षात्कार और इसके ट्रांसक्रिप्ट को हटाने का निर्णय लिया गया। सभी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करने और सुरक्षा करने के सारे आदर्श, उस पल गायब हो गए जब एनडीटीवी के अपने कर्मी को ही नुकसान पहुँचाया। इसका एडमिरल के FoE से कोई संबंध नहीं था। ”- ये बातें नितिन गोखले ने फेसबुक पर लिखी है।

इस साक्षात्कार में एडमिरल जोशी ने न केवल यूपीए शासन की आलोचना की थी, बल्कि उन्होंने रक्षा मामलों पर अपरिपक्व और दुर्भावनापूर्ण रिपोर्टिंग के लिए मीडिया के कुछ धड़ों और गिरोहों की भी आलोचना की थी। एडमिरल जोशी का निम्न कथन एनडीटीवी के पुराने सहयोगी नितिन गोखले के बारे में उनके फेसबुक पोस्ट पर संकेत देता है।

एडमिरल डीके जोशी ने साक्षात्कार में कहा था कि दो समाचार पत्र थे, जिनमें से एक ने तख्तापलट जैसा शब्द ईजाद किया था, यह रिपोर्टर विदेशी वेंडर्स और हथियार दलालों का प्रिय था, और अपने महत्व को बनाए रखने के लिए वह ऐसे लेख लिख रहे थे जैसे जब रिपोर्टर विदेशी वेंडरों के ठेके पर हो।

यह समझने के लिए किसी विशेष ज्ञान या डिकोडिंग की आवश्यकता नहीं है कि शेखर गुप्ता और इंडियन एक्सप्रेस को किसी को “तख्तापलट सिद्धांत” के बारे में बात करने के लिए भेजा जा रहा है।

हालाँकि, एडमिरल ने सीधे तौर पर शेखर गुप्ता का नाम नहीं लिया, लेकिन जब Opindia ने नितिन गोखले से पूछा कि क्या उन्हें कभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहा गया था कि शेखर गुप्ता साक्षात्कार से नाखुश थे और चाहते थे कि इसे डिलीट कर दिया जाए। तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए Opindia को बताया कि उन्हें कभी सीधे तौर पर यह नहीं बताया गया कि शेखर गुप्ता साक्षात्कार से नाखुश थे या वह इसे हटाना चाहते थे, लेकिन न्यूज़ रूम की बातचीत से यह स्पष्ट था कि प्रबंधन ने किसी ऐसे व्यक्ति से बात की थी जो उनके करीब था। इसलिए प्रबंधन ने साक्षात्कार को डिलीट कर दिया। नितिन गोखले ने लिखा कि इस घटना के बाद एनडीटीवी से इस्तीफा देने का उन्हें कोई अफसोस नहीं है।

उन्होंने कहा, “मैंने सोचा कि यह समय आगे बढ़ने और एक ऐसी जगह को पीछे छोड़ देने का है, जो बाहरी से रूप भले सुसंगत, परिष्कृत और ‘उदार’ दिखता हो, लेकिन वास्तव में भाई-भतीजावाद, पक्षपात और कुटिलता से भरी है, जिसे विशेषीकृत लोगों की रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने निष्पक्ष रूप से अपनी बात रखते हुए कहा कि मेरे जैसे एक व्यक्ति को एनडीटीवी की दुनिया में प्रवेश करने की अनुमति देकर कोई एहसान नहीं किया जा रहा था, उन्हें इसलिए रखा गया था, क्योंकि 2006 में उस समय उनकी आवश्यकता थी। मैंने काम का आनंद लिया और एक उच्च प्रोफ़ाइल प्राप्त की क्योंकि मैंने अपनी काबिलियत साबित कर दी लेकिन एक अनदेखी काँच की दीवार हमेशा हमारे लिए ‘बाहरी लोगों’ के रूप में मौजूद थी।”

एक यूजर द्वारा हटाए गए साक्षात्कार को यूट्यूब पर बैकअप और अपलोड किया गया, जिसे नीचे देखा जा सकता है। अगर एनडीटीवी ने इंटरव्यू डिलीट किया तो इसके कुछ और भी कारण हो सकते हैं, जिसका पाठक खुद पता लगा सकें।


DRDO ने बताया कैसे पूरा हुआ मिशन शक्ति, वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

‘मिशन शक्ति’ की सफलता के बाद DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ) ने ‘मिशन शक्ति’ से जुड़ा एक प्रेजेंटेशन जारी किया है। इस प्रेजेंटेशन में दिखाया गया है कि कैसे ‘मिशन शक्ति’ को सफल बनाया गया और इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे।

कॉन्ग्रेस नेता चिदंबरम ने जताई थी मिशन पर आपत्ति, DRDO ने कहा ‘चिल्ल ब्रो’!

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मिशन शक्ति’ की सफलता की घोषणा करने के बाद कॉन्ग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि देश की इस क्षमता को गोपनीय रखना चाहिए था लेकिन ‘नासमझ सरकार’ ने ऐसा नहीं किया। चिदंबरम की चिंता को DRDO ने दूर करते हुए आज शनिवार (अप्रैल 06, 2019) को DRDO प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने कहा कि ‘मिशन शक्ति’ की प्रकृति ऐसी थी कि इसे किसी भी हाल में गोपनीय नहीं रखा जा सकता था। उन्होंने कहा कि उपग्रह को दुनिया भर के कई देशों के स्पेस स्टेशनों द्वारा ट्रैक किया जाता है। इसके साथ ही रेड्डी ने बताया कि इस मिशन के लिए सभी जरूरी परमिशन ली गई थी। इस बीच डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने मिशन शक्ति पर एक प्रेजेंटेशन भी जारी किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुमति के बाद इस मिशन को सफल बनाने के लिए 200 वैज्ञानिकों की टीम ने दिन-रात मेहनत की। 27 मार्च को धरती से 300 km दूरी पर स्थित एक लाइव सैटेलाइट को गिराकर वैज्ञानिकों के इस मिशन की सफलता की नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को जानकारी दी थी।

बता दें कि अब तक दुनिया के तीन देश अमेरिका, रूस और चीन को यह उपलब्धि हासिल थी अब भारत चौथा देश है, जिसने यह सफलता प्राप्त की है. PM मोदी ने बताया था कि कि एलईओ सैटेलाइट को मार गिराना एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था, इस मिशन को सिर्फ 3 मिनट में पूरा किया गया है।

ममता का मोदी पर निजी हमला, ‘मोदी ने अपनी पत्नी की देखभाल नहीं की, जनता की देखभाल कैसे करेंगे’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निजी हमला करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पत्नी की उपेक्षा की है, वे जनता का ध्यान कैसे रखेंगे। ममता बनर्जी ने यह निजी हमला पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में किया।

प्रधानमंत्री मोदी को झूठा कहते हुए, बनर्जी ने कहा कि TMC मोदी को हराने के बाद केंद्र में नई सरकार के गठन का नेतृत्व करेगी।

विपक्षी पार्टी के नेताओं और समर्थकों के लिए पीएम मोदी पर निजी शिकंजा कसना और उनकी पत्नी को लेकर इस तरह की टिप्पणी ममता की बेहूदी राजनीति का सटीक उदाहरण है। ख़बरों के अनुसार, 2017 में, कॉन्ग्रेस ने गुजरात राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान जशोदाबेन को चपेट में लेने की कोशिश की थी।

बाद में, आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी जशोदाबेन को अपनी राजनीतिक लड़ाई में घसीट लिया था। इससे पहले AAP नेता सोमनाथ भारती का नाम भी उजागर हुआ था जब उन्होंने एक महिला पत्रकार को गाली-गलौच देने के साथ-साथ ‘वेश्यावृति का धंधा‘ करने जैसी ओछी बात तक कह डाली थी। इस घटना की सोशल मीडिया पर व्यापक निंदा हुई थी। दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने उनके व्यवहार की निंदा की। इसके बाद सोमनाथ भारती ने शर्मनाक हरक़त की जिसमें उन्होंने पीएम मोदी पर उनकी पत्नी जशोदाबेन को ‘कैद’ करने का आरोप लगाया।

सोमनाथ भारती द्वारा पीएम मोदी पर लगाए गए इस आरोप का समर्थन केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर किया था।

राजनेताओं के परिवार को राजनीतिक हमलों में घसीटना दुर्भाग्यपूर्ण है, ख़ासकर तब, जब परिवार के सदस्य निजी व्यक्ति हों जिनका राजनेता से कोई लेना-देना नहीं होता।