राहुल गाँधी ने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के तहत आज पूर्णिया, बिहार में एक रैली को संबोधित किया। अपने भाषण में, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने सिनेमा हॉलों से पॉपकॉर्न से छुटकारा पाने और पॉपकॉर्न को मखाना से रिप्लेस करने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना का इज़हार किया।
कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा, “अगर बिहार में एक खाद्य प्रसंस्करण इकाई खोली जाती है, तो हम सिनेमा हॉल से पॉपकॉर्न बाहर निकालकर, उसकी जगह मखाना रखवा देंगे। पूरी दुनिया में जो लोग पॉपकॉर्न खा रहे हैं वे अब बिहार के पूर्णिया का मखाना खाएँगे।”
उम्मीद है आप मखाना समझ गए होंगे, पर जो अभी भी नहीं समझे उन अनजान लोगों के लिए बता दूँ, मखाना को लावा भी कहते हैं, जिसे अंग्रेजी में फॉक्स नट्स के रूप में जाना जाता है। मखाने का बिहार में उत्पादन ज़्यादा होता है। मखाना कमल के फूल का एक हिस्सा होता है और अत्यधिक पौष्टिक होने के साथ इसका मेवा के रूप में भी प्रयोग होता है।
हालाँकि, राहुल गाँधी का इस तरह का अप्रत्याशित वादा नया नहीं है। राहुल गाँधी के मखाना वाले प्रोजेक्ट की तुलना लोग डोनाल्ड ट्रम्प के ऐतिहासिक चुनावी वादे से करने लगे हैं। “हम दीवार का निर्माण करेंगे और मेक्सिको इसके लिए भुगतान करेगा!”
खैर इससे पहले भी राहुल गाँधी ऐसे हवाई वादे कर चुके हैं। इधर से आलू डालिये उधर सोना निकलेगा टाइप। पता नहीं राहुल गाँधी खुद नहीं समझ पा रहे या जानबूझकर ऐसे हवाई वादे कर रहे हैं, जिसके पूरा होने की संभावना शुरू से ही नहीं दिख रही, और साथ ही यह मूर्खतापूर्ण भी है।
Oh Well Got it Pappu!
Ek taraf se makhana dusri taraf se Popcorn or wait
Cinema hall se hum popcorn ko nikal kar makhana daal denge or
इससे पहले राहुल गाँधी जी की कैसेट ‘मेड इन xxx’ मोबाइल और कपड़ों पर फँसी थी जब वो जहाँ भी रैली करते थे वहीं एक फैक्ट्री खोलकर मेड इन भोपाल मोबाइल फ़ोन से लेकर मेड इन फलाँ शर्ट तक का ऐलान करते फिरते थे।
पिछले कुछ वर्षों में कॉन्ग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव जीतने के लिए धरातल पर कुछ कार्य करने के बजाए बाकी हर हथकंडा और करतब करते हुए देखी गई है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इस उम्रदराज पार्टी के नेतृत्व द्वारा रचनात्मकता के नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं।
आज सुबह से ही कॉन्ग्रेस द्वारा, जमीन घोटाले सम्बंधित मामलों को लेकर रोजाना ED ऑफिस के चक्कर काट रहे रॉबर्ट वाड्रा के साले और पार्टी के युवा अध्यक्ष राहुल गाँधी के लोकसभा सीटों के सेलेक्शन को लेकर नई चुनावी चकल्लस देखने को मिली है। रचनात्मकता की सभी हदें पार करते हुए राहुल गाँधी की इस पारिवारिक पार्टी के सदस्यों को उनसे ये रिक्वेस्ट करते हुए भी दिखाया गया है कि राहुल गाँधी को इस बार अमेठी नहीं, बल्कि केरल की किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए।
कुछ समर्थकों ने कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष को प्रियंका गाँधी की दादी, यानी इंदिरा गाँधी की तरह ही दक्षिण भारत अभियान करने की भी सलाह दी हैं। ये बात और है कि उनकी दादी या बाकी लोग नए क्षेत्र में वर्चस्व बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ते हैं, जबकि चिरयुवा अध्यक्ष राहुल गाँधी अपने गढ़ में पिछले 5 सालों में स्मृति ईरानी के बेहतर कार्यों के कारण शायद अपनी निश्चित हार को सामने देखकर ये माहौल बना रहे हैं। जो व्यक्ति अपनी पार्टी में ही पूर्ण स्वीकार्यता नहीं पा सका, वो ‘पैन-इंडियन’ कहाने की बहानेबाज़ी क्यों कर रहा है, ये समझ के बाहर है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस पर प्रतिक्रिया करते हुए ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, “अमेठी ने भगाया, जगह-जगह से बुलावे का स्वांग रचाया, क्योंकि जनता ने ठुकराया। #BhaagRahulBhaag सिंहासन खाली करो राहुल जी कि जनता आती है।”
— Chowkidar Smriti Z Irani (@smritiirani) March 23, 2019
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी इस बार पूरी तैयारी के साथ अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं। अपने जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा है, “अमेठी है तैयार #PhirEkBaarModiSarkaar।”
— Chowkidar Smriti Z Irani (@smritiirani) March 23, 2019
राहुल गाँधी के दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने की अटकलों पर कुछ लोगों ने ट्विटर पर लिखा है कि राहुल गाँधी अमेठी में अपनी हार स्वीकार कर चुके हैं और केरल से चुनाव लड़ने का यह उनका बस एक बहाना मात्र है। देखा जाए तो कॉन्ग्रेस दल इस बार चुनाव जीतने की तैयारियों से ज्यादा हार का ठीकरा फोड़ने और उसके अनुसार ही जवाबदेही तय करने पर ज्यादा काम करती नजर आ रही है।
चुनाव लड़ने के लिए, कभी अमेठी और कभी केरल जाने की तैयारियाँ कॉन्ग्रेस पार्टी का मात्र राहुल गाँधी की जीत और हार के बाद की रणनीति को ध्यान में रखकर ही किया गया प्रयास से ज्यादा कुछ नजर नहीं आता है। इस तरह से कॉन्ग्रेस के साथ-साथ बाकी अन्य दलों के समर्थक भी बस यही कह रहे हैं कि जो भी है, लेकिन अध्यक्ष राहुल गाँधी जी मनोरंजन में कमी नहीं आने दे रहे हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने IPL-2019 की ओपनिंग सेरेमनी की जगह पर एक सराहनीय कदम उठाया है, जिसकी सराहना समस्त खेलप्रेमियों ने की है। BCCI द्वारा शनिवार (मार्च 23, 2016) को IPL 2019 के प्रारंभिक मैच के पूर्व सशस्त्र बलों और CRPF को ₹20 करोड़ प्रदान करने की घोषणा की गई है।
बीसीसीआई ने आईपीएल की ओपनिंग सेरेमनी आयोजित ना कर, इसके लिए निर्धारित पैसा सैन्य बलों को देने का फैसला किया। यह फैसला पिछले महीने पुलवामा में आतंकी हमले में CRPF के 40 जवानों के बलिदान होने के बाद लिया था। बीसीसीआई ने फैसला किया की आर्मी को ₹11 करोड़ और सीआरपीएफ को ₹7 करोड़ दिए जाएँगे। इसी तरह नेवी और एयर फोर्स को ₹1-1 करोड़ दिए जाएँगे।
बीसीसीआई प्रशासकों की समिति के प्रमुख विनोद राय ने कहा कि इस आतंकी हमले के मद्देनजर बोर्ड ने ओपनिंग सेरेमनी नहीं करने का फैसला किया था। प्रशासकों की समिति की सदस्य डायना इडुल्जी ने कहा, “बीसीसीआई हमेशा ही ऐसे संवेदनशील मामलों में मदद के लिए आगे आता रहा है। जब भी किसी को ऐसे मामले में मदद की दरकार होगी, बीसीसीआई मदद करेगा।”
इसके साथ ही चेन्नई सुपर किंग्स और भारत के बेहतरीन खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी ने CSK की तरफ से 2 करोड़ रुपए CRPF को उनकी राष्ट्र सेवा के संज्ञान में दिया।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और राहुल गाँधी की आय के चमत्कारिक स्रोत पर सवाल उठाए। हाल ही में एक रिपोर्ट में, OpIndia.com ने राहुल की अप्रत्याशित गति से बढ़ती आय से होने वाली संदिग्ध डील और उनकी तेजी से बढ़ती संपत्ति का भी खुलासा किया था।
रविशंकर प्रसाद ने सवाल किया, “राहुल जी, आपकी आय का स्रोत क्या है? हमने विकास का एक वाड्रा मॉडल देखा है। और अब, हम राहुल गाँधी को विकास के मॉडल के रूप में देख रहे हैं।” “2004 में, राहुल गाँधी ने अपनी संपत्ति 55,38,123 रुपए, 2009 में, यह 2 करोड़ रुपए हो गया और 2014 में, यह 9 करोड़ रुपए हो गया। राहुल गाँधी, कृपया हमें विकास के इस मॉडल के बारे में बताएँ। 2004 में मात्र 55,38,123 रुपए से बिना आय के किसी भी अन्य स्रोत के, आपकी संपत्ति 2014 में बढ़कर 9 करोड़ हो गई।”
प्रसाद ने एफटीआईएल (FTIL) के गाँधी परिवार के लिंक का भी उल्लेख किया, जो एनएसईएल (NSEL) घोटाले के केंद्र में था। “यह बहुत गंभीर मामला है,” उन्होंने यह कहते हुए टिप्पणी की कि एफटीआईएल ने राहुल गाँधी और उनकी बहन की संपत्ति किराए पर ली थी और उन्हें किराए में ब्याज-मुक्त भुगतान के रूप में लाखों रुपए मिले थे।
केंद्रीय मंत्री ने राहुल गाँधी के यूनिटेक के लिंक पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष से पूछा, “क्या आपने यूनिटेक से दो संपत्ति खरीदी हैं? भाजपा आज पूछ रही है कि क्या आपने यूनिटेक से दो सम्पत्तियाँ खरीदी हैं।”
उन्होंने आगे पूछा, “2-जी घोटाले के लिंक के कारण यूनिटेक के बारे में बात करना महत्वपूर्ण है। जैसा कि मैंने पहले कहा है, 2-जी निर्णय कानूनी रूप से निराधार और नैतिक रूप से अनुचित था। लेकिन जज द्वारा एक टिप्पणी की गई जो बहुत दिलचस्प है। उन्होंने कहा कि वह सबूत के लिए 7-8 साल से इंतजार कर रहे थे लेकिन यह कभी नहीं आया। तो, क्या सबूत की प्रतीक्षा और संपत्ति की खरीद के बीच कोई कड़ी है?”
प्रसाद ने राहुल गाँधी पर उठाए गए अपने इन सवालों का जवाब देने की माँग के साथ अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस को समाप्त कर दिया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल का विवादों से गहरा नाता है, जिसे वो बख़ूबी निभाते हैं। अपने एक ट्वीट के चलते एक नया विवाद और उनसे जुड़ गया है जिसकी चौतरफा आलोचना होना अनिवार्य है। बता दें कि हिन्दुओं के धार्मिक चिन्ह ‘स्वस्तिक’ पर एक ट्वीट करने के बाद अरविंद केजरीवाल पर हिंन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लग रहा है।
इसी मामले में केजरीवाल के ख़िलाफ़ एक केस भी दर्ज कराया गया है। स्वस्तिक के अपमान किए जाने संबंधी ट्वीट की बीजेपी ने कड़ी आलोचना की थी। बीजेपी का कहना था कि मुख्यमंत्री ने अपने इस अभद्र कृत्य से धार्मिक आस्था को तो चोट पहुँचाया ही है साथ ही आचार संहिता कता उल्लंघन भी किया है।
बता दें कि केजरीवाल ने अपने ट्विटर हैंडल से एक फोटो शेयर की थी जिसमें एक आदमी स्वस्तिक चिन्ह के पीछे झाड़ू लिए हुए है दौड़ रहा है। इस तस्वीर को लेकर केजरीवाल ने लिखा, “मुझे किसी ने ये भेजा है।”
Delhi: Complaint filed against Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal for allegedly hurting religious sentiments in one of his tweets (in pic). pic.twitter.com/GwQ3OooFHK
अपने एक अन्य ट्वीट में उन्होंने बीजेपी पर आरोप मढ़ते हुए लिखा कि उसने उनकी रैली रद्द करवा दी। साथ ही सवालिया होते हुए लिखा कि 5 वर्षों में भाजपा की कितनी रैलियाँ रद्द हुई हैं। केजरीवाल ने दावा करते हुए लिखा कि दिल्ली में सातों सीटें बीजेपी हार जाएगी, इस बात को वो मान ले।
BJP gets my public rally cancelled today thro police. Police denies permission. How many BJP rallies were denied permission by police in Delhi in last 5 yrs?
भाजपा वालों, मान लो कि दिल्ली की सातों सीटें हार रहे हो। मोदी जी पूर्ण राज्य का वादा करके मुकर गए। अब जनता बताएगी।
जहाँ एक तरफ केजरीवाल लोगों को हिंसा में लिप्त होने के लिए प्रोत्साहित करते दिख रहे हैं, वहीं हिंदू प्रतीक स्वस्तिक के अपमान से प्रतीत होता है कि वो बेहद ओछी राजनीति को हवा दे रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के मालदा में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने शनिवार (मार्च 23, 2019) को एक रैली को संबोधित किया। लेकिन यह रैली 2 बातों के लिए विशेष तौर पर अहम रही। पहली यह कि रैली में अध्यक्ष राहुल गाँधी के समर्थकों ने जमकर कुर्सियाँ फेंकी और VIP के लिए लगी बैरिकेडिंग तोड़ डाली और राज्य इकाई के कॉन्ग्रेस नेताओं के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। दूसरी यह कि कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ममता बनर्जी के लिए कहा कि वह भाषण देने के अलावा कुछ नहीं करतीं।
पहले घटनाक्रम में, जब राहुल गाँधी रैली स्थल पर मौजूद नहीं थे, तब कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर बवाल काटा और भारी उत्पात मचाया। इस बवाल के दौरान रैली स्थल पर जमकर कुर्सियां फेंकी गईं और नेताओं के लिए लगी VIP बैरिकेडिंग भी तोड़ दी गई। मालदा की रैली में जब यह बवाल चल रहा था, तब राहुल बिहार के पूर्णिया में दूसरी रैली को संबोधित कर रहे थे।
दरअसल, पड़ोसी जिलों से कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं का एक हुजूम रैली स्थल पर पहुँचा और मैदान के भीतर प्रवेश करने की कोशिश की। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कॉन्ग्रेस की राज्य इकाई के नेतृत्व के खिलाफ नारेबाजी भी की।
मालदा पहुँचने के बाद रैली स्थल पर राहुल गाँधी ने कहा कि ममता बनर्जी ने पिछले कई सालों में सिर्फ लंबे-लंबे भाषण दिए हैं। उन्होंने प्रदेश के लिए कुछ नहीं किया है। राहुल गाँधी ने अपनी रैली में कहा, “यहाँ (पश्चिम बंगाल) कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को मारा-पीटा गया। वे पार्टी के लिए दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं। हमारी सरकार को दिल्ली में आने दो, तब आप देखेंगे कि आगे क्या होगा। ममता बनर्जी ने राज्य के लिए कुछ भी नहीं किया। उन्होंने सिर्फ लंबे भाषण दिए हैं।”
लोकसभा चुनाव में नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और नेताओं की अकूत संपत्ति के खुलासे होने लगे है। तेलंगाना की चेवेल्ला लोकसभा सीट से कॉन्ग्रेस पार्टी के उम्मीदवार कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी ने अपने हलफनामे में 895 करोड़ रुपए की संपत्ति की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद वह दोनों तेलुगू राज्यों में सबसे अमीर राजनेता बन कर उभरे हैं।
इंजीनियर से राजनेता बने रेड्डी ने शुक्रवार (मार्च 22, 2019) को नामांकन भरने के दौरान अपने और अपने परिवार की संपत्ति की घोषणा की।
रेड्डी के हलफनामे के अनुसार, उनके पास चल संपत्ति के रूप में 223 करोड़ रुपए की संपत्ति है, जबकि अपोलो अस्पताल की संयुक्त प्रबंध निदेशक और उनकी पत्नी के. संगीता रेड्डी की चल संपत्ति 613 करोड़ रुपए के रूप में है। उन पर आश्रित बेटे की चल संपत्ति का उल्लेख करीब 20 करोड़ रुपए की गई है।
फिर भी, परिवार के किसी भी सदस्य के पास न ही कार है और ना ही कोई अन्य वाहन है। अचल संपत्ति की बात करें तो विश्वेश्वर रेड्डी के पास 36 करोड़ रुपए की, जबकि उनकी पत्नी के पास 1.81 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2014 के लोकसभा चुनाव में, रेड्डी ने अपने हलफनामे में 528 करोड़ रुपए की पारिवारिक संपत्ति की घोषणा की थी। 2014 में उन्होंने तब तेलंगाना राष्ट्र समिति के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। रेड्डी पिछले साल दिसंबर विधानसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।
इतना ही नहीं कई और कॉन्ग्रेसी नेताओं की संपत्ति भी चौकाने वाली है। आंध्र प्रदेश के कैबिनेट मंत्री पी. नारायण ने अपना नामांकन दाखिल करते वक्त 667 करोड़ रुपए की संपत्ति की घोषणा की।
स्वयं आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू की पारिवारिक संपत्ति 574 करोड़ रुपए है, जबकि वाईएसआर कॉन्ग्रेस के प्रमुख वाई.एस. जगमोहन रेड्डी और उनकी पत्नी की संपत्ति 500 करोड़ रुपए है।
जब हम नारीवाद, स्त्रीत्व जैसे मुद्दे छूते हैं तो हमारे शब्द, उनके भाव, उनका संदर्भ, हमारा दौर और दुनिया की आधी आबादी के प्रति सम्मान अपनी पूर्णता में प्रदर्शित होने चाहिए। अगर आप इस विषय को लेकर, इसके दायरे और प्रभाव को लेकर चिंतित हैं, तो आपके शब्दों से ऐसा झलकना चाहिए।
पिछले साल की होली के दौरान लिखा एक आर्टिकल इस साल लल्लनटॉप नामक वेबसाइट से दोबारा शेयर किया गया जिसका शीर्षक ‘वीर्य का त्योहार ख़त्म, अब भीगी हुई लड़कियों की तस्वीरें देखें’ है। आपको शायद ध्यान में आया होगा कि ‘वीर्य का त्योहार’ से क्या मतलब है लिखने वाले का। पिछले साल एक ख़बर फैलाई गई कि कुछ लड़कियों पर वीर्य भरे ग़ुब्बारे फेंके गए थे, जबकि कुछ ही समय में ये ख़बर झूठी साबित हुई थी।
आमतौर पर वामपंथी लम्पटों और पत्रकारिता का समुदाय विशेष हर हिन्दू त्योहार पर, अगर कुछ घटना हो जाए तो ठीक, वरना अपनी कहानी बनाकर उस पूरे त्योहार और हिन्दू धर्म को लपेट लेते हैं। हर बार ऐसी ख़बरें बनाई जाती हैं जिससे कि एक धर्म कटघरे में दिखे। ख़ैर, ये तो बिलकुल ही अलग विषय है, और इसमें ज़्यादा जाने की ज़रूरत भी नहीं।
इस ख़बर को लल्लनटॉप ने दोबारा क्यों शेयर किया जबकि उनके हेडलाइन का पहला हिस्सा पिछले ही साल ग़लत साबित हो चुका था? लल्लनटॉप को मैं कोई आदर्श पत्रकारिता करने के लिए नहीं कह रहा हूँ, क्योंकि वैसा करना किसी से संभव नहीं! पिछले साल, हो सकता है कि ये ख़बर आर्टिकल लिखने तक न मिली हो कि वीर्य के ग़ुब्बारे कुछ लड़कियों की फ़र्ज़ी शिक़ायत थी, लेकिन इस साल ये शेयर क्यों हो रहा है? क्योंकि वीर्य, ग़ुब्बारा, ‘लड़कियों की भीगी तस्वीरें’ वाली हेडलाइन देखकर भीड़ जुटती है साइट पर।
अजीब बात यह है कि पहले पैराग्राफ़ से ही पत्रकार ने स्त्रीत्व जैसे शब्दों से ज्ञान देना शुरू किया है और शायद अपनी हेडलाइन पढ़ना भूल गई। आगे आधे आर्टिकल में जो होली के नाम पर यौन शोषण की बात की गई है, उस पर चर्चा की जा सकती है। साथ ही, यौन शोषण को ही होली का प्रतिनिधि नहीं कहा जा सकता। होली पर छेड़-छाड़ की छिटपुट घटनाएँ होती हैं, लेकिन होली को बलात्कारियों की चलती भीड़ जैसा बता देना, प्रपंच है।
होली के नाम पर लड़कियों के साथ छेड़-छाड़ की घटनाएँ ख़ूब होती हैं, ये न तो झुठलाने की बात है, न ही आँख मूँदकर आगे बढ़ने की। लेकिन जब आप ऐसे मुद्दों पर इस तरह से लिखकर, एक ग़लत ख़बर को हेडलाइन का हिस्सा बनाकर, एक साल बाद दोबारा शेयर करते हैं तो फिर आपकी मंशा स्त्रीत्व के समर्थन से ज़्यादा की-वर्ड्स से ट्रैफिक लाने की होती है।
पोर्टल पर ट्रैफिक लाने के लिए लल्लनटॉप ने हिटलर के लिंग नापने से लेकर चुड़ैलों द्वारा लिंग खा जाने और तमाम तरह की वाहियात ख़बरें बनाई और शेयर की हैं। पत्रकारिता में नए आयाम रचने के लिए समाज इसके लिए लल्लनटॉप का आभारी रहेगा। लेकिन ये तो नॉर्मल रिपोर्ट्स थे जिसे पढ़वाने के लिए एडिटर ने जो ‘कैची हेडलाइन’ सुझाया होगा, वो नीचे के लोगों ने लगाया होगा।
लेकिन, ये शीर्षक बहुत ही चालाकी से चुना गया है। कहने को तो इसे ‘कटाक्ष’ वाला हेडलाइन कह दिया जाएगा लेकिन बात जब ‘यौन हिंसा’ और ‘स्त्रीत्व’ को लेकर शुरू हो रही हो, तो ऐसे हेडलाइन न सिर्फ़ मुद्दे को बौना बना देते हैं, बल्कि उन लोगों को भी ठगते हैं जो कुछ और सोचकर ऐसे आर्टिकल पढ़ते हैं।
ये बहुत ही धूर्त एडिटर का कमाल होता है जब वो लड़की के वक्षस्थल को घूरने को ‘ग़लत बात’ कहते हुए हेडलाइन बनाता है, और इमेज में वैसी ही तस्वीर लगाता है। इस आलोचना से वो अपने आप को इम्यून करना चाहता है कि ‘मैं तो इस तरह के इमेज को शेयर न करने की सलाह दे रहा था’।
इस आर्टिकल में यही हुआ है। लड़कियों के शरीर के ऑब्जेक्टिफिकेशन की बात बाद में की गई, और पूरा शीर्षक फ़्लैट टोन में यही कह रहा है कि ‘आइए, भीगी लड़कियों की तस्वीरें देखिए’। ऐसा नहीं है कि इस पोर्टल पर आपको ये ख़बर एक ही बार मिलेगी। लगभग इसी हेडलाइन के साथ इस ख़बर के बारह दिन पहले एक और ख़बर शेयर की गई, “होली आ गई, भीगी लड़कियों की हॉट तस्वीरें नहीं देखोगे?”
क्यों देखेंगे?
फेमिनिज्म और उससे जुड़े तमाम मुद्दों को जब तक इस तरह से शेयर किया जाता रहेगा, इस समाज में इस विषय पर स्वस्थ चर्चा संभव ही नहीं। ये पूरे इशू को ट्रिवियल बनाने का एक तरीक़ा है जहाँ केन्द्र में नारी शरीर, उससे जुड़ी यौन कुंठा, उसे पुकारते हुए कामुकता जगाने वाले शब्दों की स्टफिंग होती है न कि मुद्दे पर चर्चा आगे बढ़ाने की।
ऐसे शब्द उसी कामुकता को हवा देते हैं जिसकी बात पत्रकार ने भीतर कही है। यही वो शब्द हैं जिससे दो सेकेंड का वही उन्माद ऐसे लड़कों को मिलता है जिसकी बात पत्रकार ने अपने 22 फ़रवरी वाले आर्टिकल में की है। इसलिए, ये अपने आप में विरोधाभासी है।
नारीवाद का मुद्दा वीर्य के ग़ुब्बारों से निकल कर पीरियड्स के धब्बों तक समेटने के लिए नहीं बना है। न ही इस तरह की शेयरिंग से इसे कोई समर्थन मिलता है। अच्छे विषय को ग़लत शब्दों के साथ लिखकर, झूठी ख़बर का हिस्सा बनाकर जस्टिफाय करना बेकार की कोशिश है। लल्लनटॉप बेशक इस कार्य से ट्रैफिक लाने में सफल हो रहा होगा लेकिन लिखने वाली ये कैसे जस्टिफाय करेंगी कि उसने रंगो के त्योहार को ‘वीर्य का त्योहार’ कहा है?
रंगों के त्योहार होली को लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, फिर चाहे वो देश की सीमा के अंदर हों या बाहर। लेकिन पाकिस्तान में दो हिन्दू बहनों के लिए होली की शाम किसी अभिशाप से कम नहीं रही। होली की शाम को दोनों बहनों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन कर उन्हें न सिर्फ़ मुस्लिम बनाया गया बल्कि जबरन उनका निकाह भी करा दिया गया।
यह क्रूरता भरी घटना सिंध के घोटकी ज़िले की है, जहाँ दोनों हिन्दू बहनों को जबरन मुस्लिम बना दिया गया। इस हरक़त का हिन्दू समुदाय पर गहरा असर पड़ा है इसलिए उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर सभी अपराधियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की माँग की है।
Teenage Hindu sisters Raveena and Reena Menghwar abducted from Ghotki, Sindh. On Holi, Hindu community stages sit-in on national highway against the refusal of police to register a case. Another case of forced conversion and as always the family is helpless. pic.twitter.com/w17mRYjM3f
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) March 21, 2019
कराची से पाकिस्तान हिन्दू सेवा वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष संजेश धंजा ने बताया कि 13 साल की रवीना और 15 साल की रीना को कथित तौर पर अपहरण करके उनकी शादी करवाने के बाद उन्हें इस्लाम क़बूल करवा दिया गया। वहीं पाकिस्तान ट्रस्ट के प्रमुख ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक समुदाय (हिन्दू) ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है।
बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भारत के ख़िलाफ़ ट्वीट किया था कि जैसा भारत में होता है उसके उलट हम अल्पसंख्यकों को समान अधिकार देंगे क्योंकि यह नया पाकिस्तान, जिन्ना का पाकिस्तान है। इमरान के इस ट्वीट का काफ़ी विरोध हुआ था।
His struggle for a separate nation for Muslims only started when he realised that Muslims would not be treated as equal citizens by the Hindu majority. Naya Pak is Quaid’s Pak & we will ensure that our minorities are treated as equal citizens, unlike what is happening in India. https://t.co/xFPo8ahJnp
भारत को लेकर किया गया यह ट्वीट किस बुनियाद पर रखा है इसका अंदाज़ा इसी बात से लग जाता है कि वहाँ आए दिन हिन्दू समुदाय यातनाओं का शिकार होता रहता है। ऐसी ही एक घटना 20 मार्च को सामने आई थी जब तरण बाई नाम की हिन्दू महिला को उसके घर से अगवा कर लिया गया था, जो बहुत ग़रीब थी और निर्दोष होने के बावजूद अपराधियों ने उन पर चाकू से वार किया था। इसके बाद जब उन्हें घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टर ने उनका इलाज करने से इनकार कर दिया था।
Injustice with minority on the eve of Holi festival. Sukkur News A woman namely Taran Bai kidnapped from her home belonging to baghri community who are very poor and innocent and culprits tortured her with knife. She was rushed to hospital but Doctor denied to treat her. pic.twitter.com/pq552fCwr1
पाकिस्तान जिस शांति और व्यवस्था की बात करता है उसका तो कोई ओर-छोर ही नहीं है। हैरानी इस बात की होती है कि जो पाकिस्तान ख़ुद अपनी कथनी-करनी की मंशा को पाक-साफ़ रखने में अक्षम है वो भारत के ख़िलाफ़ अपनी प्रतिक्रिया देने की हिमाक़त किस मुँह से करता है उसकी दाद देनी चाहिए। हिन्दुओं को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने वाले पाकिस्तान को भारत के संदर्भ में किसी भी मामलों में कोई टीका-टिप्पणी करने से पूर्व ख़ुद के दामन पर लगे अनगिनत दागों पर गौर कर लेना चाहिए।
नीरव मोदी की गिरफ़्तारी के बाद अब विजय माल्या पर भी शिकंजा कसता हुआ नज़र आ रहा है। दिल्ली की एक अदालत ने FERA उल्लंघन से संबंधित एक मामले में शराब कारोबारी और भगोड़ा विजय माल्या की बेंगलुरू में स्थित संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरू पुलिस ने प्रवर्तन निदेशालय के विशेष लोक अभियोजक एन के मत्ता और वकील संवेदना वर्मा के जरिए इस संबंध में अदालत के पहले के आदेश को लागू करने के लिए और समय की माँग की थी। इसके बाद मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत ने ताजा निर्देश जारी किए।
बता दें कि अदालत ने बेंगलुरु पुलिस को 10 जुलाई तक आर्थिक भगोड़े अपराधी विजय माल्या की सम्पत्तियों को कुर्क करने के निर्देश दिए हैं और उसी दिन इस मामले पर अगली सुनवाई भी होगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरू पुलिस ने अदालत को सूचित किया था कि उसने माल्या की 159 संपत्तियों की पहचान कर ली है, लेकिन वह इनमें से किसी को भी कुर्क नहीं कर पाई है।
बता दें कि अदालत ने इस मामले में पिछले वर्ष चार जनवरी को माल्या को भगोड़ा अपराधी करार दिया था। अदालत ने पिछले साल आठ मई को बेंगलुरू पुलिस आयुक्त के जरिए इसी मामले में माल्या की संपत्तियाँ कुर्क करने का निर्देश दिया था और इस पर रिपोर्ट माँगी थी।
एक नज़र पिछले घटनाक्रम पर, विजय माल्या 2 मार्च, 2016 को देश छोड़कर लंदन भाग गया था। माल्या को कड़ा झटका देते हुए मुंबई की धनशोधन निरोधक क़ानून (पीएमएलए) की विशेष अदालत ने उसे भगोड़ा ‘आर्थिक अपराधी’ घोषित कर दिया था। लंदन की एक अदालत ने 10 दिसंबर, 2018 को उनके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। ब्रिटेन के गृहमंत्री साजिद जावीद ने चार फ़रवरी 2019 को माल्या को करारा झटका देते हुए उसे भारत प्रत्यर्पित करन के आदेश पर हस्ताक्षर किए। माल्या को वहाँ के हाईकोर्ट में अपील करने के लिए 14 दिनों का समय दिया गया था।
अदालत और सरकार जिस तरह से सक्रीय है, उससे ऐसे आर्थिक अपराधियों के हौसले पस्त होने और ऐसे अपराधों पर लगाम लगने की उम्मीद जगती है।