भारत की बात
भारतीय दर्शन, परम्परा और सभ्यता से जुड़ी बातें और विचार
प्रतिबंध किस पर है? कम्युनिस्टों के खिलाफ बोलने पर या देश के वीरों की गाथाएँ सुनाने पर
दोनों पुस्तकों के पिछले कई महीनों से बाज़ार में उपलब्ध होने का अर्थ यह है कि इनके पाठकों की संख्या उनसे कई गुना अधिक है जो निमंत्रण पाकर या गाहे बगाहे बुक लॉन्च में पहुँचते। बुक लॉन्च जैसे आयोजन लेखकों को अपनी वह बात कहने का मंच देते हैं जो वे पुस्तक में नहीं लिख पाते।
सियाचिन के परमवीर: ऑपरेशन मेघदूत से लेकर अब तक की कहानी
सब कुछ विश्लेषण करने के बाद अपनी ज़मीन वापस पाने के लिये 13 अप्रैल 1984 को बाकायदा ऑपरेशन मेघदूत चलाया गया जिसकी नायक थे लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हून और लेफ्टिनेंट कर्नल डी के खन्ना। तब से हमारी सेनाएँ सियाचिन की रखवाली कर रही हैं।
भारतीय संस्कृति का रंग जब विदेशियों पर चढ़ता है, तो पहुँच जाते हैं भारत के आंगन में
ऐसे बहुत से विदेशी नागरिक हैं जो भारतीय परंपराओं को सर्वोपरि मानते हैं और उसे आत्मसात करने का पूरा प्रयास करते हैं। हमारे देश की सभ्यता का गुणगान जब दूसरे देश के लोग करते हैं तो शायद ही ऐसा कोई भारतीय होगा जिसका सिर गर्व से ऊँचा नहीं उठेगा।
नवरात्रि: स्त्री शक्ति की सृजनशीलता; सत्व, तमस, रजस गुणों पर नियंत्रण का उत्सव
अगर स्त्री शक्ति नष्ट हो गई, तो जीवन की सभी सुंदर, सौम्य, सहज और पोषणकारी प्रवृत्तियाँ लुप्त हो जाएँगी। जीवन की अग्नि हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी। यह बहुत बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।
‘सम्राट अशोक ने रोबोटों से लड़ा था युद्ध, वैज्ञानिक सोच के मामले में हिन्दू ग्रंथ था विश्व-गुरु’
अजातशत्रु के अभियंताओं ने ऐसे रथों का अविष्कार किया, जिनमें घूमते चक्र थे। फारसी रथों में लगी हुई दरांतियाँ इसी से प्रेरित थीं। प्राचीन व्यक्तियों ने कृत्रिम जीवन, रोबोट आदि बनाने के बारे में तब सोचना शुरू कर दिया था, जब वे इसे निष्पादित करने से कोसों दूर थे।
डॉ. लोहिया के साथ विश्वासघात करने वालों से हम देश सेवा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं : PM मोदी
माँ भारती के अमर सपूतों वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हैं। इसके साथ ही अद्वितीय विचारक, क्रांतिकारी तथा अप्रतिम देशभक्त डॉ. राम मनोहर लोहिया को उनकी जयंती पर सादर नमन।
होलिका दहन, प्रह्लादपुरी के अवशेष और इस्लामिक बर्बरता
वो इलाक़ा होता था कश्यप-पुर जिसे आज मुल्तान नाम से जाना जाता है। ये कभी प्रह्लाद की राजधानी थी। यहीं कभी प्रहलादपुरी का मंदिर हुआ करता था जिसे नरसिंह के लिए बनवाया गया था। कथित रूप से ये एक चबूतरे पर बना कई खंभों वाला मंदिर था।
पौधों को सींचने कमर और सिर पर पानी लेकर 4 किमी तक जाती थीं राष्ट्रपति को ‘आशीर्वाद’ देने वाली ‘वृक्ष माता’
‘वृक्ष माता’ थिमक्का को अभी तक कई सारे अवॉर्ड मिल चुके हैं, लेकिन वहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है कि थिमक्का के ऊपर इसका कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है। वो आज भी उसी तरह से सादा जीवन जी रही हैं
रंगभरी एकादशी: काशी में दूल्हा बने महादेव कराएँगे माँ गौरा का गौना, शुरू होगा होली का हुड़दंग
यह जो रंगभरी एकादशी है, इसमें भी रंग क्या है? जिसके द्वारा जगत रंगों से सराबोर हो उठता है- 'उड़त गुलाल लाल भये अम्बर' अर्थात् गुलाल के उड़ने से आकाश लाल हो गया। आकाश इस सारे भौतिक प्रपंच का उपलक्षण है और काशी भौतिकता से आध्यात्म की यात्रा का महामार्ग।
चैत्र संक्रांति के साथ उत्तराखंड मना रहा है प्रकृति देवी का पर्व – फूलदेई
बच्चे चैत्र मास के पहले दिन से बुराँस, फ्योंली, सरसों, कठफ्योंली, आड़ू, खुबानी, भिटौर, गुलाब आदि फूलों को तोड़कर घर लाते हैं, और घर-घर जाकर "फूलदेई-फूल देई छम्मा देई दैणी द्वार भर भकार यो देई सौं बारंबार नमस्कार" कहकर घरों और मंदिरों की देहरी पर फूल बिखरते हैं।