Wednesday, May 8, 2024

सामाजिक मुद्दे

हिन्दुओं को अपने इतिहास का सच नहीं पता चलना चाहिए, ये ‘मॉब’ बनाने की साजिश है: The Print

रमा लक्ष्मी के लिए हिन्दुओं के धर्म पर हुए हमले का सबूत लाना इतना बड़ा 'पाप' है कि ऐसे 'पापी' अरुण शौरी के लिबरलों के चहेते बनने से उन्हें दुःख हो रहा है।

राम मंदिर की जगह स्कूल-अस्पताल बनवाने की बात करने वाले बुद्धिमानों के नाम कुछ बातें

जिस धर्म के हजारों बड़े मंदिर तोड़ दिए गए, उनकी आस्था पर सिर्फ इस मकसद से हमला किया गया कि ये टूट जाएँ और यह विश्वास करने लगें कि उनका भगवान भी स्वयं के घर की रक्षा नहीं कर पा रहा, उस धर्म के लोग जब अपनी आस्था को पहचानने को खड़े हुए हैं तो उन्हें स्कूल और हॉस्पिटल की याद दिलाई जा रही है?

मोदी की हर बात को स्टंट बताने वाला लिब्रांडू गिरोह कल को अपनी ही विष्ठा खा सकता है अगर…

इतनी दुर्भावना ले कर ज़िंदा ही क्यों हैं ऐसे लोग? इतनी घृणा ले कर हर दिन कैसे बिता रहे हैं लोग? क्या ये आश्चर्य की बात नहीं है कि आपको समुद्र तट साफ भी चाहिए, और कोई इसे एक जन-अभियान बनाना चाहता है तो आपको दर्द होने लगता है?

‘वायर’ कहता है हिन्दू अपने बच्चों को घृणा न सिखाएँ, ‘क्विंट’ चाहता है हिन्दुओं की लाश पर समुदाय विशेष नाचे

मुझे यह कोई समझा दे कि भारत में 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' का नारा क्यों नहीं लगेगा? किसी कट्टरपंथी को इस नारे से आपत्ति क्यों है? तुम्हारे सामने अगर कोई 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' कहता है, तो तुम इकट्ठा हो कर, पत्थर मारने की जगह 'हिन्दुस्तान जिंदाबाद' क्यों नहीं कहते?

शक्ति का प्रत्युत्तर शक्ति से ही देना होगा, तभी म्लेच्छ शक्तियों की पराजय निश्चित होगी

हाँ, हमें मौलिक आराधना करनी होगी, शक्ति का प्रत्युत्तर शक्ति से ही देना होगा, शिव और शक्ति को एक साथ साधना ही होगा, तभी इन म्लेच्छ शक्तियों की पराजय निश्चित होगी। जब तक सिद्धि न हो, समर को टाल कर सिद्धि करनी होगी…

हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ कब तक: त्रिपुरा हाईकोर्ट ने बलि-प्रथा बैन करने के पीछे दिए अजीब तर्क

किसी भी अदालत का काम धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाजों और उसमे लोगों की आस्था से छेड़छाड़ करना नहीं है। पशुओं पर अत्याचार की बात करने वाले पहले देखें कि मांस उद्योग के लिए जानवरों पर होने वाला क्रूरतापूर्ण व्यवहार कितना जायज़ है?

ताकि, सनद रहे! बिहारियों की जान बहुत सस्ती है…

यह भी चंद दिनों का ख़ब्त है। अभी आप पूरे देश के बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं को केरल और चेन्नै के बहाने गाली दे रहे हैं, लेकिन यह भूल जा रहे हैं कि आज के युग में आर्थिक बल ही सब कुछ है। बिहार यहाँ नीचे से पहले पायदान पर है।

बिहार में बाढ़: न पहली, न आखिरी बार… आखिर क्यों डूबते हैं शहर?

हुजूर! यही हैं हम। यही है हमारा देश… आज केवल मेरा शहर नहीं डूबा, मेरा पूरा राज्य डूब गया है। छपरा, सिवान, पटना सब डूबे हुए हैं। शहर यदि नदियों के बाढ़ से डूब जाएँ तो बात समझ में आती है, पर बरसात से डूबें तो बात समझ में नहीं आती।

बुद्ध-महावीर के स्थल से उस लड़की के गिड़गिड़ाने की आवाज़… आपके कानों तक पहुँची क्या?

शक्ति की आराधना का पर्व शुरू हो गया है। ऐसे में बुद्ध-महावीर की धरती से इस वीडियो का सामने आना और इसमें पीड़िता द्वारा गिड़गिड़ाते हुए कही गई 2 पंक्तियाँ पूरे देश-समाज को झकझोड़ देने वाली है। सवाल है कि एक ग़रीब मजदूर अपनी बेटी के लिए न्याय माँगते हुए कहाँ-कहाँ भटकेगा?

अब वो चिल्लाती भी नहीं…

मैं जब इस समाज का हिस्सा होने के कारण सोचने लगता हूँ तो पाता हूँ कि ये चलता रहेगा क्योंकि मर्दों के दम्भ की सीढ़ी की अंतिम लकड़ी स्त्री पर अपने लिंग के प्रहार के रूप में ही परिणत होती है। पितृसत्ता का विकृत रूप यही है कि लड़की इस क्रूरतम हिंसा के विरोध में इस तरह से अपनी आत्मा को मार चुकी है कि जो करना है कर लो, पर वीडियो मत बनाओ।

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