उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले में 19 मार्च, 2024 को आयुष और अहान नाम के 2 नाबालिग भाइयों की चाकू से गोद कर निर्मम हत्या कर दी गई थी। इसी हमले में तीसरा भाई 10 वर्षीय युवराज घायल हो गया था। हत्या का आरोपित मृतकों के घर के पड़ोस में सैलून चलाने वाले साजिद और जावेद नाम के 2 भाइयों पर लगा था। मुख्य आरोपित साजिद को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया, जबकि उसका भाई जावेद गिरफ्तार है। ऑपइंडिया ने मृतक बच्चों के पिता विनोद कुमार सिंह से बात कर परिवार के संघर्ष को समझा।
झाड़-फूँक बना हत्या का कारण
विनोद सिंह ने पुलिस की जाँच और कार्रवाई पर संतोष जताया। पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, साजिद ने बच्चों की बलि देने का प्लान झाड़-फूँक और अंधविश्वास के कारण बनाया था। साजिद और जावेद दोनों को आरोपित किया गया है। विनोद ने बताया कि साजिद बच्चों की बलि से संतान सुख पाने के लिए उकसाया गया था। हालाँकि, पुलिस ने मौलवी का नाम सुगबुगाहट में आने के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया।
विनोद ने यह स्वीकार किया कि कई बार उन्होंने साजिद और उसके भाई को संकट काल में आर्थिक मदद की थी। घटना वाले दिन भी साजिद 5,000 रुपए माँगने उनके घर आया था। तब विनोद ने अपनी पत्नी से साजिद को पैसे देने की हाँ भर दी थी। विनोद का कहना है कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिसकी वो मदद कर रहे हैं, वही उनके परिवार को बर्बाद कर देगा।
जैकेट में छिपा कर लाया था चाकू
घटना के दिन कोई याद करते हुए विनोद सिंह बताते हैं कि साजिद जैकेट पहन कर आया था। उसका व्यवहार सामान्य दिख रहा था जिस से किसी कोई उस पर शक नहीं हुआ। साजिद का भाई जावेद भी साथ ही आया था। उसके पास भी एक चाकू मौजूद था। आयुष उसी समय स्कूल से लौटा था। वह विनोद की पत्नी द्वारा खोली गई कॉस्मैटिक की दुकान पर बैठा था। वह आयुष को ले कर घूमने-टहलने के बहाने छत पर ले गया। जावेद भी उन्ही के साथ छत पर गया।
साजिद और जावेद ने आयुष को छत पर ले जाकर चाकुओं से वार किए। इसी दौरान युवराज को गुटखा खरीदने के बहाने बाहर भेजा गया। बाद में आहान भी छत पर गया और महज 10 मिनट में दोनों भाइयों की हत्या कर दी गई।
जब साजिद और जावेद, दोनों भाइयों की हत्या के बाद नीचे उतर रहे थे, तब मझला बेटा युवराज उर्फ पीयूष गुटखा लेकर पहुँचा। साजिद ने उस पर भी चाकू से हमला किया, लेकिन युवराज किसी तरह चीखते हुए वहाँ से भाग निकला। उसकी चीख-पुकार सुनकर परिजनों को घटना का पता चला। तब तक साजिद और जावेद बाइक पर बैठकर फरार हो चुके थे। हत्या के वक्त बच्चों की माँ नीचे साजिद को उधारी देने के लिए पैसे गिन रही थीं।
मेरी पत्नी पर लगाए गए आधारहीन लाँछन
विनोद सिंह का कहना है कि बेटों की हत्या के बाद कई लोगों ने जुबानी तौर पर उनकी पत्नी पर लाँछन लगाने का प्रयास किया। दबी जुबान में साजिद और उनकी पत्नी के बीच रिश्ते की अफवाहें उड़ाई गईं। विनोद ने इन दावों को पूरी तरह से निराधार बताते हुए कहा, “अगर मेरी पत्नी दोषी होती, तो साजिद मेरे बच्चों की बजाय मेरी हत्या करता।” उन्होंने ऑपइंडिया के माध्यम से लोगों से अपील की कि ऐसी झूठी बातों पर विश्वास न करें।
अदालत में चल रहीं हैं गवाहियाँ
विनोद ने बताया कि केस की सुनवाई जारी है। अभियोजन पक्ष ने अब तक चार गवाह पेश किए हैं, जिनमें विनोद सिंह, उनकी पत्नी, उनकी माँ और घायल बेटा युवराज शामिल हैं। तीन गवाहियाँ हो चुकी हैं, और अगली तारीख पर युवराज बयान दर्ज कराएगा। पुलिसकर्मी और सरकारी स्टाफ समेत अन्य गवाहों की गवाही अभी बाकी है।
मृतकों के परिजन के अलावा अन्य गवाहों में पुलिसकर्मी और अन्य सरकारी स्टाफ आदि हैं। विनोद ने हमें आगे बताया कि अभियोजन पक्ष की गवाहियाँ खत्म हो जाने के बाद आरोपित (साजिद और जावेद) पक्ष के गवाहों को पेश किया जा सकता है।
केस को लंबा खींचने की साजिश
आरोपित पक्ष की ओर से एक हिंदू वकील पैरवी कर रहा है। विनोद को दुख है कि बच्चों की हत्या के बाद वकीलों ने ऐसे जल्लाद का केस न लड़ने का संकल्प लिया था, लेकिन अब वही केस को लंबा खींचने में मदद कर रहे हैं।
विनोद ने यह भी बताया कि जावेद का यही वकील केस को लम्बा खींचने के लिए तमाम कानूनी-दांवपेंच का इस्तेमाल करता है। वह कभी लम्बी तारीख माँगने की एप्लिकेशन डाल देते हैं तो कभी अपनी तरफ से कोई कागज पेश करने के लिए कई दिनों की माँग आदि का प्रार्थना पत्र। अब विनोद सिंह पूरे केस को जल्द निरस्तरित करने की माँग को ले कर इलाहबाद हाईकोर्ट जाने का मन बना रहे हैं। यहाँ वो एक तय समय सीमा के अंदर निचली अदालत को फैसला सुनाने का आदेश देनी की माँग करेंगे।
विनोद ने हमें आगे बताया कि जो हिन्दू वकील जावेद का केस लड़ रहे हैं वो काफी सीनियर हैं। उनके अंडर में कई मुस्लिम वकील भी बतौर जूनियर काम करते हैं। ये जूनियर वकील कहीं न कहीं साजिद की ससुराल से जुड़े हुए हैं। विनोद द्वारा आशंका जताई गई है कि केस की सुनवाई में में हो रही देरी कहीं उन्हीं जूनियर वकीलों द्वारा रची गई है। हत्या के समय पुलिस द्वारा प्रभावी कार्रवाई की बात करते हुए विनोद ने तत्कालीन थानेदार गौरव विश्नोई की खुल कर तारीफ की। उन्होंने कहा कि ट्रांसफर होने के बावजूद वो अब तक उनके परिवार से एक पारिवारिक सदस्य की तरह जुड़े हुए हैं।
कातिल और उसके परिवार को कोई पछतावा नहीं
विनोद ने बताया कि जावेद कोर्ट में पेशी पर आता है, लेकिन उसके हाव-भाव में कभी भी पछतावे का एहसास नहीं दिखा। उसकी माँ अक्सर अदालत में दिखती हैं, लेकिन उन्होंने कभी संवेदना जताने की कोशिश नहीं की। विनोद का मानना है कि कातिल का पूरा परिवार उनके बच्चों के साथ हुई हरकत पर अंश मात्र भी दुःखी या शर्मिंदा नहीं है।
अब मिलना तो दूर, कोई फोन भी नहीं करता
भावुक होते हुए विनोद सिंह ने बताया कि घटना के बाद समाज का समर्थन मिला था, लेकिन अब वही लोग उनसे दूरी बना चुके हैं। उन्होंने कहा, “6 महीने से न किसी ने फोन किया, न मिलने आया। यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज की त्रासदी है।”
जब आयुष और आहान की हत्या हुई थी, तो सरकारी मदद के नाम पर प्रधानमंत्री योजना के तहत 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली। इसके बाद प्रशासन और नेताओं द्वारा किए गए तमाम वादे अधूरे रह गए। विनोद सिंह ने दुख जताते हुए कहा, “हमने उम्मीद की थी कि हमारे दर्द को समझते हुए कुछ ठोस कदम उठाए जाएँगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।”
काटने जैसा दौड़ता है अपना ही घर
विनोद सिंह ने बताया कि उनका परिवार सामान्य होने की कोशिश कर रहा है, लेकिन बच्चों की यादें घर के हर कोने में मौजूद हैं। उनका एकमात्र जीवित बेटा युवराज अभी कक्षा 5 में पढ़ता है, स्कूल जाने लगा है। घर में बच्चों की स्मृतियाँ देखकर पूरा परिवार मानसिक रूप से बुरी तरह प्रभावित है। पूरे परिवार को उनका घर काटने जैसा दौड़ता है।
विनोद ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा, “हमने इस घर में रहना 3 साल पहले शुरू किया था। पहले हम बदायूँ के दूसरे हिस्से में रहते थे, लेकिन वह मकान बिक चुका है। अगर वह घर बचा होता, तो हम वहाँ शिफ्ट हो जाते।” घटना के बाद से बच्चों की दादी और माँ की सेहत भी खराब रहने लगी है।
बंद हो गया पार्लर, सैलून पर भी ताला
घटना से पहले विनोद की पत्नी घर में पार्लर चलाकर परिवार की मदद करती थीं। बच्चों की हत्या के बाद पार्लर बंद हो चुका है। अब परिवार की जिम्मेदारी अकेले विनोद के कंधों पर है, जो पानी की टंकी बनाने का काम करते हैं। वहीं, साजिद और जावेद का सैलून घटना के बाद स्थायी रूप से बंद कर दिया गया। मोहल्ले में अब किसी मुस्लिम की दुकान नहीं है। साजिद और जावेद की दुकान की जगह अब एक हिंदू मालिक ने नया सैलून खोला है।
बता दें कि दोनों बच्चों की हत्या के अगले दिन, पुलिस ने मुख्य आरोपित साजिद को एक मुठभेड़ में मार गिराया। गिरफ्तारी के दौरान साजिद ने पुलिस पर फायरिंग की थी, जिसके जवाब में पुलिस ने आत्मरक्षा में कार्रवाई की। इसके बाद 21 मार्च 2021 को पुलिस ने फरार सह-आरोपित जावेद को बरेली से गिरफ्तार कर लिया। इस मामले का ट्रायल बदायूँ की जिला अदालत में चल रहा है। विनोद सिंह ने कहा, “हमें न्याय का इंतजार है, लेकिन सिस्टम के ढीले रवैये ने हमारी तकलीफें बढ़ा दी हैं।”