उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के पास स्थित ‘वाराही कुआँ’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जानकारी सामने आई है। यूपी सरकार ने कोर्ट में कहा है कि ये कुआँ, जिसे मस्जिद कमिटी निजी बता रही है, असल में सार्वजनिक जमीन पर है।
सरकार का कहना है कि मस्जिद कमिटी इस कुएँ पर अपना हक जताने की कोशिश कर रही है, जबकि ये सबके लिए है। यही नहीं, जिस मस्जिद को लेकर विवाद है, वो मस्जिद भी सार्वजनिक भूमि पर है। बता दें कि कोई भी मस्जिद सार्वजनिक या सरकारी जगह पर नहीं, बल्कि निजी जमीन पर ही बन सकती है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को सरकार से इसकी स्टेटस रिपोर्ट माँगी थी, जिसके बाद ये बात सामने आई।
दरअसल, संभल की शाही जामा मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि मस्जिद के पास का कुआँ उसका है और जिला प्रशासन इसे सार्वजनिक करके यथास्थिति बिगाड़ रहा है। कमिटी चाहती थी कि कोर्ट प्रशासन को रोके और बिना इजाजत कोई कदम न उठाया जाए। दूसरी तरफ, सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये कुआँ मस्जिद के अंदर नहीं, बल्कि बाहर है और इसका मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं। इतना ही नहीं, सरकार ने ये भी कहा कि खुद मस्जिद भी सार्वजनिक जमीन पर बनी है।
यूपी सरकार ने जाँच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई थी, जिसमें संभल के एसडीएम, क्षेत्रीय अधिकारी और नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी शामिल थे। इस टीम ने पाया कि कुआँ मस्जिद की दीवार से बाहर है और पहले सभी समुदाय इसका इस्तेमाल करते थे। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि मस्जिद कमिटी ने कोर्ट में गलत तस्वीरें दीं, ताकि लगे कि कुआँ उनके परिसर में है। हकीकत में मस्जिद के अंदर से कुएँ तक पहुँच भी नहीं है। जाँच टीम ने ये भी बताया कि मस्जिद में पहले से एक दूसरा कुआँ ‘यज्ञ कूप’ मौजूद है, जिसे कमिटी ने छिपाया।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये कुआँ जिसे स्थानीय लोग ‘धरनी वराह कूप’ कहते हैं, वो अभी सूखा पड़ा है। 1978 के दंगों के बाद इसके एक हिस्से पर पुलिस चौकी बन गई थी। बाकी हिस्सा 2012 में ढक दिया गया। मस्जिद वाला कुआँ, उन 19 कूपों का हिस्सा है, जिन्हें जिला प्रशासन की ओर से पुनर्जीवित किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि वो इसे बारिश का पानी जमा करने और भूजल बढ़ाने के लिए ठीक कर रही है, ताकि सब इसका फायदा उठा सकें।