ओडिशा हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रहे डॉ एस मुरलीधर अब वकील बन चुके हैं। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील के तौर पर मुंबई लोकल ब्लास्ट के दो दोषी 2 आतंकियों के लिए केस लड़ना चालू किया है। मुरलीधर ने कहा है कि 180 से अधिक लोगों की जान लेने वाले मुंबई लोकल ब्लास्ट मामले में जाँच पक्षपाती तौर पर हुई है और दोषियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने यह दलीलें ब्लास्ट के दो दोषियों मुजम्मिल अताउर रहमान शेख और ज़मीर अहमद लतीफुर रहमान शेख के पक्ष में दी हैं। उन्होंने इन दोनों को मासूम बताया है।
मुंबई लोकल ट्रेन में ब्लास्ट करने वाले मासूम: मुरलीधर
वकील मुरलीधर ने सोमवार (13 जनवरी, 2025) को इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी दलीलें पेश की। मुरलीधर ने दावा किया कि ऐसे मामलों में पुलिस दबाव में जाँच करती है और कई बार आतंक के आरोपित जेल से सालों बाद छूटते हैं। मुरलीधर ने दावा किया कि मुंबई लोकल ब्लास्ट मामले में दोषी 17 वर्षों से बंद हैं और उनके जीवन के महत्वपूर्ण साल निकल चुके हैं। मुरलीधर ने दावा किया कि मुंबई लोकल ब्लास्ट मामले में दोषी ठहराए गए सभी लोग ‘निर्दोष’ और मासूम हैं।
वकील मुरलीधर ने यह भी दावा किया कि इस मामले में जाँच एजेंसियों के पास कोई पक्का सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि जाँच एजेंसियाँ पहले भी फेल हो चुकी हैं लेकिन कोर्ट अभी इसे ठीक कर सकती है और इन्हें रिहा कर सकती है। उन्होंने मीडिया को भी ऐसे मामलों में दोषी ठहराया। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ऐसे मामलों में पकड़े गए लोगों को पहले ही दोषी मान लेती है और इसके बाद जाँच गड़बड़ होती है। वकील मुरलीधर ने दावा किया कि हमारे पास तमाम ऐसे केस हैं।
वकील मुरलीधर ने कोर्ट में कहा, “गवाहों और आरोपितों के बयान और सबूत मौजूद हैं कि उन्हें गवाही देने के लिए मजबूर किया गया था। आरोपितों के परिवार और रिश्तेदारों को भी पीटा गया और प्रताड़ित किया गया। उदाहरण के लिए, पूरे पंचनामा में सबूत झूठे थे। आरोप है कि इन लोगों ने बम बनाने के लिए RDX का इस्तेमाल किया, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरडीएक्स कौन लाया, बम बनाने में उनकी किसने मदद की।”
180+ लोगों की गई थी जान
मुंबई लोकल ब्लास्ट मामले में यह केस वकील मुरलीधर मुजम्मिल अताउर रहमान शेख और ज़मीर अहमद लतीफुर रहमान की तरफ से लड़ रहे हैं, जिन्हें एक अदालत उम्रकैद की सजा सुना चुकी है। इनमें से एक बंगलुरु और एक मुंबई का रहने वाला है। इस मामले में उनके साथ 10 और लोग दोषी ठहराए गए थे। इनमें से 5 को फांसी जबकि 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इन्होने अपनी इस सजा के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की हुई है।
यह ब्लास्ट 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए थे। इनमें 7 ट्रेनों को निशाना बनाया गया और था सब में प्रेशर कुकर और IED वाले बम रखे गए थे। यह बम शाम को तब फटे जब लोग अपने घरों को वापस लौट रहे थे। इस ब्लास्ट में 187 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। यह 26/11 के पहले देश के सबसे बड़े सीरियल ब्लास्ट थे। इन ब्लास्ट के बाद पुलिस और ATS ने 13 लोग पकडे थे जिसमें से 12 को सजा सुनाई गई थी।
जज रहते हुए सवालों के घेरे में रहे मुरलीधर
साल 2022 में फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने भीमा कोरेगाँव मामले में तब दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस रहे एस मुरलीधर पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया था। उनका ये आरोप जस्टिस मुरलीधर के गौतम नवलखा की ट्रांजिट रिमांड और हाउस अरेस्ट को रद्द करने फैसले पर था।
हालाँकि, बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, 6 दिसंबर 2022 को विवेक अग्निहोत्री ने जस्टिस मुरलीधर के खिलाफ किए गए कॉमेंट्स पर बगैर शर्त दिल्ली हाईकोर्ट से माफी भी माँगी थी। इस आरोप पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निहोत्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व निदेशक एस गुरुमूर्ति के खिलाफ 2018 में अवमानना का केस किया था।
गौरतलब है कि पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगाँव मामले में अगस्त 2018 में नवलखा को दिल्ली से हिरासत में लिया था और उन्हें घर में नजरबंद करने के लिए महाराष्ट्र ले जाने के लिए ट्रांजिट रिमांड ली थी। उस साल अक्टूबर में जस्टिस मुरलीधर ने इस ट्रांजिट रिमांड को रद्द करते हुए नवलखा को हाउस अरेस्ट से रिहा करने का आदेश दिया था। बता दें कि जस्टिस मुरलीधर साल 2021 में उड़ीसा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे और 7 अगस्त, 2023 को रिटायर हुए थे।