Thursday, March 28, 2024
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सड़क हटाओ, कब्रिस्तान बनाओ: गुजरात वक्फ ट्रिब्यूनल का आदेश, तोड़फोड़ का खर्च अधिकारियों से वसूलने को कहा

'वक्फ' का अर्थ मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए चल या अचल संपत्ति को इस्लाम को मानने वाले व्यक्ति द्वारा स्थायी समर्पण है। इसका मतलब यह है कि उपयोगकर्ता द्वारा किसी भी संपत्ति को बोर्ड के साथ पंजीकृत किया जा सकता है, 'वक्फ' बन जाता है।

गुजरात के भावनगर में शिहोर नगरपालिका को पिछले हफ्ते शिहोर मेमन जमात द्वारा प्रबंधित कब्रिस्तान को तोड़कर बनाई गई सड़क को हटाने और कब्रिस्तान की पूर्व की स्थिति को बहाल करने का आदेश दिया गया था। गुजरात स्टेट वक्फ ट्रिब्यूनल ने नगरपालिका से कब्रों, गिरे हुए पेड़ों और शौचालय को कब्रिस्तान में उसकी मूल स्थिति में वापस लाने के लिए कहा।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिहोर नगरपालिका ने कब्रिस्तान के बाहरी हिस्से को तोड़कर ढांचागत विकास के तहत एक सड़क का निर्माण कराया था। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है कि कब्रिस्तान की बहाली का खर्च विध्वंस करने वाले दो अधिकारियों से वसूल किया जाएगा।

ट्रिब्यूनल ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर 24 घंटे के भीतर सड़क नहीं हटाई गई तो बहाली का खर्च सरकारी निकाय के मुख्य अधिकारी द्वारा वहन किया जाएगा। 2 फरवरी को नगरपालिका ने शिहोर मेमन जमात को सड़क के लिए अपने कब्रिस्तान निर्माण के हिस्से को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था और उसके बाद उसे तोड़ दिया था।

तोड़फोड़ के बाद जमात ने दीवानी अदालत का दरवाजा खटखटाया था। बाद में इसने दीवानी अदालत से मुकदमा वापस ले लिया और इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए गुजरात राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया। नागरिक निकाय ने अपने तर्क में दावा किया कि जिस जमीन पर सड़क बनाई गई थी, वह कभी भी शिहोर मेमन जमात की नहीं थी। वहीं, शहर के सर्वेक्षण में कहा गया है कि जमीन एक कब्रिस्तान की है, जो कि वक्फ की है।

ट्रिब्यूनल ने SC के आदेश का हवाला देते हुए आगे कहा कि जमीन एक बार कब्रिस्तान बन जाती है तो हमेशा कब्रिस्तान रहती है। इसने बहाली पर नगर निकाय से विस्तृत रिपोर्ट माँगी है। इसके साथ ही सड़क को हटाने के बाद शहर की पुलिस से सुरक्षा देने को कहा गया है।

‘वक्फ’ का अर्थ मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए चल या अचल संपत्ति को इस्लाम को मानने वाले व्यक्ति द्वारा स्थायी समर्पण है। इसका मतलब यह है कि उपयोगकर्ता द्वारा किसी भी संपत्ति को बोर्ड के साथ पंजीकृत किया जा सकता है, ‘वक्फ’ बन जाता है और संपत्ति के मूल मालिक की मृत्यु होने पर भी ऐसा ही रहता है। कब्रिस्तान भी वक्फ के साथ पंजीकृत एक संपत्ति है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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