Tuesday, May 20, 2025
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मैंने खो दिया अपना कुत्ता, मेरे बंगले पर तैनात पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करो: हाई कोर्ट जस्टिस का दिल्ली के JCP को पत्र

"मैं यह चिट्ठी बहुत दर्द और पीड़ा के साथ लिख रहा हूँ। मेरे सरकारी आवास पर सुरक्षा में तैनात अधिकारियों में निष्ठा की कमी और अक्षमता के कारण, मैंने अपना पालतू कुत्ता खो दिया है।"

दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज गौरांग कंठ ( Justice Gaurang Kanth) का एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल है। ये पत्र उन्होंने दिल्ली पुलिस के ज्वाइंटकमिश्नर को लिखा है। इसमें अपने आवास पर तैनात पुलिस​कर्मियों को सस्पेंड करने को कहा है। बताया है कि इन पुलिस​कर्मियों की लापरवाही के कारण उन्होंने अपना पालतू कुत्ता खो दिया है।

यह पत्र 12 जून 2023 को लिखा गया था। लेकिन वायरल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की एक नसीहत के बाद हुआ है। इसमें सीजेआई ने जजों को अपने प्रोटोकॉल का उचित तरीके से इस्तेमाल करने को कहा था। जस्टिस गौरांग का तबादला कलकत्ता हाई कोर्ट में हो चुका है।

वायरल चिट्ठी में जस्टिस गौरांग कंठ ने दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त से कहा है, “मैं यह चिट्ठी बहुत दर्द और पीड़ा के साथ लिख रहा हूँ। मेरे सरकारी आवास पर सुरक्षा में तैनात अधिकारियों में निष्ठा की कमी और अक्षमता के कारण, मैंने अपना पालतू कुत्ता खो दिया है। बार-बार दरवाजा बंद रखने के लिए कहने के बावजूद, मेरे आवास पर तैनात सुरक्षा अधिकारी मेरे निर्देशों का पालन करने और अपने पेशेवर कर्तव्य को पूरा करने में विफल रहे हैं। कर्तव्य के प्रति ऐसी लापरवाही और अक्षमता पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि इससे मेरे जीवन और स्वतंत्रता को गंभीर खतरा हो सकता है।”

पत्र में आगे जस्टिस गौरांग कंठ ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि इन पुलिसकर्मियों को तुरंत सस्पेंड किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने दिल्ली पुलिस से इस मामले में तीन सप्ताह में रिपोर्ट भी तलब की थी। यह स्पष्ट नहीं है कि जस्टिस की इस चिट्ठी पर दिल्ली पुलिस ने क्या कार्रवाई की है।

इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी इसी तरह के कारणों से चर्चा में आए थे। उन्हें ट्रेन यात्रा के दौरान असुविधा हुई थी। इसके बाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने इस असुविधा के लिए दोषी अधिकारियों से स्पष्टीकरण माँगा था। इसके बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने घटना पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने जजों को नसीहत देते हुए कहा था कि प्रोटोकॉल के तहत मिलने वाली सुविधा पर विशेषाधिकार नहीं है। इन सुविधाओं के इस्तेमाल इस तरह से होना चाहिए जिससे किसी को तकलीफ नहीं हो।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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