Thursday, April 18, 2024
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‘आग लगा दो कोई बच न पाए’: कानपुर में माँ-बेटी के जिंदा जलने में SDM पर सीधा आरोप, रातभर DM ऑफिस में बैठा रहा परिवार पर नहीं सुनी फरियाद

नियमों के मुताबिक, जिन लोगों के पास पक्का घर है, वे ग्राम पंचायत की जमीन पर नहीं रह सकते। इसी को आधार बनाकर अशोक दीक्षित ने गोपाल कृष्ण के परिवार के खिलाफ शिकायत की। अशोक दीक्षित के परिवार ने प्रशासन से माँग की कि गोपाल कृष्ण का कब्जा हटवाया जाए, ताकि वह पट्टे में मिली जमीन का इस्तेमाल कर सकें। इसी शिकायत पर प्रशासन ने कार्रवाई की।

कानपुर में जलकर माँ-बेटी की हुई मौत के मामले में प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। इसमें कानपुर देहात की जिलाधिकारी की कार्य-प्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पीड़ित परिवार का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो 14 जनवरी 2023 का बताया जा रहा है। इसमें पीड़ित परिवार के मुखिया कृष्ण गोपाल दीक्षित अपने परिवार और बकरी के साथ DM ऑफिस पहुँचकर गुहार लगाई थी।

जिस दिन दीक्षित परिवार जिलाधिकारी कार्यालय अपनी शिकायत लेकर पहुँचा था, उसके ठीक एक दिन पहले यानी 13 जनवरी 2023 को उनके मकान पर पहली बार बुलडोजर चलाकर गिराया गया था। अपनी पत्नी, बेटी, दो बेटों और एक बकरी के साथ जिलाधिकारी ऑफिस पहुँचे कृष्ण गोपाल ने जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई थी।

हालाँकि, पीड़ित परिवार से जिलाधिकारी नेहा जैन ने पीड़ित परिवार से मुलाकात नहीं की थी। इसके बाद पीड़ित परिवार डीएम ऑफिस के बाहर ही रात भर बैठा रहा था। इसके बाद मौके पर एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद पहुँचे और पुलिसकर्मियों को बुलाकर सबको थाने ले जाने लगे।

पीड़ित परिवार पर प्रशासन से उलझने का आरोप, DM नहीं की मुलाकात

इस दौरान मृतक प्रमिला ने उनसे आग्रह किया था कि उनका घर गिरा दिया गया है और अब उनके पास रहने के लिए कोई आवास नहीं है। उन्होंने SDM से भी न्याय की गुहार लगाई। हालाँकि, पीड़ित परिवार को न्याय तो नहीं मिला, लेकिन पीड़ित परिवार पर हंगामा का मुकदमा अलग से दर्ज कर दिया गया। इससे पहले उन पर एक मुकदमा दर्ज कराया गया था।

13 जनवरी को जब मड़ौली गाँव में पीड़ित परिवार का घर गिराने की कार्रवाई की जा रही थी, तब भी लेखपाल अशोक सिंह ने पीड़ित परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। अशोक सिंह ने एसडीएम से शिकायत करते हुए कृष्ण गोपाल दीक्षित और उनके बेटे शिवम के खिलाफ केस दर्ज करवाया था।

अशोक सिंह ने SDM को लिखे अपने कहा था, “13 जनवरी को प्रशासन अवैध कब्जे को खाली करवाने पहुँचा था, तब कृष्ण गोपाल और उनके बेटे शिवम एवं अंश ने प्रशासन से गाली-गलौज की थी और मारपीट पर उतारू हो गए थे। गाँव के लोगों को सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने के लिए उकसाने लगे। वह कहते, यहाँ से भाग जाओ, वरना बिकरू वाला कांड अपनाएँगे।”

पीड़ित परिवार ने दी शिकायत

माँ-बहन के जल कर मौत के मामले में शिवम ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी है। शिकायत में शिवम ने SDM ज्ञानेश्वर प्रसाद, कानूनगो, मड़ौली के लेखपाल अशोक सिंह, तीन अन्य लेखपाल और रूरा के SHO दिनेश गौतम के साथ-साथ 12-15 महिला-पुरुष बल द्वारा उनकी माँ और बहन को जलाकर मारने का आरोप लगाया गया है।

शिवम ने अपने पत्र में कहा है कि उस जगह पर उनका पूर्वज पिछले 100 वर्षों से रहते आ रहे हैं। 14 जनवरी को एसडीएम बिना नोटिस दिए उनका घर गिराने के लिए पहुँच गए। जब उन्होंने इसके बारे में पूछा तो एसडीएम ने कहा कि उनके गाँव के अशोक दीक्षित ने शिकायत दी है कि उनका मकान ग्राम सभा की जमीन पर बनी है।

शिवम ने कहा कि उनके मकान को उस दिन गिरा दिया गया और घास-भूस की झोपड़ी को छोड़ दिया गया। एसडीएम ने इसे भी अगले 10-15 में खाली करने का आदेश दिया। शिवम ने कहा कि इसके बाद वे जिलाधिकारी कार्यालय पहुँचे अपनी शिकायत लेकर, लेकिन वहाँ उनकी बात नहीं सुनी गई और उन पर मुकदमा दायर कर दिया गया।

शिवम ने आगे लिखा कि अगले दिन एसडीएम ज्ञानेश्वर और कानूनगो, लेखपाल और पुलिस पहुँची। उस समय झोपड़ी में उनकी माता-पिता और बहन आराम कर रहे थे। जेसीबी चालक दीपक ने बिना आगाह किए झोपड़ी को गिरा दी। इसके बाद एसडीएम ने कहा कि आग लगा दो, कोई बचने ना पाए। इसके बाद अशोक सिंह ने झोपड़ी में आग लगा दी।

शिवम ने आरोप लगाया कि प्रार्थी किसी तरह आग से बचते हुए बाहर निकला, लेकिन रूरा के थानेदार दिनेश गौतम ने अन्य पुलिसकर्मियों के साथ उन्हें पीटा और आग में झोंकने की कोशिश की। इसमें उनके पिता झुलस गए और माँ-बहन की जलकर मौत हो गई।

मामले की जाँच के लिए SIT गठित

माँ-बेटी की मौत के बाद दर्ज हुए मुकदमे की विवेचना के लिए DGP ने SIT गठित की है। इस मुकदमे में मौके पर मौजूद एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद, थानाध्यक्ष रुरा दिनेश गौतम, लेखपाल अशोक सिंह, विरोधी पक्ष अशोक दीक्षित, गौरव दीक्षित समेत 12 लोग नामजद किए गए हैं। इसमें कुछ अज्ञात पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। 

DGP ने हरदोई के SP राजेश द्विवेदी की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय टीम बनाई है। इसमें सीओ विकास जायसवाल को विवेचक बनाया गया है। इसके साथ ही शहर कोतवाल संजय पांडेय, क्राइम ब्रांच के रमेश चन्द्र और महिला थाना प्रभारी रामसुखारी को सदस्य बनाया गया है।

विवादों में जिलाधिकारी नेहा जैन

कानपुर के मड़ौली की घटना को लेकर विवादों में आईं DM नेहा जैन पर पहले भी सवाल उठे हैं। 12 दिसंबर 2022 को पुलिस हिरासत में मौत का शिकार हुए व्यापारी बलवंत सिंह के मामले में भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने कलेक्टर नेहा जैन की कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई थी। सांसद ने कहा था कि नेहा जैन का प्रशासनिक व्यवस्था पर नियंत्रण नहीं है।

इसके बाद कानपुर देहात महोत्सव के लिए जगह-जगह होर्डिंग लगाई गई थी। इस होर्डिंग में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फोटो नहीं लगा था। पीएम और सीएम का फोटो नहीं लगाने को लेकर नेहा जैन पर सवाल उठाए गए थे। उस समय राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने नेहा जैन पर सवाल खड़ा किया था।

दो परिवारों के बीच की लड़ाई में आखिरकार माँ-बेटी की हुई मौत

कहा जा रहा है कि यह पूरा मामला दो परिवारों की जमीन से जुड़ा हुआ है। गाँव में पीड़ित परिवार का एक साथ दो प्लॉट है। पीड़ित परिवार दशकों से इस पर खेती कर रहा था। दो दशक पहले प्रमिला और उनके पति कृष्ण गोपाल दीक्षित ने यहाँ घर बनाया और यहीं रहने लगे।

इसके बाद इस जमीन को लेकर पीड़ित कृष्ण गोपाल दीक्षित और इस केस में आरोपित विशाल दीक्षित, गौरव दीक्षित और अशोक दीक्षित के परिवार से विवाद शुरू हो गया। 10 साल पहले अशोक दीक्षित ने सरकारी अधिकारियों से साँठ-गाँठ करके इस जमीन का सरकारी पट्टा अपनी बहन के नाम पर ले लिया।

जब अशोक दीक्षित ने इस जमीन पर निर्माण कार्य शुरू किया तो विवाद हो गया। गोपाल कृष्ण दीक्षित के परिवार का सरकारी जमीन पर लंबे समय से कब्जा था। अब अशोक दीक्षित इस पर कब्जा करना चाह रहा था। उसने कृष्ण गोपाल के परिवार को हटाने के लिए प्रशासन में शिकायत दी।

नियमों के मुताबिक, जिन लोगों के पास पक्का घर है, वे ग्राम पंचायत की जमीन पर नहीं रह सकते। इसी को आधार बनाकर अशोक दीक्षित ने गोपाल कृष्ण के परिवार के खिलाफ शिकायत की। अशोक दीक्षित के परिवार ने प्रशासन से माँग की कि गोपाल कृष्ण का कब्जा हटवाया जाए, ताकि वह पट्टे में मिली जमीन का इस्तेमाल कर सकें। इसी शिकायत पर प्रशासन ने कार्रवाई की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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