Monday, November 4, 2024
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केरल के सहकारी बैंक में सैकड़ों करोड़ का घोटाला, पूर्व मंत्री मोइद्दीन सहित CPM नेताओं के खिलाफ ED को मिले सबूत: बहरीन से भी कनेक्शन

मोइद्दीन के अलावा एक अन्य सीपीएम नेता पीके बीजू का भी नाम इस घोटाले में जोड़ा जा रहा है। इसको लेकर कॉन्ग्रेस ने आरोप भी जड़े हैं। घोटाले की इन सभी खबरों के बाहर आने से बैंक के जमाकर्ताओं का विश्वास टूट चूका है और लोग अपनी पूँजी बैंक से निकाल रहे हैं, जबकि सीपीएम लगातार अपने नेताओं को बचाने में जुटी है।

कम्युनिस्ट राज वाले केरल में त्रिसूर की करुवन्नुर सहकारी बैंक घोटाले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। सैकड़ों करोड़ रुपए के इस घोटाले में सत्तारूढ़ सीपीएम के नेताओं की बड़ी भूमिका सामने आ रही है। करुवन्नुर के इस घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) लगातार नए खुलासे कर रही है। पूर्व मंत्री मोइद्दीन सहित कई मंत्रियों के खिलाफ ED को सबूत मिले हैं।

अब इस मामले में सामने आया है कि घोटाले के मुख्य आरोपित सतीश कुमार ने बैंक के बोर्ड में शामिल सीपीएम नेताओं की मदद से बैंक से पैसा निकालकर अन्य बैंकों में जमा किया था। इन पैसों को रखने के लिए सतीश ने दूसरे बैंकों में खाते खुलवाए थे। कॉन्ग्रेस विधायक शफ़ी पराम्बिल ने बताया था कि यह घोटाला 350 करोड़ रुपए का है।

इस मामले में मुख्य आरोपित सतीश के सीपीएम नेताओं के साथ कॉल डिटेल सामने आए हैं। उसने मनी लॉन्ड्रिंग में बैंककर्मियों और दलालों सहित कम से 20 लोगों का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही सतीश ने विभिन्न खातों में लगभग 40 करोड़ रुपए के लेन देन किए थे। उन्हें ईडी ने सील कर दिया है। ये 5 बैंक अकाउंट सतीश और उसके परिजनों के हैं।

क्या है घोटाले का पूरा मामला?

पूरा मामला केरल के त्रिसूर जिले की करुवन्नुर सहकारी बैंक से जुड़ा हुआ है। इस बैंक के गवर्निंग बोर्ड पर पिछले लगभग 4 दशकों से सीपीएम के नेताओं का कब्ज़ा है। बैंक में वित्तीय घोटाले का तब खुलासा हुआ, जब वर्ष 2020 के आसपास बैंक से लोन लेने वाले लोगों को नोटिस आने चालू हुए।

ऐसे लोगों को भी रिकवरी के नोटिस भेजे गए, जिनके लोन पूरी तरह जमा हो चुके थे या जो लगातार अपनी किश्तें जमा कर रहे थे। इसको देखते हुए बैंक का ऑडिट किया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बाद में यह खुलासा हुआ कि बैंक के कर्मचारियों ने बैंक के सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ करके फर्जी लोन लिए।

इन लोन को लेने के लिए अन्य ग्राहकों की जमीन एवं संपत्तियों को गांरटी के तौर पर बैंक में इस्तेमाल किया गया। इसके लिए फर्जी हस्ताक्षर आदि भी बनाए गए। बैंक से लोन के रूप में लिए गए इस पैसे जमीनें खरीदी गईं और बिल्डिंगों का निर्माण किया गया। यह भी सामने आया कि बैंक से लिए गए पैसे को सूदखोरी में इस्तेमाल किया गया।

बैंक घोटाले में सीपीएम के नेता शामिल?

इस खुलासे के बाद मामला जुलाई 2021 में प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा गया। इसके बाद से लगातार नई जानकारियाँ सामने आ रही हैं। ईडी द्वारा जाँच शुरू करने के बाद से अब तक इसमें मुख्य आरोपित वी सतीश कुमार के अलावा सीपीएम के विधायक एसी मोइदीन से पूछताछ की जा चुकी है। वह सीपीएम सरकार में मंत्री भी रहे हैं।

मोइद्दीन कई बार पूछताछ को टालते आए। उनके ठिकानों पर ईडी कई बार छापे भी मार चुकी है। इस घोटाले में सीपीएम के कई बड़े नेताओं के नाम जुड़े हैं। जाँच में यह तक सामने आया कि राज्य कि क्राइम ब्रांच ने बड़े नेताओं का नाम छुपा लिया। घोटाले के मुख्य आरोपित सतीश कुमार के जिले के सीपीएम नेताओं से करीबी सम्बन्ध थे।

सीपीएम विधायक मोइद्दीन (चित्रसाभार: रिपोर्टर लाइव)
सीपीएम विधायक मोइद्दीन (चित्रसाभार: रिपोर्टर लाइव)

क्या क्या हुए खुलासे?

बैंक से निकाले गए पैसे के विषय में किए गए खुलासे चौंकाने वाले हैं। इस घोटाले में सिर्फ फर्जी लोन ही नहीं बाँटे गए, बल्कि अन्य ग्राहकों के ब्याज दरों में भी छेड़छाड़ की गई। बेनामी संपत्तियाँ खरीदी गईं। यह भी जानकारी सामने आई है कि घोटाले का मुख्य आरोपित सतीश कुमार बहरीन में अपनी सुपर मार्केट और ऑटो पार्ट के स्टोर चलाता है। उसकी सहायता से उसने बैंक में विदेशी मुद्रा सम्बंधित लेनदेन भी किया।

ईडी जाँच में यह भी सामने आया कि सतीश कुमार की सीपीएम नेताओं से लगातार बात होती आई है। इसके लिए जुटाए गए कॉल रिकॉर्ड सबसे अहम् हैं। इस मामले में सतीश को सीपीएम के नेताओं का नजदीकी बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सतीश ने इन नेताओं के लिए बैंक में घोटाला किया, जबकि पीपी किरन नाम का एक व्यक्ति इस मामले में दलाल था, जिसने यह सारी कार्यवाही करने में मदद की।

मोइद्दीन के अलावा एक अन्य सीपीएम नेता पीके बीजू का भी नाम इस घोटाले में जोड़ा जा रहा है। इसको लेकर कॉन्ग्रेस ने आरोप भी जड़े हैं। घोटाले की इन सभी खबरों के बाहर आने से बैंक के जमाकर्ताओं का विश्वास टूट चूका है और लोग अपनी पूँजी बैंक से निकाल रहे हैं, जबकि सीपीएम लगातार अपने नेताओं को बचाने में जुटी है।

यह भी पढ़ें: मंदिर पर भगवा झंडा लगाने की अनुमति देने से केरल हाई कोर्ट का इनकार, कहा- राजनीति के लिए नहीं हो सकता मंदिरों का इस्तेमाल

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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