Friday, May 16, 2025
Homeदेश-समाजरेप की कोशिश और हत्या के मामले में मौत की सजा का इंतजार कर...

रेप की कोशिश और हत्या के मामले में मौत की सजा का इंतजार कर रहा था शख्स: हाई कोर्ट ने निर्दोष बता किया रिहा, 11 साल जेल के लिए दिया ₹5 लाख का मुआवजा

कोर्ट ने कहा कि किसी आदमी को भारतीय संविधान द्वारा दिए गए जीने के अधिकार केवल एक आधी अधूरी जाँच और फिर बिना सबूतों को देखे दिए गए फैसले के आधार पर नहीं छीना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों से जनता का विश्वास व्यवस्था में घटता है।

केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में मौत की सजा पा चुके एक व्यक्ति को मुक्त कर दिया। वह 2013 से ही जेल में बंद था और 11 वर्षों की सजा काट चुका था। उसे निचली अदालत ने 2018 में मौत की सजा तक सुना दी थी। कोर्ट ने उसे ₹5 लाख का मुआवजा भी दिया है और कहा है कि उसके खिलाफ जाँच ढंग से नहीं हुई।

केरल हाई कोर्ट की जस्टिस नाम्बियार और जस्टिस स्याम कुमार की एक बेंच ने यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की गड़बड़ जाँच इस तरफ इशारा करती है कि अभियुक्त गिरीश कुमार को झूठे तरीके से इस केस में फंसाया गया हो। कोर्ट ने जाँच वाले पहलू को गंभीरता से लिया।

कोर्ट ने कहा, “निचली अदालत के सामने इस व्यक्ति को IPC की किसी भी धारा के तहत दोषी ठहराने के लिए कोई भी सबूत नहीं था जैसा उस पर आरोप लगाया गया था, उसे धारा 302 के तहत मौत की देना तो दूर की बात थी।” कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा देते वक्त निचली अदालत ने गंभीरतम में भी गंभीर अपराध का मानक नहीं देखा।

कोर्ट ने कहा कि किसी आदमी को भारतीय संविधान द्वारा दिए गए जीने के अधिकार केवल एक आधी अधूरी जाँच और फिर बिना सबूतों को देखे दिए गए फैसले के आधार पर नहीं छीना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों से जनता का विश्वास व्यवस्था में घटता है।

कोर्ट ने इसी के साथ गिरीश कुमार को रिहा कर दिया और 11 वर्षों तक उसे जेल में रहने के कारण हुई पीड़ा को देखते हुए ₹5 लाख का मुआवजा भी दिए जाने का आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य की तरफ से दलीलों को नहीं माना और निचली अदालत का मौत की सजा देने का निर्णय पलट दिया।

मौत की सजा पाने वाले इस व्यक्ति गिरीश कुमार को 2013 में कोल्लम में एक महिला के घर में घुस कर उसे मारने का आरोप था। उस पर आरोप लगाया गया था कि वह महिला के घर में उसे मारने और उसका रेप करने की नीयत से घुसा था। उस पर ₹6 लाख की चोरी का भी आरोप था।

इसे इसके बाद गिरफ्तार करके 2015 में मामला चलाना चालू किया गया था। 2018 में उसे मामले की सुनवाई पूरा करके दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। उसने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी। उसे मौत की सजा देने वाली निचली अदालत ने भी अपना निर्णय हाई कोर्ट को भेजा था।

हाई कोर्ट ने कहा कि उसने जेल के भीतर बिना किसी अपराध किए ही इतने दिन गुजार दिए और इसमें लंबा समय उसके सर पर मौत की तलवार लहराती रही। हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करके उसे निर्दोष करार दिया है और रिहा कर दिया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कश्मीर में झेलम के अधूरे तुलबुल प्रोजेक्ट को लेकर भिड़े उमर अब्दुल्ला और महबूबा, खेलने लगे ‘इस पार और उस पार’ का खेल: सिंधु...

उमर अब्दुल्ला ने महबूबा के आरोपों को 'सस्ता प्रचार' करार देते हुए कहा कि वह बहस को 'गटर' के स्तर पर नहीं ले जाएँगे।

’43 रोहिंग्या औरतों-बच्चों-बुजुर्गों को समंदर में फेंक दिया’: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- किसने देखा, कहाँ है सबूत? वकील से कहा- देश में इतना कुछ...

जस्टिस सूर्या कांत ने वकील से सख्त लहजे में कहा, "हर दिन आप नई-नई कहानी लेकर आते हैं। इस कहानी का आधार क्या है? कोई सबूत तो दिखाइए।"
- विज्ञापन -