Thursday, May 2, 2024
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छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान, माँ सीता को अपशब्द… महाराष्ट्र के सतारा में यूँ ही नहीं हुआ था बवाल, हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान ‘ईशनिंदा’ नहीं?

इसका सबूत इस मामले में हिंदुओं की तरफ से दर्ज कराई गई दो एफआईआर हैं, जो कुछ स्थानीय लोगों ने आरोपित मुस्लिमों की अपमानजनक टिप्पणियाँ पोस्ट करने के बाद दर्ज कराई थी। कोई भी हिंदू सीधे सिर तन से जुदा करने नहीं निकला था। हालाँकि, गाँव में हिंसा भड़क उठी, जिसमें अज्ञात उन्मादी भीड़ ने गाँव में कानून व्यवस्था के हालात को बिगाड़ दिया और इससे एक शख्स की की मौत हो गई।

(यह लेख किसी भी तरह की हिंसा को सही ठहराने या बढ़ावा देने के लिए नहीं है। यह केवल उन तथ्यों को बताने के लिए है कि महाराष्ट्र के सतारा जिले में हाल ही में हुई हिंसा की वजह क्या थी)

महाराष्ट्र में सतारा जिले के पुसेसावली गाँव में हुई हिंसा से क्षेत्र में दहशत फैल गई है और कानून-व्यवस्था के हालात बिगड़ गए हैं। यह हिंसा 10 सितंबर 2023 की रात को शुरू हुई और अगले दिन भी जारी रही। इस दौरान गुस्साई भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने कई स्थानीय लोगों की दुकानों और घरों में आग लगा दी थी।

भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने लगभग 16-17 लोगों को चोटें पहुँचाई हैं। पुलिस ने घटना का संज्ञान लेकर 28 नामजद और 100 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया है। इस मामले में कुल चार मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनकी प्रतियाँ ऑपइंडिया को मिली हैं। यहाँ हम आपको यहाँ बताने जा रहे है कि इसकी असली वजह क्या थी?

हिंसा किस वजह से भड़की?

मीडिया में आई कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि रविवार 10 सितंबर को पुसेसावली गाँव में हिंसा के दौरान और उसके बाद क्या हुआ। हम इस रिपोर्ट में बताएँगे कि उस क्षेत्र में पहली बार हिंसा किस वजह से शुरू हुई, जिसकी वजह से अल्पसंख्यक समुदाय के एक शख्स की मौत हो गई। सतारा के डीएसपी ने ऑपइंडिया से इस बात की पुष्टि की है।

फोटो खास तौर पर ऑपइंडिया ने प्राप्त की है

ऐसा कहा जा रहा है कि ये सब 18 अगस्त को शुरू हुआ। सतारा के औंध पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी के धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने का इरादा) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई थी।

इस शिकायत में जिक्र किया गया कि पुसेसावली के आदिल बागवान और एक अन्य शख्स, जिसका इंस्टाग्राम आईडी ‘officialsaffu80’ है, ने सोशल मीडिया पर भगवान राम और देवी सीता के बारे में अपमानजनक टिप्पणियाँ पोस्ट की थीं।

ऑप इंडिया की प्राप्त की गई एफआईआर की कॉपी

इसमें देवी सीता को गलत बताते हुए और रावण द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार करने की बात कहते हुए उन पर अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। यह टिप्पणी मोटे तौर पर हिंदी में ‘यह सनातन धर्म की पहचान है’ पढ़ी गई। इस टिप्पणी से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएँ आहत हुई थीं और सनातन धर्म का अपमान हुआ था।

स्थानीय हिंदुओं ने इस घटना का संज्ञान लिया और पुसेसावली के आदिल और इंस्टाग्राम अकाउंट आईडी ‘officialsaffu80’ वाले एक अन्य शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। शिकायत में साफ जिक्र किया गया कि आरोपितों ने गाँव में सांप्रदायिक तनाव और हिंदू एवं मुस्लिम समुदायों के बीच खाई पैदा करने की जानबूझकर ये कोशिश की थी।

आरोपित मुस्लिमों की अपमानजनक पोस्ट का सिलसिला रहा जारी

इसके बाद 10 सितंबर को अल्तमश बागवान ने अपनी इंस्टाग्राम आईडी ‘al.tamash2069’ से सोशल मीडिया पर एक अपमानजनक टिप्पणी पोस्ट की। इसमें भी देवी सीता का अपमान किया गया था। इस भयानक टिप्पणी ने कट्टर मुस्लिमों की मानसिकता की पोल खोल कर रख दी कि वो भारत में इस्लाम का राज कायम करने को किस तरह बेताब हैं।

फोटो खास तौर पर ऑपइंडिया ने प्राप्त की है

इसके अलावा एक शख्स मुज़्ज़मिल बागवान ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इस टिप्पणी में महाराष्ट्र के गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज को कायर कहा गया था। इससे आहत होकर स्थानीय ग्रामीणों ने अल्तमश और मुज्जमिल के खिलाफ IPC की धारा 153ए और 295ए के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

10 सितंबर को झड़प एक की मौत

सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर 10 सितंबर को पुसेगांव क्षेत्र में झड़पें हुईं। इसमें एक शख्स की मौत हो गई। सतारा पुलिस ने छत्रपति शिवाजी महाराज और माता सीता का अपमान करने वाली आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले आरोपितों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

इस बीच, एक स्थानीय दैनिक अखबार तरुण भारत के पत्रकारों में से एक सरफराज ने तीसरी शिकायत दर्ज की। इसमें 28 लोगों के साथ ही 100 अन्य अज्ञात लोगों पर गाँव में हिंसा पैदा करने का आरोप लगाया गया।

ऑपइंडिया द्वारा प्राप्त की गई एफआईआर की कॉपी

आईपीसी की धारा 302, 307, 324, 141, 143, 147, 148, 149, 427, 435, 449 और 450 के तहत ये शिकायत दर्ज की गई। इसमें शिकायतकर्ता ने कहा कि 28 लोग इलाके में मस्जिद के पास इकट्ठा हुए थे और कथित तौर पर उन्होंने मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए आए अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर हमला किया था।

इस शिकायत में यह भी कहा गया कि भीड़ ने लाठी, डंडों और पत्थरों से हमला किया और मस्जिद के पास के इलाके में खड़े वाहनों में आग लगा दी। शिकायत में इस बात का भी जिक्र है कि भीड़ ने पुलिस जीपों पर हमला किया और गाँव के अंदर कानून व्यवस्था बदहाल कर डाली।

इस हिंसा के दौरान 32 साल के नुरुल हसन लियाकत शिकलगर की जान चली गई। इस मामले में शिकायत के आधार पर पुलिस ने 23 संदिग्धों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। पुलिस ने मामले की जाँच के लिए इनकी 7 दिन की पुलिस हिरासत की माँग भी की।

वकील की दलील – संदिग्धों का घटना से नहीं था कोई लेना-देना

अदालत को बताया गया 23 संदिग्धों को पुलिस ने केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया था और प्रथम दृष्ट्या संदिग्धों अपराध में किसी भी तरह की संलिप्तता सामने नहीं आई है। संदिग्धों के वकील ने अदालत में दलील दी कि आरोपित आदतन अपराधी नहीं हैं और मौजूदा अपराध को लेकर उनसे कुछ भी बरामद नहीं किया गया है।

आरोपित पुसेसावली के रहने वाले हैं और वे 10 सितंबर की रात को क्या हुआ था, केवल ये देखने के लिए घटनास्थल पर गए थे। वकील ने कहा कि वो मस्जिद में नहीं गए थे और न ही उनको कथित अपराध से जोड़ा जा सकता है। हालाँकि कोर्ट ने फैसला सुनाया कि इस घटना से लगभग 5000 घरों वाले गाँव में संपत्ति और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुँचा है। कोर्ट ने संदिग्धों की चार दिनों की पुलिस हिरासत का आदेश दिया।

जिला प्रशासन ने सोमवार (1) तड़के से ही जिले में इंटरनेट बंद कर दिया था। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लागू की थी। बताया जाता है कि पुलिस ने घटना में दर्ज तीसरी पुलिस शिकायत के आधार पर 15 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है।

पैंगबर का अपमान गलत तो हिंदू देवी-देवताओं का अपमान कैसे सही?

हमारा ये लेख किसी भी तरह की हिंसा को जायज ठहराने और बढ़ावा देने के लिए नहीं है, लेकिन हाल में सतारा में हुई हिंसा को लेकर साफ तथ्यों और वजहों को लेकर है। मुख्यधारा की मीडिया रिपोर्टों में जोर-शोर से इस बात का जिक्र किया गया कि हिंसा की वजह कुछ ‘कथित’ अपमानजनक, आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट रही।

इनमें दावा किया गया कि युवक की मौत हिंसा में एक “ऐतिहासिक शख्सियत और पौराणिक चरित्र” के बारे में एक ‘आपत्तिजनक’ पोस्ट को लेकर हुई। यहाँ ये बात गौर करने लायक है कि भगवान राम और देवी सीता हिंदुओं के पूज्य हैं, लेकिन पक्के तौर पर वो पौराणिक पात्र नहीं हैं जैसा कि मेन स्ट्रीम मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है।

हिंदू देवी-देवताओं और महाराष्ट्र के गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान करना ईशनिंदा से कम नहीं है। जब दुनिया भर में इस्लामवादी ईशनिंदा पर कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने वाले शख्स की मौत की माँग करते हैं।

उन्होंने इसे लेकर पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा, कमलेश तिवारी, महाशय राजपाल, किशन भरवाड, हर्ष, श्रीलंकाई के प्रियंता कुमारा, कन्हैया लाल के मामले में ऐसा किया है और इसमें दो राय नहीं की ये लिस्ट बढ़ती रहेगी। यदि पैगंबर मुहम्मद का अपमान करना पाप माना है तो हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करना पाप है। यह एक अनैतिक काम है और इसकी भी देश और दुनिया भर में निंदा की जानी चाहिए।

इस्लामवादियों का दावा है कि इस्लाम शांति का धर्म है, लेकिन हिंदू धर्म है तो सबसे शांतिपूर्ण धर्म है, क्योंकि यह हिंदू देवताओं के अपमान पर भी ‘सर तन से जुदा’ की माँग नहीं करता है बल्कि न्याय पाने के लिए कानून की मदद लेता है।

इसका सबूत इस मामले में हिंदुओं की तरफ से दर्ज कराई गई दो एफआईआर हैं, जो कुछ स्थानीय लोगों ने आरोपित मुस्लिमों की अपमानजनक टिप्पणियाँ पोस्ट करने के बाद दर्ज कराई थी। कोई भी हिंदू सीधे सिर तन से जुदा करने नहीं निकला था। हालाँकि, गाँव में हिंसा भड़क उठी, जिसमें अज्ञात उन्मादी भीड़ ने गाँव में कानून व्यवस्था के हालात को बिगाड़ दिया और इससे एक शख्स की की मौत हो गई।

बताया गया कि भीड़ में से कुछ अज्ञात लोगों ने स्थानीय ग्रामीणों के घरों और दुकानों में भी आग लगा दी। इसे लेकर पुलिस 23 संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, लेकिन उनके वकील ने कहा था कि वो लोग सिर्फ यह देखने के लिए घटनास्थल पर गए थे कि 10 सितंबर की रात को क्या हुआ था।

स्थानीय लोगों का दावा न्याय के लिए लिया था कानून का सहारा

स्थानीय लोगों ने ऑपइंडिया से इस बातचीत में कहा कि लोगों ने न्याय पाने का कानूनी तरीका अपनाया गया था। उनका कहना है कि मुसलमानों ने हमला किया। उन्होंने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि 18 अगस्त को देवी सीता का अपमान करने वाली पहली पोस्ट वायरल होने के बाद से क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा था।

इसके बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की माँग को लेकर पुलिस की मौजूदगी में एक छोटा सा विरोध प्रदर्शन भी किया। पुलिस ने स्थानीय लोगों को आश्वासन दिया की कि ऐसी कोई घटना दोबारा नहीं होगी।

हालाँकि, लगभग 10 दिनों के अंतराल के अंदर ही एक पोस्ट सोशल मीडिया पर छत्रपति शिवाजी महाराज और देवी सीता का अपमान को लेकर की गई। स्थानीय लोगों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस बार भी एक पुलिस शिकायत दर्ज की गई।

इस बीच एक दूसरे स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि घटना के दिन कुछ पत्रकारों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस को यह नहीं बताया कि मुस्लिमों की भीड़ ने भी हमला किया था। उन्होंने कहा, “कुछ भी एकतरफा नहीं है।

कथित तौर पर, पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 353 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 के तहत एक और प्राथमिकी दर्ज की है। 15 अन्य गिरफ्तारियाँ भी की गई हैं। इलाके में शांति कायम रहे इसके लिए गाँव में पुलिस की गश्त जारी है। इंटरनेट और अन्य सेवाएँ बहाल कर दी गई हैं। आगे की जाँच चल रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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