Thursday, March 28, 2024
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रामभक्त गुलशन नाम, फेसबुक ID, पत्रकार, नारे, गोली… कितना आसान है ये सब! सवाल बहुत हैं!

पूरा स्टेज तैयार है… पुलिस फोर्स जमा है… पत्रकार कैमरा लेकर तैयार खड़े हुए हैं… पिस्टल के सामने पत्रकार हैं। सीधे गोली चलती है और शादाब को लगती है। मानो ये वास्कोडिगामा की गन है, जिससे नाम लेकर गोली चलाई गई हो!

पुलिस की मौजूदगी में सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में एक युवक हथियार लेकर जाता है और फिर मीडिया कर्मियों के कैमरे को देखते हुए हाथ में पिस्तौल लहराए पुलिस की ओर उल्टे कदम बढ़ता चला जाता है। इसके बाद यह कहते हुए गोली चला देता है कि ‘तुमको आज़ादी चाहिए… ये लो आज़ादी’। यह सब कितना आसान हो गया है… क्योंकि यह सब सुनियोजित तरीके से किया जाता है।

आप वह वीडियो देखिए और खुद ही समझिए… बीते दिनों शाहीन बाग के सरगना शरजील इमाम को बिहार से गिरफ्तार किया जाता है। इसके बाद हुई पुलिस पूछताछ में वह अपनी गिरफ्तारी पर कोई अफ़सोस नहीं जताते हुए कहता है कि वह भारत को इस्लामिक देश बनाना चाहता है।

अब इसके बाद गुरुवार को मौका था महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर जामिया से लेकर राजघाट तक सीएए के विरोध मार्च निकालने का। इस मार्च में कुछ युवा इकट्ठा होते हैं। इसी के साथ भारी पुलिस फोर्स और मीडियाकर्मियों की मौजूदगी होती है। इसी बीच कुछ ऐसा होता है, जो दिखाई तो सभी को देता है, लेकिन समझ में हर किसी को नहीं आता।

सड़क पर एक लड़का अचानक से हाथ में पिस्टल लेकर रोड पर लहराने लगता है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि सीधे रोड पर आते ही छात्र ने मीडियाकर्मियों के कैमरे की ओर देखते पिस्टल को ताना और उल्टे कदम पुलिस की ओर बढ़ता रहा। सोचने वाली वात यह भी कि छात्र के सीधे पिस्तौल तानने के बाद कोई भी सामने से पीछे नहीं हटा और बेखौफ एक मीडियाकर्मी उससे पूछता है तुम्हारा नाम क्या है? तो जवाब मिलता है रामभक्त गुलशन (बदला हुआ नाम)

एक दूसरे वीडियो में एक चश्मदीद यह कहते हुए सुनाई पड़ता है कि छात्र बोल रहा है, ‘दिल्ली पुलिस ज़िंदाबाद, हिंदुस्तान ज़िंदाबाद…’ यहाँ तक कि उसने ‘जय श्री राम’ का भी नारा लगाया। वहीं अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक एक चश्मदीद ने बताया कि लड़के ने पूछा कि ‘तुमको आज़ादी चाहिए?’ इसके बाद उसने गोली चलाई और कहा… ‘ये लो आज़ादी’। इसके बाद ही पुलिस द्वारा छात्र को गिरफ्तार कर लिया जाता है।

पिस्टल के सामने बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी कैमरा लिया कवरेज कर रहे हैं। इसी बीच सीधे गोली चलती है और वह सीधे शादाब नाम के मुस्लिम छात्र के लगती है। मानो ये वास्कोडिगामा की गन है, जिससे नाम लेकर गोली चलाई गई हो! अब आप गौर करिए सब कुछ कितनी आसानी से खिचड़ी पकाई जाती है। पूरा स्टेज तैयार है… पुलिस फोर्स जमा है… पत्रकार मार्च निकलने से पहले ही कैमरा लेकर तैयार खड़े हुए हैं… और कहने को पदयात्रा की तैयारी चल रही है।

पत्रकार नहीं भागते, वो पुलिस से सवाल पूछ रहे हैं कि वो कुछ क्यों नहीं कर रहे? पुलिस किसी भी गोली चलाने वाले से बचेगी ही, वो उसके कट्टे की एक गोली ख़त्म होने का इंतज़ार कर रही थी क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि गोली कहाँ और किसे लग सकती है। मीडिया वालों को शायद पता था इसलिए वो पिस्तौल की ही तरफ बढ़ रहे थे। ये सब सहजता से हो गया क्योंकि मीडिया को मौका मिल सके ‘गांधीजी की पुण्यतिथि पर दूसरा गोडसे पैदा’ करके खबर चलाने का। इसके बाद पत्रकारों की एक लॉबी को संघी आतंकी, नया गोडसे, मासूम शादाब को गोली मारने जैसी बातों को लेकर सरकार और दक्षिणपंथियों पर निशाना साधने का मौका मिला सके।

खैर, अब आप इस लड़के के बारे में भी जान लीजिए। आरोपित की पहचान गुलशन के रूप में हुई है, जो कि ग्रेटर नोएडा के जेवर का रहने वाला है। शख्स ने रामभक्त गुलशन के नाम से फेसबुक पर आईडी बनाई हुई है, जिसमें जनवरी से ही लगातार पोस्ट की जा रही हैं और इन सभी पोस्टों में ‘हिंदू खतरे में है’, इस तरह से प्रदर्शित किया गया है। वहीं पिछले वर्ष अक्टूबर माह में इसके कवर पेज को बदला गया था। इतना ही नहीं, इसमें गौर करने वाली बात यह है कि शख्स ने अपनी आईडी से एजाज़ ख़ान और भीम आर्मी का शेर जैसे पेजों को लाईक किया हुआ है। और, ताज़ा समाचार मिलने तक वो ID डिलीट कर दी गई है, और नई सामने आ गई।

फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि युवक कुछ समय से इस घटना को अंजाम देने की तैयारी में लगा हुआ था, जिसने लगातार कई तरह की पहले तो पोस्ट की और फिर फेसबुक पर लाईव भी आया था। उसने अपनी प्रोफाइल पर एक फोटो पोस्ट की, जिसमें कैप्शन लिखा हुआ है, ‘चंदन भाई ये बदला आपके लिए’। ये वही कासगंज के चंदन गुप्ता हैं जिनकी तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा के दौरान मौत हो गई थी।

वहीं जो छात्र हमले में घायल हुआ है उसकी पहचान जामिया के मास कॉम के छात्र शादाब आलम के रूप में हुई है। अब पुलिस इस पूछताछ में जुटी है कि शख्स पैदल मार्च में हथियार लेकर क्यों आया था और इस तरह घटना को अंजाम देने के पीछे उसका उद्देश्य क्या था। हालाँकि, घटना के चंद घंटों बाद ही फेसबुक प्रोफाइल को डिलीट कर देना यह साबित करता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका नहीं पूरा बाँस है।

अपडेट: नई सूचनाओं के आने से हमें पता चला है कि जामिया में गोली चलाने का आरोपित नाबालिग है, अतः सम्बद्ध कानूनों के अनुसार उसका नाम बदल दिया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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