Saturday, April 20, 2024
Homeदेश-समाजका वर्षा जब कृषि सुखाने: फार्म लॉ की वापसी के बाद सुप्रीम कोर्ट...

का वर्षा जब कृषि सुखाने: फार्म लॉ की वापसी के बाद सुप्रीम कोर्ट पैनल की रिपोर्ट जारी, बताया- 73 में से 61 किसान संगठन कानून समर्थक

घनवटे ने कहा कि कानूनों को निरस्त करके नरेंद्र मोदी सरकार (PM Narendra Modi) ने बड़ी राजनीतिक भूल की है। घनवटे ने माना है कि इस रिपोर्ट से किसानों को कृषि कानूनों के लाभ के बारे में समझाया जा सकता था और इनको रद्द होने से रोका जा सकता था।

कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमिटी के सदस्य अनिल घनवटे (Anil Ghanwate) ने सीलबंद रिपोर्ट को सोमवार (21 मार्च 2022) को सार्वजनिक कर दिया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि देश भर के 86 फीसदी किसान संगठन सरकार के तीनों कृषि कानूनों से खुश थे। ये किसान संगठन करीब 3 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

यह रिपोर्ट तब आई है जब कृषि कानूनों के वापसी के भी 5 महीने बीत चुके हैं। ऐसे कहा जा रहा है कि का वर्षा जब कृषि सुखाने। आपको याद होगा जब कथित किसान संगठनों ने दिल्ली को घेर रखा था, हिंसा-हुड़दंग की खबरें लगातार आ रही थी तब कई लोगों ने इस मामले में दो टूक फैसले नहीं लेने पर सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी।

हालाँकि, अब इस रिपोर्ट की उतनी प्रासंगिकता नहीं रह गई है। इन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में कुछ किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया था।

बता दें कि यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल 21 मार्च को सीलबंद लिफाफे में जमा कर दी गई थी लेकिन इस रिपोर्ट में क्या थी, इसके बारे में लोगों को पता नहीं था। सोमवार को कमिटी के एक सदस्य अनिल घनवटे ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दी। अनिल घनवटे ने कहा, “19 मार्च, 2021 को हमने सर्वोच्च न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी। हमने शीर्ष अदालत को तीन बार पत्र लिखकर रिपोर्ट जारी करने का अनुरोध किया। लेकिन हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।” आगे उन्होंने कहा, “मैं आज यह रिपोर्ट जारी कर रहा हूँ। तीन कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। इसलिए अब कोई प्रासंगिकता नहीं है।” उनके मुताबिक, रिपोर्ट भविष्य में कृषि क्षेत्र के लिए नीतियाँ बनाने में मदद करेगी।

घनवटे ने कहा कि कानूनों को निरस्त करके नरेंद्र मोदी सरकार (PM Narendra Modi) ने बड़ी राजनीतिक भूल की है। घनवटे ने माना है कि इस रिपोर्ट से किसानों को कृषि कानूनों के लाभ के बारे में समझाया जा सकता था और इनको रद्द होने से रोका जा सकता था।

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी 2021 को किसान आंदोलन को लेकर एक कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी में कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी और अनिल घनवटे शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्यीय टीम बनाई थी, लेकिन किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने इससे खुद को अलग कर लिया था।

कानून को रद्द न करने की सिफारिश

घनवटे के मुताबिक सीलबंद रिपोर्ट में भी कृषि कानूनों को रद्द न करने की सलाह दी थी। घनवट ने कहा है कि इन कृषि कानूनों को रद्द करना या लंबे समय तक लागू न करना उन लोगों की भावनाओं के खिलाफ है जो इसका मौन समर्थन करते हैं। घनवटे में कहा कि इस रिपोर्ट को तैयार करने से पहले कमेटी के सामने जो 73 कृषि संगठन से बातचीत हुई थी। ये देश के साढ़े 3 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से 61 किसान संगठनों ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का समर्थन किया था।

अधिकांश आंदोलनकारी किसान पंजाब और उत्तर भारत से आए थे, जहाँ के लिए MSP एक महत्वपूर्ण पहलू है। लेकिन इन किसानों को वामपंथी नेताओं ने गुमराह किया। साथ ही ये भी भ्रम फैलाया कि इससे MSP खत्म हो जाएगा। जबकि कानून में कुछ भी ऐसा नहीं था। अनिल घनवटे ने कहा कि उत्तर भारत के जिन किसानों में कृषि कानूनों को लागू नहीं होने दिया उन्होंने खुद की आय को बढ़ाने का मौका खो दिया।

विरोध के बाद मोदी सरकार ने वापस लिया था कानून

मालूम हो कि केंद्र की मोदी सरकार ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया था। उन्होंने देश को संबोधित करते हुए आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर लौटने का आग्रह किया था। साथ ही पीएम ने यह भी कहा था कि किसानों के एक वर्ग को इन कानूनों के बारे में नहीं समझा पाने के लिए देश से माफी माँगते हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘PM मोदी की गारंटी पर देश को भरोसा, संविधान में बदलाव का कोई इरादा नहीं’: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- ‘सेक्युलर’ शब्द हटाने...

अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी ने जीएसटी लागू की, 370 खत्म की, राममंदिर का उद्घाटन हुआ, ट्रिपल तलाक खत्म हुआ, वन रैंक वन पेंशन लागू की।

लोकसभा चुनाव 2024: पहले चरण में 60+ प्रतिशत मतदान, हिंसा के बीच सबसे अधिक 77.57% बंगाल में वोटिंग, 1625 प्रत्याशियों की किस्मत EVM में...

पहले चरण के मतदान में राज्यों के हिसाब से 102 सीटों पर शाम 7 बजे तक कुल 60.03% मतदान हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश में 57.61 प्रतिशत, उत्तराखंड में 53.64 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe