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Friday, April 11, 2025
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नोटों से भरे अधजले बोरे, 25 पन्नों की रिपोर्ट, कोर्ट के काम से छुट्टी… जस्टिस यशवंत वर्मा के घर का सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया Video, जाँच के लिए 3 जजों की समिति CJI ने बनाई

दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने इन आरोपों से इनकार करते हुए अपने जवाब में आगे कहा, "यह एक ऐसा कमरा है जो मेरे रहने के क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है और एक चारदीवारी मेरे रहने के क्षेत्र को उस आउटहाउस से अलग करती है। मैं केवल यही चाहता हूँ कि मीडिया ने मुझ पर अभियोग लगाने और प्रेस में बदनाम होने से पहले कुछ जाँच की होती।"

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (22 मार्च 2025) को दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर मिले बेहिसाब नोटों का फोटो और वीडियो अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। वीडियो में नकदी से भरे हुए बोरे जले दिखाई देते हैं। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जाँच रिपोर्ट और आरोपित जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब को भी अपलोड किया गया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने जाँच के लिए 3 सदस्यीय कमिटी गठित की है।

दरअसल, होली की छुट्टी में जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लग गई थी। उस समय जस्टिस वर्मा शहर से बाहर गए हुए थे। परिजनों ने आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को सूचित किया था। अग्निशमन कर्मियों ने आग पर काबू भी पा लिया। राहत एवं बचाव के दौरान अग्निशमन कर्मियों ने एक कमरे में भारी मात्रा में रखी गई नकदी देखी। कहा जा रहा है कि आग भी इस नकदी में ही लगी थी।

जस्टिस उपाध्याय की जाँच रिपोर्ट में क्या है?

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय द्वारा दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घटना 14 मार्च की रात 11:30 बजे स्टोर रूम में हुई थी। स्टोर रूम में जस्टिस वर्मा के बंगले में रहने वालों के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं थी। घटना के अगले दिन 15 मार्च को शाम करीब 4:50 बजे दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने आग के बारे दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को सूचित किया।

इसके बाद मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के साथ घटनास्थल का दौरा किया और वहाँ जस्टिस वर्मा से भी मुलाकात की। इस दौरे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई। जस्टिस उपाध्याय को दिल्ली पुलिस कमिश्नर से पता चला कि आग के बारे में पीसीआर कॉल जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने की थी। जस्टिस वर्मा के नौकरों ने इस आग के बारे में उन्हें जानकारी दी थी।

जस्टिस उपाध्याय ने इस घटना के बारे में CJI संजीव खन्ना को बताया और उसके अगले दिन 16 मार्च को जस्टिस वर्मा से बात की। जस्टिस वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि उस कमरे में नौकर, माली और कभी-कभी सीपीडब्ल्यूडी कर्मी रहते थे। जब मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें पुलिस आयुक्त द्वारा भेजी गई व्हाट्सएप तस्वीरें दिखाईं तो न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका व्यक्त की।

CJI संजीव खन्ना द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस उपाध्याय को लिखा गया पत्र (साभार: लाइव लॉ)

इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को 25 पन्नों की अपनी रिपोर्ट भेज दी। इस रिपोर्ट में जस्टिस उपाध्याय ने कहा कि मामले की गहन जाँच की जरूरत है। रिपोर्ट मिलते ही CJI खन्ना ने 21 मार्च को जस्टिस उपाध्याय से कहा कि वे जस्टिस वर्मा से इस अघोषित नकदी के स्रोत और जली हुई नकदी को हटाने वाले व्यक्ति के बारे में जवाब माँगे।

इसके साथ ही उन्होंने जस्टिस उपाध्याय से कहा कि वे जस्टिस वर्मा को कहें कि वे अपने फोन को नष्ट या फेंके नहीं और ना ही अपने मोबाइल फोन से कोई भी मोबाइल नंबर, मैसेज या डेटा डिलीट करें। जस्टिस उपाध्याय ने CJI के इन निर्देश को जस्टिस वर्मा के पास पहुँचा दिया। हालाँकि, जस्टिस वर्मा ने अघोषित भारी नकदी से संबंधित सभी आरोपों से इनकार कर दिया।

जस्टिस वर्मा ने आरोपों से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए जस्टिस वर्मा के जवाब में इन आरोपों से इनकार किया गया है। जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी, वह उनका आधिकारिक आवास का कमरा नहीं है। यह स्टोररूम है और मुख्य आवास से अलग है। उन्होंने स्टोर रूम में किसी भी तरह की और कभी भी नकदी रखे जाने की बात से भी साफ इनकार किया है।

उन्होंने कहा, “जब आधी रात के आसपास आग लगी तो मेरी बेटी और मेरे निजी सचिव ने अग्निशमन सेवा को सूचित किया और उनकी कॉल विधिवत दर्ज की गई। आग बुझाने के दौरान सुरक्षा चिंताओं के कारण सभी कर्मचारियों और मेरे घर के सदस्यों को घटनास्थल से दूर जाने के लिए कहा गया। आग बुझने के बाद और जब वे घटनास्थल पर वापस आए तो मौके पर कोई नकदी या मुद्रा नहीं मिली।”

जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में कहा, “मैं स्पष्ट रूप से कहता हूँ कि मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा उस स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई थी। यह नकदी हमारे द्वारा रखी जाने की बात बेतुका है। कोई व्यक्ति स्टाफ क्वार्टर के पास एक खुले, आसानी से सुलभ और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोर रूम में नकदी रखेगा, अविश्वसनीय लगता है।”

दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने इन आरोपों से इनकार करते हुए अपने जवाब में आगे कहा, “यह एक ऐसा कमरा है जो मेरे रहने के क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है और एक चारदीवारी मेरे रहने के क्षेत्र को उस आउटहाउस से अलग करती है। मैं केवल यही चाहता हूँ कि मीडिया ने मुझ पर अभियोग लगाने और प्रेस में बदनाम होने से पहले कुछ जाँच की होती।”

सुप्रीम कोर्ट ने गठित की जाँच कमिटी

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा के जवाब की जाँच करने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मामले की आंतरिक जाँच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।

CJI संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय से यह भी कहा है कि वे जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य ना सौंपें। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को तत्काल इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। हालाँकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन ने इसका विरोध किया कहा कि इसे कूड़ेदान ना समझा जाए।

न्यूज 18 के अनुसार, CJI को रिपोर्ट सौंपने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने दिल्ली अग्निशमन सेवा के अधिकारियों, पुलिस के शीर्ष अधिकारियों और सुप्रीम कोर्ट के सतर्कता विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की। जस्टिस उपाध्याय ने इन अधिकारियों से मिलने की जरूरत को लेकर CJI को भी अवगत कराया। ये मुलाकात करीब एक घंटे तक चली थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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