Thursday, June 19, 2025
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अब इकोनमी ही नहीं, डिफेंस सेक्टर में भी ग्लोबल पॉवर बनकर उभरा है भारत: ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखा दम, नई डिफेंस पॉलिसी के बाद इजरायल-अमेरिका-रूस की लाइन में एंट्री

पाकिस्तान की छवि आतंकवाद से जुड़ी है, लेकिन भारत एक उभरती वैश्विक शक्ति है। भारत ने संतुलित विदेश नीति अपनाई है। वह QUAD और I2U2 जैसे मंचों का हिस्सा है और रूस के साथ मजबूत रक्षा संबंध रखता है।

पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 26 हिंदू पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी और कई लोगों को घायल कर दिया। इस खौफनाक हमले ने भारत की पाकिस्तान के प्रति नीति को पूरी तरह बदल दिया।

इसके बाद भारत ने सख्त रवैया अपनाया। सिंधु जल संधि को रोक दिया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए, दोनों देशों के बीच व्यापार बंद कर दिया और पाकिस्तानी मीडिया- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगा दी। ये कदम पाकिस्तान के लिए मुश्किल वक्त की शुरुआत माने जा रहे हैं।

7 मई की सुबह भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकाने पूरी तरह तबाह कर दिए गए। इस कार्रवाई से आतंकवाद को बहुत बड़ा झटका लगा।

पाकिस्तान ने इसका जवाब देने के लिए जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में आम लोगों, मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमले किए। लेकिन भारत के आधुनिक हथियारों और स्मार्ट रणनीति ने पाकिस्तान की हर नापाक साजिश को नाकाम कर दिया। इसके बाद भारत ने और सख्त कदम उठाया और पाकिस्तान के बड़े सैन्य ठिकानों पर निर्णायक और सटीक हमले किए, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ।

इस नुकसान से परेशान होकर 10 मई को पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने भारत के DGMO से संपर्क किया और युद्धविराम की बात की। लेकिन जैसा पहले से अनुमान था, पाकिस्तान ने इस समझौते को तोड़ा। उसने सीमा पर गोलीबारी शुरू कर दी और रात में ड्रोन हमले किए। हालाँकि, भारतीय सुरक्षा बलों ने इन हमलों को भी पूरी तरह नाकाम कर दिया।

आतंकवाद को अब युद्ध माना जाएगा

10 मई को भारत ने साफ-साफ ऐलान किया कि अब किसी भी आतंकवादी हमले को युद्ध की तरह लिया जाएगा और उसका जवाब भी उसी स्तर पर दिया जाएगा। यह भारत की सुरक्षा नीति में बहुत बड़ा बदलाव है। सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले से सीमा पार आतंकी साजिशों के खिलाफ पूरी सैन्य ताकत से जवाब देना आसान हो गया है।

भारत ने पहले भी 2016 में उरी, 2019 में पुलवामा और अब पहलगाम हमले के जवाब में सैन्य कार्रवाई की थी। लेकिन 10 मई का यह फैसला अब इस नीति को एक स्पष्ट और आधिकारिक रणनीति बनाता है।

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व राजदूत दिलीप सिन्हा ने ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ से कहा, “बालाकोट में भारत ने पहली बार पाकिस्तान के अंदर आतंकी ठिकानों पर हमला करने का हक लिया था। पहलगाम के बाद इसे और आगे बढ़ाया गया। 9/11 के बाद से दुनिया मानती है कि आतंकवाद को समर्थन देने वाला देश अपनी संप्रभुता के पीछे नहीं छिप सकता। भारत अब चाहे बड़ा संघर्ष हो, इस हक का इस्तेमाल करेगा।”

यह कदम पाकिस्तान के लिए सख्त चेतावनी है, जो कई आतंकी संगठनों से जुड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आतंकवाद के खिलाफ साफ नीति बनाना चाहती है ताकि ऐसे हमलों के जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा दी जाए। पुलवामा और पहलगाम हमलों के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई को न तो पाकिस्तान की जाँच की माँग और न ही अंतरराष्ट्रीय दबाव रोक पाया।

सिन्हा ने आगे कहा, “अब इसे राष्ट्रीय नीति का दर्जा दे दिया गया है। भारत यह तय करेगा कि कौन सा आतंकी हमला युद्ध माना जाए। यह हमें अमेरिका और इजरायल की तरह बनाता है, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ एकतरफा सैन्य कार्रवाई का हक रखा है।”

भारत की नई सुरक्षा नीति में साफ कहा गया है कि अगर पाकिस्तान आतंकवादियों के जरिए भारत पर हमला करता है, तो उसे युद्ध माना जाएगा। भारत ऐसे हमलों का जवाब देने का पूरा हक रखता है और जरूरत पड़ने पर हर कदम उठाएगा।

नया भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चुप्पी रखी और 12 मई की रात देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त और तेज कार्रवाई अब देश की सुरक्षा नीति का हिस्सा है। “ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में नया मानक बनाया है। यह हमारी न्यू नॉर्मल पॉलिसी है।”

मोदी ने साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर को खत्म नहीं माना जाए। भारत पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर रखेगा। अपने 22 मिनट के राष्ट्र संबोधन में उन्होंने जोर देकर कहा, “हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर कार्रवाई को सिर्फ रोका है। हम उसका रवैया देखेंगे कि वह क्या करता है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “भारत की वायुसेना, थलसेना, नौसेना, बीएसएफ और अर्धसैनिक बल हर वक्त तैयार हैं। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और अब ऑपरेशन सिंदूर हमारी नीति का हिस्सा बन गए हैं।” हालाँकि, उनके भाषण का सबसे महत्वपूर्ण पहलू वह क्षण था जब उन्होंने उन तीन नई सामान्य बातों की ओर ध्यान दिलाया, जो अब पाकिस्तान की किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई के प्रति भारत की प्रतिक्रिया का स्थायी हिस्सा बन गई हैं। ये तीनों सिद्धांत भारत की नई सुरक्षा नीति में निर्णायक बदलाव को दर्शाते हैं।

भारत की शर्तों पर निर्णायक जवाबी कार्रवाई :  पीएम मोदी ने कहा, “पहला, अगर भारत पर कोई आतंकी हमला होता है तो उसका मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपनी शर्तों पर ही मुँहतोड़ जवाब देंगे। हम हर उस जगह पर सख्त कार्रवाई करेंगे जहाँ से आतंकवाद की जड़ें निकलती हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत अब पाकिस्तान की किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब उसी अनुपात में, अपनी शर्तों पर, और आतंकवाद की जड़ पर प्रहार करते हुए देगा। पाकिस्तान की ओर स्पष्ट संकेत करते हुए उन्होंने इन तीन नए सिद्धांतों को भारत की प्रतिक्रिया नीति का हिस्सा बताया। इस घोषणा के साथ ही भारत ने दोनों देशों के बीच दशकों से चल रहे तथाकथित ‘सीमित युद्ध’ के विकल्प को प्रभावी रूप से अस्वीकार कर दिया है।

परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं :  उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “दूसरी बात, भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में विकसित हो रहे आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक हमला करेगा।”

पाकिस्तान की आदत रही है कि वह हर आतंकी हमले के बाद भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को डराने के लिए परमाणु हमले की धमकी देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में न केवल इस रणनीति को बेनकाब किया, बल्कि स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी खोखली और डराने वाली धमकियाँ भारत को किसी भी उल्लंघन की स्थिति में सख्त और निर्णायक जवाब देने से नहीं रोक सकतीं।

आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के बीच कोई भेद नहीं : उन्होंने कहा, “तीसरी बात, हम सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद और आतंकवाद के मास्टरमाइंड के बीच कोई अंतर नहीं करेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने एक बार फिर पाकिस्तान का घिनौना चेहरा देखा, जब पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारी मारे गए आतंकवादियों को अंतिम विदाई देने आए थे। यह राज्य प्रायोजित आतंकवाद का पुख्ता सबूत है, और हम अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए निर्णायक कदम उठाते रहेंगे”।

पाकिस्तान का आतंकवादियों से गहरा संबंध व्यापक रूप से प्रलेखित है। इस देश ने न केवल आतंकवादी हमलों का जश्न मनाया है, बल्कि अपनी संसद में ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों का महिमामंडन भी किया है, जिससे वह वर्षों से आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन गया है। पाकिस्तानी राजनेता और सेना के अधिकारी भी समय-समय पर इस सच्चाई को स्वीकार कर चुके हैं।

भारत के हालिया अभियान के दौरान यह और स्पष्ट हो गया जब 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया और उनके अंतिम संस्कार में वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति दर्ज की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी संदर्भ में यह दोटूक संदेश दिया कि भारत अब आतंकवादी संगठनों और उन्हें समर्थन देने वालों के बीच कोई फर्क नहीं करेगा, दोनों को एक ही दृष्टिकोण से देखा जाएगा और समान रूप से जवाब दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “भारत का रुख बिल्कुल साफ है। आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते, और पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” उन्होंने यह संकेत भी दिया कि पाकिस्तान जैसे शत्रुतापूर्ण पड़ोसी के साथ किसी भी संभावित बातचीत का दायरा केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) तक सीमित रहेगा। प्रधानमंत्री ने यह सख्त संदेश मंगलवार (13 मई 2025) को आदमपुर एयरफोर्स स्टेशन पर वायु योद्धाओं और सैनिकों से बातचीत के दौरान दोहराया, जिससे भारत की बदली हुई सुरक्षा नीति और कूटनीतिक स्थिति और भी स्पष्ट हो गई।

भारत की तकनीकी ताकत, पाकिस्तान की नाकामी

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने अपनी सैन्य ताकत, रणनीति और तकनीक का शानदार प्रदर्शन किया। पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक इलाकों और सैन्य ठिकानों पर ड्रोन, मिसाइल और रॉकेट से हमले किए। लेकिन भारत ने सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। भारतीय सेना ने अपनी एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली (Integrated Air and Missile Defense System) से सैन्य ठिकानों और संपत्तियों की पूरी रक्षा की।

भारत की मिसाइलों ने बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद और कोटली जैसे आतंकी ठिकानों को सटीक निशाना बनाकर तबाह कर दिया। पाकिस्तान की महँगी मिसाइल रक्षा प्रणाली पूरी तरह बेकार साबित हुई। भारत के स्वदेशी हथियार, इजरायली तकनीक और रूस का S-400 सिस्टम पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलों को रोकने में कामयाब रहा। इसके उलट, पाकिस्तान की चीनी रक्षा प्रणालियाँ पूरी तरह नाकाम रहीं। भारतीय ड्रोन और मिसाइलें बिना रुकावट पाकिस्तान में घुसीं और अपने निशाने पूरे किए।

भारत ने अपनी ‘आयरन डोम’ जैसे आकाशतीर और S-400 सुदर्शन चक्र वायु रक्षा सिस्टम को रणनीतिक रूप से तैनात किया। इनसे तुर्की के ड्रोन, चीनी मिसाइलें और कुछ पाकिस्तानी विमान नाकाम हो गए। पाकिस्तान ने लंबी दूरी के रॉकेट, कामिकेज ड्रोन और चीनी पीएल-15 मिसाइलों का इस्तेमाल किया। लेकिन भारत की वायु रक्षा ने ज्यादातर हमलों को नाकाम कर दिया। कुछ हमले ही रक्षा प्रणाली को भेद पाए, लेकिन उन्होंने भी मामूली नुकसान किया।

भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाने की उसकी कोशिशों को नाकाम किया। इसके लिए भारत ने अपने स्वदेशी ‘आयरन डोम’ आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम (ADS) को रूस से प्राप्त S-400 सुदर्शन चक्र ADS के साथ रणनीतिक रूप से तैनात किया। भारत की एकीकृत, बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली ने तीव्र संघर्ष के दौरान तुर्की के ड्रोन, चीनी मिसाइलों और संभावित रूप से कुछ पाकिस्तानी विमानों का भी प्रभावशाली रूप से सामना कर उन्हें निष्क्रिय कर दिया।

अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान लंबी दूरी के रॉकेट, लोटरिंग म्यूनिशन और क्वाडकॉप्टर के साथ-साथ तुर्की निर्मित बाइकर यिहा कामिकेज़ ड्रोन और अस्सिसगार्ड सोंगार ड्रोन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, पाकिस्तान ने चीन निर्मित पीएल-15 लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का भी उपयोग किया, जो विशेष रूप से दृश्य सीमा से परे की मुठभेड़ों के लिए डिजाइन की गई हैं।

भारत ने इस संघर्ष में पहली बार ब्रह्मोस मिसाइल का युद्ध में इस्तेमाल किया। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है और भारत की सटीक जवाबी क्षमता का प्रतीक है।

पाकिस्तान की फतह-II बैलिस्टिक मिसाइल और चीनी पीएल-15 मिसाइलें भारतीय रक्षा प्रणालियों के सामने बेकार रहीं। चीनी HQ-9 और HQ-16 रक्षा प्रणालियाँ भी भारतीय हमलों को रोकने में नाकाम रहीं, जिससे पाकिस्तान की रक्षा क्षमताओं की बड़ी खामियाँ उजागर हो गईं।

भारतीय वायुसेना के संचालन महानिदेशक ए.के. भारती ने बताया कि कई पाकिस्तानी लड़ाकू विमान मार गिराए गए, हालाँकि यह साफ नहीं कि वे F-16 थे या JF-17। पाकिस्तान ने चीनी ड्रोन विंग लूंग और CH-II का भी इस्तेमाल किया, लेकिन भारत ने उन्हें सीमा पर ही मार गिराया।

इस संघर्ष ने पाकिस्तान की चीनी वायु रक्षा प्रणालियों की कमजोरियों को उजागर कर दिया। HQ-9 और HQ-16 जैसी प्रणालियाँ भारतीय स्कैल्प स्टील्थ क्रूज मिसाइलों और हैमर ग्लाइड बमों को रोकने में पूरी तरह विफल रहीं। इन प्रणालियों की सीमित पहचान क्षमता और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के प्रति संवेदनशीलता के कारण वे कम ऊँचाई पर, ज़मीन के करीब उड़ने वाले खतरों की प्रभावी पहचान नहीं कर पाईं, जिससे भारत के सटीक और गुप्त हमले सफल रहे।

पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली में पर्याप्त आक्रामकता की कमी और ताल-मेल का अभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, जिसका भारत ने अपनी SEAD (शत्रु वायु रक्षा का दमन) रणनीति के तहत भरपूर फायदा उठाया। भारतीय बलों ने रडार नोड्स को सटीकता से निशाना बनाकर पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय कर दिया।

रफीकी, मुरीद, नूर खान, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियन जैसे प्रमुख सैन्य हवाई अड्डों पर हमले किए गए, जबकि स्कार्दू, भोलारी, जैकोबाबाद और सरगोधा के हवाई अड्डों को भारी नुकसान पहुँचा। इसके अलावा, सियालकोट और पसरूर स्थित रडार साइटों को भी निशाना बनाया गया।

भारत ने डिकॉय विमान, सिग्नल दमन और रडार जैमिंग जैसी उन्नत रणनीतियों का इस्तेमाल किया, जिसने पाकिस्तान की वायु रक्षा को पूरी तरह कमजोर कर दिया।

सूत्रों के अनुसार, “9 और 10 मई को भारत ने एक ही ऑपरेशन में परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र के 11 एयरबेस पर हमला करने वाला पहला देश बन गया, जिसमें पाकिस्तान की वायु सेना की 20 प्रतिशत संपत्ति नष्ट हो गई। भोलारी एयरबेस पर भारी नुकसान हुआ, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ (और चार एयरमैन) की मौत और प्रमुख लड़ाकू विमानों का नष्ट होना शामिल है।” हमले के दौरान कई पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमान नष्ट हो गए।

भारत ने पाकिस्तान के एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) विमान को मार गिराकर उसे और अधिक अपमानित किया। इस कार्रवाई से पाकिस्तान की हवाई निगरानी क्षमता और युद्धक्षेत्र समन्वय को गंभीर झटका लगा, जिससे उसकी समग्र वायु रक्षा और संचालन क्षमता पर बड़ा असर पड़ा।

झूठ और आपत्तिजनक टिप्पणियों की आड़ में भारत ने पाकिस्तान में महत्वपूर्ण संपत्तियों को नष्ट कर दिया

भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में सटीक हमलों की अभूतपूर्व क्षमता का प्रदर्शन किया, जो यूक्रेन में रूसी कार्रवाई की तरह दिखाई दी, जबकि पाकिस्तान खुद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हास्य का पात्र बना रहा।

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में अपने ही देश के दावे कि पाकिस्तान ने राफेल सहित पाँच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया और इसे ‘सोशल मीडिया पोस्ट’ करार देकर खारिज कर दिया।

सरकार द्वारा यह दावा भी किया गया कि लाहौर, कराची और रावलपिंडी सहित विभिन्न स्थानों पर भारत द्वारा भेजे गए 25 ड्रोन को रोका और नष्ट किया गया, लेकिन बाद में रक्षा मंत्री ने संसद में यह कहकर पलटी मार दी कि सैन्य प्रतिष्ठानों का स्थान उजागर न हो, इसलिए ड्रोन को जानबूझकर नहीं रोका गया।

पाकिस्तान की सेना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत के खिलाफ गलत सूचना फैलाने की कोशिश की, जिसमें भारतीय प्रेस ब्रीफिंग के एक एडिट किए गए वीडियो और बिना ठोस सबूतों वाले पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन का उपयोग किया गया।

उन्होंने यह दावा भी किया कि भारत का एस-400 सिस्टम नष्ट हो गया और आदमपुर एयरबेस को भारी नुकसान पहुँचा, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं एयरबेस पर जाकर खारिज कर दिया। वहाँ की तस्वीरों में एस-400 प्रणाली सही-सलामत देखी गई।

पाकिस्तान के लोकप्रिय कॉमेडियन और पॉडकास्ट होस्ट शहजाद घियास शेख ने पियर्स मॉर्गन के ‘सेंसर’ शो में एक विवादास्पद बयान दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से छिपने की कोशिश कर रहा था। इस पर मॉर्गन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर आपकी खुफिया एजेंसियों को नहीं पता था कि वह वहाँ है, तो यह सैन्य खुफिया इतिहास की सबसे खराब विफलता होगी।”

इस बीच, जब पाकिस्तान प्रचार, विजय जुलूस और भ्रामक दावों में व्यस्त था, उसकी रक्षा और रडार प्रणाली पूरी तरह रक्षाहीन नजर आई। भारतीय हमलों के सामने पाकिस्तान की यह स्थिति ऐसी लग रही थी जैसे वह खुले मैदान में बैठी हुई निशाना बनने को तैयार बत्तख हो।

यह स्थिति 2019 के बालाकोट हवाई हमले की याद दिलाती है, जब पाकिस्तान की वायुसेना के एक फैन पेज पर नींद से सो जाओ क्योंकि PAF जाग रहा है पोस्ट होने के तुरंत बाद ही उसे भारतीय हमलों का सामना करना पड़ा था। इस बार भी इतिहास ने खुद को दोहराया, और पाकिस्तान फिर से असहाय दिखा।

मनमोहन से मोदी तक: भारत की नीति में बड़ा बदलाव

कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमलों, विशेष रूप से 2008 के मुंबई हमलों (26/11), के बावजूद कभी भी निर्णायक सैन्य कार्रवाई नहीं की। 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान के दस आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला कर 166 निर्दोष लोगों की जान ले ली और 300 से अधिक को घायल कर दिया।

इसके बावजूद, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई ठोस सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी। बलपूर्वक जवाब देने की बजाय केवल ‘कड़ी निंदा’ की गई, कैंडल मार्च निकाले गए और इस्लामाबाद को दस्तावेज़ी डोज़ियर भेजे गए। आतंकवाद के इतने गंभीर कृत्य के बाद भी पाकिस्तान को दंडित करने की कोई पहल नहीं की गई, जिससे सरकार की कमजोर प्रतिक्रिया की व्यापक आलोचना हुई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने हर बड़े आतंकी हमले के बाद निर्णायक सैन्य कार्रवाई कर पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 का बालाकोट एयरस्ट्राइक और अब ऑपरेशन सिंदूर इसका सबूत हैं। पहलगाम हमले के बाद की कार्रवाई ने इस सख्त नीति को और साफ कर दिया।

भारत ने अब वैश्विक मंच पर यह स्थापित कर दिया है कि वह एक निष्क्रिय ताकत नहीं, बल्कि सैन्य, कूटनीतिक और औद्योगिक रूप से उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, जो अपनी संप्रभुता पर किसी भी उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगी।

इसके विपरीत, कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल में आतंकवादी घटनाओं के बावजूद सैन्य कार्रवाई से बचा गया। विशेष रूप से 26/11 मुंबई हमलों के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने केवल ‘कड़ी निंदा’, कैंडल मार्च और पाकिस्तान को डोज़ियर भेजने तक ही प्रतिक्रिया सीमित रखी।

पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल फली एच. मेजर (सेवानिवृत्त) ने पुष्टि की कि 26/11 के बाद वायुसेना ने जवाबी हमले के कई विकल्प तैयार किए थे और सरकार को इसकी जानकारी दी गई थी। उन्होंने कहा, “हम अगले 18-24 घंटों में हमले के लिए तैयार थे, लेकिन सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।”

उन्होंने हाल ही में 26/11 साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण का स्वागत करते हुए यह भी कहा कि यदि तत्काल कार्रवाई की जाती, तो संभवतः वह अब तक इतिहास बन चुका होता। कॉन्ग्रेस की निष्क्रियता और पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने में विफलता उसकी आतंकवाद के प्रति कमजोर नीति को उजागर करती है।

नये भारत ने अपनी क्षमता और दृढ़ विश्वास का परिचय दिया

भारत ने स्पष्ट रूप से घोषित कर दिया है कि वह अब एक शांत और दबा हुआ राष्ट्र नहीं, बल्कि एक सशक्त वैश्विक शक्ति है जो बहुध्रुवीय विश्व की जटिलताओं को पार करने की क्षमता रखता है। पाकिस्तान के खिलाफ हालिया जीत ने न केवल भारत की सैन्य श्रेष्ठता को प्रदर्शित किया, बल्कि स्वदेशी हथियारों के निर्माण में इसकी उपलब्धियों को भी उजागर किया है।

भारत और पाकिस्तान की तुलना अब अप्रासंगिक हो गई है। भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जबकि पाकिस्तान आर्थिक रूप से संकटग्रस्त है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य देशों की सहायता पर निर्भर है।

जहाँ पाकिस्तान अपने हथियारों के लिए मुख्य रूप से चीन, तुर्की और अमेरिका पर निर्भर है, वहीं भारत का ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा क्षेत्र में एक उल्लेखनीय सफलता बन चुका है। इसके अलावा, भारतीय नौसेना ने समुद्री क्षेत्र में अपनी निर्णायक और प्रभावशाली उपस्थिति स्थापित कर ली है, जो भारत की समग्र सैन्य क्षमता का एक और सशक्त प्रमाण है।

हालिया संघर्ष के दौरान भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत ने पाकिस्तान की हवाई रणनीति को हतोत्साहित करने में अहम भूमिका निभाई। इसकी कमान में कार्यरत वाहक युद्ध समूह ने उत्तरी अरब सागर में तेजी से और बिना किसी विरोध के प्रवेश किया, जो भारत के समुद्री प्रभुत्व का स्पष्ट संकेत था।

INS विक्रांत की प्रभावशाली उपस्थिति ने पाकिस्तान की किसी भी बड़ी हवाई कार्रवाई को रोक दिया। इस स्वदेशी विमानवाहक पोत से मिले रणनीतिक लाभ ने भारत की निवारक शक्ति को और मज़बूत किया तथा महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया।

वाइस एडमिरल ए. एन.प्रमोद ने पुष्टि की कि नौसेना, भूमि और समुद्र दोनों मोर्चों पर कराची जैसे प्रमुख पाकिस्तानीठिकानों पर हमले के लिए पूरी तरह तैयार थी, जिससे भारत की समग्र सैन्य तैयारियों का संकेत मिलता है।

वाइस एडमिरल ए. एन. प्रमोद ने बताया कि भारतीय रक्षा बलों की एकीकृत सैन्य योजना के तहत नौसेना के वाहक युद्ध समूह, सतही युद्धपोत, पनडुब्बियाँ और विमानन परिसंपत्तियाँ पूर्ण युद्ध तत्परता के साथ तुरंत समुद्र में तैनात कर दी गईं।

उन्होंने खुलासा किया कि पहलगाम आतंकी हमले के 96 घंटों के भीतर, अरब सागर में हुई कई गोलीबारी के दौरान नौसेना ने अपने अभियानों और रणनीति का मूल्यांकन और सुधार किया।

भारतीय नौसेना ने कराची सहित समुद्र और ज़मीन पर सटीक लक्ष्यों को किसी भी समय भेदने की पूरी तैयारी और क्षमता प्रदर्शित की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारतीय नौसेना निर्णायक और निवारक मुद्रा में उत्तरी अरब सागर में पूरी मजबूती से तैनात रही। यह रहा आपके पैराग्राफ का पुनर्लेखन जिसमें सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ स्पष्ट और प्रभावशाली रूप में समाहित हैं।

15 जनवरी को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में, प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने तीन प्रमुख नौसैनिक जहाजों INSसूरत, INS नीलगिरि और INS वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित करते हुए घोषणा की कि भारत एकउभरती हुई वैश्विक समुद्री शक्ति बन रहा है।

उन्होंने इसे समुद्री सुरक्षा और रक्षा उत्पादन क्षेत्र में बड़ी छलांग करार दिया। बीते दस वर्षों में, भारतीय नौसेना ने 33 युद्धपोत और 7 पनडुब्बियाँ अपने बेड़े में जोड़ी हैं, जिनमें से 39 जहाज भारत में निर्मित हैं।

इनमें भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत और परमाणु पनडुब्बियाँ INS अरिहंत और INS अरिघात शामिल हैं जो देश की स्वतंत्र नौसैनिक निर्माण क्षमता और सामरिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं।

निष्कर्ष

पाकिस्तान की छवि जहाँ आतंकवादी संगठनों से जुड़ी पहचान तक सीमित है, वहीं भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है। भारत ने विशिष्ट गुटों के साथ गठबंधन से बचते हुए संतुलित और स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई है। वह QUAD (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका) और I2U2 (भारत, इज़राइल, यूएई, अमेरिका) जैसे बहुपक्षीय मंचों का हिस्सा है, साथ ही रूस के साथ मजबूत व्यापारिक और रक्षा संबंध भी बनाए रखता है।

भारत ने इजरायल के साथ रणनीतिक भागीदारी कायम की है, जबकि सऊदी अरब, मिस्र, कुवैत, यूएई, बहरीन, अफगानिस्तान, मालदीव और फिलिस्तीन जैसे मुस्लिम बहुल देशों के साथ भी सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन आठ देशों से उनके सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाज़ा गया है। यह भारत की व्यापक और संतुलित कूटनीति का प्रमाण है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जब वैश्विक स्तर पर रूस से संबंध तोड़ने का दबाव था, भारत ने संतुलन और लचीलापन दिखाते हुए अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बनाए रखा। भारत ने न केवल रूस से रणनीतिक साझेदारी बनाए रखी, बल्कि युद्ध के समाधान के लिए लगातार बातचीत और शांति का मार्ग अपनाने की सलाह दी। यह रुख वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई है, विशेष रूप से संकटों के समय। कोविड-19 महामारी के दौरान, जब कई पश्चिमी शक्तियाँ आत्मकेंद्रित रुख अपना रही थीं, भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के जरिए दर्जनों गरीब और विकासशील देशों को जीवन रक्षक टीकों की आपूर्ति की। इससे भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता और मानवीय दृष्टिकोण उजागर हुआ।

भारत आज न केवल ज़रूरतमंदों की मदद करने की क्षमता रखता है, बल्कि अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ किसी भी खतरे का निर्णायक और विनाशकारी जवाब देने में भी पूरी तरह सक्षम है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने साबित किया कि भारत अब सिर्फ जवाब देने वाला नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को आकार देने वाला देश है। चाहे दुश्मन हों या वैश्विक समुदाय, भारत की इस सक्रिय भूमिका ने दुनिया की सियासत बदल दी है। भारत अब बहुध्रुवीय दुनिया में एक मजबूत और स्थायी ताकत है।

(यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में रुक्मा राठौर ने लिखी है, इसका हिंदी अनुवाद विवेकानंद मिश्रा ने किया है।)

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