Thursday, May 15, 2025
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‘पहलगाम हमले के दोषियों और साजिशकर्ताओं को देंगे कठोरतम जवाब’: ‘मन की बात’ में PM मोदी का ऐलान – पीड़ितों को मिलकर रहेगा न्याय

पीएम मोदी ने जानकारी दी कि भूकंप में भारत ने म्यांमार के हमारे भाई-बहनों के लिए तुरंत 'ऑपरेशन ब्रह्मा' शुरू किया। वायुसेना के एयरक्राफ्ट्स से लेकर नौसेना के जहाज तक म्यांमार की मदद के लिए रवाना हो गए। वहाँ भारतीय टीम ने एक फिल्ड हॉस्पिटल तैयार किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (27 अप्रैल, 2025) को ‘मन की बात’ के 121वें संस्करण के जरिए देश को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने मन में गहरी पीड़ा होने की बात करते हुए कहा कि मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) को पहलगाम में हुई आतंकी वारदात ने देश के हर नागरिक को दुख पहुँचाया है। पीड़ित परिवारों के प्रति हर भारतीय के मन में गहरी संवेदना है – भले वो किसी भी राज्य का हो, वो कोई भी भाषा बोलता हो, लेकिन वो उन लोगों के दर्द को महसूस कर रहा है, जिन्होंने इस हमले में अपने परिजनों को खोया है। बकौल पीएम मोदी, उन्हें एहसास है कि हर भारतीय का खून, आतंकी हमले की तस्वीरों को देखकर खौल रहा है।

‘पहलगाम के साजिशकर्ताओं को देंगे कठोरतम जवाब’: PM मोदी

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि पहलगाम में हुआ ये हमला, आतंक के सरपरस्तों की हताशा को दिखाता है, उनकी कायरता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब कश्मीर में शांति लौट रही थी, स्कूल-कॉलेजों में एक चहल-पहल थी, निर्माण कार्यों में अभूतपूर्व गति आई थी, लोकतंत्र मजबूत हो रहा था, पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही थी, लोगों की कमाई बढ़ रही थी, युवाओं के लिए नए अवसर तैयार हो रहे थे – देश के दुश्मनों को, जम्मू-कश्मीर के दुश्मनों को, ये रास नहीं आया। पीएम मोदी ने समझाया कि आतंकी और आतंक के आका चाहते हैं, कश्मीर फिर से तबाह हो जाए और इसलिए इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध में देश की एकता, 140 करोड़ भारतीयों की एकजुटता, हमारी सबसे बड़ी ताकत है और यही एकता, आतंकवाद के खिलाफ हमारी निर्णायक लड़ाई का आधार है। उन्होंने सन्देश दिया कि हमें देश के सामने आई इस चुनौती का सामना करने के लिए अपने संकल्पों को मजबूत करना है, हमें एक राष्ट्र के रूप में दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना है। बकौल पीएम मोदी, आज दुनिया देख रही है, इस आतंकी हमले के बाद पूरा देश एक स्वर में बोल रहा है।

‘मन की बात’ के 121वें संस्करण में पीएम मोदी ने कहा कि भारत के हम लोगों में जो आक्रोश है, वो आक्रोश पूरी दुनिया में है। इस आतंकी हमले के बाद लगातार दुनिया-भर से संवेदनाएं आ रही हैं। उन्होंने जानकारी दी कि उन्हें भी वैश्विक नेताओं ने फोन किए हैं, पत्र लिखे हैं, संदेश भेजे हैं। इस जघन्य तरीके से किए गए आतंकी हमले की सब ने कठोर निंदा की है। वैश्विक नेताओं ने मृतकों के परिवारजनों के प्रति संवेदनाएँ प्रकट की हैं। प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया कि पूरा विश्व, आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में, 140 करोड़ भारतीयों के साथ खड़ा है। उन्होंने पीड़ित परिवारों को फिर से भरोसा दिलाया कि उन्हें न्याय मिलेगा, न्याय मिलकर रहेगा – इस हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम जवाब दिया जाएगा।

अंतरिक्ष क्षेत्र को नई दिशा देने वाले डॉ K कस्तूरीरंगन का निधन

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिन पहले देश के महान वैज्ञानिक डॉ K कस्तूरीरंगन के निधन का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी उनसे मुलाकात हुई, हम भारत के युवाओं की प्रतिभा, आधुनिक शिक्षा, अंतरिक्ष-विज्ञान ऐसे विषयों पर काफी चर्चा करते थे। विज्ञान, शिक्षा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाई देने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके नेतृत्व में ISRO को एक नई पहचान मिली। पीएम मोदी ने कहा कि डॉ K कस्तूरीरंगन के मार्गदर्शन में जो अंतरिक्ष कार्यक्रम आगे बढ़े, उससे भारत के प्रयासों को वैश्विक मान्यता मिली।

उन्होंने कहा कि आज भारत जिन सैटेलाइट्स का उपयोग करता है, उनमें से कई डॉ कस्तूरीरंगन की देखरेख में ही लॉन्च की गई थी। उन्होंने दिवंगत वैज्ञानिक के व्यक्तित्व की ख़ास बात बताते हुए कहा कि इससे युवा-पीढ़ी उनसे सीख सकती है – उन्होंने हमेशा इनोवेशन को महत्व दिया, कुछ नया सीखने, जानने और नया करने का विजन बहुत प्रेरित करने वाला है। बकौल पीएम मोदी, डॉ के कस्तूरीरंगन जी ने देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉ कस्तूरीरंगन 21वीं सदी की आधुनिक जरूरतों के मुताबिक Forward Looking Education का विचार लेकर आए थे, देश की नि:स्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। पीएम मोदी ने डॉ के कस्तूरीरंगन जी को विनम्र भाव से श्रद्धांजलि अर्पित की।

चंद्रयान, गगनयान, एक साथ 104 सैटेलाइट्स का लॉन्च: अंतरिक्ष में झंडे गाड़ता भारत

आगे बढ़ते हुए पीएम मोदी ने इसी महीने अप्रैल में आर्यभट्ट सैटेलाइट की लॉन्चिंग के 50 वर्ष पूरे होने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, 50 वर्षों की इस यात्रा को याद करते हैं – तो लगता है हमने कितनी लंबी दूरी तय की है। अंतरिक्ष में भारत के सपनों की ये उड़ान एक समय केवल हौसलों से शुरू हुई थी। पीएम ने ध्यान दिलाया कि राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पाले कुछ युवा वैज्ञानिक – उनके पास न तो आज जैसे आधुनिक संसाधन थे, न ही दुनिया की तकनीक तक वैसी पहुँच थी – अगर कुछ था तो वो था, प्रतिभा, लगन, मेहनत और देश के लिए कुछ करने का जज्बा। उन्होंने ध्यान दिलाया कि बैलगाड़ियों और साइकिलों पर संवेदनशील उपकरण को खुद लेकर जाते हमारे वैज्ञानिकों की तस्वीरों को हमने देखा है – उसी लगन और राष्ट्रसेवा की भावना का नतीजा है कि आज इतना कुछ बदल गया है। पीएम ने गर्व से कहा कि आज भारत एक ग्लोबल स्पेस पॉवर बन चुका है, हमने एक साथ 104 सैटेलाइट्स का लॉन्च करके रिकॉर्ड बनाया है।

उन्होंने आंतरिक के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले पहले देश बने हैं, भारत ने मार्स ऑर्बिटर मिशन किया है और हम आदित्य – L1 Mission के जरिए सूरज के काफी करीब तक पहुँचे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कोस्ट इफेक्टिव लेकिन सफल स्पेस प्रोग्राम का नेतृत्व कर रहा है, दुनिया के कई देश अपनी सैटेलाइट्स और स्पेस मिशन के लिए ISRO की मदद लेते हैं।

देशवासियों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम जब ISRO द्वारा किसी सैटेलाइट का लॉन्च देखते हैं तो हम गर्व से भर जाते हैं। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि ऐसी ही अनुभूति उन्हें तब हुई जब वो मैं 2014 में PSLV-C-23 की लॉन्चिंग के साक्षी बने थे। उन्होंने कहा कि 2019 में Chandrayaan-2 की लैंडिंग के दौरान भी, वो बेंगलुरू के ISRO सेंटर में मौजूद थे। हालाँकि, उन्होंने जिक्र किया कि कैसे उस समय ‘चंद्रयान’ को वो अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, तब वैज्ञानिकों के लिए, वो, बहुत मुश्किल घड़ी थी। लेकिन, उस दौरान वो अपनी आंखों से वैज्ञानिकों के धैर्य और कुछ कर गुजरने का जज्बा भी देख रहे थे। पीएम मोदी ने गर्व से याद किया कि कैसे इसके कुछ साल बाद ही पूरी दुनिया ने भी देखा कैसे उन्हीं वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को सफल करके दिखाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को जानकारी दी कि अब भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोल दिया है। आज बहुत से युवा स्पेस स्टार्टअप में नए झंडे लहरा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 10 साल पहले इस क्षेत्र में सिर्फ एक कंपनी थी, लेकिन आज देश में, सवा तीन सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप काम कर रहे हैं। पीएम मोदी ने घोषणा की कि आने वाला समय अंतरिक्ष में बहुत सारी नई संभावनाएँ लेकर आ रहा है और भारत नई ऊँचाइयों को छूने वाला है। उन्होंने जानकारी दी कि देश देश गगनयान, SpaDeX और चंद्रयान-4 जैसे कई अहम् मिशन की तैयारियों में जुटा है। साथ ही हम वीनस ऑर्बिटर मिशन और मार्स लैंडर मिशन पर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपने इनोवेशंस से देशवासियों को नए गर्व से भरने वाले हैं।

म्यांमार भूकंप के बाद भारत की मदद, मिला बौद्ध भिक्षुओं का आशीर्वाद

पीएम मोदी ने इसके बाद म्यांमार का जिक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पिछले महीने म्यांमार में आए भूकंप की खौफनाक तस्वीरें सबने देखी है। भूकंप से वहाँ बहुत बड़ी तबाही आई, मलबे में फँसे लोगों के लिए एक-एक साँस, एक-एक पल कीमती था। उन्होंने गर्व से कहा कि कैसे इसलिए भारत ने म्यांमार के हमारे भाई-बहनों के लिए तुरंत ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया। वायुसेना के एयरक्राफ्ट्स से लेकर नौसेना के जहाज तक म्यांमार की मदद के लिए रवाना हो गए। वहाँ भारतीय टीम ने एक फिल्ड हॉस्पिटल तैयार किया। इंजीनियरों की एक टीम ने अहम इमारतों और संरचनाओं को हुए नुकसान का आकलन करने में मदद की। भारतीय टीम ने वहाँ कंबल, टेंट, स्लीपिंग बैग्स, दवाइयां, खाने-पीने के सामान के साथ ही और भी बहुत सारी चीजों की सप्लाई की। इस दौरान भारतीय टीम को वहाँ के लोगों से बहुत सारी तारीफ भी मिली।

पीएम मोदी ने बताया, “इस संकट में, साहस, धैर्य और सूझ-बूझ के कई दिल छू जाने वाले उदाहरण सामने आए। भारत की टीम ने 70 वर्ष से ज्यादा उम्र की एक बुजुर्ग महिला को बचाया जो मलबे में 18 घंटों से दबी हुई थी। जो लोग अभी TV पर ‘मन की बात’ देख रहे हैं, उन्हें उस बुजुर्ग महिला का चेहरा भी दिख रहा होगा। भारत से गई टीम ने उनके ऑक्सीजन लेवल को स्थिर करने से लेकर फ्रैक्चर के इलाज तक, इलाज की हर सुविधा उपलब्ध कराई। जब इस बुजुर्ग महिला को अस्पताल से छुट्टी मिली तो उन्होंने हमारी टीम का बहुत आभार जताया। वो बोली कि, भारतीय बचाव दल की वजह से उन्हें नया जीवन मिला है। बहुत से लोगों ने हमारी टीम को बताया कि उनकी वजह से वो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को ढूँढ पाए।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि भूकंप के बाद म्यांमार में मांडले स्थित एक बौद्ध मठ में भी कई लोगों के फँसे होने की आशंका थी, हमारे साथियों ने यहाँ भी राहत और बचाव अभियान चलाया, इसकी वजह से उन्हें बौद्ध भिक्षुओं का ढ़ेर सारा आशीर्वाद मिला। पीएम मोदी ने कहा कि हमें ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों पर बहुत गर्व है, हमारी परंपरा है, हमारे संस्कार हैं ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना – पूरी दुनिया एक परिवार है। उन्होंने बताया कि कैसे संकट के समय विश्व-मित्र के रूप में भारत की तत्परता और मानवता के लिए भारत की प्रतिबद्धता हमारी पहचान बन रही है।

इथियोपिया के बच्चों के इलाज का ख़र्च उठा रहा भारतीय समाज

पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में बताया कि उन्हें इथियोपिया में प्रवासी भारतीयों के एक अभिनव प्रयास का पता चला है। इथियोपिया में रहने वाले भारतीयों ने ऐसे बच्चों को इलाज के लिए भारत भेजने की पहल की है जो जन्म से ही हृदय की बीमारी से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से बच्चों की भारतीय परिवारों द्वारा आर्थिक मदद भी की जा रही है, अगर किसी बच्चे का परिवार पैसे की वजह से भारत आने में असमर्थ है, तो इसका भी इंतजाम, हमारे भारतीय भाई-बहन कर रहे हैं। बकौल पीएम मोदी, कोशिश ये है कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे इथियोपिया के हर ज़रूरतमंद बच्चे को बेहतर इलाज मिले।

उन्होंने जानकारी दी कि प्रवासी भारतीयों के इस नेक कार्य को इथियोपिया में भरपूर सराहना मिल रही है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि कैसे भारत में मेडिकल सुविधाएँ लगातार बेहतर हो रही हैं, इसका लाभ दूसरे देश के नागरिक भी उठा रहे हैं।

अफगानिस्तान और नेपाल को भी मदद भेज रहा भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि कैसे कुछ ही दिन पहले भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए बड़ी मात्रा में वैक्सीन भी भेजी है। ये टीके रैबीज, टिटनेस, हेपटाइटिस B और इन्फ्लुएंजा जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव में काम आएगी।

इसके अलावा भारत ने इसी हफ्ते नेपाल के आग्रह पर वहाँ दवाइयाँ और वैक्सीन की बड़ी खेप भेजी है। इनसे थैलेसीमिया और सीकल सेल डिजीज के मरीजों को बेहतर इलाज सुनिश्चित होगा। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि जब भी मानवता की सेवा की बात आती है, तो भारत, हमेशा इसमें आगे रहता है और भविष्य में भी ऐसी हर जरूरत में हमेशा आगे रहेगा।

प्राकृतिक आपदाओं से हमें बचाने के लिए आ गया App – ‘सचेत’

आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा प्रबंधन की बात की। उन्होंने आम लोगों को समझाया कि किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने में बहुत अहम होती है -आपकी सतर्कता, आपका सचेत रहना। इस सतर्कता में अब आपको अपने मोबाइल फोन के एक स्पेशल APP से मदद मिल सकती है। पीएम ने समझाया कि ये एप आपको किसी प्राकृतिक आपदा में फँसने से बचा सकते हैं और इसका नाम भी है ‘सचेत’।

‘सचेत’ एप, भारत की National Disaster Management Authority (NDMA) ने तैयार किया है। बाढ़, चक्रवात, भूस्खलन, सुनामी, जंगलों की आग, हिम-स्खलन, आँधी, तूफान या फिर बिजली गिरने जैसी आपदाएँ हो, ‘सचेत’ एप आपको हर प्रकार से सूचित और संरक्षित रखने का प्रयास करता है। पीएम ने बताया कि इस एप के माध्यम से आप मौसम विभाग से जुड़े अपडेट्स प्राप्त कर सकते हैं। खास बात ये है कि ‘सचेत’ एप क्षेत्रीय भाषाओं में भी कई सारी जानकारियाँ उपलब्ध कराता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि इस एप का फायदा उठाएँ और अपने अनुभव सरकार से ज़रूर साझा करें।

आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा कि आज हम पूरी दुनिया में भारत के प्रतिभा की तारीफ होते देखते हैं। भारत के युवाओं ने भारत के प्रति दुनिया का नज़रिया बदल दिया है, और, किसी भी देश के युवा की रुचि किस तरफ है, किधर है, उससे पता चलता है कि देश का भविष्य कैसा होगा। उन्होंने कहा कि आज भारत का युवा, विज्ञान, तकनीक और इनोवेशन की ओर बढ़ रहा है। ऐसे इलाके, जिनकी पहचान पहले पिछड़ेपन और दूसरे कारणों से होती थी, वहाँ भी युवाओं ने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, जो हमें, नया विश्वास देते हैं।

छत्तीसगढ़ में ‘साइंस सेंटर’, गुजरात में ‘साइंस गैलरी’

पीएम मोदी ने उदाहरण देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा का विज्ञान केंद्र आजकल सबका ध्यान खींच रहा है। कुछ समय पहले तक, दंतेवाड़ा का नाम केवल हिंसा और अशान्ति के लिए जाना जाता था, लेकिन अब वहाँ, एक साइंस सेंटर बच्चों और उनके माता-पिता के लिए उम्मीद की नई किरण बन गया है। इस साइंस सेंटर में जाना बच्चों को खूब पसंद आ रहा है, वे अब नई–नई मशीनें बनाने से लेकर तकनीक का उपयोग करके नए उत्पाद बनाना सीख रहे हैं। उन्हें 3D प्रिंटर्स और रोबोटिक्स कारों के साथ ही दूसरी तनोवेटिव चीजों के बारे में जानने का मौका मिला है।

पीएम मोदी ने जानकारी दी कि अभी कुछ समय पहले उन्होंने गुजरात साइंस सिटी में भी साइंस गैलरीज का उद्घाटन किया था। उन्होंने जानकारी दी कि इन गैलरीज से ये झलक मिलती है कि आधुनिक विज्ञान का पोटेंशिक्षमतायल क्या है, विज्ञान हमारे लिए कितना कुछ कर सकता है। इन को लेकर वहाँ बच्चों में बहुत उत्साह है। बकौल पीएम मोदी, विज्ञान और नवाचार के प्रति ये बढ़ता आकर्षण, ज़रूर भारत को नई ऊँचाई पर ले जाएगा।

‘एक पेड़, माँ के नाम’ से अहमदाबाद लड़ रहा ग्लोबल वॉर्मिंग से

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत हमारे 140 करोड़ नागरिक हैं, उनका सामर्थ्य है, उनकी इच्छा शक्ति हैं और जब करोड़ों लोग, एक-साथ किसी अभियान से जुड़ जाते हैं, तो उसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है। उन्होंने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ को इसका उदाहरण बताते हुए कहा कि ये अभियान उस माँ के नाम है, जिसने हमें जन्म दिया और ये उस धरती माँ के लिए भी है, जो हमें अपनी गोद में धारण किए रहती है। उनको जानकारी दी कि 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर इस अभियान के एक साल पूरे हो रहे हैं।

पीएम ने जानकारी दी कि इस एक साल में इस अभियान के तहत देश-भर में माँ के नाम पर 140 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं। भारत की इस पहल को देखते हुए, देश के बाहर भी लोगों ने अपनी माँ के नाम पर पेड़ लगाए हैं। पीएम ने जनता से अपील की कि आप भी इस अभियान का हिस्सा बनें, ताकि एक साल पूरा होने पर, अपनी भागीदारी पर आप गर्व कर सकें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पेड़ों से शीतलता मिलती है, पेड़ों की छाँव में गर्मी से राहत मिलती है, ये हम सब जानते हैं। उन्होंने एक ख़बर बताई कि गुजरात के अहमदाबाद शहर में पिछले कुछ वर्षों में 70 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं। इन पेड़ों ने अहमदाबाद में हरित क्षेत्र को काफी बढ़ा दिया है। बकौल पीएम मोदी, इसके साथ–साथ, साबरमती नदी पर रिवरफ्रंट बनने से और कांकाँकरिया करिया झील जैसे कुछ झीलों के पुनर्निर्माण से यहाँ जलस्रोतों की संख्या भी बढ़ गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में अहमदाबाद ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ाई लड़ने वाले प्रमुख शहरों में से एक हो गया है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव को, वातावरण में आई शीतलता को, वहाँ के लोग भी महसूस कर रहे हैं।

पीएम मोदी बोले, “अहमदाबाद में लगे पेड़ वहाँ नई ख़ुशहाली खुशहाली लाने की वजह बन रहे हैं | मेरा आप सबसे फिर आग्रह है कि धरती की सेहत ठीक रखने के लिए, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए, और अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए, पेड़ ज़रूर लगाएँ – ‘एक पेड़ – माँ के नाम’।

कर्नाटक में सेब, तमिलनाडु-राजस्थान में लीची, हिमाचल-वायनाड में केसर

इसके बाद ‘जहाँ चाह-वहाँ राह’ कहावत को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम कुछ नया करने की ठान लेते हैं, तो मंजिल भी जरूर मिलती है। पीएम ने जनता से कहा कि आपने पहाड़ों में उगने वाले सेब तो खूब खाए होंगे, लेकिन, अगर वो पूछें कि क्या आपने कर्नाटक के सेब का स्वाद चखा है? तो आप हैरान हों जाएँगे।

पीएम मोदी ने बताया कि आमतौर पर हम समझते हैं कि सेब की पैदावार पहाड़ों में ही होती है, लेकिन कर्नाटक के बागलकोट में रहने वाले श्री शैल तेली जी ने मैदानों में सेब उगा दिया है। उनके कुलाली गाँव में 35 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान में भी सेब के पेड़ फल देने लगे हैं। दरअसल, श्री शैल तेली को खेती का शौक था तो उन्होंने सेब की खेती को भी आजमाने की कोशिश की और उन्हें इसमें सफलता भी मिल गई। आज उनके लगाए सेब के पेड़ों पर काफी मात्रा में सेब उगते हैं जिसे बेचने से उन्हें अच्छी कमाई भी हो रही है।

खेती-बाड़ी की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अब जब सेबों की चर्चा हो रही है, तो आपने किन्नौरी सेब का नाम जरूर सुन होगा। सेब के लिए मशहूर किन्नौर में केसर का उत्पादन होने लगा है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर हिमाचल में केसर की खेती कम ही होती थी, लेकिन अब किन्नौर की खूबसूरत सांगला घाटी में भी केसर की खेती होने लगी, ऐसा ही एक उदाहरण केरला के वायनाड का है – यहाँ भी केसर उगाने में सफलता मिली है। उन्होंने ये भी जानकारी दी कि वायनाड में ये केसर किसी खेत या मिट्टी में नहीं बल्कि Aeroponics तकनीक से उगाए जा रहे हैं।

पीएम मोदी ने एक और नई जानकारी दी कि कुछ ऐसा ही हैरत भरा काम लीची की पैदावार के साथ हुआ है। उन्होंने कहा कि हम तो सुनते आ रहे थे कि लीची बिहार, पश्चिम बंगाल या झारखंड में उगती है, लेकिन अब लीची का उत्पादन दक्षिण भारत और राजस्थान में भी हो रहा है। पीएम ने बताया कि कैसे तमिलनाडु के थिरु वीरा अरासु, कॉफी की खेती करते थे, कोडईकनाल में उन्होंने लीची के पेड़ लगाए और उनकी 7 साल की मेहनत के बाद अब उन पेड़ों पर फल आने लगे। लीची उगाने में मिली सफलता ने आसपास के दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया है। इसी तरह प्रधानमंत्री ने राजस्थान में जितेंद्र सिंह राणावत के बारे में बताया, जिन्हें लीची उगाने में सफलता मिली है। पीएम ने कहा कि ये सभी उदाहरण बहुत प्रेरित करने वाले हैं – अगर हम कुछ नया करने का इरादा कर लें, और मुश्किलों के बावजूद डटे रहें, तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है।

चंपारण सत्याग्रह और ‘दांडी यात्रा’

अप्रैल के आखिरी रविवार के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ ही दिनों में मई का महीना शुरू हो रहा है। पीएम मोदी इसके बाद जनता को 108 साल पूर्व लेकर गए। उन्होंने बताया कि साल 1917 अप्रैल और मई के यही दो महीने – देश में आजादी की एक अनोखी लड़ाई लड़ी जा रही थी, अंग्रेजों के अत्याचार उफान पर थे, गरीबों, वंचितों और किसानों का शोषण अमानवीय स्तर को भी पार कर चुका था, बिहार की उपजाऊ धरती पर ये अंग्रेज किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर कर रहे थे।

पीएम मोदी ने कहा कि नील की खेती से किसानों के खेत बंजर हो रहे थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत को इससे कोई मतलब नहीं था, ऐसे हालात में, 1917 में महात्मा गाँधी जी बिहार के चंपारण पहुँचे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों ने गाँधीजी को बताया – हमारी जमीन मर रही है, खाने के लिए अनाज नहीं मिल रहा है। लाखों किसानों की उस पीड़ा से गांधी जी के मन में एक संकल्प उठा। वहीं से चंपारण का ऐतिहासिक सत्याग्रह शुरू हुआ। ‘चंपारण सत्याग्रह’ ये बापू द्वारा भारत में पहला बड़ा प्रयोग था।

पीएम मोदी ने इतिहास याद करते हुए कहा कि बापू के सत्याग्रह से पूरी अंग्रेज हुकूमत हिल गई। अंग्रेजों को नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर करने वाले कानून को स्थगित करना पड़ा। ये एक ऐसी जीत थी जिसने आज़ादी की लड़ाई में नया विश्वास फूँका। पीएम ने कहा, “आप सब जानते होंगे कि इस सत्याग्रह में बड़ा योगदान बिहार के एक और सपूत का भी था, जो आज़ादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने। वो महान विभूति थे – डॉ राजेन्द्र प्रसाद। उन्होंने ‘चंपारण सत्याग्रह’ पर एक किताब भी लिखी – ‘Satyagraha in Champaran’, ये किताब हर युवा को पढ़नी चाहिए। अप्रैल में ही स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के कई और अमिट अध्याय जुड़े हुए हैं। अप्रैल की 6 तारीख को ही गाँधी जी की ‘दांडी यात्रा’ संपन्न हुई थी। 12 मार्च से शुरू होकर 24 दिनों तक चली इस यात्रा ने अंग्रेजों को झकझोर कर रख दिया था। अप्रैल में ही जलियाँवाला बाग नरसंहार हुआ था। पंजाब की धरती पर इस रक्तरंजित इतिहास के निशान आज भी मौजूद हैं।

वीर कुँवर सिंह को श्रद्धांजलि, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वर्षगाँठ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने याद दिलाया कि 10 मई को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वर्षगाँठ भी आने वाली है। आज़ादी की उस पहली लड़ाई में जो चिंगारी उठी थी, वो आगे चलकर लाखों सेनानियों के लिए मशाल बन गई। उन्होंने याद दिलाया कि अभी 26 अप्रैल को हमने 1857 की क्रांति के महान नायक बाबू वीर कुँवर सिंह जी की पुण्यतिथि भी मनाई है। बकौल पीएम मोदी, बिहार के महान सेनानी से पूरे देश को प्रेरणा मिलती है और हमें ऐसे ही लाखों स्वतंत्राता सेनानियों की अमर प्रेरणाओं को जीवित रखना है। हमें उनसे जो ऊर्जा मिलती है, वो अमृतकाल के हमारे संकल्पों को नई मजबूती देती है।

पीएम ने अपने रेडियो कार्यक्रम की बात करते हुए कहा कि ‘मन की बात’ की इस लंबी यात्रा में आपने इस कार्यक्रम के साथ एक आत्मीय रिश्ता बना लिया है। प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि देशवासी जो उपलब्धियाँ दूसरों से साझा करना चाहते हैं उसे ‘मन की बात’ के माध्यम से लोगों तक पहुँचाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले महीने हम फिर मिलकर देश की विविधताओं, गौरवशाली परंपराओं और नई उपलब्धियों की बात करेंगे। प्रधानमंत्री ने बताया कि हम ऐसे लोगों के बारे में जानेंगे जो अपने समर्पण और सेवा भावना से समाज में बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने जनता से हमेशा की तरह अपने विचार और सुझाव भेजते रहने की अपील की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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