जर्मनी की कंजर्वेटिव पार्टी सीडीयू के नेता फ्रेडरिक मर्ज अब देश के अगले चांसलर बनने की ओर बढ़ रहे हैं। रविवार (23 फरवरी 2025) को हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल कीं और मौजूदा चांसलर ओलाफ शोल्ज को हार का सामना करना पड़ा। मर्ज का नाम खासकर शरणार्थियों और प्रवास को लेकर उनके सख्त रुख की वजह से चर्चा में रहा है। लेकिन कौन हैं ये शख्स, और कैसे पहुँचे वे इस मुकाम तक? आइए जानते हैं।
फ्रेडरिक मर्ज (Friedrich Merz) शरणार्थियों और प्रवास के मुद्दे पर सख्त रवैया अपनाने के लिए जाने जाते हैं। उनका मानना है कि जर्मनी में अवैध प्रवास को पूरी तरह रोकना जरूरी है। वे स्थायी बॉर्डर कंट्रोल की बात करते हैं और कहते हैं कि जो लोग देश में गैरकानूनी ढंग से घुसने की कोशिश करें, उन्हें तुरंत वापस भेजा जाए। सीडीयू के नेता बनने के बाद उन्होंने पार्टी को दक्षिणपंथी रास्ते पर ले जाने की कोशिश की, ताकि उग्र दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का उभार रोका जा सके। उनका कहना है कि जर्मनी अपनी क्षमता से ज्यादा बोझ नहीं उठा सकता।
‘शरणार्थियों के दाँत बनवाने पर टैक्सपेयर का पैसा खर्च’
फ्रेडरिक मर्ज का एक बयान सितंबर 2023 में खूब सुर्खियों में रहा। उन्होंने कहा था, “शरणार्थी टैक्सपेयर के पैसों से अपने दाँत बनवा रहे हैं, जबकि आम जर्मन मरीजों को डॉक्टर की अपॉइंटमेंट तक नहीं मिल रही।” इस बयान ने हंगामा मचा दिया। जर्मन डेंटल एसोसिएशन ने इसे गलत बताया और कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है। कई लोगों ने इसे शरणार्थियों के खिलाफ नफरत भड़काने वाला करार दिया। हालाँकि, मर्ज ने अपनी बात पर कायम रहते हुए कहा कि वे बस देश की सच्चाई सामने लाना चाहते हैं। उन्होंने वैध और अवैध शरणार्थियों के खिलाफ हमेशा ही कड़ा रुख अपनाया है। उनकी जीत से प्रवासियों के बीच संशय की स्थिति है।
राजनीति से कभी ले लिया था संन्यास, फिर की वापसी
69 साल के फ्रेडरिक मर्ज का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। वे 1989 में यूरोपीय संसद और 1994 में जर्मन संसद के लिए चुने गए थे। 2000 में वे सीडीयू/सीएसयू संसदीय समूह के अध्यक्ष बने, लेकिन तत्कालीन उभरती नेता एंजेला मर्केल से सत्ता की जंग में हार गए। 2004 में उन्होंने राजनीति छोड़ दी और वकील व लॉबिस्ट बनकर खूब पैसा कमाया। मर्केल के रिटायरमेंट के समय 2018 में वे वापस लौटे। दो बार हारने के बाद 2022 में वे सीडीयू के नेता बने और पार्टी को फिर से मजबूत किया। अब 2025 के चुनाव में जीत के साथ वे चांसलर बनने वाले हैं।
फ्रेडरिक मर्ज के चांसलर बनने से जर्मनी और यूरोप में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। वे अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बिजनेस-फ्रेंडली नीतियाँ लाना चाहते हैं, जो जर्मनी की ठहरी हुई अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत हो सकता है। विदेश नीति में वे अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ते और यूक्रेन को ज्यादा समर्थन देने की बात करते हैं। वे जर्मनी को यूरोपीय यूनियन और नाटो में अहम भूमिका देने के पक्षधर हैं। हालाँकि शरणार्थियों पर उनकी सख्त नीति से यूरोप में बहस छिड़ सकती है। कई देश पहले ही शरणार्थियों को लेकर सख्ती बरत रहे हैं और मर्ज का रुख इसे और तेज कर सकता है।
नेटो-यूरोपीय यूनियन में बढ़ाएँगे जर्मनी की भागीदारी
वैसे, फ्रेडरिक मर्ज राष्ट्रवादी नजरिए के लिए तो जाने ही जाते हैं, साथ ही वो यूरोपीय यूनियन (ईयू) में भी जर्मनी का दबदबा बढ़ाना चाहते हैं। वो यूरोप की सेना रखने के पक्ष में हैं, ताकि यूक्रेन जैसी कोई नौबत यूरोप के साथ न आए। यही नहीं, जर्मनी की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने नेटो (NATO) में भी अपने सहयोग को बढ़ाने का ऐलान किया है। उन्होंने यूक्रेन को समर्थन देने का भी ऐलान किया था और कहा था कि अगर वो सत्ता में आएँगे, तो यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार वाली मिसाइलों की भी सप्लाई करेंगे।
फ्रेडरिक मर्ज जर्मनी को एक नए रास्ते पर ले जा सकते हैं। उनका बिजनेस बैकग्राउंड और सख्त नजरिया देश को आर्थिक और सुरक्षा मोर्चे पर मजबूत कर सकता है, लेकिन शरणार्थी नीति पर विवाद उनके लिए चुनौती बनेगा। यूरोप में जर्मनी की नई भूमिका और दुनिया के साथ उसके रिश्ते अब मर्ज के हाथों में हैं। यह देखना बाकी है कि वे इस मौके को कैसे भुनाते हैं।