तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की सत्ता में आई मोहम्मद यूनुस के पेंच मोदी सरकार ने कसने चालू कर दिए हैं। भारत विरोधी रवैया अपनाने वाले बांग्लादेश को भारत ने आर्थिक फ्रंट पर एक और झटका दिया है। भारत ने बांग्लादेश से जूट के आयात पर पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इससे बांग्लादेश के निर्यात बड़े स्तर पर प्रभावित होने की आशंका है। भारत इससे पहले भी भी बांग्लादेश से आने वाले कई उत्पादों के आयात पर प्रतिबन्ध लगा चुका है।
क्या है फैसला?
विदेशी व्यापार महानिदेशक (DGFT) के 27 जून, 2025 के एक आदेश के अनुसार, बांग्लादेश से आने वाले जूट और कई तरह के यार्न के भारत में निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश और भारत की सीमा पर कहीं से भी यह उत्पाद भारत में नहीं आने दिए जाएँगे।
बांग्लादेश इन उत्पादों को किसी दूसरे रास्ते से भी भारतीय बाजारों में नहीं उतार सकता है, यह भी इस आदेश में स्पष्ट कर दिया गया है। इसमें लिखा गया है कि बांग्लादेश के जूट और यार्न को भूटान और नेपाल के रास्ते भारत में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

DGFT के आदेश हालाँकि यह छूट दी गई है कि बांग्लादेश मुंबई स्थित न्हावा शेवा बंदरगाह से यह उत्पाद भारत में भेज सके। इसके अलावा भारत ने यह छूट भी बांग्लादेश को दी है कि वह भारत के रास्ते अपने यह उत्पाद भूटान और नेपाल में भेज सके।
अगस्त, 2025 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में खटास आई है। बांग्लादेश के लापरवाह क़दमों की वजह से भारत ने भी उनका जवाब देना चालू कर दिया है। भारत व्यापार के रास्ते बांग्लादेश के लिए अब बंद कर रहा है।
भारतीय जूट उद्योग हो रहा था प्रभावित
इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वर्ष 2023-24 में बांग्लादेश से 144 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1230 करोड़) का जूट आयात किया था। भारत ने इससे पहले यह आयात कम करने को कई बार प्रयास भी किए, पर बांग्लादेशी व्यापारियों की बेईमानी के चलते यह काम नहीं आया।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि बांग्लादेश का जूट भारत में ना आने देने के पीछे और भी कई कारण हैं। इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया है कि बांग्लादेश जूट को भारत में डंप करने के लिए अपने यहाँ सब्सिडी देता है और भारत-बांग्लादेश के बीच मुक्त व्यापार समझौते का गलत लाभ उठाता है।
यह भी बताया गया है कि बांग्लादेश के व्यापारी कई कानूनी लूपहोल्स का फायदा उठाते हैं और भारतीय बाजार को प्रभावित करते हैं। इसके चलते भारत में जूट का बाजार और उसका उत्पादन प्रभावित होता है आया है। इसका सीधा असर भारत और विशेष कर पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के ग्रामीण इलाकों में पड़ा है, जहाँ जूट बड़ी आबादी की आय का स्रोत है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि बांग्लादेश के भारत में अनियंत्रित तरीके से जूट भेजने के चलते यहाँ जूट मिल्स भी ढंग से नहीं चल पा रही हैं। जूट उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन ने वर्ष 2024 में इस मामले में केन्द्र सरकार से सहायता भी माँगी थी।
जूट मिल्स एसोसिएशन ने कहा था कि 2024 में जूट की बम्पर फसल के बावजूद बांग्लादेश से बड़ी मात्रा में जूट का आयात किया गया क्योंकि उसके दामों में अंतर था। जूट मिल्स एसोसिएशन ने कहा था कि भारतीय मिलें इसके चलते भुगतान नहीं कर पर रहीं हैं। अब इस फैसले से भारतीय उत्पादकों और मिलों को कुछ राहत मिलने की संभावना है।
पहले ही लग चुके कई प्रतिबन्ध
यह कोई पहला मौक़ा नहीं है जब भारत ने बांग्लादेश पर व्यापारिक प्रतिबन्ध लगाए हों। बांग्लादेश ने इसकी शुरुआत की थी। बांग्लादेश ने अप्रैल, 2025 में भारत मछली, कपड़े समेत कई उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी। उसने अपने रास्ते का इस्तेमाल करने देने के लिए भी भारत से 1.8 टका प्रति टन का शुल्क लेना चालू कर दिया था।
बांग्लादेश ने यहाँ तक कि दूध के पाउडर तक के भारत से आयात पर रोक लगा दी थी। इसके जवाब में भारत ने मई, 2025 में बांग्लादेश से आने वाले रेडिमेड कपड़ों, प्रोसेस्ड फ़ूड और फ्रूट ड्रिंक्स आदि पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। भारत ने बांग्लादेश से आने वाले प्लास्टिक और लकड़ी के सामान पर भी कई तरह के प्रतिबन्ध लगाए थे।
भारत ने कहा था कि वह अब बांग्लादेश से आने वाले कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, बेक्ड सामान, स्नैक्स, चिप्स और कन्फेक्शनरी, कपास और कॉटन याम अपशिष्ट, प्लास्टिक और पीवीसी से तैयार सामान और लकड़ी के फर्नीचर के सामान को असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम और पश्चिम बंगाल में किसी भी जमीनी पोर्ट के माध्यम से घुसने नहीं देगा।
भारत द्वारा लगाए इन प्रतिबन्धों के चलते बांग्लादेश को वार्षिक तौर 770 मिलियन डॉलर (₹6500 करोड़+) का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया था। यह बांग्लादेश के भारत को कुल निर्यातों का लगभग 42% बनता है। भारत व्यापार के मामले में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा पार्टनर है।
मोहम्मद यूनुस की सरकार ने बनाया है द्वेष का माहौल
अगस्त, 2024 में शेख हसीना की सरकार को इस्लामी कट्टरपंथियों ने सत्ता से हटा दिया था। इसके कुछ दिनों बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के तौर पर देश का मुखिया बनाया गया था। मोहम्मद यूनुस की सरकार लगातार भारत विरोधी कदम उठा रही है।
उसने भारत की अपेक्षा पाकिस्तान से रिश्ते मजबूत किए और यहाँ तक कि पाकिस्तान के फौजी जनरलों को भी बुलाया। मोहम्मद यूनुस ने चीन में जाकर भी भारत के उत्तरपूर्वी हिस्से को लेकर एक विवादित बयान दिया था। इसके अलावा मोहम्मद यूनुस की सरकार आने के बाद बांग्लादेश में लगातार हिन्दुओं पर हमले हो रहे हैं।
बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की सरकार हिन्दुओं पर हमले रोकने के बजाय उन्हें मानने तक से इनकार करती आई है। इसके चलते भी दोनों देशों के रिश्तों में खटास है। हाल ही में बांग्लादेश में अवैध बता कर एक हिन्दू मंदिर को फौजी बुलाकर गिरा दिया गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी कड़ी आलोचना की थी।
बांग्लादेश भारत ने शेख हसीना को शरण दिए जाने को लेकर भी प्रलाप करता आया है। हालाँकि, भारत ने अब तक बांग्लादेश के क़दमों पर नरमी ही बरती है।