जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में फिर तनाव बढ़ा दिया है। पहलगाम में हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए हमले के तार सीधे तौर पर पाकिस्तान से जुड़ रहे हैं। इस हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, अटारी-वाघा बॉर्डर बंद किया और पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया। पाकिस्तान में इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है। उसने जवाब में वाघा बॉर्डर और अपना एयरस्पेस बंद कर दिया। साथ ही शिमला समझौते को रद्द करने और खून बहाने की गीदड़भभकी दे रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (एनएससी) ने भारत के पानी रोकने के फैसले को युद्ध की कार्रवाई माना है। एनएससी का कहना है कि सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान की 24 करोड़ जनता की जिंदगी की रीढ़ है। अगर भारत ने पानी रोका, तो इसे युद्ध माना जाएगा और पूरा दम लगाकर जवाब दिया जाएगा। बैठक में पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी व्यापार बंद करने और भारतीय दूतावास के स्टाफ को 30 तक सीमित करने का भी ऐलान किया।
इस बीच, पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से कहा कि भारत जल्द ही सैन्य कार्रवाई कर सकता है। बासित ने 2016 के उरी और 2019 के पुलवामा हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत नियंत्रण रेखा पार हमला कर सकता है और आतंकी ठिकानों को नष्ट करने का दावा करेगा। बासित ने सिंधु जल संधि के निलंबन को ‘प्रतीकात्मक’ बताया, क्योंकि भारत के पास अभी पानी रोकने का ढाँचा नहीं है।
अब्दुल बासित ने डर जताया है कि बलूचिस्तान में आतंकी हमले बढ़ सकते हैं और पाकिस्तान को कानून-व्यवस्था की चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। बासित ने यह भी कहा कि चीन इसमें पाकिस्तान का साथ दे सकता है।
पाकिस्तान की धमकियों के बावजूद भारत ने 20 देशों को हमले की जानकारी दी और साफ कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, संधि निलंबित रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ रहा है, लेकिन वह चीन के भरोसे गीदड़भभकी दे रहा है।