जहाँ एक तरफ पूरा देश ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय सेना को धन्यवाद दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ ‘The Wire’ जैसे मीडिया संस्थान और अरफ़ा खानम शेरवानी जैसे एजेण्डाबाज पत्रकार प्रपंच से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे संवेदनशील समय में भी दुश्मन का एजेंडा चला रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया। सिंधु जल संधि के स्थगन के साथ पाकिस्तानियों के वीजा रद्द करने और चेनाब नदी का पानी रोकने के बाद आखिरकार जब भारतीय सेनाओं ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकियों के ठिकाने नेस्तनाबूद किए, उसके बाद कहीं भारतीयों के कलेजों को ठंडक मिली, लेकिन देश की ये बहादुरी भी प्रोपेगेंडा चलाने वालों को हजम नहीं हुई।
जम्मू कश्मीर में पहलगाम के बैसारन घाटी में 22 अप्रैल, 2025 को भरी दोपहर में उस समय आतंकी हमला हुआ जब पर्यटक घाटी में अपने लिए यादें संजो रहे थे। कुछ बिल्कुल नए विवाहित जोड़े अपने हनीमून पर आए थे तो वहीं कुछ परिवार देश के दक्षिणी हिस्से से एकदम उत्तर में आकर प्रकृति के अप्रतिम दृश्यों को निहार रहे थे।
उसी समय पाकिस्तानी आतंकियों ने गोलीबारी शुरु कर दी। 24 हिंदुओं समेत कुल 28 लोगों को गोली मारी गई। हत्या से पहले उन सभी से उनका धर्म पूछा गया। गैर-मुस्लिम होने का प्रमाण जाँचा गया। हिंदू महिलाओं के सामने ही उनका सुहाग उजाड़ दिया गया।
इस आतंकी हमले के बाद देशभर में लोगों में आक्रोश फैल गया। सबके दिलों में न्याय की ज्वाला धधक रही थी। एक ओर भारत सरकार अपने निर्णय ले रही था को वहीं आम लोग भी अपने-अपने तरीकों से इसका विरोध जता रहे थे। कई शहरों में पाकिस्तान के झंडों के पोस्टर सड़कों और सार्वजनिक जगहों पर चिपकाए गए। कुछ ने सोशल मीडिया पर प्रक्रिया दी तो कई जगहों पर कैंडल मार्च निकाल कर न्याय की आस लगाई थी।
भारत सरकार ने भी लोगों का भरोसा टूटने नहीं दिया। लगातार अपने कड़े निर्णयों से सरकार बताती रही कि वो फुल फॉर्म में है। हमले के ठीक 15 दिन बाद 7 मई, 2025 की आधी रात में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ मिशन का आगाज किया और पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में अपनी नींव जमाए बैठे आतंकी संगठनों के 9 ठिकाने तबाह कर दिए। इस मिशन से जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैय्यबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के लगभग 100 आतंकियों को जमींदोज कर दिया गया। सेना ने इसकी जानकारी अपने सोशल मीडिया हैंडल से दी।
‘The Wire’ की आरफा खानम शेरवानी ने चलाया पाकिस्तान का एजेंडा
इस मिशन की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद प्रोपेगेंडा चलने वाले न्यूज पोर्टल और पत्रकारों में इस बात की खलबली मच गई कि किस तरह से पाकिस्तान को ‘पीड़ित’ दिखलाया जाए। किस तरह से बताया जाए की जो मारे गए वह आतंकी नहीं थे और किस तरह से भारत सरकार के खिलाफ एक नया जहर घोला जा सके।
इस कड़ी में प्रोपेगेंडा न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ की सीनियर एडिटर आरफा खानम शेरवानी ने एक पैनल डिस्कशन कर डाला। इसने कुछ वामपंथी पत्रकारों को शामिल कर लिया गया और इस पैनल चर्चा में आरफा ने ये तक कह डाला कि जो मारे गए वह आतंकी नहीं थे बल्कि आम नागरिक थे।
पाकिस्तान में आतंकी नहीं सिवलियन मारे गए है- आरफ़ा @HMOIndia इनसे सख्ती और शक्ति द्वारा निपटिये।
— Baliyan (@Baliyan_x) May 7, 2025
उधर वालो से अभी ख़तरनाक है ये। pic.twitter.com/WSqLEq9RHh
आरफा खानम ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से शुरू होकर पूरे मिशन की चिरौरी करते हुए लगभग एक घंटे के वीडियो में ये बताने की कोशिश की कि मिशन में क्या क्या खामियाँ रहीं, इस मिशन से पाकिस्तान के लोग किस तरह परेशान हो रहे हैं और इस मिशन के जरिए मोदी सरकार क्या-क्या फायदे लेगी।
आरफा ने सबसे पहले इसी बात पर चर्चा जरूरी समझी कि इस मिशन का नाम सिंदूर रखा तो उसे किस तरह से लिखा गया। आरफा ने कहा, “भारतीय सेना ने पारंपरिक तरीकों से हटकर मिशन जानकारी सोशल मीडिया हैंडल से दी गई। इसमें पोस्टर लगाया गया और उसमें सिंदूर को इस तरह लिखा गया जैसे भारत में शादीशुदा औरतें अपनी माँग में सिंदूर भरती हैं और साथ में ये भी कहा है कि न्याय हुआ।”
इसके बाद आरफा ने भारत ने एयरस्ट्राइक पर सवाल जवाब किए। पैनल डिस्कशन में कहा गया कि हमारे पास सिर्फ भारत सरकार और पाकिस्तान की ओर से किए गए दावे ही हैं कि उन्होंने मिशन में क्या किया है।
आरफा ने पैनलिस्ट्स से पूछा कि भारत के दर-दर से और घर-घर आवाज आ रही थी कि लोगों को जंग चाहिए। तो क्या ये जंग है? इसके जवाब में पैनलिस्ट और वरिष्ठ पत्रकार राहुल बेदी ने कहा, “भारत ने पाकिस्तान के 9 ठिकानों पर हमला किया है तो इसकी जवाबी हमले 100% होंगे और यह कहाँ होंगे हमें नहीं पता है। मिलिट्री पर या एयरफोर्स पर हमले हो सकते हैं।”
अपने पैनल डिस्कशन में आरफा ने पाकिस्तान सरकार की बातें इतनी मजबूती से रखी मानो ऐसा लग रहा हो कि वह पाकिस्तान की कोई प्रवक्ता हों। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान कह रहा है कि जो लोग मारे गए हैं उनमें कोई आतंकवादी नहीं है। ऐसे में जितने हमले हुए हैं उनमें कोई आतंकवादी नहीं मारा है बल्कि आम नागरिकों की मौत हुई है।”
आरफा के इस बयान से लोगों में काफी गुस्सा बढ़ गया। लोगों का कहना है कि देश के लिए खड़े होने से ज्यादा जरूरी पाकिस्तान को समर्थन देना नहीं हो सकता, लेकिन प्रोपेगंडा चलाने वाले इन पत्रकारों के लिए पाकिस्तान को पीड़ित दिखलाना शायद सबसे जरूरी है। राहुल बेदी ने कहा कि इस मिशन से पीएम मोदी अपना राजनीतिक फायदा ज़रूर उठाएँगे।