Friday, April 19, 2024
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कन्हैया लाल के परिजनों की आवाज दबाई, जुबैर की हिंदू घृणा छिपाई: जानिए YouTube पर क्यों उठ रहे हैं सवाल

ऐसे में यह याद रखना महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकार द्वारा नए सोशल मीडिया दिशा-निर्देशों के अनुसार, YouTube और अन्य सोशल मीडिया दिग्गज 'संपादक' के रूप में कार्य करना जारी रखते हैं और तार्किक आधार के बिना महत्वपूर्ण समाचारों को दबाते रहते हैं तो वे सरकार द्वारा इंटरमीडियरी के रूप में दी गई सुरक्षा को खो देंगे।

राजस्थान के उदयपुर (Udaipur, Rajasthan) में मोहम्मद रियाज अख्तर और मोहम्मद गौस द्वारा हिंदू शख्स कन्हैया लाल की निर्मम हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया है। जहाँ वैश्विक मीडिया ने सैमुअल पैटी की हत्या पर दुनिया का ध्यान खींचा, वहीं कन्हैया लाल जैसे नामों पर मीडिया और सोशल मीडिया के दिग्गजों द्वारा इस्लामवादी हत्या को दबाने के साथ-साथ हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाले AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर जैसों को बचाने का प्रयास करते हैं।

ऑपइंडिया ने 28 जून 2022 को एक रिपोर्ट प्रकाशित किया था। रिपोर्ट में ऑपइंडिया ने TimesNow का एक YouTube वीडियो एम्बेड किया था। इस वीडियो में पुलिस को लैपटॉप बरामद करने के लिए मोहम्मद जुबैर को उसके बेंगलुरु के घर तक ले जाते हुए दिखाया गया था।

बता दें कि जुबैर ने पहले अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सौंपने से इनकार कर दिया था और उन्हें फॉर्मेट कर दिया था। पुलिस ने कहा कि बार-बार उपकरण माँगने के बावजूद जुबैर ने अपने उपकरण पुलिस को सौंपने से इनकार कर दिया था।

ट्विटर यूजर @BeffitingFacts ने 1 जुलाई 2022 को एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया, जिसमें दिखाया गया है कि टाइम्स नाउ के जिस वीडियो को ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में एम्बेड किया था, वह गायब हो गया है। यूट्यूब ने अपनी नोटिस में कहा है कि वीडियो को सामुदायिक मानकों का उल्लंघन करने के लिए हटा दिया गया है।

TimesNow का यह वीडियो पुलिस का जुबैर को उसके आवास पर ले जाने के दौरान का लाइव कवरेज वीडियो था। संभव है कि YouTube ने वीडियो को इसलिए हटा दिया, क्योंकि ज़ुबैर के समर्थकों द्वारा वीडियो को बड़े पैमाने पर रिपोर्ट किया गया था। लाइव रिपोर्टिंग के दृश्यों में, जुबैर को उनके आवास के अंदर ले जाते हुए देखा गया था, जिसमें उनकी इमारत के दृश्य स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे।

यूट्यूब इंडिया की पूर्वाग्रह वाली इस कार्रवाई पर कई लोगों ने सवाल उठाया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह मोहम्मद जुबैर को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

जब ऑपइंडिया ने यूट्यूब के दिशा-निर्देशों को देखा तो टाइम्स नाउ वीडियो को रिपोर्ट करने के बाद उसे गोपनीयता नीति गोपनीयता नीति के तहत हटाया गया होगा। YouTube गोपनीयता दिशा-निर्देश है: “सामग्री को हटाने पर विचार करने के लिए उस व्यक्ति की पहचान विशिष्ट रूप में होनी चाहिए और हमें शिकायत उस व्यक्ति या उसके प्रतिनिधि द्वारा मिली होनी चाहिए और उसकी छवि, आवाज, पूरा नाम, सरकारी पहचान संख्या, बैंक खाता संख्या, संपर्क जानकारी (जैसे घर का पता, ईमेल पता) या अन्य विशिष्ट रूप से उसकी पहचान होनी चाहिए। हम यह भी ध्यान में रखते हैं कि गोपनीयता उल्लंघन के लिए सामग्री को हटाया जाना चाहिए या नहीं। यह निर्धारित करते समय सार्वजनिक हित, समाचार योग्यता, सहमति और यह जानने की कोशिश करते हैं कि यह जानकारी सार्वजनिक रूप से अन्य जगहों पर उपलब्ध है या नहीं। YouTube इस बात का अंतिम निर्धारण करने का अधिकार सुरक्षित रखता है कि उसके गोपनीयता दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ है या नहीं।”

यूट्यूब की गोपनीयता नीति

यूट्यूब का कहना है कि अगर उसे प्राइवेसी को लेकर कोई शिकायत मिलती है तो वह यूजर को संशोधन के लिए 48 घंटे का समय देता है और अगर इसमें संशोधन नहीं किया जाता है तो वह वीडियो को हटाने की दिशा में आगे बढ़ता है।

लेकिन यहाँ एक मसला है। उसका यह भी कहना है कि तीसरे पक्ष की ओर से शिकायत तब तक नहीं की जा सकती है, जब तक कि जिस व्यक्ति की निजता का उल्लंघन किया जा रहा है, वह अक्षम ना हो। इसलिए, यह पूरी तरह से संभव है कि जिस गोपनीयता शिकायत का YouTube ने संज्ञान लिया, वह जुबैर के परिवार के किसी सदस्य या सहयोगी द्वारा उठाया गया था।

यूट्यूब की गोपनीयता नीति

हालाँकि, Times Now का यह वीडियो मोहम्मद जुबैर की निजता का उल्लंघन नहीं कर रहा था। यह एक आरोपित के बारे में एक ऑन-ग्राउंड रिपोर्ट थी, जिसे पुलिस उसके आवास पर ले जाते समय पूछताछ कर रही थी। अब सवाल यह है कि अन्य दूसरे अपराधियों के लिए यूट्यूब ऐसा करेगा, यदि पुलिस पूछताछ करने के लिए उसे उसके घर लेकर जाती है।

YouTube के इरादे सवालों के घेरे में आ गए हैं। लोगों का कहना है कि YouTube ने Times Now के इस वीडियो के खिलाफ इसलिए कार्रवाई की है क्योंकि वह मोहम्मद जुबैर के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी को छिपाना चाहता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि YouTube ने नुपुर शर्मा को जान से मारने की धमकी देने वाले ज़ुबैर के गैंग के लोगों के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की।

कन्हैया लाल की निर्मम हत्या के खिलाफ प्रदर्शन को भी YouTube ने हटाया

Times Now का वीडियो हटाने के बाद ऑपइंडिया ने यह भी पाया कि YouTube ने सामुदायिक मानकों के उल्लंघन के नाम पर रिपब्लिक टीवी के कुछ अन्य वीडियो को भी हटा दिया है। YouTube द्वारा हटाए गए वीडियो में से एक में दो इस्लामवादियों द्वारा कन्हैया लाल की हत्या के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन दिखाया गया है।

हालाँकि, जब कोई YouTube लिंक पर क्लिक करता है तो यह दिखाता है कि वीडियो उपलब्ध नहीं है।

वीडियो उपलब्ध नहीं है

इस मामले में हम इस बात की पुष्टि नहीं कर सके कि वीडियो को YouTube ने हटाया था या रिपब्लिक टीवी ने स्वयं हटा लिया था, क्योंकि नोटिस में कहा गया है कि वीडियो अब उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, एक अन्य मामले में यह स्पष्ट था कि इसे YouTube द्वारा हटा दिया गया था। एक अन्य ट्वीट में रिपब्लिक ने कन्हैया लाल के परिवार के लिए न्याय की माँग को लेकर एक यूट्यूब लिंक पोस्ट किया था।

जब कोई YouTube लिंक पर क्लिक करता है तो यह कहता है कि वीडियो को सामुदायिक मानकों के उल्लंघन के कारण हटा दिया गया है।

कन्हैया लाल का परिवार हत्या की बात करते हुए जाहिर तौर पर बेहद आक्रोशित था। परिवार के कुछ सदस्यों ने यह भी माँग की कि अपराधियों को ठीक उसी तरह मार दिया जाए जैसे कन्हैया लाल की हत्या की गई थी। एक वीडियो में सीएम अशोक गहलोत को ‘मुसलमानों का गुलाम’ कहा गया।

हालाँकि, हम नहीं जानते कि इस वीडियो में क्या कहा गया था, लेकिन पूरी संभावना है कि इसे YouTube द्वारा इस्लामवादियों और वामपंथियों द्वारा ‘अभद्र भाषा’ के रूप में बड़े पैमाने पर की गई रिपोर्टिंग के बाद हटा दिया गया।

दिलचस्प बात यह है कि जहाँ इस्लामवादियों ने कन्हैया लाल का सिर कलम कर दिया, वहीं उनके परिवार की पीड़ा व्यक्त करने वाली आवाज को YouTube ने शायद हेट स्पीच के नाम पर दिया। YouTube की हेट स्पीच नीति में उल्लेख है कि धर्म पर आधारित कोई भी ‘लक्ष्यीकरण’ वीडियो को हटाए जाने का एक कारण है।

यूट्यूब की हेट स्पीच नीति

कन्हैया लाल की बर्बर हत्या पर पश्चिमी मीडिया ने आँखें बंद की

पश्चिमी मीडिया ने भी इस्लामवादी क्रूरता वाली कन्हैया लाल की हत्या वाली खबर को पूरी तरह दबा दिया है। एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) के संपादकों में से एक ने बुधवार को खुलासा किया कि कई पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल नाम के एक हिंदू दर्जी की नृशंस हत्या के बारे में रिपोर्ट नहीं करने का विकल्प चुना था। पश्चिमी मीडिया हाउस को उदयपुर हत्या पर ANI द्वारा 5 वीडियो स्टोरी दी गई थीं, लेकिन उनमें से कुछ ने ही इसे चलाया।

ANI के संपादक ईशान प्रकाश ने 30 जून को ट्वीट किया कि एजेंसी ने दुनिया की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी थॉमसन रॉयटर्स के माध्यम से कन्हैया की हत्या पर 5 विस्तृत वीडियो स्टोरी विश्व स्तर पर साझा की थीं। अधिकांश अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स ने कहानी को नजरअंदाज कर दिया है।

प्रकाश ने बताया कि खबर को चलाने वालों में बीबीसी, वाको ट्रिब्यून-हेराल्ड, द वॉशिंगटन पोस्ट और टोरंटो सन शामिल हैं। हालाँकि, बीबीसी ने अपनी स्टोरी में हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा घटना के विरोध में प्रदर्शन और और ‘बहुसंख्यक हिंदुओं और अल्पसंख्यक मुसलमानों’ के बीच तनाव को प्रदर्शित किया। लेकिन, उसने उदयपुर घटना के इस्लामी हत्यारों (रियाज़ मोहम्मद और ग़ुस मोहम्मद) का अपनी रिपोर्ट में नाम तक नहीं लिया। वहीं, वाको ट्रिब्यून-हेराल्ड ने रिपोर्ट को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और कहा कि यह हमला ‘गहरे धार्मिक ध्रुवीकरण से प्रभावित देश में सांप्रदायिक हिंसा की नाटकीय वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है’।

वाको ट्रिब्यून हेराल्ड ने आगे लिखा कि कन्हैया को भाजपा की पूर्व नेता नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट साझा करने के लिए मारा गया था, जिन्होंने हाल में कथित ‘ईशनिंदा’ की थी। इसके बाद उसने लिखा, “आजकल अल्पसंख्यक समूहों, विशेष रूप से मुसलमानों पर हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा हमलों की बाढ़ आ गई है। उन्हें उनके भोजन और कपड़ों की शैली से लेकर अंतरधार्मिक विवाह तक, हर चीज के लिए निशाना बनाया गया है। कुछ भारतीय राज्यों में मुस्लिम घरों को भी बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया, जिसे आलोचक अल्पसंख्यक समूह के खिलाफ बुलडोजर न्याय बताते हैं।”

पश्चिमी मीडिया और बड़ी तकनीकी संस्थान इस्लामवादी क्रूरता की खबरों को सक्रिय रूप से दबाने और हिंदुओं को दोष देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें यह याद रखना महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकार द्वारा नए सोशल मीडिया दिशा-निर्देशों के अनुसार, YouTube और अन्य सोशल मीडिया दिग्गज ‘संपादक’ के रूप में कार्य करना जारी रखते हैं और तार्किक आधार के बिना महत्वपूर्ण समाचारों को दबाते रहते हैं तो वे सरकार द्वारा इंटरमीडियरी के रूप में दी गई सुरक्षा को खो देंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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