Friday, May 3, 2024

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History

जब देशहित के लिए अपनी पहचान खो कर BJP का हुआ निर्माण: सावरकर से लेकर अटल-आडवाणी तक का इतिहास

जनसंघ की जड़ें RSS और अन्य धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रवादी आन्दोलनों और संगठनों से जुड़ी थीं। इसीलिए, भाजपा का इतिहास समझने के लिए हमें संघ के साथ-साथ आर्य समाज और हिन्दू महासभा के इतिहास को भी देखना पड़ेगा। आज के 'घर वापसी' अभियान को ही लें तो इसकी जड़ें आर्य समाज के शुद्धि आंदोलन में है।

सिसली में शवों से भरे 12 जहाजों से लेकर वुहान के कोरोना तक: हमेशा गतिशील धनाढ्य वर्ग के कारण फैले ऐसे विषाणु

पैनडेमिक के पीछे कभी भी गरीब, पिछड़े और आम जीवन व्यतीत करने वालों का हाथ नहीं रहा। इसके पीछे प्राय: धनी, सुदृढ़, प्रवासी, धनाकांक्षी, गतिशील लोग होते थे और आज भी स्थिति वही है। फिर चाहे देश में पहला कोरोना केस बना वुहान से लौटा केरल का छात्र हो या लंदन से लौटी कनिका कपूर। सब एक समृद्ध समाज का हिस्सा हैं। जिनके लिए आज यहाँ कल वहाँ एक आम बात है।

मौलवियों ने कहा- काफिरों को इस्लाम में बदलो, लेकिन उसके कारण कामयाब न हो पाया मिरखशाह

भगवान झूलेलाल ने अपने चमत्कारिक जन्म और जीवन से सिंधी हिंदुओं के जान की रक्षा की। हिन्दू धर्म को बचाए रखा। मिरखशाह जैसे ना जाने कितने इस्लामिक कट्टरपंथी आए और धर्मांतरण का खूनी खेल खेला। लेकिन भगवान झूलेलाल की वजह से सिंध में एक दौर में ऐसा नहीं हो पाया था।

मलेच्छों से शिवाजी की रक्षा करने वाले संत: इन्द्रायणी नदी में पारिवारिक विरासत प्रवाहित कर भगवद्भक्ति का मार्ग चुना

शिवाजी सब कुछ छोड़ कर भक्तिभाव से तुकाराम के साथ रहना चाहते थे, किन्तु तुकाराम ने उनसे कहा कि आप जो कर रहे हैं वही आवश्यक है। परामर्श के लिए समर्थ गुरु रामदास से मिलने को कहा। समर्थ गुरु रामदास ने शिवाजी का योग्य मार्गदर्शन किया।

नारायण स्वामी मंदिर को ढाह कर बनाया गया देवल मस्जिद… और राज्य सरकार हिंदू-इस्लामी वास्तुकला पर ताली बजा रही!

केवल इतिहासकार नहीं, बल्कि 'मस्जिद' के भीतर रखा गया 11वीं शताब्दी का शिलालेख भी इस बात को संदर्भित करता है कि पहले ये 'मस्जिद' इंद्रनारायण का मंदिर था। लेकिन राज्य सरकार की तुष्टिकरण वाली ऐसी क्या मजबूरी कि वो सच बोलने से बचती है?

जिसका भाई था Pak की बड़ी हस्ती, उसे न सिर्फ CJI बनाया बल्कि उपराष्ट्रपति भी: इंदिरा गाँधी के शासन की कहानी

काफ़ी विचार विमर्श किया गया। संविधान विशेषज्ञों की राय ली गई। संविधान का विशेष सत्र बुलाया गया। फिर संविधान के अधिनियम 16 में प्रावधान बनाया गया। इतना सब कुछ क्यों? क्योंकि इंदिरा के चहेते हिदायतुल्लाह (तब के CJI) को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया जाए।

मुगलों को धूल चटा दिल्ली में भगवा लहराने वाले सिंधिया, दिग्विजय के ‘गद्दार’ पूर्वज को सबक सिखाने वाले सिंधिया

इतिहास का यह पन्ना सन् 57 से भी पुराना है। तब सम्पूर्ण भारतवर्ष में मराठा शासन का प्रभाव चरम पर था। मुगलों से अपने तलवे चटवाने वाला एक सिंधिया भी था। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पूर्वजों की बगावत को कुचलने वाला भी सिंधिया ही था।

अफजल को मारा, शाहिस्ता को हराया और औरंगज़ेब को नाकों चने चबवाया: छत्रपति शिवाजी के प्रमुख युद्ध

1659 में आदिलशाह ने छत्रपति शिवाजी के साम्राज्य को नष्ट करने के लिए 75000 सैनिकों की सेना के साथ अफ़ज़ल खान को भेजा। छत्रपति शिवाजी ने कूटनीतिक तरीके से अफजल खान को मार डाला। फिर उन्होंने आदिलशाही सल्तनत पर बड़े हमले शुरू करने के लिए अपने सैनिकों को संकेत दिया।

वो शिवा जिसने शिवाजी की जान बचाने के लिए ख़ुद का बलिदान दिया: जब 300 मराठों ने 1 लाख की फ़ौज को हराया

छत्रपति शिवाजी ने आधी रात को 300 सैनिकों के साथ हमला किया। उस वक्त लालमहल में शाहिस्ता खान के लिए 1,00,000 सैनिकों की कड़ी सुरक्षा थी। इस हमले से छत्रपति ने दुनिया को कमांडो ऑपरेशन की तकनीक दिखाई।

‘शेर-ए-पंजाब’ जो कोहिनूर अपनी बाँह पर पहनते थे चुने गए दुनिया के सर्वकालिक महान नेता

सर्वेक्षण में पाँच हजार से अधिक पाठकों ने हिस्सा लिया। 38% से ज्यादा मत पाने वाले रणजीत सिंह की सहिष्णु साम्राज्य बनाने के लिए प्रशंसा की गई। दूसरे स्थान पर अफ्रीकी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी अमिलकार काबराल रहे।

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