लोगों द्वारा लगातार आवाज उठाने के बाद एडिटर्स गिल्ड ने चुप्पी तोड़ते एक बयान तो जरी किया लेकिन उसमे राहुल गाँधी द्वारा स्मिता प्रकाश पर की गई टिपण्णी को लेकर आपत्ति जताने से ज्यादा पुराने घिसे-पिटे मुद्दों पर भाजपा नेताओं को निशाना बनाया गया।
घोटालों को नॉर्मलाइज़ करनेवाली पार्टी आजकल विथड्रावल सिम्पटम से जूझ रही है क्योंकि 'जो घोटाले करते नहीं थे, उनसे घोटाले 'हो जाते' थे,' उनका घोटालों से दूर होना कष्टदायक तो है ही।
राफेल सौदे में विमानों की खरीद से लेकर ओफ़्सेट पार्टनर चुनने और जेपीसी की मांग तक, जेटली ने हर एक मुद्दे पर कई बातों को स्पष्ट किया और साथ ही कांग्रेस पर पलटवार भी करते रहे।
अब कोई लक्ष्मणसूर्य पोहा टाइप इतिहासकार ये न कह दे कि कस्तूरबा गाँधी वाक़ई में इतालवी महिला थी जो महात्मा गाँधी से दक्षिण अफ़्रीका प्रवास के दौरान मिली थी और दोनों में प्रेम हो गया।
हम निष्पक्ष रूप से इस बात की पड़ताल करेंगे कि आखिर भाजपा ने अपने साढ़े चार सालों के कार्यकाल में मध्यम वर्ग के लिए क्या-क्या किया है और इसकी तुलना इस से की करेंगे कि कांग्रेस ने अपने 10 सालों के कार्यकाल में इस महत्वपूर्ण वर्ग के लिए क्या किया था।
वैसे भी, किसी की कमी पर ऐसे हँसना सही बात नहीं है। भगवान हर किसी को अलग तरह से बनाता है। किसी को रूप देता है, किसी को बुद्धि। किसी को रूप नहीं देता, किसी को बुद्धि नहीं देता। किसी को एक डिम्पल देता है, तो किसी को दो।