Tuesday, March 19, 2024
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चीन में छात्रों को मिला साल भर अच्छे प्रदर्शन का इनाम, स्कूल ने दिए 5-10 kg के सूअर के बच्चे

इस स्कूल में कुल 65 बच्चे पढ़ते हैं, जिन्हें 4 शिक्षक पढ़ाते हैं। छात्रों को दिए गए इस अजीब पुरस्कार की तस्वीरें चीन के सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। ईनाम में दिए गए प्रत्येक सुअर के बच्चे का वजन 5-10 किलो के बीच था।

चीन से एक चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है। दक्षिण-पश्चिमी चीन के एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई को दौरान अच्छा प्रदर्शन करने वाले 20 छात्रों को पुरस्कार के तौर पर सुअर के बच्चे दिए गए। जिसे बच्चों के माता-पिता अपने साथ अपने घर ले गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना युन्नान प्रांत के यिलियांग काउंटी के जियांगयांग एलीमेंट्री स्कूल की है। यहाँ के छात्रों की सालभर के प्रदर्शन का ईनाम स्कूल प्रबंधन ने 20 छात्रों के परिवारों को 20 पिगलेट दिए थे। इस मामले में स्कूल के एक शिक्षक होउ चांगलियांग ने कहा कि पिगलेट को ग्रामीण शिक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच संबंधों को बढ़ावा देने की कोशिशों के तहत शंघाई शियांगवु पब्लिक वेलफेयर फंडजियांगवु पब्लिक वेलफेयर फंड की ओर से दिया गया है। दरअसल, इस इलाके में गरीबी काफी ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि छात्रों का चयन उनके शैक्षणिक प्रदर्शन के अनुसार किया गया। इस स्कूल में कुल 65 बच्चे पढ़ते हैं, जिन्हें 4 शिक्षक पढ़ाते हैं। छात्रों को दिए गए इस अजीब पुरस्कार की तस्वीरें चीन के सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। ईनाम में दिए गए प्रत्येक सुअर के बच्चे का वजन 5-10 किलो के बीच था।

प्रत्येक सूअर का वजन 5 से 10 किलोग्राम के बीच था और उसने सफेद, पीले और काले रंग की फर पहन रखी थी। शिक्षक होउ के मुताबिक, “इस तरह के इनाम से न केवल छात्रों को प्रोत्साहित किया गया है, बल्कि उनके परिवारों की भी मदद की गई है।” उनका मानना है कि हालाँकि, इन सुअरों से इन परिवारों को शुरुआती तौर पर लाभ नहीं होगा, लेकिन भविष्य में इन परिवारों को इसका वित्तीय लाभ मिल सकेगा।

गौरतलब है कि यिलियांग काउंटी चीन के सबसे गरीब इलाकों में से एक है। वर्ष 2019 में स्थानीय निवासियों प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 27,291 युआन (3,18,597.38 रुपए) थी। स्थानीय अधिकारियों ने जून 2020 में घोषणा की कि इस क्षेत्र के सभी परिवारों को गरीबी से बाहर निकाल दिया गया है और वे कम्युनिस्ट पार्टी के गरीबी उन्मूलन अभियान के तहत गरीबी से बाहर निकलने वाले अंतिम परिवारों में से थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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