Thursday, May 2, 2024
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5 साल में एक भी दंगा नहीं, महिला सुरक्षा भी अभूतपूर्व: योगी सरकार 2.0 के पहले बजट में रफ्तार और भी तेज

पाँच वर्ष पहले जब उत्तर प्रदेश की बात होती थी तो अपराध, दंगा, उपद्रव, माफियागीरी और महिलाओं पर अपराध की चर्चा होती थी। कानून-व्यवस्था की स्थिति दयनीय थी। प्रदेश में माफिया सक्रिय थे। सत्ता और अपराधियों का ऐसा गठजोड़ दिखता था कि त्रस्त जनता ने आस ही छोड़ दी थी। सुखद यह रहा कि 2017 में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने।

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही प्रदेश का वातावरण परिवर्तित होने लगा। कानून-व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन हुआ और भयमुक्त प्रदेश बनने लगा। प्रदेश की जनता इस परिवर्तन का अनुभव कर रही है। 2022 में सीएम योगी की प्रचंड बहुमत की सरकार बनने के पीछे के अनेक कारणों में से एक बड़ा कारण यह भी रहा।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने आपराधिक तत्वों के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाई। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार की उस अघोषित नीति पर प्रहार किया, जिसके अंतर्गत अपराधी को बचाया जाता था और पीड़ित को सताया जाता था। योगी सरकार ने पुलिस और प्रशासन के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप को बंद किया।

दबाव-मुक्त पुलिस/प्रशासन

राजनीतिक हस्तक्षेप बंद होने का परिणाम यह हुआ कि सीएम योगी के शासन में पुलिस व प्रशासन ने निष्पक्षता से अपराधियों, गुंडों, भू-माफियाओं, उपद्रवी तत्वों पर कार्रवाई की। इससे डकैती, लूट, हत्या, दुष्कर्म, छेड़खानी, बलवा, भूमि पर कब्जा और दहेज हत्याओं की घटनाओं पर अंकुश लगा।

उत्तर प्रदेश में अब सड़कों पर नमाज के नाम पर हुड़दंग नहीं होता। राम नवमी के त्योहार पर पूरे प्रदेश में 771 जुलूस निकाले गए और 671 मेले लगाए गए, किंतु कहीं कोई अप्रिय घटना, हिंसा या तनाव की घटना नहीं हुई। पहले ईद और अलविदा की नमाज पर प्रदेश भर में हुड़दंग होता था; मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादबाद व अन्य स्थान संवेदनशील हुआ करते थे। इन स्थानों पर हिंसा और दंगे का भय बना रहता था।

योगी सरकार आने के पश्चात हुड़दंगियों, दंगाइयों और उपद्रवियों पर निष्पक्षता से कार्रवाई हुई। अयोध्या में पहली बार तीस लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी और शांतिपूर्ण ढंग से हर्षोल्लास के साथ धार्मिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए। अब त्योहारों पर जनता भयभीत नहीं रहती, अपितु उल्लास से मनाते हैं।

प्रदेश की कानून-व्यवस्था सुदृढ़ करने को लेकर योगी सरकार ने पिछले पाँच साल में जो किया और अब दूसरी पारी में उसे और तीव्रता से कर रहे हैं। पहले जो गुंडे और माफिया सत्ता के संरक्षण में समानांतर सत्ता चलाते थे, आज वे स्वयं थाने में आत्मसमर्पण कर रहे हैं।

भय/दंगा-मुक्त प्रदेश

पूर्ववर्ती सरकार के समय प्रदेश में महिलाओं का सड़क पर निकलना खतरनाक हो गया था; बलात्कार, छेड़खानी और महिलाओं के विरुद्ध अपराध के प्रकरणों में नंबर एक था। पाँच वर्ष के सीएम योगी के शासन में प्रदेश महिलाओं के लिए देश का सबसे सुरक्षित राज्य बन गया।

सीएम योगी के कार्यकाल में पिछले पाँच साल में एक भी दंगा नहीं हुआ, जबकि अखिलेश के समय में 2012 से 2017 के बीच लगभग एक हजार दंगे हुए थे। वर्ष 2016 के सापेक्ष वर्ष 2022 के अप्रैल तक डकैती में 77 प्रतिशत, लूट के प्रकरणों में 55 प्रतिशत, हत्या में 34 प्रतिशत, बलवा में 50 प्रतिशत, फिरौती हेतु अपहरण में 37 प्रतिशत और बलात्कार की घटनाओं में 28 प्रतिशत की कमी अंकित हुई है।

योगी सरकार में प्रदेश के 50 कुख्यात माफिया अपराधियों द्वारा अवैध रूप से अर्जित 1438 करोड़ की सम्पत्ति जब्त की और ध्वस्तीकरण करके अवैध कब्जा हटवाया गया। कुल मिलाकर माफियाओं व अन्य अपराधियों की कुल 24 अरब 14 करोड़ की सम्पति का जब्तीकरण अथवा ध्वस्तीकरण किया गया।

ये सब योगी सरकार के सबको सुरक्षा एवं सबको सम्मान, अपराध एवं अपराधियों के प्रति शून्य सहिष्णुता, प्रदेश में शांति और सौहार्द स्थापित करने, महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने, माफिया राज समाप्त करके प्रदेश में कानून व्यवस्था का राज लाने के संकल्प और सुशासन से संभव हुआ। आज प्रदेश की कानून-व्यवस्था इतनी अच्छी है कि शांतिपूर्वक बिना किसी कोलाहल के धार्मिक स्थलों से 64000 अनधिकृत ध्वनि विस्तारक हटाए गए और 57000 ध्वनि विस्तारकों को निर्धारित सीमा में किए गए।

कुछ समय पूर्व चुनाव के समय हुए एक सर्वे में यह सामने आया कि उत्तर प्रदेश के 56 प्रतिशत निवासी मानते हैं कि पिछले पाँच वर्षों में कानून-व्यवस्था में बड़ा सुधार हुआ है, जबकि 22 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है। कुल मिलाकर 78 प्रतिशत लोग मानते हैं कि राज्य का वातावरण सुरक्षित हुआ है।

सबकी सुरक्षा प्राथमिकता

योगी सरकार में अभूतपूर्व महिला सुरक्षा की व्यवस्था हुई है। वर्ष 2022-23 के बजट में भी दिखा कि कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा योगी सरकार की प्राथमिकता है। योगी सरकार 2.0 के पहले बजट में महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। इसमें राज्य के सभी जनपदों के समस्त 1535 थानों पर महिला बीट आरक्षी नामित करते हुए ‘महिला हेल्प डेस्क’ की स्थापना का प्रावधान किया गया है।

‘महिला हेल्प डेस्क’ के अतिरिक्त 2740 महिला पुलिस कार्मिकों को 10370 महिला बीटों का आवंटन किया गया है। लखनऊ, गोरखपुर और बदायूं में तीन महिला पीएसी बटालियन का गठन किया गया है। सेफ सिटी योजना के अन्तर्गत महिलाओं की सुरक्षा के लिए लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, आगरा, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज में योजना लागू किए जाने हेतु 523 करोड़ 34 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।

इसके अतिरिक्त प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं। आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए देवबंद में आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) केंद्र का निर्माण कार्य प्रगति पर है। मेरठ, बहराइच, कानपुर, आजमगढ़ एवं रामपुर में ऐसे केंद्रों का निर्माण प्रस्तावित है।

इस बजट में 37 सौ करोड़ रुपए की धनराशि पुलिस सुदृढ़ीकरण और आधारभूत ढाँचों के विकास और पुलिस सुधार के लिए प्रस्तावित किया गया है। प्रदेश पुलिस के आँकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 97 मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन इस बार मात्र 33 घटनाएँ हुईं। इन घटनाओं में कोई भी व्यक्ति न तो गंभीर रूप से घायल हुआ और न ही किसी की मृत्यु हुई है।

स्पष्ट देखा जा सकता है कि भाजपा की सरकार आने के पश्चात उत्तर प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ है। प्रदेश सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित हो गया है। कानून-व्यवस्था अच्छी होने के कारण राज्य में औद्योगिक विकास व निवेश हो रहे हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था और जनता का जीवन स्तर अच्छा हुआ है। पिछली सरकारों के समय अपराध और गुंडाराज से त्रस्त प्रदेश को पाँच वर्ष में देश का सबसे सुरक्षित राज्य बना देने की सीएम योगी की यह उपलब्धि असाधारण है।

रजनू खान ने हमला कर 2 पुलिस वालों को घायल किया, लहराए धारदार हथियार और बरसाए पत्थर: अब बताया जा रहा ‘मानसिक बीमार’

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में 2 पुलिसकर्मियों पर धारदार हथियार से हमला किया गया है। इस हमले में एक पुलिसकर्मी की गर्दन को निशाना बनाया गया। घायल पुलिसकर्मी को बचाने दौड़े दूसरे सिपाही को भी हमलावर ने बाँका (धारदार हथियार) मार कर घायल कर दिया। हमलावर का नाम रजनू खान है। घटना 28 मई, 2022 (शनिवार) की है।

कुशीनगर पुलिस के एडिशनल एस पी के मुताबिक, “पुलिस लाइन कुशीनगर में तैनात कॉन्स्टेबल मासूम अली एक बयान देने CO ऑफिस गए थे। वापस लौटते समय खड्डा बाजार के सुभाष चौक पर एक व्यक्ति द्वारा उन पर धारदार हथियार से हमला किया गया। घायल सिपाही को इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया। आरोपित को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पूछताछ में उसने अपना नाम रजनू खान (S/o जैसू खान) बताया है।” बताया जा रहा है कि हालत गंभीर होने के चलते घायल पुलिसकर्मी मासूम अली को गोरखपुर रेफर कर दिया गया है।

ASP कुशीनगर रितेश कुमार सिंह के मुताबिक, “हमलावर ने अपना पता सुल्तानपुर जिले के थाना कूरेभार में आने वाले गाँव धर्मदासपुर बताया है। आरोपित पिछले डेढ़ महीने से खड्डा में बन रही कचहरी परिसर में मजदूर के तौर पर काम कर रहा था। आरोपित प्रथम दृष्टया मानसिक रूप से अस्वस्थ लग रहा है। आरोपित को कस्टडी में लेने के दौरान कॉन्स्टेबल प्रेम नारायण को भी हल्की चोटें आईं हैं। उन्हें भी इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। मामले में जरूरी कानूनी कार्रवाई की जा रही है।’

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावर को स्थानीय लोगों और पुलिस ने मिल कर काबू किया। स्थानीय लोगों ने रजनू खान की पिटाई भी की। मौके पर पहुँचे DSP संदीप वर्मा ने बताया, “प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमलावर अकेला था। पकड़े जाने पर वो खुद को किसी के द्वारा मृत्युदंड दिए जाने की बात कह रहा था। फ़िलहाल आरोपित विक्षिप्त लग रहा है लेकिन बाकी तथ्य जाँच में सामने आएँगे।” वीडियो में रजनू खान को पकड़ने के लिए कई पुलिस वालों को मशक्कत करते देखा जा सकता है।

एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, “मेरी दुकान बगल में ही है। मेरी दुकान के बगल से ही हमलावर निकल कर गया। पुलिसकर्मी बस की प्रतीक्षा करते हुए खीरा खरीद कर खा रहे थे। उन्होंने किसी को कुछ नहीं कहा। तभी हमलावर ने आ कर पुलिसकर्मियों को अपशब्द कहे। बाद में धारदार हथियार से पुलिसकर्मी के गले पर वार कर दिया। जब पुलिसकर्मी गिर पड़ा तब वो हथियार लहराने लगा। लोगों में भगदड़ मच गई। बाद में बाकी पुलिस बल आया। तब हमलावर पत्थरबाजी करने लगा।”

124 मंदिरों पर अवैध अतिक्रमण, सब में फिर से होगी प्राण-प्रतिष्ठा: कानपुर की मेयर ने पूछा – मस्जिद के बाहर मंदिर बना लें तो क्या होगा?

उत्तर प्रदेश में कानपुर की मेयर प्रमिला पांडेय ने शहर में 124 मंदिरों पर अतिक्रमण होने का दावा किया है। उनका दावा है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में मंदिरों के बाहर बिरयानी की दुकान खोल दी गई है। इसी के साथ उन्होंने 28 मई 2022 (शनिवार) को 7 प्राचीन मंदिरों का दौरा भी किया है।

मंदिरों पर अतिक्रमण करने वालों को प्रशासन ने नोटिस भेज कर जवाब माँगा है। कानपुर की मेयर प्रमिला पांडेय का कहना है कि कब्ज़ा किए गए मंदिरों को फिर से खोला जाएगा और उनमें प्राण-प्रतिष्ठा करवाई जाएगी।

अपने फेसबुक पर इस दौरे की जानकारी शेयर करते हुए मेयर प्रमिला पांडेय ने लिखा, “आज मैंने उच्च पुलिस अधिकारियों के साथ बेकनगंज में सात प्राचीन मंदिरों का दौरा किया। आज इन मंदिरों की हालत बेहद खराब है। अधिकतर प्राचीन मंदिरों पर कब्जा हो रहा है और दुकानें खोली गई हैं। इन्हे वापस लिया जाएगा और उन मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा भी फिर से होगी।”

अपने द्वारा शेयर किए गए एक अन्य वीडियो में उन्होंने शीर्षक दिया है, “प्राचीन मंदिरों पर इस तरह से हो रहा है कब्जा। इन सब पर कार्रवाई होगी।” इस वीडियो में मुस्लिम वेशभूषा में एक व्यक्ति से बात करते हुए उन्होंने कहा, “चाहे मंदिर हो या मस्जिद, आस्था का केंद्र होता है। उसे आपने तोड़ दिया। तुम्हारी मस्जिद के बाहर हम मंदिर बना लें तो क्या होगा?”

उसी दिन मेयर प्रमिला पांडेय ने एक और जगह का वीडियो शेयर किया है। उस वीडियो में उन्होंने टाइटल दिया, “पहले यह कभी प्राचीन शिव मंदिर था, जिस पर अब कब्जा हो चुका है। ताला लगा था, जिसको मैंने तुड़वा दिया है। एक-एक करके सभी मंदिर वापस लिए जाएँगे। जय श्री राम।”

इस वीडियो में उनको कहते सुना जा सकता है कि ये शंकर जी का मंदिर है और इसे उन्होंने बंद करवा दिया है। इसी वीडियो में पुलिसकर्मी ने वहाँ मौजूद एक व्यक्ति से ताला बंद करने पर सवाल किया तो उसने कहा, “कुत्ते न घुसें, इसलिए ताला बंद कर दिया।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेयर ने बाबा बिरयानी और चाँद बिरयानी नाम की दुकानों का भी दौरा किया। बाबा बिरयानी मंदिर की जमीन कब्ज़ा करके बिरयानी की दुकान खोलने के लिए चर्चित रहा है। प्रशासन की रिपोर्ट में भी उसके खिलाफ सम्पति कब्ज़ाने की तस्दीक की गई है। उस पर शत्रु सम्पति का भी मुकदमा चल रहा है।

कट्टरपंथी संगठन रजा अकादमी ने नुपुर शर्मा के खिलाफ मुंबई में दर्ज कराई FIR: अमर जवान ज्योति तोड़ने सहित कई दंगों में आ चुका है नाम

इस्लामिस्ट किस तरह दबाव की राजनीति और रणनीति अपनाते हैं, इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। ताजा मामला भाजपा नेता नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) से जुड़ा हुआ है। एक टीवी डिबेट के दौरान जब पैनल में शामिल मुस्लिमों ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग (Gyanvapi Shivling) पर आपत्तिजनक टिप्पणी की तब नुपुर शर्मा ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि वे मुस्लिमों के पैगंबर मुहम्मद के निकाह को लेकर कुछ कह सकती हैं। डिबेट की इस बात को लेकर कट्टरपंथियों ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है।

भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ मुस्लिमों के पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) पर दिए बयान को लेकर एफआईआर महाराष्ट्र में दर्ज कराई गई है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि FIR दर्ज कराने वाला संगठन रजा अकादमी है। यह हिंसा और हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के मामले में खुद विवादों में रहा है। रजा अकादमी की शिकायत पर शर्मा के खिलाफ मुंबई पुलिस ने IPC की धारा 295A, 153A और 505B के तहत मामला दर्ज किया गया है।

रजा अकादमी वही कट्टर सुन्नी मुस्लिम संगठन है, जिसने 2012 में मुंबई के आजाद मैदान दंगे फैलाए थे और महिला पुलिसकर्मियों के साथ अश्लीलता की थी। रजा अकादमी की स्थापना 1978 में हुई है और इसका कार्यालय मुंबई में मोहम्मद अली रोड पर स्थित है। इस्लामवादी संगठन की स्थापना 20वीं सदी के सुन्नी नेता अहमद रजा खान के काम को प्रकाशित करने और प्रचारित करने के लिए की गई थी।

दंगों के बाद 2012 में यह बात सामने आई कि इस संगठन का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। रज़ा अकादमी के बारे में सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि इसके संस्थापक और अध्यक्ष सईद नूरी ने औपचारिक इस्लामी शिक्षा भी प्राप्त नहीं की थी। जब उन्होंने सुन्नी इस्लाम का नेता बनने का फैसला किया तो वे सिलाई धागे के व्यवसाय में थे।

रज़ा अकादमी ने कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया है, जिसमें पिछले साल त्रिपुरा में मुस्लिमों के नाम पर महाराष्ट्र के अमरावती, नांदेड़ और मालेगाँव में की गई हिंसा भी शामिल है। इतना ही नहीं, इसी साल हनुमान जयंती पर कर्नाटक के हुबली में पुलिस स्टेशन पर हमले और अस्पताल पर पथराव के मामले में भी रजा अकादमी का नाम सामने आया था। इसके प्रदर्शनों में अक्सर हिंसा और मौतें होती हैं। हिंसात्मक गतिविधियों के बावजूद रजा अकादमी को प्रतिबंधित या पुलिस जाँच के दायरे में नहीं लाया गया।

मुंबई के आजाद मैदान में ‘अमर जवान ज्योति’ में तोड़फोड़

11 अगस्त 2012 को रजा अकादमी ने असम और म्यांमार में मुस्लिमों पर कथित अत्याचार के विरोध में मुंबई के आज़ाद मैदान में एक विशाल आयोजन किया था। इस दौरान भड़काऊ भाषण दिए गए, लोगों को उकासाय गया और अमर जवान ज्योति मेमोरियल को पैर से मारकर तोड़ दिया गया।

मुस्लिमों की भीड़ ने पुसकर्मियों पर हमला किया और महिला पुलिसकर्मियों के साथ अश्लीलता की। जब भीड़ हिंसक हो गई तब स्थिति को संभालने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और 63 लोग घायल हुए।

रजा अकादमी ने पहले मुंबई पुलिस को आश्वासन दिया था कि विरोध प्रदर्शन में सिर्फ 1500 लोग आएँगे, लेकिन आजाद मैदान में 15,000 लोग जमा हो गए। बाद में भीड़़ बढ़कर 40,000 से भी अधिक हो गई।

बाद में पता चला कि पुलिस ने दंगों में शामिल 35-40 मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार करने के लिए एक सप्ताह बाद पड़ने वाले ईद तक का इंतजार किया। इस दंगे में लगभग 2.72 करोड़ रुपए की विभिन्न सार्वजनिक संपत्तियों को का नुकसान हुआ था।

ईशनिंदा को लेकर जेहाद

जुलाई 2020 में इस्लामी संगठन ने महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार को ईरानी फिल्म ‘मुहम्मद: द मैसेंजर ऑफ गॉड’ की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग पर प्रतिबंध लगाने की माँग करने वाला पत्र केंद्र सरकार को लिखने के लिए मजबूर किया। यह फिल्म मूल रूप से 2015 में ईरान में रिलीज़ हुई थी और 88वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी के लिए ईरानी प्रविष्टि के रूप में चुनी गई थी।

रज़ा अकादमी ने दावा किया था कि पैगंबर मुहम्मद को चित्रित नहीं किया जा सकता था और फिल्म के निर्माताओं ने ईशनिंदा की थी। इसने धमकी दी थी, “एक मुसलमान अपने पवित्र पैगंबर के जरा सा भी अपमान देखने या सुनने के बजाय सम्मान में मर जाएगा।”

अक्टूबर 2020 में इस इस्लामिक संगठन ने शार्ली हेब्दो मैगजीन द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर कार्टून बनाने के समर्थन में सरकारी भवनों पर इसे दिखाने को लेकर मुस्लिम देशों से फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन के खिलाफ फतवा जारी करने की माँग की थी।

रजा अकादमी ने कहा था कि मुस्लिम देशों में सभी फ्रांसीसी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया जाए और फ्रांस में सभी राजदूतों को वापस बुला लिया जाए। इसने सोशल मीडिया पर लोगों से ‘शैतानी दिमाग वाले राष्ट्रपति’ के खिलाफ ‘मैक्रोन द डेविल’ हैशटैग का उपयोग करके अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने का भी आग्रह किया।

रज़ा अकादमी ने मुंबई में उन मुस्लिम प्रदर्शनकारियों की कार्रवाइयों की सराहना की थी, जिन्होंने शहर की सड़कों पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति की तस्वीरें रखकर उसे जूते-चप्पल और गाड़ियों से रौंद रहे थे। शार्ली हेब्दो द्वारा बनाए गए कार्टून को एक टीचर द्वारा दिखाने पर उसके स्टूडेंट ने गला काटकर हत्या कर दी थी। इस घटना की मैक्रों ने निंदा की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था

फरवरी 2021 में, तहफ़ुज़ नमूस-ए-रिसालत बोर्ड (पैगंबर के सम्मान का संरक्षण) नामक एक संगठन ने रज़ा अकादमी द्वारा समर्थित अपने एक शो में पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रदर्शित करने के लिए बीबीसी हिंदी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। खुद को अभिव्यक्ति की आज़ादी का समर्थक कहने वाले बीबीसी ने इन धमकियों के आगे घुटने टेक दिए और तुरंत माफ़ी माँग ली।

बाद में सितंबर में रज़ा अकादमी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक अभियान चलाया, जिसमें सऊदी अरब के सुल्तान सलमान से मदीना शरीफ में सिनेमा हॉल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया गया। इस्लामिक संगठन ने मुंबई में मीनारा मस्जिद के बाहर एक विरोध मार्च भी निकाला।

प्रदर्शनकारियों को ‘सऊदी हुकूमत मुर्दाबाद’ के नारे लगाते हुए सुना गया था। उनके हाथों में पकड़ी गईं तख्तियों में लिखा था, “सऊदी सरकार को मदीना मुनव्वराह के पवित्र शहर का अपमान बंद करना चाहिए।” उस दौरान सऊदी सरकार ने देश में 10 सिनेमा हॉल खोलने का निर्णय लिया था।

नुपुर शर्मा पर इस्लामवादियों का हमला

गुरुवार (26 मई 2022) की शाम को टाइम्स नाउ पर एक बहस के बाद AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने शर्मा पर पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाते हुए एक ऑनलाइन कैंपने चलाया। उन्हें अन्य इस्लामवादियों का समर्थन प्राप्त था, जिनमें से कई ने उन्हें और उनके परिवार को मौत और बलात्कार की धमकी दी थी।

टाइम्स नाउ पर विवादित ज्ञानवापी ढांचे पर बहस के दौरान नुपुर शर्मा ने तर्क दिया कि चूँकि लोग बार-बार हिंदू आस्था का मजाक उड़ा रहे हैं तो वह भी इस्लामी मान्यताओं का जिक्र करते हुए अन्य धर्मों का भी मजाक उड़ा सकती हैं। उस वीडियो को संदर्भ से बाहर लेते हुए जुबैर ने इसे अपने 4,64,000 ट्विटर फॉलोअर्स के साथ साझा किया, और शर्मा को एक उग्र, सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाला और दंगा भड़काने वाला घोषित किया गया।

इसके बाद नुपुर शर्मा की टाइमलाइन पर ट्रोल अकाउंट्स ने उन्हें हर तरह की धमकियाँ दीं, जिसमें उनका सिर काटने की धमकी भी शामिल थी। ट्विटर स्पेस का आयोजन किया गया जहां कथित ‘ईशनिंदा’ को लेकर इस्लामवादियों को उसकी हत्या करने के लिए खुले कॉल करते हुए सुना जा सकता था।

कमलेश तिवारी और किशन भारवाड़ जैसी कई ऐसी ही घटनाओं को ध्यान में रखते हुए पुलिस को इन धमकियों को गंभीरता से लेना चाहिए। मोहम्मद जुबैर के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

लेस्बियन आदिला नसरीन और फातिमा नूरा के प्यार को खतरा: बिस्तर पर साथ सोने नहीं दे रहे थे परिवार, अब किया किडनैप

केरल में आदिला नसरीन नाम की एक लड़की ने अपनी लेस्बियन पार्टनर (Kerala lesbian couple) की सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया पर गुहार लगाई है। आदिला नसरीन (Adhila Nassrin) ने वीडियो में अपनी लेस्बियन पार्टनर फातिमा नूरा (Fathima Noora) को उसके घर वालों द्वारा जबरन बंधक बनाने और मारपीट करने का आरोप लगाया है। इस अपील में लोगों से अपनी मदद और पुलिस से भी सहयोग की माँग की गई है। यह वीडियो गार्गी एच की फेसबुक प्रोफ़ाइल से 28 मई 2022 (शनिवार) को जारी हुआ है।

वीडियो में बताया गया, “समलैंगिक रिश्तों में रहने वाली फातिमा और आदिला घर से भाग गए थे। बाद में दोनों ने वनजा कलेक्टिव (Vanaja Collective) नाम के संस्थान से सहायता माँगी। संस्थान ने दोनों के परिवार से बात की। इसके बाद संस्थान के बाहर कई लोग जमा हो गए। उन्होंने कहा कि अगर नूरा मर भी जाए तो भी उसको आदिला के साथ इस रिश्ते की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसके बाद हमने पुलिस को फोन किया। लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में ही हंगामा शुरू कर दिया।”

वीडियो में आगे बताया गया, “कुछ समय बाद आदिला की माँ और रिश्तेदार सामने आए। उन्होंने लिखित रूप में दिया कि वो फातिमा नूरा का पूरा ध्यान रखेंगे और उसे अपनी बेटी की तरह मानेंगे। इसके बाद आदिला के परिवार वाले दोनों को साथ ले गए। बाद में आदिला के वॉइस मैसेज से जानकारी हुई कि अगर उस दिन दोनों को सौंपा नहीं गया होता तो वनजा कलेक्टिव संस्थान को ध्वस्त करने का प्लान बना लिया गया था। इस प्लान को पूरा करने के लिए 3 लाख रुपए का भी इंतजाम कर लिया गया था। इस प्लान को बनाने में आदिला के परिजन और उसके कुछ दोस्त शामिल थे।”

एक अन्य वीडियो में आगे कहा गया, “आदिला और फातिमा नूरा को घर ले जाने के बाद आदिला के परिजनों ने दोनों को बुरी तरह से ब्लैकमेल किया है। दोनों को एक बिस्तर पर सोने नहीं दिया जाता था। दोनों को रिश्ता खत्म करने का भी दबाव दिया जाने लगा। 23 मई को फातिमा नूरा की माँ उसे अपने साथ ले कर चली गई तब इसकी शिकायत थमारसेरी पुलिस थाने में की गई। पुलिस ने नूरा और आदिला से पूछताछ की और उनको बालिग बता कर एक साथ रहने की अनुमति दे दी।”

वीडियो के मुताबिक, “जब फातिमा नूरा की माँ को कोई और रास्ता नहीं दिखाई दिया तब वो अपने परिचितों के साथ आदिल के घर गई। वहाँ दोनों की पिटाई की गई और नूरा का अपहरण कर लिया गया। इसकी शिकायत बिनानीपुरम थाने में की गई। जब पुलिस आदिला के घर पहुँची तो वहाँ आदिला अकेली थी। पुलिस उसे लेकर थाने आ गई। बाद में उसकी ही माँग पर उसे एक अस्थाई घर में शिफ्ट कर दिया गया। आदिला ने पुलिस से अपनी और फातिमा की सुरक्षा भी माँगी।”

एक अन्य वीडियो में दोनों लड़कियों के परिजन उन्हें बिठा कर डाँटते दिखाई दे रहे हैं।

वनजा कलेक्टिव संस्थान की गार्गी के मुताबिक, “जब हम पुलिस से फातिमा नूरा की सुरक्षा और उनके परिजनों पर कार्रवाई की माँग करते हैं तब वो कहते हैं कि माता-पिता द्वारा बच्चों की पिटाई पर हम क्या एक्शन लें ?

वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक ऑडियो क्लिप में आदिला ने अपना और अपनी पार्टनर नूरा का प्यार 12वीं क्लास से बताया है। दोनों की मुलाकात सऊदी अरब में होने का दावा किया गया है। आदिला के मुताबिक, “हमने भारत आने पर अपने परिवार वालों को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नहीं माने। इसके बाद भी हमने अपने-अपने रिश्ते को बनाए रखा। हम दोनों ने डिग्री हासिल करके चेन्नई में नौकरी करनी शुरू कर दी। मैं अलुवा बिनानीपुरम की रहने वाली हूँ जबकि मेरी पार्टनर फातिमा नूरा केरल के कोझिकोड की। केरल पुलिस ने हमारी शिकायत लेने से भी इंकार कर दिया है।”

ऑपइंडिया ने वनजा कलेक्टिव की गार्गी एच से बात की। उन्होंने इस पूरे विवाद की पुष्टि करते हुए कहा, “पुलिस कह रही है कि अपहरण घर वालों ने किया तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। हम चाहते हैं कि दोनों पीड़िताओं को न्याय मिले। 24 मई से अपहृत फातिमा नूरा का कुछ भी पता नहीं है। हमारे ऑफिस पर लगभग 20-25 लोगों ने तोड़फोड़ की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने आकर मामले को सुलझा दिया था।”

आदेश के बावजूद फिर हिजाब में पहुँची मुस्लिम छात्राएँ: मैंगलोर यूनिवर्सिटी कॉलेज ने घर लौटाया, कर्नाटक CM ने कहा- दोबारा विवाद ना पैदा करें

कर्नाटक (Karnataka) में कट्टरपंथियों के हस्तक्षेप के बाद से बुर्का-हिजाब विवाद (Burqa-Hijab Controversy) थमने का नाम नहीं ले रहा है। मैंगलोर यूनिवर्सिटी कॉलेज में यूनिफॉर्म पहनकर ही क्लासरूम में आने वाली एडवाइजरी जारी करने बाद शनिवार (28 मई 2022) को मुस्लिम लड़कियों का एक ग्रुप हिजाब में कॉलेज पहुँचा। उसके बाद उन्हें वापस घर भेज दिया गया। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने कहा कि सभी को हाईकोर्ट और सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए।

दरअसल, मैंगलोर यूनिवर्सिटी कॉलेज का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कॉलेज की प्राचार्या अनुसुइया राय मुस्लिम लड़कियों को हिजाब उतारकर क्लासरूम में जाने के लिए काउंसलिंग करती नजर आ रही हैं। जब लड़कियों ने बिना हिजाब के क्लासरूम में जाने से इनकार कर दिया, तब कॉलेज प्रशासन ने इन्हें क्लास में शामिल होने की इजाजत नहीं देते हुए घर भेज दिया।

सीएम बोम्मई ने कहा, “फिर से हिजाब विवाद पैदा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने अपना आदेश दिया है। सभी को अदालत और सरकार के आदेश का पालन करना होगा। उनमें से अधिकांश, 99.99 प्रतिशत छात्राएँ इसका पालन कर रही हैं। मेरे अनुसार, छात्रों के लिए पढ़ाई महत्वपूर्ण होनी चाहिए।”

कॉलेज के VC प्रोफेसर सुब्रह्मण्य यदपादित्या ने शुक्रवार (27 मई) को कहा था, “हमारा कॉलेज शुरू में लड़कियों को यूनिफॉर्म की रंग से मेल खाते हेडस्कार्फ़ को पहनने की अनुमति दी थी, लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर CDC (कॉलेज विकास परिषद) के अध्यक्ष और मैंगलोर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र के विधायक वेदव्यास कामथ और सिंडिकेट के सदस्यों के साथ बैठक के बाद निर्णय लिया गया है कि कक्षाओं के अंदर धार्मिक पोशाक की अनुमति नहीं होगी।”

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश डिग्री कॉलेजों पर लागू होगा या नहीं, इसको लेकर असमंजस की स्थिति थी। राज्य सरकार की एडवाइजरी, उच्च शिक्षा परिषद और कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी कॉलेजों को यूनिफॉर्म का पालन करना होगा। इसके बाद आदेश को वापस ले लिया गया। VC ने कहा कि छात्राएँ कैंपस में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन कक्षा में नहीं।

VC यदपादित्य ने हिजाब पहनने की जिद पर अड़ी मुस्लिम छात्राओं की काउंसलिंग को लेकर कहा, “हमें पता चला है कि लगभग 15 मुस्लिम लड़कियाँ क्लास में हिजाब पहनने को लेकर अड़ी हुई हैं। हम इन लड़कियों को कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के संबंध परामर्श देने के तैयार हैं। इसके बाद बाद भी वे नहीं मानती हैं तो उन्हें उन शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाने में हम मदद करेंगे, जहाँ हिजाब की अनुमति है या जहाँ कोई यूनिफॉर्म नहीं है।”

जजों की चड्ढी भगवा, इसलिए गर्म: PFI नेता; हिंदू-विरोधी नारे वाले बच्चे के अब्बा को फक्र, बोला- खुद सीखा, कई बार लगाया

केरल (Kerala) में चरमपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने न्यायाधीशों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी है। PFI के नेता याहिया तंगत ने कहा कि न्यायाधीशों का इनरवियर (जाँघिया) भगवा है, वे इसलिए वे रैली के नारे सुनकर चौंक रहे हैं। वहीं, रैली में आपत्तिजनक नारे लगाने वाले नाबालिग लड़के के अब्बा ने अपने बेटे का बचाव किया है। पुलिस ने उसके अब्बा को हिरासत में ले लिया है।

PFI नेता तंगल ने अलाप्पुझा रैली में कहा, “अदालतें अब आसानी से चौंक रही हैं। हमारे नारे सुनकर हाईकोर्ट के न्यायाधीश चौंक रहे हैं। इसका कारण यह है कि उनका इनरवियर भगवा है। चूँकि, यह भगवा है, इसलिए वे बहुत तेजी से गर्म हो जाते हैं। आपको जलन महसूस होगी और यह आपको परेशान करेगा।”

दरअसल, केरल हाईकोर्ट ने 21 मई को अलाप्पुझा में हुई रैली में भड़काऊ नारेबाजी को लेकर PFI के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इससे पहले PFI के प्रदेश अध्यक्ष सीपी मुहम्मद बशीर ने को कहा कि यह नारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के खिलाफ है।

अलाप्पुझा में PFI की इस रैली का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक नाबालिग लड़का नारा लगा रहा है, “हिंदुओं को अपने अंतिम संस्कार के लिए चावल रखना चाहिए और ईसाइयों को धूप रखनी चाहिए। यम (मृत्यु के देवता) आपके घर आएँगे। यदि आप सम्मानपूर्वक रहते हैं तो आप हमारे स्थान पर रह सकते हैं। अगर नहीं, तो हम नहीं जानते कि क्या होगा।”

इस तरह के आपत्तिजनक नारे को केरल में रहने वाले हिंदुओं और ईसाइयों को सीधे तौर पर धमकी के रूप में देखा गया। चरमपंथी संगठन PFI ने चेतावनी हिंदू-ईसाइयों को धमकाते हुए कहा था कि अगर वे रास्ते पर नहीं आते हैं तो उन्हें मौत की सजा दी जाएगी।

इस मामले इस नाबालिग लड़के के अब्बा को पुलिस ने केरल स्थित उसके घर पल्लुरथी से हिरासत में ले लिया है। इस दौरान PFI के कार्यकर्ताओं ने भारी विरोध प्रदर्शन किया। दरअसल, द्वारा 21 मई को आयोजित ‘गणतंत्र बचाओ’ रैली में लड़का एराट्टुपेट्टा निवासी अनस के व्यक्ति के कंधे पर बैठकर आपत्तिजनक नारे लगा रहा था। इस वीडियो जब सामने आया तो पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया।

अपने बेटे का नारे का बचाव करते हुए उसके अब्बा ने कहा कि यह नारा किसी ने उसे सिखाया नहीं था, इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेते हुए उसने खुद सीखा था। उसके अब्बा का कहना है कि उसका बेटा पहली बार ऐसा नारा नहीं लगा रहा है। इससे पहले भी उसने नारे लगाए हैं और इसके कई वीडियो यूट्यूब पर मौजूद हैं।

हिरासत में लिए जाने से पहले लड़के के अब्बान ने कहा, “हम PFI के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे हैं। जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था, तब उसने यह नारा सिखा था।” बच्चे को भी हिरासत में ले लिया है और जल्द ही उसे काउंसलिंग के लिए भेजा जाएगा।

इस मामले में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें रिमांड पर लिया गया है। इस रैली में शामिल अन्य लोगों को हिरासत में लेने के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है, ताकि उनसे पूछताछ की जा सके। इस मामले में पहली गिरफ्तारी बच्चे को कंधे पर उठाने वाले अनस की हुई थी। वहीं, PFI के अलाप्पुझा सचिव मुजीब और नवास भी को भी आरोपित बनाया गया है।

इस मामले में आरोपितों के खिलाफ धारा 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता पैदा करना), 295A (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 505(1)(B) (सार्वजनिक शांति भंग करना), 505(1) (C), 505 (2) और 506 (आपराधिक धमकी) और केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120 (O) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

अलीगढ़ के कॉलेज में प्रोफेसर खालिद ने पढ़ी नमाज: Video देख हिंदू संगठन बोले- ‘एक्शन लो, वरना हनुमान चालीसा पढ़ेंगे’

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज कैंपस में एक मुस्लिम प्रोफेसर के नमाज पढ़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। इस वीडियो को देखने के बाद हिंदूवादी संगठनों ने प्रोफेसर द्वारा कॉलेज परिसर में पढ़ी गई नमाज पर आपत्ति जाहिर की है। वहीं इस मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल ने भी विभागीय जाँच के लिए आवश्यक आदेश दिए हैं।

भाजपा नेता अमित गोस्वामी ने इस वीडियो को देखने के बाद कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने शिक्षक की पहचान एस आर खालिद बताई है और मामले में तत्काल एक्शन लेने के लिए अनुरोध किया है। गोस्वामी के अनुसार, प्रोफेसर खालिद कॉलेज की लॉ फैकल्टी के सदस्य हैं और इस तरह उनका परिसर में नमाज पढ़ना, कॉलेज में धर्म के आधार पर अलगाव फैला कर शांति व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश है।

उनकी वीडियो देखने के बाद अमित ने कॉलेज प्रिंसिपल से बात की थी। हालाँकि अभी प्रोफेसर के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कॉलेज प्रिंसिपल व प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने मामले में संबंध में कहा है, “एक कमेटी बनाई जाएगी। फिर रिपोर्ट के आधार पर एक्शन लिया जाएगा। हम ऐसे कृत्यों को कॉलेज में बढ़ावा नहीं दे सकते हैं।”

वहीं भाजपा की यूथ विंग कार्यकर्ताओं ने मामले के तूल पकड़ने के बाद धमकी दी है कि अगर प्रोफेसर के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाती है तो वो परिसर के अंदर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। अमित गोस्वामी के अनुसार, पहले ये मुद्दा कॉलेज के छात्रों ने ही उठाया था लेकिन प्रशासन ने इस पर कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उनके पास ये वीडियो आई। अब एफआईआर के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब प्रोफेसर खालिद से इस विषय टिप्पणी करने को कहा गया तो उन्होंने कमेंट करने से मना कर दिया। वहीं सर्कल ऑफिसर मनीष कुमार शांडिल्य ने बताया कि केस में कोई एफआईआर अब तक दर्ज नहीं हुई है।

भारत के मंदिरों की महारानी: केदार से लेकर काशी तक बनवाए मंदिर-भोजनालय-धर्मशाला, मुगलों के किए नुकसान को पाटने वाली अहिल्याबाई होल्कर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब वाराणसी की पुरानी गरिमा को वापस दिलाते हुए ‘काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर’ का निर्माण करवाया, तो उसमें मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर की प्रतिमा भी स्थापित की गई। इसका कारण ये है कि उन्होंने ही सन् 1780 में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। साथ ही मंदिर के व्यय के लिए आमदनी की भी व्यवस्था की। हिन्दू समाज उनके इन कार्यों के लिए महारानी का कृतज्ञ है।

सबसे पहले आपको बताते हैं कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर थीं कौन। 28 वर्षों (दिसंबर 1767 से अगस्त 1795) तक मराठा साम्राज्य की कमान संभालने वाली महारानी अहिल्याबाई होल्कर मध्य प्रदेश के खरगोन में स्थित महेश्वर नामक शहर को होल्कर राजवंश की राजधानी के रूप में स्थापित किया। उनके पति खांडे राव होल्कर और ससुर मल्हार राव होल्कर के निधन के बाद उन्होंने मालवा की विदेशी आक्रांताओं से न सिर्फ रक्षा की, बल्कि युद्धों में खुद सेना का नेतृत्व किया।

मल्हार राव होल्कर के गोद लिए हुए बेटे तुकोजी राव होल्कर इस दौरान युद्ध में उनके सेनापति होते थे। देश भर में सैकड़ों मंदिरों और धर्मशालाओं के अलावा तालाबों और सड़कों का निर्माण करवाने वाली महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मुगलों द्वारा की गई क्षति को ठीक करने में अपना पूरा जीवन खपा दिया। उस समय अंग्रेज अपना पाँव पसार रहे थे, ऐसे में उन्होंने धन का सदुपयोग करने की ठानी। महाराष्ट्र के अहमदनगर के चौंडी गाँव में जन्मीं अहिल्याबाई होल्कर के पिता माकोंजी शिंदे सम्मानित धांगर परिवार से थे, जो अपने गाँव के ‘पाटिल (प्रधान)’ भी थे।

अहिल्या बचपन से ही धर्म कार्य में रुचि रखती थीं। बाजीराव प्रथम के सेनापति मल्हार राव होल्कर जब पुणे जाते समय तक उस गाँव में रुके, तो मंदिर में काम करतीं अहिल्या पर उनकी नजर पड़ी। तब उनकी उम्र मात्र 9 साल थी। उन्होंने अपने बेटे से उनकी शादी का प्रस्ताव रखा। आगे उनकी सास गौमाता बाई ने उनके चरित्र को और निखारा। कुंभेर के युद्ध में पति की मृत्यु के बाद राजकाज का बोझ भी अहिल्याबाई के ही कंधे पर आ पड़ा।

उन्होंने 28 वर्षों तक शासन किया। काशी के विश्वनाथ मंदिर को उन्होंने निर्माण के बाद सोने का पत्र दान में दिया था। एक बार उनके शासनकाल में डाकुओं का वर्चस्व बढ़ने लगा तो उन्होंने राज्य के कुछ युवाओं की बैठक बुलाई, जिसमें यशवंत राव ने ये काम अपने जिम्मे लिया। रानी की छोटी सी सेना की सहायता से उन्होंने 2 वर्षों में प्रदेश को डाकुओं से मुक्त कर दिया। यशवंतराव बाद में उनके दामाद बने। राजकुमारी मुक्ताबाई का विवाह उनसे हुआ

अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित मंदिर

अहिल्याबाई होल्कर ने न सिर्फ काशी, बल्कि सुदूर गया और हिमालय तक पर मंदिरों के निर्माण कार्य कराए। उन्होंने गुजरात के सोमनाथ में मंदिर का निर्माण करवाया। नासिक के पश्चिम-दक्षिण में स्थित त्र्यम्बक में उन्होंने पत्थर के एक तालाब और छोटे से मंदिरों का निर्माण करवाया। गया में उन्होंने विष्णुपद मंदिर के पास ही राम, जानकी और लक्ष्मण की मूर्तियों वाले एक मंदिर का निर्माण करवाया। पुष्कर में भी उन्होंने मंदिर और धर्मशाला बनवाए।

वृन्दावन में उन्होंने न सिर्फ 57 सीढ़ियों वाली एक पत्थर की बावड़ी (कुआँ) का निर्माण करवाया, बल्कि गरीबों का पेट भरने के लिए एक भोजनालय भी स्थापित किया। मध्य पदेश के भिंड में स्थित आलमपुर में एक हरिहरेश्वर मंदिर बनवाया। वहाँ मल्हार राव का निधन हुआ था। आज भी वहाँ विधि-विधान से पूजा-पाठ जारी है। गरीबों में भोजन और अन्य ज़रूरी वस्तुएँ वितरित करने के लिए उन्होंने एक ‘सदावर्त’ का निर्माण भी करवाया।

उन्होंने हरिद्वार में भी एक पत्थर का मकान बनवाया, जहाँ श्रद्धालु पिंडदान करने आते थे। हरकी पौड़ी से दक्षिण में उन्होंने इसका निर्माण करवाया। 17वीं शताब्दी के अंत में अहिल्याबाई होल्कर ने ही मणिकर्णिका घाट का निर्माण काशी में करवाया। असल में उन्होंने ‘मणिकर्णिका’ नामक कुंड बनवाया था, जिससे इस घाट का नामकरण हुआ। राजघाट और अस्सी संगम के बीच उन्होंने विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। साथ ही दंड पाणीश्वर का पूर्व मुखी शिखर मंदिर का भी निर्माण करवाया।

बद्रीनाथ में यात्रियों के रुकने के लिए उन्होंने कई भवनों के निर्माण करवाए। लगभग 600 वर्षों तक जो छत्र भगवान जगन्नाथ की शोभा बढ़ाता रहा, उसे अहिल्याबाई होल्कर ने ही दान किया था। इसी तरह महारानी ने केदारनाथ धाम में भी एक धर्मशाला का निर्माण करवाया। देवप्रयाग में उन्होंने गरीबों के लिए भोजनालय स्थापित किया। इसी तरह गंगोत्री में उन्होंने आधा दर्जन धर्मशालाएँ बनवाई। कानपुर के बिठूर (ब्रह्मवर्त) में उन्होंने ब्रह्माघाट के अलावा कई अन्य घाट बनवाए।

काशी में उन्होंने मणिकर्णिका के अलावा एक ‘नया घाट’ भी बनवाया। वाराणसी के तुलसी घाट के पास ‘लोलार्क कुंड’ स्थित है, जहाँ हजारों वर्षों से सनातनी पूजा करते आ रहे हैं। इसे लेकर स्कन्द पुराण में भी कथा वर्णित है, जब राजा दिवोदास को काशी से विरक्त करने के लिए भगवान सूर्य यहाँ आए लेकिन खुद शिव की नगरी से मोहित हो गए। भदैनी में इसी से सम्बंधित एक कूप का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया। अहिल्याबाई होल्कर ने महेश्वर नगरी को इसीलिए अपना स्थान बनाया, क्योंकि ये पवित्र नर्मदा के किनारे था और इसे लेकर पुराणों में कई कथाएँ थीं।

इसी तरह मध्य प्रदेश के धार स्थित चिकल्दा में नर्मदा परिक्रमा हेतु आने वालों भक्तों के लिए उन्होंने भोजनालय की स्थापना की। सुलपेश्वर में उन्होंने महादेव के एक विशाल मंदिर और भोजनालय का निर्माण करवाया। मध्य प्रदेश के खरगोन स्थित मंडलेश्वर में उन्होंने मंदिर और विश्रामालय बनवाए। मांडू में उन्होंने नीलकंठ महादेव मंदिर की स्थापना की। ओंकारेश्वर में उन्होंने पूजा-पाठ की कई व्यवस्थाएँ की और निर्माण कार्य कराए, जो सैकड़ों वर्षों से जारी है।

मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे स्थित हडिया में भी उन्होंने उन्होंने मंदिर बनवाए और अपनी देखरेख में प्राण प्रतिष्ठा करवा कर पूजा-पाठ शुरू करवाया। साथ ही धर्मशाला और भोजनालय बनवाए। उन्होंने कोलकाता से लेकर काशी तक श्रद्धालुओं के लिए सड़क का निर्माण भी करवाया था। साथ ही कई पुल भी जगह-जगह बनवाए थे। जहाँ महारानी का जन्म हुआ था, वहाँ भी उन्होंने अहिल्येश्वर नाम से मंदिर बनवाया। ये भी नर्मदा तट पर स्थित है।

उन्होंने कितने ही गाँव, जमीन और मकानों की आमदनी की व्यवस्था की थी, जो सैकड़ों वर्षों तक चलती रही और आज भी कई जगह चली आ रही है। ग्रीष्म ऋतु में उन्होंने कई जगह प्याऊ का निर्माण करवाया। शीत ऋतु में वो गरीबों में कंबल, रजाइयाँ और गर्म कपड़ों का वितरण करती थीं। कुछ खेतों में खड़ी फसल को खरीद कर वो चिड़ियों के चुगने हेतु छोड़ दिया करती थीं। मछलियों के चारे के लिए उन्होंने लोगों की व्यवस्था की थी।

‘यहाँ से भागो वरना अंजाम भुगतोगे’: PFI रैली पर रिपोर्ट करने गई रिपब्लिक की टीम को धमकी, छोटे-छोटे बच्चों की ‘आजादी’ माँगने वाली वीडियो वायरल

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की रैली में एक कट्टरपंथी बच्चे द्वारा हिंदूविरोधी नारेबाजी मामले पर रिपोर्टिंग करने गई रिपब्लिक भारत की टीम को धमकियाँ मिल रही हैं। मीडिया चैनल के दावे के अनुसार, वह जब घटना संबंधी रिपोर्ट के लिए बच्चे को ढूँढते हुए स्पॉट पर गए तो उनसे रिपोर्टिंग बंद करके जगह छोड़ने को कहा गया।

कट्टरपंथी शख्स ने रिपब्लिक की टीम से कहा, “रिपोर्टिंग बंद करो और इस जगह से भाग जाओ वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना।” वीडियो में नजर आ रहा आदमी रिपब्लिक टीम से कहता है “बेहतर होगा कि तुम लोग यहाँ से चले जाओ।”

आजादी माँगने वाले बच्चों की वीडियो वायरल

बता दें कि पीएफआई रैली में कट्टरपंथी नारेबाजी करने वाले बच्चे की वीडियो वायरल होने के बाद जहाँ रिपब्लिक टीवी को जगह से जाने की धमकी मिली है। वहीं एक वीडियो सोशल मीडिया पर केरल से वायरल हुआ है। ये वीडियो कब का है इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है लेकिन ये पीएफआई रैली में हुई भड़काऊ नारेबाजी के बाद प्रासंगिक होकर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। इस वीडियो में देख सकते हैं छोटे-छोटे बच्चे टोपी लगाकर भागते नजर आ रहे हैं और तेज-तेज ‘आजादी-आजादी के नारे लगा रहे हैं।

इस ट्वीट राकेश कृष्णन सिम्हा ने 28 मई को शेयर किया है। अपने ट्वीट में उन्होंन लिखा, “केरल के मुस्लिम बच्चे खुलेआम स़ड़कों पर ‘हम लेकर रहेंगे आजादी। आरएसएस के कुत्ते। काले मोदी की काली औलादें बोल रहे हैं… अगला 9/11 सऊदी से नहीं केरल से आएगा।”

हिंदूविरोधी नारेबाजी करने वाले बच्चे का अब्बू पीएफआई सदस्य

गौरतलब है कि केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की रैली में बच्चे द्वारा लगाए गए आजादी और हिंदू विरोधी नारे मामले पर हाल में मुस्लिम बच्चे के अब्बू को कोच्चि पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बच्चे के अब्बू का कहना था कि वो पीएफआई का सदस्य नहीं है, लेकिन उसके कार्यक्रमों में शामिल होता रहा है। हालाँकि ‘रिपब्लिक टीवी’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पट्टांजली के एसीपी रविंद्रनाथ ने इस बात को कन्फर्म किया था कि हिन्दुओं के खिलाफ नारेबाजी करने वाले बच्चे का अब्बू पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का एक्टिव मेंबर है। जिसका मानना है कि हिंदू विरोधी नारेबाजी सामान्य बात है और ऐसी नारेबाजी सीएए और एनआरसी के विरोध के समय भी की गई थी।