Sunday, September 29, 2024
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पुणे: बच्चों ने कहा बच्चों जैसी बातें करते हैं राहुल गाँधी, पहले से तैयार होती है स्क्रिप्ट

हाल ही में राहुल गाँधी ने पुणे पहुँचकर भारतीय विद्यापीठ के छात्रों से मुलाकात की थी। जिसे कॉन्ग्रेस पार्टी के करीबी कदम परिवार द्वारा संचालित किया जाता है। इस मुलाकात के बाद इंडिया टुडे की टीम वहाँ पर बच्चों की राय जानने पहुँची तो सत्र की हकीकत का खुलासा हुआ।

यहाँ छात्रों से बातचीत के दौरान एक लड़के ने अपनी बुलंद आवाज़ में पूरे सत्र की हकीकत को बयान किया। छात्र ने बताया कि राहुल गाँधी की बातचीत में सब कुछ पहले से लिखी हुई स्क्रिप्ट की तरह था। बच्चों को वहाँ अपने अनुसार सवाल पूछने तक के लिए मना किया गया था। साथ ही राहुल को पहले से पता था कि उनसे क्या पूछा जाने वाला है।

वहीं दूसरे लड़के ने बताया कि राहुल से पूछे गए सवालों में और उनके द्वारा दिए जा रहे जवाबों में कोई तालमेल नहीं बैठ रहा था। छात्र का कहना था कि राहुल जिस मंच पर थे वो कोई ऐसा मंच नहीं था जहाँ पर भावुक होकर किसी की बचपन की यादें गिनाई जाएँ। छात्र ने कहा, “हम यहाँ पर अपने सवालों का सही जवाब लेने आए थे। हमें उनसे परिपक्व और सटीक जवाबों की उम्मीद थी।”

राहुल के जवाबों से निराश हो चुके बच्चों ने प्रधानमंत्री की ‘परीक्षा पे चर्चा’ पर भी जिक्र किया। दोनों राजनेताओं की तुलना करते हुए वहाँ मौजूद एक लड़के ने बताया कि मोदी की छात्रों से हुई बातचीत प्रासंगिक/ उचित और करियर आधारित थी। जबकि राहुल की बातचीत सिर्फ़ चुनाव संबंधित थी। बच्चों ने राहुल के साथ हुए इस सत्र को जरूरी बताया। उनका कहना था कि सबकी बातें सुनकर वो अब तय कर सकते हैं कि उन्हें किसके लिए वोट करना है। इसके अलावा एक बच्चे ने इस सत्र के बारे में बताया कि यहाँ सिर्फ़ 5-6 बच्चों को राहुल से सवाल पूछने का मौक़ा मिला।

बता दें कि कुछ दिन पहले पुणे में हुई बच्चों से इस बातचीत का एक वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हुआ था। जिसमें राहुल गाँधी बच्चों को बताने की कोशिश कर रहे थे कि वो नरेंद्र मोदी से बहुत प्यार करते हैं लेकिन मोदी उनसे नफरत करते हैं। यहाँ ऐसी बात कहने के बाद राहुल उम्मीद लगाए बैठे थे कि उनके समर्थन में बच्चे नारे लगाएँगे या तालियों की गड़गड़ाहट से सभाकार गूँज उठेगा। लेकिन वहाँ राहुल का फेंका पासा उन्हीं पर महंगा पड़ गया। राहुल की बात खत्म होते ही कुछ बच्चे मोदी-मोदी के नारे लगाने लगे।

वरुण गाँधी: ‘मेरे परिवार से भी कई PM हुए, लेकिन मोदी जैसा कोई नहीं हुआ, वो जिएगा तो देश के लिए, मरेगा तो देश के लिए’

लोकसभा चुनाव को लेकर गरमाई सियासत के बीच भारतीय जनता पार्टी के युवा सांसद वरुण गाँधी ने कल रात (अप्रैल 7, 2019) प्रचार अभियान के दौरान एक बड़ी बात कह दी। वरुण गाँधी ने 10 जनपथ वाले गाँधी परिवार पर हमला करते हुए कहा कि उनके परिवार से भी कई प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन देश को वास्तविक सम्मान पीएम नरेंद्र मोदी ने दिलाया है। जो सम्मान नरेंद्र मोदी ने देश को दिलाया है, वो बहुत लंबे समय तक किसी ने नहीं दिलाया।

सुल्तानपुर से सांसद और पीलीभीत से भाजपा के उम्मीदवार वरुण गाँधी ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वो आदमी केवल देश के लिए जी रहा है और वो मरेगा भी देश के लिए, उसको केवल देश की चिंता है। भाजपा सांसद ने कहा कि जो काम पीएम मोदी ने 5 साल में किया है, वह अगले पायदान पर जाकर देश के मान सम्मान को और बढ़ाएँ। देश को पूरी दुनिया में आगे ले जाएँ। लंबे अरसे बाद देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है, जिसके बारे में छाती चौड़ी करके बोल सकते हैं कि हमारे पास ऐसा प्रधानमंत्री है। केंद्र सरकार ने किसानों के लिए काफी काम किया है, राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी काम किया है। विपक्षी पार्टियों के द्वारा राजनीति के स्तर को गिराया जा रहा है।

इस दौरान वरुण गाँधी ने जनता से नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा को जिताने का संकल्प लेने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम और एससी-एसटी मतदाताओं से भी भाजपा को वोट देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जनता के प्यार से ही वह पीलीभीत से 2009 में पहली बार सांसद बन कर दिल्ली पहुँचे थे और अब वो फिर से उनके बीच उनका प्यार पाने के लिए आए हैं।

गौरतलब है कि वरुण गाँधी अभी सुल्तानपुर से सांसद हैं। इस बार पार्टी ने उन्हें पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है और पीलीभीत की सांसद और वरुण की माँ मेनका गाँधी को इस बार सुल्तानपुर से टिकट दिया गया है।

J&K: मीरवाइज़ की निकली हेकड़ी, NIA की पूछताछ के लिए पहुँचेंगे दिल्ली

बीते दिनों NIA के नोटिस की अवहेलना करने के बाद कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फारूक़ ने टेरर फंडिंग मामले में पूछताछ में जवाब देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के समक्ष दिल्ली में पेश होने के लिए निकल पड़े हैं। इसकी जानकारी हुर्रियत गुट के एक प्रवक्ता ने दी है।

गौरतलब है एजेंसी ने हाल ही में मीरवाइज को तीसरा नोटिस भेजकर 8 अप्रैल को दिल्ली में NIA के समक्ष पेश होने को कहा था। जिसपर मीरवाइज के नेतृत्व वाले हुर्रियत गुट के एक प्रवक्ता ने बतया कि मीरवाइज पूछताछ के लिए दिल्ली आने को तैयार हो गए हैं। इस दौरान उनके साथ अब्दुल गनी भट, मसरूर अंसारी, बिलाल गनी लोन समेत हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्य उनके साथ होंगे। एएनआई ने भी ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी है कि मीरवाइज़ श्रीनगर से दिल्ली आने के लिए रवाना हो चुके है।

यहाँ बता दें कि इस नोटिस से पूर्व भी एजेंसी उन्हें दो नोटिस जारी कर चुकी थी लेकिन मीरवाइज ने दिल्ली का दौरा करने में अपनी सुरक्षा संबंधी चिंता को जाहिर किया था। साथ ही श्रीनगर में पूछताछ करने की बात कही थी। अनेक प्रयासों के बाद भी एजेंसी ने वहाँ पूछताछ करने की माँग को खारिज़ कर दिया। एजेंसी ने मीरवाइज की चिंता का ख्याल रखते हुए उन्हें आश्वासन भी दिया कि वह (एजेंसी) उनकी सुरक्षा का ध्यान रखेगी।

इससे पहले एनआईए द्वारा अलगावादी नेताओं को समन करने के बाद से श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। अलगाववादियों ने सड़क पर जमकर उत्पात मचाया था।

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने मीरवाइज़ को नोटिस देने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। महबूबा ने कहा था कि मीरवाइज़ एक साधारण अलगाववादी नेता नहीं हैं बल्कि वे ‘काश’ मुस्लिमों के मज़हबी मुखिया भी हैं। महबूबा ने एक ट्वीट में लिखा था कि एनआईए का समन हमारी धार्मिक पहचान पर भारत सरकार द्वारा बार-बार किए जा रहे चोट का प्रमाण है। उन्होंने कहा था कि सरकार वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए मीरवाइज़ को बलि का बकरा बना रही है।

बेंगलुरु: यज्ञ में बाधा उत्पन्न करने पहुँचे कॉन्ग्रेसी, लोगों ने कहा ये राक्षस हैं

आए दिन कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं का नया उत्पात देखने को मिलता है। इसी कड़ी में बेंगलुरु के पूर्ण प्रज्ञा विद्यापीठ में विष्णु सहस्रनाम यज्ञ चल रहा था, लोग विष्णु सहस्रनाम का जाप कर रहे थे। इसी बीच वहाँ पर कॉन्ग्रेस के कुछ गुंडे आए और उन्होंने लोगों को पीटना शुरू कर दिया, मोदी के विरोध में नारे लगाए और साथ ही राहुल गाँधी जिंदाबाद के नारे भी लगाए जिसके बाद वहाँ पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया, लोगों के बीच दहशत फैल गई। ये बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि कॉन्ग्रेस की गुंडागर्दी अब धार्मिक स्थलों पर भी दिखने लगी है।

इस घटना की प्रत्यक्षदर्शी रहीं लेखिका सहाना सिंह ने इस बारे में ट्वीट करते हुए लिखा कि कल शाम (अप्रैल 7, 2019) को बेंगलुरु के पूर्ण प्रज्ञा विद्यापीठ में धार्मिक विद्वानों, संगीतकारों और लेखकों का जमावड़ा था। मगर वहाँ का माहौल उस समय काफी भयानक परिदृश्य में तब्दील हो गया, जब कॉन्ग्रेस के कुछ गुंडों ने वहाँ पहुचकर मोदी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विद्यापीठ में उपस्थित लोगों के ऊपर हमला करना शुरू कर दिया। जो कि पूरी तरह से गुंडागर्दी थी।

अपने एक और ट्वीट में लेखिका लिखती है कि उनकी माँ और बहन सुबह विद्यापीठ से लौटीं। वहाँ से आकर वो अध्यात्मिक रूप से काफी उर्जावान महसूस कर रहीं थी। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि कल शाम उस विद्यापीठ में क्या होने वाला था। एक व्यक्ति ने ट्वीट में लिखा कि जिन लोगों ने यज्ञ में बाधा डालने की कोशिश की वे राक्षस हैं और भगवान राम हमारी रक्षा करें।

चुनावी माहौल के बीच कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी मंदिरों में जाकर पूजा करते नज़र आते हैं, वो दिखाते हैं कि उन्हें और उनकी पार्टी की भगवान में काफी आस्था है और इस बात को लेकर वो वोट बटोरने की भी कोशिश करते नज़र आ रहे हैं, लेकिन उनके कार्यकर्ताओं ने धार्मिक स्थल पर जाकर जिस तरह का उत्पात मचाया है, उससे तो ऐसा कतई नहीं लग रहा है।


SpiceJet का विमान 18 घंटे लेट: भूखे प्यासे यात्री हलकान, क्रू ने छुड़ाई जिम्मेदारियों से अपनी जान

स्पाइसजेट की कोलकाता से पटना आने वाली फ्लाइट SG377 शनिवार की रात मौसम खराब होने के कारण वाराणसी की ओर डायवर्ट कर दी गई। हालाँकि मौसम 2 घंटे बाद ठीक हो गया लेकिन पायलट की ड्यूटी पूरी हो जाने के कारण शाम 7:25 पर फ्लाइट पर सवार पैसेंजर्स को सुबह तक वाराणसी एयरपोर्ट पर विमान के भीतर ही बैठे रहना पड़ा जिसके कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।

रविवार (अप्रैल 7, 2019) की सुबह दूसरे पायलट की व्यवस्था करके फ्लाइट में सवार पैसेंजर्स को पटना एयरपोर्ट पर पहुँचाया गया। इस दौरान फ्लाइट में 72 लोग सवार थे। प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के अनुसार पटना पहुँचने के बाद उनमें से कई यात्रियों ने एयरलाइन के कर्मियों के व्यवहार को काफ़ी निराश करने वाला बताया।

दरअसल, वाराणसी एयरपोर्ट पर फ्लाइट खड़े रहने के दौरान पैसेंजर्स को न तो कोई फूड पैकेट दिया गया और न ही चाय कॉफी के लिए पूछा गया। यात्रियों की माने तो इस दौरान फ्लाइट का एसी भी खराब हो गया था। जब घुटन से वहाँ यात्रियों की हालत बिगड़ने लगी, तो काफ़ी हंगामे के बाद सुबह 8 बजे उन्हें चाय-कॉफी और स्नैक्स दिया गया।

रिपोर्ट की माने तो स्पाइस जेट एयरलाइन कर्मियों के रूखे व्यवहार के कारण यात्रियों ने मामले की शिकायत DGCA उच्च अधिकारियों से करने का मन बना लिया है। जिसके लिए 72 में से 50 यात्रियों ने एक आवेदन भी तैयार किया गया है जिसमें उन्होंने अपना नाम, फोन नंबर, और हस्ताक्षर भी किया।

यहाँ बता दें स्पाइसजेट की इस फ्लाइट ने कोलकाता से पहले की 6 घंटे की देरी पर उड़ान भरी थी। फ्लाइट का डिपार्चर टाइम पहले 6:15 PM था, जिसे बढ़ाकर पहले 7:25 PM कर दिया गया, फिर इसका समय रात के 10 और फिर 11 बजे किया गया। आखिर में रात 12 बजे यह फ्लाइट कोलकाता से रवाना हुई। लेकिन 1 बजे जब यह फ्लाइट पटना पहुँची तो लैंडिंग के लिए मौसम सही नहीं था।

एयरपोर्ट पर लैंडिंग के पहले प्रयास में असफलता के बाद बहुत देर तक विमान आसमान के ही चक्कर लगाता रहा। इसके बाद रनवे न दिखने के कारण दूसरे प्रयास में भी फ्लाइट की लैंडिंग मुमकिन नहीं हो पाई। विमान में ईंधन खत्म हो जाने के डर से उसे वाराणसी एयरपोर्ट डायवर्ट किया गया था। यहाँ पर विमान की लैंडिंग रात के 2 बजे हुई। वाराणसी एयरपोर्ट पर यात्रियों को भूखे प्यासे परेशानियों का सामना करना पड़ा। अगले दिन आखिरकार यात्रियों के दबाव पर सुबह 10:45 में उसी विमान को फ्लाइट संख्या SG9377 बना कर पटना लाया गया और दोपहर 12 बजे पटना एयरपोर्ट पर पहुंचकर यात्रियों ने राहत की सांस ली।

अफ्रीका का वो शख़्स जिसने 10 मिलियन डॉलर बैंक से निकलवाए, मक़सद था केवल उन्हें देखना

अफ्रीका के सबसे धनी व्यक्ति के रूप में पहचाने जाने वाले नाइजीरियाई अरबपति अलिको डांगोटे ने शनिवार को आइवरी कोस्ट में एक मंच से कहा कि कैसे उन्होंने एक बार बैंक से 10 मिलियन डॉलर कैश निकाले थे, जिसका मक़सद केवल इतना था कि आख़िर इतना सारा पैसा देखने में कैसा लगता है।

उन्होंने एबिडान में मो इब्राहिम फोरम को बताया कि जब आप युवा होते हैं तो आपका पहला मिलियन महत्वपूर्ण होता है, लेकिन उसके बाद पैसों को लेकर धीरे-धीरे यह आकर्षण कम हो जाता है।

डांगोट ने अपने दर्शकों को बताया, “एक दिन, मैंने 10 मिलियन कैश निकाला, उस कैश को अपनी कार में डाल दिया, मैंने उसे अपने कमरे में रख दिया। मैंने उन्हें देखा और सोचा, ‘अब मुझे विश्वास हो गया है कि मेरे पास पैसा है’ और फिर अगले दिन उसे बैंक ले गया।”

डांगोट ने कहा कि अफ्रीका के भविष्य के लिए सबसे आशाजनक क्षेत्र कृषि और नई तकनीकें थीं। लेकिन उन्होंने युवा अफ्रीकी उद्यमियों को सलाह दी कि वे कामयाबी की पहली सीढ़ी चढ़ने से कभी दूर न जाएँ।

उन्होंने चेतावनी दी “अक्सर अफ्रीका में हम अपनी अनुमानित आय खर्च करते हैं। व्यापार में उतार-चढ़ाव हैं।” डांगोट ने पूरे महाद्वीप में व्यापारिक विकास में बाधा डालने वाले रीति-रिवाजों और प्रशासनिक समस्याओं पर खेद व्यक्त किया।

बता दें कि फोर्ब्स की अफ्रीकी अरबपतियों की सूची (2013) में टॉप पर अलिको डांगोटे थे, जिनकी संपत्ति 20.8 अरब डॉलर (13 खरब) थी और वह उप-सहारा अफ्रीका के सबसे बड़े सीमेंट निर्माता हैं। सीमेंट का बिजनेस करने वाले डांगोट ने बताया कि उन्हें अनेकों बार तरह-तरह की कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ा है।

6000 या 72 हजार… सब भूल जाइए क्योंकि अब हर परिवार को मिलेगा 2 लाख रुपए वो भी हर साल!

लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही सभा पार्टियाँ आम जनता को लुभाने में लग गई हैं। कॉन्ग्रेस ने सत्ता में आने के बाद गरीबों को साल में ₹72,000 देने की बात कही थी। अब इसी कड़ी में आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का भी नाम जुड़ गया है। टीडीपी ने आम चुनावों के लिए शनिवार (अप्रैल 6, 2019) को अपना घोषणापत्र जारी करते हुए प्रत्येक परिवार को हर साल ₹2 लाख देने का वादा किया है।

टीडीपी अध्यक्ष एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने जहाँ हर गरीब परिवार को ₹72,000 सालाना देने का वादा किया है, वहीं अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो हर साल प्रत्येक परिवार को ₹2 लाख दिए जाएँगे। इसके साथ ही टीडीपी ने 12वीं पास कर चुके छात्रों को बेरोजगारी भत्‍ता देने की बात कही है। इतना ही नहीं, पार्टी ने राज्‍य के सभी शहरों में इनोवेशन हब स्‍थापित करने की भी घोषणा की है।

उन्होंने कहा कि कोई कल्पना में भी हमारी इस उदारता के साथ मेल खाने के बारे में नहीं सोच सकता है। टीडीपी ने केंद्र की किसान सम्मान योजना को राज्य के मेल खाते अनुदान के साथ जारी रखने का वादा किया है। इस योजना के तहत प्रत्येक किसान को सालाना ₹15,000 का फायदा मिलेगा। मुख्य विपक्षी पार्टी वाईएसआर कॉन्ग्रेस ने भी टीडीपी के घोषणापत्र जारी करने के कुछ घंटों बाद अपना घोषणापत्र जारी किया। पार्टी के घोषणा पत्र में हर किसान परिवार को लागत के लिए पचास हजार रुपए देने का आश्वासन दिया गया है। इसके साथ-साथ घर के लिए सस्ता और अतिरिक्त लोन देने की भी बात कही गई है।

आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ होने हैं। राज्य में 11 अप्रैल को पहले चरण में मतदान होगा। राज्‍य के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछले दिनों यह भी ऐलान किया था कि यदि टीडीपी वापस राज्‍य की सत्‍ता में आती है तो वह एक मुस्लिम को अपना उपमुख्‍यमंत्री बनाएँगे। इतना ही नहीं, नायडू ने समुदाय विशेष के लिए इस्‍लामिक बैंक खोलने की भी घोषणा की है।

32 चुनाव हारने के बाद भी 84 वर्षीय श्याम बाबू का जज़्बा बरक़रार, फिर से लड़ेंगे चुनाव

ओडिशा के बेरहामपुर से श्याम बाबू सुबुद्धि ने 1962 से एक निर्दलीय के रूप में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा। अपनी इस चुनावी लड़ाई में उन्हें 32 बार हार का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके वो फिर से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हुए हैं।

समाचार एजेंसी ANI को उन्होंने बताया, “मैंने पहली बार 1962 में चुनाव लड़ा और लोकसभा और ओडिशा विधानसभा चुनावों सहित विभिन्न चुनाव लड़े। मुझे विभिन्न राजनीतिक दलों से प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन मैंने हमेशा एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।”

ख़बर के अनुसार, इस साल उन्होंने अस्का और बेरहामपुर लोकसभा सीटों से अपना नामांकन दाखिल किया। एक प्रमाणित होमियोपैथ, श्री सुबुद्धि कहते हैं कि वह राज्य में तीन खाली राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव लड़ेंगे, जिसके लिए चुनाव 11 जून को होंगे। इससे पहले, उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के ख़िलाफ़ भी चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा, “मैं ट्रेनों, बसों और बाजारों में अपने दम पर प्रचार करता हूँ। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि मैं जीतता हूँ या हारता हूँ। मुझे लड़ाई जारी रखनी है।”

उन्होंने कहा, “इस बार मेरा चुनाव चिन्ह एक बल्ला है और उस पर पीएम उम्मीदवार लिखा है।” श्री सुबुद्धि का कहना है कि वह राज्य की राजनीति से नाखुश हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए कथित तौर पर पैसे के इस्तेमाल पर भी दुखी हैं। उन्होंने कहा, “मैंने भ्रष्टाचार के ख़िfलाफ़ लड़ाई जारी रखी है।”

ओडिशा में विधानसभा चुनाव 11, 18, 23 और 29 अप्रैल को चार चरणों में लोकसभा चुनाव के साथ होंगे। 23 मई को परिणाम घोषित किए जाएँगे।

इंदिरा व राजीव शिकार हुए थे, शहीद नहीं: ढोंगी देशभक्ति के नाम पर वोट मत माँगिए, यह नौटंकी है

जमीनों की हेराफेरी और कमीशन के कई मामलों में आरोपित रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी कॉन्ग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा शनिवार (अप्रैल 6, 2019)को देश को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने निकलीं। इंदिरा से नाक मिलने की योग्यता रखने वाली प्रियंका यूपी के फतेहपुर में एक नुक्कड़ सभा में बोल रही थीं। अचानक से वहाँ उन्हें देशभक्ति की बात याद आई ठीक उसी तरह जिस तरह से अक्सर पिछले चुनावों में उनके भाई साहब को कभी राम भक्त तो कभी शिवभक्त और कभी खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण दिखाने की याद आती थी। फिलहाल अब वह वायनाड से खुद को मुस्लिमों का मसीहा साबित करने में लगे हैं। क्योंकि, अमेठी अब उनके लिए उतनी मीठी नहीं रही कि वो उसका और फायदा उठा पाएँ।

तो अचानक से देशभक्त बनी प्रियंका ने फतेहपुर में कहा, “हर चुनाव में भाजपा देशभक्ति का मुद्दा उठाती है, मगर विकास पर कोई बात नहीं करती है। मैं यहाँ आपको यह याद दिलाने आई हूँ कि देशभक्ति के क्या सही मायने हैं।”

देशभक्ति और विकास साथ-साथ अच्छी बात है। पर जिसने 60 सालों तक विकास की ऐसी-तैसी कर खुद को घोटालों की सरकार कहलाने में फक्र महसूस किया हो, उस पार्टी के महासचिव के मुँह से विकास निकलते ही शायद प्रियंका को लगा कि ये तो सेल्फ गोल हो गया, कहीं कॉन्ग्रेस और मोदी सरकार के कार्यों के बीच तुलना न हो जाए? कहीं जनता ये सवाल न कर दे कि आपका परिवार तो घोटालों, दलालों और देश को बेच खाने वालों का जमावड़ा है, जिन पर जाँच के बाद कई आरोपपत्र दाखिल हो चुके हैं। जिनका पूरा परिवार जमानत पर चल रहा है। जिनके पतिदेव ED के सवालों का जवाब दे हलकान हो रहे हैं। मिशेल ने जिनके परिवार और पार्टी के कई नेताओं का नाम सीधे-सीधे न सही, परोक्ष तौर पर तो ले ही लिया है। वो विकास का नाम ले भी तो कैसे? तुरंत वापस लौट आईं देशभक्ति के मुद्दे पर और जल्दबाजी में अपने परिवार के ही दो प्रिविलेज्ड नेताओं को शहीद का दर्ज़ा दे डालीं।

इस क्रम में यहाँ तक कह दिया, “अगर भारतीय जनता पार्टी के नेता सच्चे देशभक्त होते तो वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी समेत देश के शहीदों का सम्मान करते।” यहाँ साफ़ दिख रहा है जिस परिवार ने नाम्बी नारायणन जैसे वैज्ञानिकों पर देश के खिलाफ जासूसी का आरोप मढ़कर, सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए उनका पूरा जीवन बर्बाद कर दिया हो। जिसके कार्यकाल में होमी जहाँगीर भाभा और विक्रम साराभाई जैसे वैज्ञानिकों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बावजूद न उनका पोस्टमार्टम कराया गया और न कोई जाँच बैठाई गई। वो आज देशभक्ति का पाठ पढ़ा रही हैं। आपको कॉन्ग्रेसी राज के वो दिन तो याद ही होंगे जब देश को मजबूत बनाने की सोचने वाले जिंदा नहीं बचते थे

प्रियंका ने यह भी कहा, “देशभक्ति की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले बीजेपी नेता अगर सच्चे देशभक्त होते तो वे देश के शहीदों का सम्मान करते, चाहे वे शहीद हिंदू हों या मुस्लिम या उनके राजनीतिक विरोधी के पिता! वह शहीद हैं। आप यह चयन नहीं कर सकते कि आप किस शहीद का सम्मान करें अगर आप सच्चे देशभक्त हैं तो राजीव गाँधी और इंदिरा गाँधी समेत सभी शहीदों का सम्मान करें।” यहाँ बात थोड़ी और साफ़ हुई कि उन्हें सैनिकों के बलिदान या शहादत से कुछ भी लेना-देना नहीं है। दरअसल वो भारत रत्न की तरह चुनाव के माहौल में जनता की भावनाओं का फायदा उठाने के लिए शहीद-शहीद खेलकर अपने परिवार के लोगों के नाम पर राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का काम कर रही हैं।

देश के वीर सैनिकों के नाम पर अपने परिवार को रेवड़ी मत बाँटिए प्रियंका जी। क्या आप जानती हैं कि शहीद कौन होता है? जिसने शहादत खुद चुना हो, जिसे पता हो कि इस मिशन में देशहित की रक्षा के लिए दुश्मनों का सामना करते हुए उसकी जान जा सकती है फिर भी वह पीछे न हटे उसे देश गर्व से शहीद कहता है

सेना में ड्यूटी पर मरने वाला हर सैनिक या जवान, शहीद ही है क्या? जी नहीं। मारा गया हर सिपाही, अर्धसैनिक बल का जवान शहीद नहीं। ‘शहीद’ का ये गरिमापूर्ण सम्मान, हर मृतक को नहीं दिया जा सकता है। धोखे से जिनकी हत्या की गई, भले ही वो सैनिक ही हों, वे शहीद नहीं होते। अपनी और अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी में, धोखे से मारे गए सिपाही, शहीद नहीं कहलाते। बेखबर, लापरवाह किसी एक्सीडेंट में मारे गए लोग, शहीद नहीं होते हैं, वे बस शिकार होते हैं।

शहीद तो वे सजग सिपाही होते हैं, जो खतरा जानते हुए, अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए, चौकस रहकर, पूरे होशो-हवास में, सतर्कता से, सुनियोजित जोखिम उठाकर, अपनी कुर्बानी दे देते हैं कि सिवा उसकी कुर्बानी के और कोई विकल्प था ही नहीं। बिना मुठभेड़ किए ही, अगर कोई किसी साजिश का शिकार होकर मारा गया, किसी के गुस्से का शिकार हुआ, किसी रैली में मारा गया वो शहीद नहीं, शिकार है – साजिश का शिकार। शहीद होने के लिए जरूरी है, मौत की परिस्थितियों और उसके पीछे के कारण का, शौर्यपूर्ण और बुद्धिमतापूर्ण होना।

यहाँ तक की आतंकवादियों के फिदाईन हमलों में अगर आतंकवादी से मुठभेड़ नहीं हुआ और अपने ध्येय के लिए आतंकवादी ने जान दे दी तो, अपने मकसद के लिए शहीद वो आतंकवादी (वो भी उसके पक्ष के हिसाब से) हुआ न कि वो सैनिक जो उस फिदाईन का शिकार बना। ऐसे हमलों में दो सैनिक मारे जाते हैं, उन्हें हम सम्मानवश बलिदानी, हुतात्मा कह सकते हैं। लेकिन शहीद नहीं। शहादत का मतलब है, दुश्मन को मारने के लिए, खुद मर जाना। दुश्मन की चाल में आकर बिना उसे मारे ही, मारा जाना शहादत नहीं, खेत आना कहलाता है। खेत आया हर सैनिक, शहीद नहीं होता है। अपनी कमर में बम बाँध कर, कोई प्रायोजित आतंकवादी, अगर बेखबर सोए सैनिकों के शिविर में घुस कर फट जाए और अगर इस धमाके में खेत आए सारे सैनिकों के लिए आप शहीद शब्द प्रयोग करते हैं तो फिर उस महान सैनिक को क्या कहेंगे, जो दुश्मन का सामना करते हुए, अंतिम उपाय में, हैंडग्रेनेड लेकर दुश्मन के बंकर में कूद पड़ा, और अपनी जान देकर पचास दुश्मनों को मार गिराए ताकि अपने हजार साथियों की जान बचा सके।

सक्रिय व सजग रहकर, समाज की सुरक्षा के लिए, सही समय पर अपना सब कुछ न्योछावर कर देना ही, शहादत और बलिदान है।

शहीद थे भगत सिंह। शहीद थे आजाद। शहीद थे राजगुरु। शहीद थे सुखदेव। शहीद थे महाभारत के अभिमन्यु। शहीद हैं वे महान सैनिक, जिन्होंने दुश्मनों के शिविर में घुसकर, उनको मारते हुए अपनी जानें दे दीं।

शहीद और शिकार में फर्क है। पहले ये खुद समझिए फिर समझाइए कि देशभक्ति और शहादत क्या है।

प्रियंका गाँधी, शहादत के लिए बुद्धिमान होना बेहद जरूरी है। और आपके परिवार का बुद्धि से ही दुश्मनी है। आपके परिवार में सिर्फ परिवार का होना, खानदान से नाक मिलना ही जहाँ योग्यता हो, वहाँ बुद्धि और विवेक की बात करना बेमानी होते हुए भी देशहित में मैं आपका संदेह दूर कर रहा हूँ ताकि आप घोषित आपातकाल लगाने वाली महिला (अपनी दादी) को शहीद कहने की भूल न करें। आपकी दादी और आपके चाचा संजय गाँधी के ही पाले हुए भिंडरावाले जैसे पाकिस्तान परस्त अलगाववादी के खात्मे के लिए स्वर्ण मंदिर में जूते पहन के घुसे सैनिकों से धार्मिक भावना आहत होने पर अपने अंगरक्षकों के गुस्से का शिकार थीं आपकी दादी न कि शहीद।

ये जानते हुए भी कि इससे सिखों की धार्मिक भावना आहत हुई है और वो भयंकर रूप से उनसे खफा हैं। यहाँ तक की IB की सूचना के बावजूद सिख अंगरक्षकों को न हटाना मूर्खता है, लापरवाही है। और उनके गुस्से का शिकार हो अपनी जान गवाना एक हादसा है, दुर्घटना है, शहादत नहीं।

उसके बाद का तो आपको पता ही होगा। 1984 में आपकी दादी की हत्या के बाद जब कॉन्ग्रेसी ढूँढ-ढूँढ कर दिल्ली में सिखों को ज़िंदा जला रहे थे, एक नरसंहार को अंजाम दिया जा रहा था तो आपके ‘पूज्य’ पिताजी ने ही कहा था, “जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है।” याद है आपके पिताजी भी शहीद नहीं बल्कि अपनी बेवकूफी और लिट्टे के गुस्से का ही शिकार हुए थे। इस लिट्टे को भी आपके परिवार ने ही देश को खोखला और अशांत करने के लिए पाला था। माना की राजीव गाँधी की मौत वीभत्स तरीके से हुई थी, देश को अपना एक प्रधानमंत्री खोने का दुःख भी है लेकिन वह शहादत नहीं बल्कि महज हत्या थी। देश आपके परिवार की बेवकूफियों की कीमत आज तक चुका रहा है।

लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि आज जिस तरह से एक ही परिवार को देश के ऊपर थोपा जा रहा है वह लोकतंत्र की हत्या कर परिवार तंत्र को बढ़ावा देना ही है। बेशक आज आपकी चारण मीडिया गुणगान कर रही हो लेकिन उसे देश की सच्ची आवाज समझने की भूल मत करिए। वो आपके पाले हुए वामपंथी मीडिया गिरोह का मात्र स्तुतिगान है। आँखे खोलकर देखिए, आपकी पार्टी की तरह ये गिरोह भी नकारा जा चुका है।

प्रियंका जी आप देशभक्ति और देश के भविष्य की चिंता मत करिए। आज देश की संस्थाएँ, सुरक्षा बल और वैज्ञानिक ज़्यादा स्वतंत्र हैं और देशहित में नित नई उन्नति कर रहे हैं। तभी तो आज आपको वर्तमान नेतृत्व के कामों का श्रेय भी अपने परदादा को देने की ज़रूरत पड़ रही है। विकास या उत्थान नहीं हो रहा तो क्या आप विफलता का श्रेय लूटने को तैयार बैठी हैं?

चिंता मत करिए आप, देश का भविष्य तो उज्ज्वल है पर कॉन्ग्रेस का भविष्य देश को अंधकारमय नज़र आ रहा है। लेकिन आपने “इंदिरा इज इंडिया” के तर्ज़ पर यह भी कहने से गुरेज नहीं किया कि देश का भविष्य तय करने के लिए आगामी चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है इसलिए आप उनको यह याद दिलाने आई हैं कि सच्ची देशभक्ति के क्या मायने हैं। आप रहने दीजिए। देश समझ चुका है कि देशहित और सच्ची देशभक्ति क्या है। तभी तो उसने नकली देशभक्तों और जनेऊ धारियों को सत्ता से बाहर रखने की ठानी है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज देश सम्पन्नता की राह पर है। अब देश का कोई भी सच्चा सपूत यहाँ के संसाधनों की बंदरबाँट नहीं चाहता। जनता का तो यहाँ तक कहना है कि देशहित में सच्ची देशभक्ति का प्रमाण देते हुए कम से कम 20 साल तक परिवार को सत्ता से दूर रहकर आत्मशुद्धि का आनंद उठाना चाहिए। आप देश के लोकतंत्र में यकीन रखिए, जब ज़रूरी होगा ये देश हित में आपको मौका ज़रूर देगा। नहीं दे रहा तो देश जाग चुका है कि अब उसे घोटालों और दलालों की सरकार नहीं चाहिए।

खैर इसमें रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका मैं आपकी बुद्धि को दोष नहीं दूँगा। बस आपको लगा कहीं लोगों को कॉन्ग्रेस की घोटालों की याद न आ जाए, इसलिए राफेल राग पर ‘रागा’ के फेल होते ही आप अब देशभक्ति की लाइन पर आने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन चौकन्ना चौकीदार की वजह से कुछ काम नहीं आ रहा। अभी हाल ही में ABP को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने उनके भ्राता श्री (जो चुनाव हलफनामे में हेर-फेर को लेकर संदेह के घेरे में हैं) के संपत्ति के कई खुलासों के ऑपइंडिया के रिपोर्ट का जिक्र कर फिर से लंका लगा दी है। प्रियंका आप तो स्वयं ऐसी कई सम्पत्तियों की मालकिन हैं कि अगर आप चुनाव लड़ती हैं तो आपके भी भेद खुल जाने का डर है। इसलिए आपने एक गोली देकर फिलहाल इससे मुक्ति पा ली है कि यदि आपकी पार्टी चाहेगी तो आप ज़रूर चुनाव लड़ेंगी।

जिसके हाथ में 10 साल तक प्रधानमंत्री भी एक खिलौने की तरह रहा हो, जिनके भ्राता श्री देश के प्रधानमंत्री का अपमान करते हुए अध्यादेश बिना किसी अधिकृत पद पर होते हुए भी चारण मीडिया के सामने फाड़ चुके हों और पूरा कॉन्ग्रेसी मीडिया गिरोह ‘वाह राहुल जी वाह’ का नारा लगा चुकी हो – आप खुद वाराणसी के रामनगर में देशभक्ति का महान सन्देश देते हुए अपने ही गले की माला उतारकर देश के महान सपूत लाल बहादुर शास्त्री के गले में डालकर ये बता आई हैं कि कोई भी हो, वो हमेशा आपके परिवार से नीचे ही रहेगा। आप जैसे महानुभाव, आपके नकली देशभक्ति के पाठ और बाहरी दिखावों की देश को ज़रूरत नहीं। देश ने अभी तक आपके परिवार का बड़ा सम्मान किया। अब देश आपसे चाहता है कि आप भी लोकतंत्र की भावना और उसकी इच्छा का सम्मान करते हुए कुछ समय तक सत्ता से दूर रहने में योगदान देकर सच्ची देशभक्ति का सबूत दें। जय हिन्द! जय भारत!

93.6% की धोखाधड़ी वाला ‘आरती घोटाला’: बुरे फँसे चिदंबरम-पुत्र, गरीब महिलाओं का विरोध प्रदर्शन

पूर्व मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम का नाम आए दिन सुर्खियाँ बटोरता है, जिसमें वो अपनी विवादित छवि के लिए चर्चित रहते हैं। इस बार एक नए विवाद में तमिलनाडु के मदुरै में कुछ महिलाओं ने मिलकर उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोला है। कथित तौर पर, कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने कार्ति के आगमन पर ‘आरती की व्यवस्था’ की थी। इसके लिए 25 महिलाओं को ₹500 (प्रत्येक को) देने का वादा किया गया था, लेकिन वादा ख़िलाफ़ी करते हुए महिलाओं को केवल ₹800 दिए गए और कहा गया कि इन्हें आपस में बाँट लो। इस हिसाब से प्रत्येक महिला के हिस्से में मात्र ₹32 आते हैं। यानी 468 रुपए का घाटा = 93.6% का घाटा।

ख़ुद के साथ हुए इस अन्याय के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के लिए सभी महिलाएँ एकजुट हुईं और अपनी आवाज़ बुलंद करने का निर्णय लिया।

कार्ति के आगमन पर, जब उन्होंने सबके खातों में सीधे ₹6,000 प्रतिमाह देने का वादा किया, तो उनमें से एक महिला ने पूछा कि जब वह वादा किए हुए ₹500 भी नहीं दे सकते, तो भला वो ₹6,000 कैसे देंगे।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कार्ति ने कहा, “कृपया ₹500 की इतनी छोटी राशि के लिए चिंता न करें। हमें वोट दें, हम सुनिश्चित करेंगे कि बैंक खातों के माध्यम से ₹6,000 प्रति माह आपके घर तक पहुँचे।”

बता दें कि एयरसेल-मैक्सिस मामले में CBI द्वारा दायर आरोप पत्र में पिता-पुत्र (पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम) की जोड़ी को आरोपी बनाया गया है। पिछले साल अक्टूबर में, प्रवर्तन निदेशालय ने INX मीडिया मामले के संबंध में कार्ति चिदंबरम की ₹54 करोड़ की संपत्तियों को कुर्क किया था।

ख़बर के अनुसार, कार्ति को शिवगंगा क्षेत्र से कॉन्ग्रेस द्वारा टिकट दिए जाने पर पार्टी के भीतर काफी हंगामा हुआ। हालाँकि, कार्ति का कहना है कि पार्टी द्वारा टिकट दिया जाना उनकी ‘कड़ी मेहनत’ का नतीजा है, उन्हें भाई-भतीजावाद की वजह से टिकट नहीं मिला है। इसके अलावा कार्ति चिदंबरम को यह भी कहते हुए भी सुना गया कि गठबंधन अपनी जीत के माध्यम से अपनी शिवगंगा सीट को बरक़रार रखेगा।