Sunday, September 29, 2024
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J&K में 35A को ख़त्म कर देगी मोदी सरकार! खुद जेटली कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जम्मू कश्मीर के ताज़ा हालातों का विश्लेषण करते हुए एक ब्लॉग लिखा है, जिसमें उन्होंने आर्टिकल 35-A पर निशाना साधा है। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि कैसे यह आर्टिकल दलित विरोधी है और दलितों पर इसके कितने दुष्प्रभाव हुए हैं। हम जेटली के ब्लॉग में लिखी महत्वपूर्ण बातों को जानेंगे, लेकिन उस से पहले समझते हैं कि आर्टिकल 35A क्या है?

  • दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का स्थाई निवासी नहीं बन सकता है।
  • जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति यहाँ पर अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता।
  • इस राज्य की लड़की अगर किसी बाहरी लड़के से शादी करती है, तो उसके सारे प्राप्त अधिकार समाप्त कर दिए जाएँगे।
  • राज्य में रहते हुए जिनके पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र नहीं हैं, वे लोकसभा चुनाव में मतदान कर सकते हैं लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव में वोट नहीं कर सकते हैं।
  • इस अनुच्छेद के तहत यहाँ का नागरिक सिर्फ़ वही माना जाता है जो 14 मई 1954 से पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या फिर इस बीच में यहाँ उसकी पहले से कोई संपत्ति हो।

आर्टिकल 35A पर अरुण जेटली के विचार, उन्हीं के शब्दों में

अनुच्छेद 35A को 1954 में संविधान में राष्ट्रपति द्वारा एक अधिसूचना जारी कर शामिल किया गया था। यह न तो संविधान सभा द्वारा तैयार किए गए मूल संविधान का हिस्सा था और न ही संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संवैधानिक संशोधन के रूप में आया था, जिसमें दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। संसद के सदन पर यह राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना के रूप में आया जो कि संविधान में एक छल से की हुई शासनात्मक प्रविष्टि है।

यह आर्टिकल राज्य सरकार को राज्य में रह रहे नागरिकों के बीच स्थानीय बनाम बाहरी के रूप में भेदभाव करने का अधिकार देता है। यह राज्य के नागरिकों व भारत के अन्य राज्य के नागरिकों के बीच भेदभाव करता है। जम्मू और कश्मीर में लाखों भारतीय नागरिक लोकसभा चुनावों में वोट देते हैं लेकिन विधानसभा, नगरपालिका या पंचायत चुनावों में नहीं। उनके बच्चों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। उनके पास संपत्ति नहीं हो सकती और उनके बच्चे सरकारी संस्थानों में भर्ती नहीं हो सकते। यही बात उन लोगों पर भी लागू होती है, जो देश में अन्यत्र रहते हैं। राज्य के बाहर शादी करने वाली महिलाओं के उत्तराधिकारियों को संपत्ति या विरासत में मिली संपत्ति से वंचित कर दिया जाता है।

आज की तारीख़ में राज्य (जम्मू कश्मीर) के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं। अधिक वित्तीय लाभ उठाने की इसकी क्षमता को अनुच्छेद 35A द्वारा अपंग कर दिया गया है। कोई भी निवेशक यहाँ पर उद्योग, होटल, निजी शिक्षण संस्थान या निजी अस्पताल स्थापित करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि वह राज्य में न तो ज़मीन या संपत्ति ख़रीद सकता है और न ही उसके अधिकारी ऐसा कर सकते हैं। उनके बच्चों को सरकारी नौकरियों या कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल सकता है। आज, ऐसी कोई बड़ी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय होटल चेन नहीं है, जिसने पर्यटन केंद्रित राज्य में एक भी होटल स्थापित किया हो।

यह समृद्धि, संसाधन निर्माण और रोज़गार सृजन को रोकता है। कॉलेज की पढ़ाई के लिए छात्रों को नेपाल और बांग्लादेश सहित सभी जगहों पर जाना पड़ता है। जम्मू में केंद्र सरकार द्वारा स्थापित सुपर-स्पेशियलिटी सुविधा सहित इंजीनियरिंग कॉलेज और अस्पताल या तो अंडर-यूज़ किए गए या प्रयोग करने लायक ही नहीं हैं क्योंकि बाहर से प्रोफेसर और डॉक्टर वहाँ जाने के लिए तैयार ही नहीं हैं। अनुच्छेद 35A ने निवेश को रोक दिया है और राज्य की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है। इस आर्टिकल को कई लोग राजनीतिक हथियार रूप में भी प्रयोग कर रहे हैं

देश के बाकी हिस्सों पर लागू होने वाला क़ानून का शासन इस राज्य में लागू क्यों नहीं होना चाहिए? क्या हिंसा, अलगाववाद, व्यापक पैमाने पर पत्थरबाजी (Stone Pelting), ख़तरनाक विचारधारा इत्यादि को इस दलील पर अनुमति दी जानी चाहिए कि अगर हम इसकी जाँच करते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह गलत नीति है, जो विकास-विरोधी साबित हुई है। आज वर्तमान सरकार ने निर्णय लिया है कि कश्मीर घाटी के लोगों के हित में और भारत के हित में, क़ानून का शासन सबके लिए समान रूप से लागू होना चाहिए।

लद्दाख और कारगिल हिल डेवलपमेंट काउन्सिल को आज और प्रभावशाली बनाया गया है। लद्दाख डिवीज़न का अलग से गठन किया गया है। लद्दाख में एक नया विश्वविद्यालय भी बनाया गया है। अलगाववादियों और आतंकियों पर बुरी तरह से मार पड़ी है। मुख्यधारा की दो पार्टियाँ केवल टेलीविज़न बाइट्स दे रही हैं और उनकी गतिविधियाँ सोशल मीडिया तक ही सीमित हैं। राज्य के लोग केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों का स्वागत कर रहे हैं। वे शांति चाहते थे। हिंसा और आतंक से मुक्ति चाहते थे। घाटी में क़ानून का शासन लागू किया जा रहा है और लोगों के लिए एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन सुनिश्चित किया जा रहा है।

एनआईए ने टेरर फंडिंग पर शिकंजा कसा है। आयकर विभाग ने सत्रह वर्षों के बाद कार्रवाई की और देश के ख़िलाफ़ उपयोग होने वाले धन के स्रोतों के मामले में कड़ी कार्रवाई कर रही है। सीबीआई हाल के वर्षों में दिए गए 80,000 बंदूक लाइसेंस पर नज़र बनाए हुए है और इसकी जाँच कर रही है। पिछले कुछ महीनों में सबसे ज्यादा आतंकी मारे गए हैं। बेकार के प्रदर्शनों व पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है। आतंकी संगठनों में भर्ती होने वाले युवाओं में कमी आई है।

गर्भवती पत्नी पर क्रूरता के लिए मुस्तफ़ा को मिली जेल की सज़ा

क्रूरता की हद पार करते हुए मुस्तफ़ा नाम के एक शख़्स ने अपनी प्रेमिका को न सिर्फ़ मारा-पीटा बल्कि उसके गर्भवती होने की बात को जानते हुए भी उसे गंभीर चोटें पहुँचाई। सिंगापुर ज़िला अदालत के न्यायाधीश मैथ्यू जोसेफ ने बीते बुधवार (मार्च 27, 2019) को दो मामलों में दोषी करार देते हुए सज़ा सुनाई। इसमें एक मामला 2017 का है जब वो एक रोड रेज मामले में दोषी ठहराया गया और दूसरा मामला अपनी गर्भवती प्रेमिका को चोट पहुँचाने से संबंधित है।

द न्यू पेपर की ख़बर के अनुसार न्यायाधीश ने 24 वर्षीय मुस्तफ़ा को हिंसा और अपने गुस्स पर क़ाबू न रख पाने के लिए कड़ी फटकार लगाते हुए 10 सप्ताह जेल की सज़ा सुनाई है। इस 10 सप्ताह की सज़ा में 6 सप्ताह की सज़ा अपनी पत्नी से किए गए क्रूर व्यवहार के लिए दी गई और 4 सप्ताह की सज़ा रोड रेज मामले के लिए दी गई है।

ख़बर के अनुसार, 11 जून 2017 को  मुस्तफ़ा का अपनी प्रेमिका से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था। यह आपसी विवाद इतना बढ़ गया कि मुस्तफ़ा ने अपनी प्रेमिका के गाल पर तीन तमाचे जड़ दिए और उसकी जांघ पर दो बार लात भी मारी। हालत गंभीर होने पर उन्हें उपचार संबंधी सुविधाएँ दिलवाए जाने पर महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। बता दें कि प्रेमिका से पत्नी बनीं शिखा ने बताया कि मुस्तफ़ा द्वारा किए जा रहे अभद्र व्यवहार से ऊब चुकी है।

मुस्तफ़ा ने यह बेरहमी भरा बर्ताव ऐसे समय में किया जब वो उसके बच्चे की माँ बनने वाली थी। इस तरह का व्यवहार पर हैरान भी कर देता है कि आख़िर समाज किस दिशा में अपने पैर पसार रहा है।

BJP से नहीं मोदी से डर लगता है: दिग्विजय सिंह

अक्सर अनाप-सनाप बयानों के कारण चर्चा में बने रहने वाले कॉन्ग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक मीडिया चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में स्वीकार किया है कि बीजेपी से कॉन्ग्रेस को कोई खतरा नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से है और इस बात से वो चिंतित हैं।

इस मीडिया चैनल के पत्रकार ने बंटे हुए विपक्ष पर चिंता व्यक्त करते हुए दिग्विजय सिंह से सवाल पूछा, “आप सभी कहते हैं कि इस देश को बीजेपी से खतरा है और जब चुनाव का मौका आया है तो विपक्ष काफी हद तक बँटा हुआ है और उसमें मेरे लिए समझना बड़ा मुश्किल है कि कॉन्ग्रेस ने भी पूरा रोल निभाया है। UP में कॉन्ग्रेस बीजेपी को फायदा पहुँचाएगी, ये बिलकुल साफ दिख रहा है, ये क्या राजनीति है?”

पत्रकार की इस चिंता पर जवाब देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा, “हमें भारतीय जनता पार्टी से कोई खतरा नहीं है। नरेंद्र मोदी ने भारत की राजनीति को जो स्वरुप दिया है, उससे हमें चिंता है। 6 साल तक अटल बिहारी वाजपेयी भी सत्ता में रहे, तब हमें कोई दिक्कत नहीं रही। अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ एक डेमोक्रेट भी थे, वो कम से कम लोगों की सुनते थे जबकि नरेंद्र मोदी जी शुरू से ही कॉन्ग्रेस-मुक्त भारत का सपना देख रहे हैं, यानी सारी राजनीतिक पार्टियों को मुक्त करके वो राज करना चाहते हैं।”

इसके आगे दिग्विजय सिंह ने कहा, “हमारी जो चिंता है वो बीजेपी से नहीं है, वो नरेंद्र मोदी से है, गुजरात विकास मॉडल की बात कहते थे। लेकिन वो गुजरात डेवलपमेंट मॉडल क्या है? गुजरात विकास मॉडल ये है कि केवल हिन्दू-मुस्लिम के बीच में खाई पैदा करके लड़ाई करवा कर राज करो, लोगों को परेशान करो, लोगों के ऊपर जासूसी करो, उन पर झूठे-सच्चे प्रकरण बनाओ। ये गुजरात में सफल हो गया लेकिन भारत में सफल नहीं होगा।”

बिहार: माओवादियों ने डाइनामाइट से उड़ाया BJP नेता का घर, मिले चुनाव बहिष्कार के पर्चे

बुधवार (मार्च 27, 2019) की रात बिहार के गया में नक्सलियों ने भाजपा नेता और पूर्व जदयू विधान पार्षद अनुज कुमार सिंग के पैतृक आवास को डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया। हालाँकि इस घटना में किसी की जान को कोई नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन मीडिया खबरों के मुताबिक पूर्व एमएलसी का परिवार लंबे समय से नक्सलियों के निशाने पर था।

जानकारी के मुताबिक नक्सली संगठन भाकपा माओवदी गिरोह ने कल (मार्च 25, 2019) देर रात अनुज कुमार सिंह के चचेरे भाई के घर को डाइनामाइट के विस्फोट से क्षतिग्रस्त किया। इस घटना के पूर्व नक्सलियों ने पहले अनुज कुमार के भाई अजय सिंह को जगाया और फिर उन्हें कब्जे में लेकर भाजपा नेता के घर की चाभी ले ली।

दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के अनुसार अजय ने बताया कि हथियारों से लैस सौ से अधिक भाकपा माओवादियों ने देर रात 12 बजे घर का ताला तोड़कर, डाइनामाइट लगाया और फिर घर को तहस-नहस कर दिया। अजय ने बताया कि आधे घंटे तक उन्हें माओवादियों ने कब्जें में रखा। उन्होंने कहा कि उनके सामने ही डाइनामाइट लगाकर विस्फोट किया गया। जिसके बाद एक खूबसूरत मकान मलबे में तब्दील हो गया।

ये विस्फोट इतना भयानक था कि पूरे घर के दरवाजे और दीवारों के टुकड़े जगह-जगह बिखर गए। साथ ही कीमती सामान रद्दी में बदल गया। घटना स्थल से लोकसभा चुनाव के बहिष्कार को लेकर पुलिस को पोस्टर और पर्चे भी बरामद हुए।

नक्सल अभियान एसपी अरुण कुमार ने बताया कि नक्सलियों का यह बेहद कायरपूर्ण है। उन्होंने आश्वासन दिया कि लोकसभा का चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण वातावरण में पूरा होगा। उन्होंने बताया कि भाकपा माओवादियों को पकड़ने का अभियान तेज कर दिया गया है।

‘फिरोज की नातिन रेहान की माई, चुनाव मा मंदिर- मंदिर परी दिखाई’ प्रियंका और मम्मी के नाम पोस्टर

लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार के लिए कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की बहन व जमीन घोटालों के लिए रोजाना ED ऑफिस के चक्कर लगाने वाले रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी पूरी तरह से कमर कस चुकी हैं। पार्टी के लिए प्रचार के लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। प्रियंका गाँधी अपनी मम्मी सोनिया गाँधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली जाकर भी जनता का उत्साह बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन प्रशंसकों ने कॉन्ग्रेस की इस माँ-बेटी की जोड़ी के लिए, यानि सोनिया और प्रियंका गाँधी के लिए अलग से तैयारी कर रखीं थीं।

प्रियंका गाँधी के रायबरेली दौरे से पहले ही तिलक भवन के पास स्थित कॉन्ग्रेस कार्यालय के बाहर सोनिया और प्रियंका गाँधी विरोधी पोस्टर लगाए गए। इस पोस्टर में सोनिया और प्रियंका की तस्वीर और नीचे हिंदी में लिखा हुआ है, “जब जब आई संकट की घड़ी, कबो न महतारी बिटिया दिखाई पड़ी, सेवा के लिए दिहने रहै वोट, लेकिन प्रियंका सोनिया किहिन दिल पर चोट। फिरोज की नातिन रेहान की माई, चुनाव मा मंदिर-मंदिर परी दिखाई।”

इससे पहले रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी अपने भाई राहुल गाँधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में भी प्रचार करने के लिए गई थीं। उनके अमेठी जाने से पहले भी पोस्टर पर इस तरह की तुकबंदी देखने को मिली थी। उनके खिलाफ कई जगहों पर पोस्टर लगाए गए थे, जिसमें प्रियंका गाँधी का विरोध करते हुए बातें लिखी गई हैं। पोस्टर पर प्रियंका गाँधी पर निशाना साधते हुए लिखा है, “क्या खूब ठगती हो, क्यों पाँच साल बाद ही अमेठी दिखती हो। साठ साल का हिसाब दो।”

अमेठी के मुसाफिरखाना कस्बे में लगे पोस्टर में लिखा गया है, “देख चुनाव पहन ली सारी, नहीं चलेगी होशियारी।” इन पोस्टर पर SP छात्रसभा के नेता जयसिंह प्रताप यादव का नाम लिखा हुआ है। हालाँकि, छात्र नेता ने ऐसे किसी भी तरह के पोस्टर लगाने का खंडन किया है। 

2014 लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस की हार के बाद प्रियंका गाँधी को आम जन के बीच शायद ही किसी ने देखा हो, लेकिन 2019 में चुनाव आते ही एक बार फिर से प्रियंका जनता के बीच आ गई हैं। 5 सालों में जनता के बीच कभी न दिखने वाली प्रियंका गाँधी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी के बारे में कहा था कि अमेठी में वह ‘टाइम पास’ करने आती हैं और अमेठी से उन्हें कोई मतलब नहीं है।

प्रियंका ने बताया कि वह अपने पिता (राजीव गाँधी) के साथ अमेठी आया करती थी, उनका बचपन यहाँ बीता है। उनसे ज्यादा अमेठी कौन समझ सकता है। लेकिन वोटर समझदार हो चुके हैं। आपको बता दें कि प्रियंका पर सवाल करते ऐसे पोस्टरों से पहले भी राहुल गाँधी गायब के पोस्टर अमेठी में देखे जा चुके हैं। इन सभी पोस्टर्स द्वारा जनता की प्रतिक्रिया देखकर यही कहा जा सकता है कि “Do not underestimate the power of a common man”

भारतीय कूटनीति की जीत: चीन-पाक अलग-थलग, US से आई 3 बड़ी ख़बरें करती है इसकी पुष्टि

अमेरिका से आज तीन बड़ी ख़बरें आई हैं, जिससे पता चलता है कि भारत-अमेरिका के बीच न सिर्फ़ सम्बन्ध सुधर रहे हैं बल्कि पाकिस्तान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान को लेकर अमेरिका को ब्लैकमेल करने का सिलसिला भी अब थमता नज़र आ रहा है। जैसा कि सर्वविदित है, अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण पाकिस्तान एक ऐसी स्थिति में है जिससे अमेरिका को अफ़ग़ानिस्तान में फ़ायदा मिलता है। इसी नाम पर उसे विश्व महाशक्ति से अरबों डॉलर मिलते रहे हैं। चीन भी पाकिस्तान और उत्तर कोरिया से अच्छे सम्बन्ध होने के कारण अमेरिका को ब्लैकमेल करता रहा है। हालाँकि, भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में शांति और विकास के लिए कई ऑपरेशन चला रखे हैं जिसमें लाइब्रेरी, घर से लेकर अन्य क्षेत्रों में किए गए कार्य शामिल हैं। भारत के इन प्रयासों से अफ़ग़ानिस्तान में भी पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति अब लगभग ख़त्म हो गई है।

भारत द्वारा एंटी-सैटेलाइट मिशन के सफल परीक्षण के बाद कई लोगों को आशंका थी कि विश्व समुदाय से कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया आएँगी, जैसी चीन के समय आई थी। उस समय अमेरिका, जापान और रूस सहित कई देशों ने अंतरिक्ष सैन्यीकरण से लेकर चीन की इस तकनीक पर चिंता जताई थी। आज जब भारत ने मिशन शक्ति की घोषणा की, प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कर दिया कि हमारा देश विश्व शांति का वाहक है और इन तकनीकों का प्रयोग कृषि, मेडिकल और शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में अच्छे कार्यों के लिए होना चाहिए। आज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ सुन्दर पिचाई की बैठक हुई, जिसमे चीन को लेकर भी बातचीत हुई। इसी तरह अमेरिका अब मसूद अज़हर पर भी सख़्त हो चला है।

आगे हम उपर्युक्त तीनों ख़बरों का विश्लेषण कर यह समझने की कोशिश करेंगे कि अमेरिका के इस रुख़ से भारत को कितना फ़ायदा मिलने वाला है और इसके क्या मायने हैं? भारतीय कूटनीति की सफलता के पीछे विदेश मंत्रालय की पूरी मशीनरी की सफलता है, जिसके परिणाम अब फलीभूत हो रहे हैं।

1. मसूद अज़हर पर अमेरिका सख़्त, चीन को किया नज़रअंदाज़

जैसा कि हम आपको कई बार बता चुके हैं, चीन में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार किया जाता है और मुस्लिम इससे अछूते नहीं हैं। मुस्लिमों को चीन में अपने रीति-रिवाजों तक का अनुसरण करने का अधिकार नहीं है और ज़रा सी ग़लती या शक़ की गुंजाईश पर उन्हें कड़ी सज़ा दी जाती है। उधर चीन मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अब तक 4 बार अड़ंगा लगा चुका है। अमेरिका ने चीन के इसी दोमुँहे रवैये को निशाने पर लिया है। अमेरिकी सेक्रटरी ऑफ स्टेट माइक पोम्पिओ ने चीन के इस रवैये को ‘बेशर्म कपट (Shameless Hypocrisy)’ नाम दिया है। चीन की इस बेशर्मी को उन्होंने आड़े हाथों लिया। अमेरिका अब इस प्रस्ताव पर सख़्त हो चला है।

ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर अमेरिका ने मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के लिए UNSC में प्रस्ताव पेश किया था लेकिन चीन ने इसे ब्लॉक कर दिया। आपको बता दें कि चीन के अलावा बाकी सारे सुरक्षा परिषद राष्ट्रों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। अमेरिका ने इसे अपने अहम पर हमला के तौर पर देखा है। चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही छिड़े ट्रेड वॉर के बीच आतंकवाद को लेकर भी अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। इसीलिए अमेरिका ने मानवाधिकार तले चीन के प्रति वही रवैया अपनाया है, जो चीन दूसरे देशों के प्रति आजमाता रहा है। अमेरिका ने सीधा चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हुए उसे निर्दोष मुस्लिमों को सताना बंद करने और पकड़े गए को जेल से रिहा करने को कहा है।

अमेरिकी स्टेट सेक्रटरी ने चीन द्वारा शिनजियांग में चलाए जा रहे दमनकारी अभियान के पीड़ितों व उनके परिवारों से भी मुलाक़ात की। ज़ाहिर है, भारत के अभिन्न अंग अरुणाचल सहित कई देशों के आंतरिक मुद्दों में टांग अड़ाने वाला चीन इसे अपनी सम्प्रभुता पर चोट के तौर पर देखेगा। अमेरिका ने इस बार बिलकुल सही जगह वार किया है। मानवाधिकार हनन अंतरराष्ट्रीय पटल पर चीन की सबसे बड़ी कमज़ोरी है और अमेरिका ने इसी कमज़ोरी को निशाना बनाया है। चीन का बार-बार कहना है कि वो मसूद अज़हर वाले प्रस्ताव पर और अधिक अध्ययन करना चाहता है। पुलवामा हमले के बाद भारत के आतंकवाद के प्रति कड़े रुख़ को भाँप चुके विश्व समुदाय को पता चल चुका है कि भारत अब किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने को सक्षम है।

2. अमेरिका ने ‘मिशन शक्ति’ को लेकर भारत का किया समर्थन

आज सुबह अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट में मिशन शक्ति पर आधिकारिक रूप से भारत के साथ खड़े होने की बात की और कहा, “हमने एंटी सेटेलाइट सिस्टम के परीक्षण पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को देखा। भारत के साथ अपने मज़बूत सामरिक साझेदारी के मद्देनज़र, हम अंतरिक्ष, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्रों में सहयोग सहित, अतंरिक्ष सुरक्षा में सहभागिता के साझा हितों पर लगातार साथ मिलकर काम करते रहेंगे। इससे उन लोगों को ख़ासा धक्का लगा है, जो इस उम्मीद में बैठे थे कि अमेरिका इस क़दम की आलोचना करेगा और भारत को आगाह करेगा।

आज सुबह अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट में मिशन शक्ति पर आधिकारिक रूप से भारत के साथ खड़े होने की बात की और कहा, “हमने एंटी सेटेलाइट सिस्टम के परीक्षण पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को देखा। भारत के साथ अपने मज़बूत सामरिक साझेदारी के मद्देनज़र, हम अंतरिक्ष, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्रों में सहयोग सहित, अतंरिक्ष सुरक्षा में सहभागिता के साझा हितों पर लगातार साथ मिलकर काम करते रहेंगे।” अमेरिका ने बस अंतरिक्ष कचरे को लेकर छोटी-सी चिंता ज़ाहिर की गई है जबकि चीन के एंटी-सैटेलाइट मिशन के समय व्हाइट हाउस ने चीन के इस कार्य के लिए चिंता जताई थी और कहा था कि न सिर्फ़ अमेरिका बल्कि अन्य देश भी इससे चिंतित हैं।

आज स्थिति उलट गई है। अमेरिका ने भारत के साथ सहयोग करने की बात की है, वो भी हर एक क्षेत्र में। जब अमेरिका इन मुद्दों पर अपनी राय किसी देश के साथ रखता है, इसका मतलब यह होता है कि बाकी देशों को भी इससे समस्या नहीं होती। यूँ तो चीन ने भी इस पर समझदारी भरी बात कही है और बयान देने के लिए ही बयान दिया है जो कि एक टैम्पलेट टाइप का बयान है जहाँ हर राष्ट्र इस तकनीक और शांति की बात करता दिखता है। कुल मिलकर अमेरिका के इस बयान के बाद विश्व समुदाय के सभी देशों के बयान इसी अनुरूप होंगे। वैसे भी, आतंकवाद के मुद्दे पर गंभीर भारत के साथ यूरोप के भी अधिकतर देश खड़े नज़र आ रहे हैं।

3. ट्रम्प-पिचाई ने चीन की उम्मीदों पर फेरा पानी

एक ख़बर ऐसी भी है जो ऊपर की बाकी दो ख़बरों के नीचे दब गई और जिन पर आपका ध्यान नहीं गया होगा। वाशिंगटन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और विश्व की प्रमुख सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुन्दर पिचाई के बीच एक बैठक हुई है। विश्व की शीर्ष पाँच आईटी कंपनियों में शामिल अल्फाबेट इंक के मालिकाना हक़ वाली गूगल ने भी साफ़ कर दिया है कि वो ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेगा, जिससे चीनी सेना को फ़ायदा पहुँचे। ट्रम्प ने एक क़दम आगे बढ़कर कहा कि सूंदर पिचाई और उनकी कम्पनी पूरी तरह अमेरिकी सेना के प्रति प्रतिबद्ध है, चीनी सेना के प्रति नहीं। ट्रम्प के इन दो ट्वीट्स को देखिए:

चीन को लेकर पैरेंट कम्पनी अल्फाबेट और उनकी इकाई कम्पनी गूगल की राय थोड़ी अलग है। अल्फाबेट का मानना है कि किसी भी कम्पनी को चीन में व्यापार होने के लिए कुछ समझौते करने पड़ते हैं। यही कारण है कि किसी भी कम्पनी की चीन इकाई और वैश्विक इकाई के बीच अंतर होता है। 2010 में चीनी सरकार ने गूगल को कुछ लिंक्स और सामग्रियाँ हटाने को कहा था, जिससे इनकार करते हुए गूगल वहाँ से निकल गया था। अब ट्रम्प की इस बैठक और बयान के बाद चीन और अमेरिका के बीच का ट्रेड वॉर और व्यापक रूप ले लेगा, ऐसी संभावना है।

ऊपर के इन तीनो घटनाक्रम को देखें तो पता चलता है कि मानवाधिकार और आतंकवाद से लेकर रक्षा और उद्योग तक, चीन जहाँ अलग-थलग पड़ता नज़र आ रहा है, वहीं अमेरिका एकदम भारत के साथ खड़ा नज़र आ रहा है। 24 घंटे के अंदर में अमेरिका जैसे महाशक्ति से तीन सुखद ख़बरों का आना भारतीय कूटनीति के लिए एक अच्छा संकेत है।

IT के छापों पर CM कुमारस्वामी बोले, ममता दीदी वाला तरीका पकड़ लूँगा

आयकर विभाग ने कर्नाटक के जेडीएस नेता और राज्‍य के खनन तथा सिंचाई मंत्री सीएस पुट्टाराजू के खिलाफ बृहस्पतिवार (मार्च 28, 2019) सुबह छापेमारी की कार्रवाई शुरू की है। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग के कई अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ राज्‍य के कई जिलों में छापेमारी की जा रही है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस छापेमारी को राज्‍य के मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी ने राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है।

आयकर विभाग बेंगलुरु, हासन, मांड्या और मैसुर में छापे मार रहा है। बताया जा रहा है कि ये छापे मंत्री पुट्टाराजू के मांड्या स्थित घर, 17 ठेकेदारों और 7 अधिकारियों के ठिकानों पर मारे जा रहे हैं। मुख्‍यमंत्री कुमारस्‍वामी ने इस छापेमारी को राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया है। उन्‍होंने कहा कि चुनावी मौसम में पीएम मोदी आयकर विभाग का गलत इस्‍तेमाल कर रहे हैं।

कुमारस्‍वामी ने पीएम मोदी को टैग कर ट्वीट किया, “चुनावी मौसम में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयकर विभाग का इस्‍तेमाल कर्नाटक के जेडीएस और कॉन्ग्रेस नेताओं को धमकाने के लिए कर रहे हैं। उन्‍होंने हमारे महत्‍वपूर्ण नेताओं के खिलाफ IT के छापे की योजना बनाई है। यह कुछ और नहीं बल्कि बदले की राजनीति है। हम इससे परेशान नहीं होने वाले हैं।”

कुमारस्‍वामी ने कहा, “आयकर विभाग के जरिए पीएम मोदी का असली सर्जिकल स्‍ट्राइक खुलेआम शुरू हो गया है। इस बदले की कार्रवाई में शामिल IT अधिकारी बालकृष्‍णा को संवैधानिक पोस्‍ट का ऑफर दिया गया है। चुनाव के समय विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए सरकारी मशीनरी और भ्रष्‍ट अधिकारियों का बेहद खेदजनक इस्‍तेमाल किया गया है।”

मीडिया को दिए गए एक बयान में कुमारस्वामी ने कहा, “300 से ज्यादा आयकर विभाग के अधिकारी बेंगलुरु आ रहे हैं, हो सकता है कि वे कल से छापेमारी शुरू करें। केंद्र सरकार बदले की राजनीति कर रही है। हमें पता है कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं। हम वही करेंगे जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने किया था।”

माल्या के 74 लाख शेयरों को बेचकर पहली बार ₹1000 करोड़ हुए जब्त: ED

देश के पैसे लूटकर भागने वालों में एक सबसे बड़ा नाम विजय माल्या का है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने माल्या के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई करते हुए उसके यूनाइटेड ब्रुअरीज होल्डिंग्स लिमिटेड के 74 लाख शेयरों की बिक्री की। ईडी के मुताबिक इस बिक्री प्रक्रिया में 1,008 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है।

ईडी की मानें तो विजय माल्या के ख़िलाफ़ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जाँच के चलते एजेंसियों ने उनके शेयरों को जब्त किया था। जोकि यस बैंक के पास पड़े थे। साथ ही कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में बैंक को कर्ज वसूली के लिए डेट रिकवरी ट्रिब्यूल को देने का आदेश दिया था।

जिसके बाद ईडी ने बताया कि डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल के रिकवरी ऑफिसर ने यूबीएचएल के 74,04,932 शेयरों की बिक्री के लिए महीने की शुरुआत में एक नोटिस प्रकाशित किया था। और इसके बाद ही रिकवरी ऑफिसर ने बुधवार (मार्च 27, 2019) को इन शेयरों की बिक्री की। इससे 1,008 करोड़ रुपए प्राप्त किए। ऑफिसर का कहना है कि इस मामले में शेयरों की यह पहली बिक्री थी। आने वाले दिनों में कुछ और शेयर्स भी बेचे जाएँगे।

विजय माल्या के बारे में बता दें कि वह इस समय लंदन में है और उसे भारत में लाने के लिए प्रत्यर्पण की कार्रवाई हो रही है। 9,000 करोड़ रुपए की धोखााधड़ी मामले के ख़िलाफ़ ईडी और सीबीआई माल्या के ख़िलाफ़ जाँच कर रही हैं।

‘राम की जन्मभूमि’ फ़िल्म को लेकर याकूब हबीबुद्दीन को लगी दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार

ख़ुद को मुगल बादशाह के वंशज के रूप में दावा करने वाले याकूब हबीबुद्दीन तुसी को दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए सहिष्णु बने रहने की नसीहत दी है। दरअसल मामला ‘राम की जन्मभूमि’ फ़िल्म को लेकर है जिसमें तुसी ने फ़िल्म रिलीज़ को रोकने की माँग की है। इस पर जस्टिस विभू बाखरू का कहना था कि सही और ग़लत से परे अदालत उस विचार के साथ है, जिसमें संविधान के आर्टिकल-19 (अभिव्यक्ति की आज़ादी) के संबंध में लोगों को सहिष्णु बने रहना चाहिए।

फ़िल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के पीछे तुसी ने यह तर्क दिया कि फ़िल्म में मुगल परिवार और ख़ासतौर पर बाबर को ग़लत ढंग से दर्शाया गया है। इससे समाज में उनके ख़िलाफ़ ग़लत संदेश प्रचारित होने की संभावना है। साथ ही यह भी कहा गया कि इस फ़िल्म के माध्यम से व्यक्तिगत तौर पर मुगल परिवार पर हमला करने की कोशिश की गई है। इस फ़िल्म के रिलीज़ होने से राष्ट्र की एकता और सम्प्रभुता को आघात पहँचेगा। इस तरह के तमाम तर्क देते हुए हबीबुद्दीन तुसी ने कोर्ट में याचिका दायर की थी।

बता दें कि ख़ुद को आख़िरी मुगल बादशाह का वंशज बताने वाले तुसी ने फ़िल्म के टाइटल पर आपत्ति दर्ज कर इसे बदलवाने की भी माँग उठाई थी। अपनी याचिका में तुसी ने इस बात को सामने रखा कि फ़िल्म में से उन सभी आपत्तिजनक सीन्स को हटाया जाए जिससे हिन्दू-मुस्लिम के बीच दंगे भड़क सकते हैं।

तुसी की इस आपत्ति पर हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि फ़िल्म के कौन से हिस्से या कंटेट के ज़रिए याचिकाकर्ता और उनके परिवार की भावनाएँ आहत हो रही हैं या उनकी गरिमा को ठेंस पहुँचाने का काम हो रहा है या फिर राष्ट्र की सम्प्रभुता के लिए ख़तरा है। अदालत ने तुसी को निर्देश दिया है कि वो इस मामले में संशोधित याचिका पेश करें।

कर्नाटक परीक्षा में प्रश्न: किसानों का दोस्त कौन- कुमारस्वामी, केंचुआ या येदियुरप्पा?

कर्नाटक के एक स्कूल में बच्चों के सामने जब प्रश्नपत्र आया, तब वो हैरान रह गए। उसमे एक ऐसा सवाल पूछा गया था, जिसके विकल्प काफ़ी अजीब थे। प्रश्न पूछा गया था कि किसानों का दोस्त कौन है? विकल्प के रूप में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और केंचुआ शामिल था। राजनेताओं और केंचुओं के बीच इस तुलना को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर मज़ाक उड़ाया।

राजराजेश्वरी नगर के माउंट कार्नेल हाई स्कूल की आठवीं कक्षा के प्रश्न-पत्र में ये सवाल दिए गए। राजराजेश्वरी नगर दक्षिण-पश्चिम बेंगलुरु में मैसूर रोड पर स्थित है। प्रश्न-पत्र के वायरल होने के बाद इसकी आलोचना भी हुई। कई लोगों ने कहा कि निजी विद्यालयों को प्रश्न-पत्र तैयार करने की छूट देने के कारण ऐसा हो रहा है।

यही नहीं, एक सवाल प्रख्यात क्षेत्रीय लेखक मस्ती वेंकटेश आयंगर से प्यार करने वाली महिला के बारे में था। इस पर भी लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है। इसे आयंगर का अपमान माना जा रहा है। इसी तरह स्कूलों में ऐसे कई अजीब सवाल पूछे जाते हैं और वो वायरल हो जाते हैं।

कन्नड़ विषय की वार्षिक परीक्षा के प्रश्न-पत्र में ये सवाल किए गए। ताज़ा सूचना के मुताबिक़, स्कूल ने प्रश्न-पत्र तैयार करने के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति को पद से तुरंत हटा दिया है। प्रधानाध्यापक राघवेंद्र ने इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए बताया:

“व्हाट्सएप पर मैंने (प्रश्न-पत्र) देखा तो मैं चौंक गया और शर्मिंदा हुआ। मुझे सोमवार देर रात एक दोस्त से यह मिला। मैंने तुरंत उस व्यक्ति को फोन किया और उस पर कार्रवाई की। उसे उसकी नौकरी से बरख़ास्त कर दिया गया है और प्रबंधन को इस बारे में सूचित कर दिया गया। बिना स्कूल के उच्चाधिकारियों को बताए हुए यह ग़लती हुई। हमारा संस्थान शिक्षा की गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। हम न तो किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हैं और न ही किसी भी प्रकार के राजनैतिक प्रोपेगंडा में शामिल हैं। हम ये सुनिश्चित करने में लगे हैं कि भविष्य में ऐसा न हो।”