Monday, September 30, 2024
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कॉन्ग्रेस चाटुकार सैम पित्रोदा ने स्वीकार ही लिया कि उन्हें जवानों से ज्यादा पाकिस्तान और आतंकियों की चिंता थी: PM मोदी

गाँधी परिवार के बेहद क़रीबी और इंडियन ओवरसीज कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने लाइमलाइट में आने के लिए ऐसा बयान दे डाला जिससे उनका पाकिस्तान के प्रति प्रेम उमड़ कर सामने आया। दरअसल, उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले के लिए पूरे पाकिस्तान को दोषी ठहराना ग़लत है, साथ ही उन्होंने मुंबई हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस पर भी पूरे पाकिस्तान पर आरोप लगाना ठीक नहीं।

पिछले महीने 14 फ़रवरी को पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे और इस बड़े हमले के बाद देश में काफी रोष फैल गया था, साथ ही देशभर में इस हमले की कड़ी निंदा हुई थी। इसके अलावा केंद्र सरकार पर दबाव था कि वह इस पर अपना जवाब दे। बाद में भारतीय वायु सेना ने पाक सीमा के भीतर बालाकोट में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को ध्वस्त किया था।

पित्रोदा को पुलवामा हमले के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, बावजूद इसके उनका कहना है कि हमले के बाद हमने जिस प्रकार प्रतिक्रिया दी और वायुसेना के विमान भेज दिए वो सही तरीक़ा नहीं था। सैम पित्रोदा ने पुलवामा हमले के लिए कहा कि मात्र कुछ लोगों की ग़लती के लिए पूरे पाकिस्तान देश को सज़ा नहीं देनी चाहिए। इसी तरह मुंबई हमले (26/11) पित्रोदा ने कहा कि 8 लोगों के द्वारा अंजाम दिए गए हमले के लिए पूरे देश पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। पित्रोदा के अनुसार कुछ लोग यहाँ आकर हमला करते हैं और इसका आरोप किसी देश के सभी नागरिकों पर नहीं लगाया जा सकता।

पाकिस्तान के प्रति अपनी सहानुभूति रखने वाले सैम पित्रोदा को प्रधानमंत्री मोदी ने करारा जवाब देते हुए ट्वीट किया कि कॉन्ग्रेस के शाही वंश के वफ़ादार दरबारी आज वही कह रहे हैं जो राष्ट्र पहले से ही जानता था कि कॉन्ग्रेस आतंकवादियों को जवाब देने के लिए तैयार नहीं थी। यह एक न्यू इंडिया है- हम आतंकवादियों को उसी भाषा में जवाब देंगे जो वे समझते हैं और वो भी ब्याज के साथ!

पाकिस्तान के प्रति पित्रोदा का यह रुख़ कॉन्ग्रेस की जिस राजनीति को उजागर करता है वो जगज़ाहिर है। जनता को अपनी ओर आकर्षित करने के तमाम तरीक़ो में से एक तरीका यह भी है, जिससे वो वोट बटोरने की राजनीति को हवा दे रही है। सैम पित्रोदा ने पुलवामा हमले पर अपना बेहूदा बयान देकर बाद में सफाई देते हुए कहा कि ये सब छोटी-मोटी बातें हैं। उन्होंने कहा कि मैं तो सिर्फ़ एक नागरिक के तौर पर सवाल पूछ रहा हूँ।


25 गेंदों में शतक: 11 चौके, 8 छक्के, एक ओवर में 6 छक्के भी

गुरुवार (मार्च 21, 2019) को भारत में जब लोग होली के उत्साह में डूबे हुए थे तब दुबई में विल जैक्स नामक खिलाड़ी क्रिकेट में धुआँधार बल्लेबाजी करके रिकॉर्ड बना रहा था। जिस तरह क्रिकेट के इतिहास में युवराज सिंह और हर्शल गिब्स जैसे खिलाड़ियों ने 6 बॉल पर 6 छक्कों मारकर सबको हैरान कर दिया था बिल्कुल वैसा ही विल जैक्स नामक युवक ने भी कर दिखाया है।

इंग्लैंड की ‘सरे’ टीम के लिए दुबई में T-10 लीग में विल ने जबरदस्त पारी खेलते हुए 30 गेंदों में 105 रन बनाए। इस बीच विल ने 6 गेंदों पर 6 छक्के भी लगाए और पूरी पारी में उनके नाम 8 चौके और 11 छक्के शामिल हुए। विल की मदद से सरे ने 10 ओवरों में 176 रनों की शानदार पारी खेली। जाहिर है जीत ‘सरे’ टीम की ही होनी थी क्योंकि ‘लैंकाशायर’ टीम चाहकर भी इस लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाई और 9 विकेट खोकर उसने सिर्फ 81 रन बनाए।

अपनी पारी पर जैक्स का कहना है, “जब तक मैं 98 पर खेल रहा था, तब मुझे विश्वास नहीं था कि मैं 100 रन पूरे कर लूँगा।” उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन नहीं था कि 6 बॉल पर 6 छक्के उनसे लग सकते हैं। जब चार छक्के लगे तब उनके दिमाग में चल रहा था कि उन्हें दो और ट्राई करने चाहिए। लेकिन जैसा ही पाँचवा छक्का लगा तो उन्होंने सोच लिया कि उन्हें छठा छक्का भी किसी भी कीमत पर लगाना है और अंत में वह अपना लक्ष्य प्राप्त करने में कामयाब हुए।

20 साल के विल जैक्स की इस पारी को देखकर निश्चित लगता है कि वह आने वाले समय में इंग्लैंड की नेशनल टीम में अपनी जगह बनाएँगे और हर लीग में खेलते नज़र आएँगे। हालाँकि, क्रिकेट के जिस रूप में विल ने यह शतक बनाया है उसे आधिकारिक रूप से पहचान नहीं मिली है, लेकिन अगर ऐसा होता तो वह क्रिस गेल के सबसे तेज़ रिकॉर्ड शतक (2013 आईपीएल में 30 गेंदों पर) के विश्व रिकॉर्ड को पछाड़ देते।

बिहार: नवादा सीट को लेकर फँसा पेंच, भाजपा के लिए गिरिराज सिंह के नाराज़ होने के मायने

कहते हैं कि उत्तर प्रदेश, बिहार की राजनीति पूरे भारत मे सबसे अलग है। शायद इसीलिए, केंद्र में सरकार बनाने में इन दोनों राज्यों का बड़ा ही अहम योगदान होता है। आम चुनावों के लिए ही भाजपा ने गुरुवार (मार्च 21, 2019) को लोकसभा की 250 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। भाजपा ने अभी तक बिहार की किसी सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की। ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार में सीटों की घोषणा राजग संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला के करेगी क्योंकि बिहार में अभी कुछ सीटों पर मामला फँसा हुआ है।

भाजपा की कुछ सीटें जिन्हें लेकर मामला फँसा हुआ है, उनमें से एक सीट भाजपा के फायरब्रांड नेता, कट्टर हिंदुत्व के पक्षकार और 2014 चुनाव के पहले जब भाजपा दो गुटों (आडवाणी और मोदी) में बँटी हुई थी, तब मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का खुलकर समर्थन करने वाले, बिहार की नवादा सीट से वर्तमान सांसद गिरिराज सिंह की है। मामला कुछ यूँ हुआ कि सीट बँटवारे के समय गिरिराज सिंह की नवादा सीट जो कि भाजपा की सुरक्षित सीट मानी जाती है, सहयोगी दल लोजपा के खाते में चली गई जहाँ से अभी मुंगेर सांसद वीणा देवी के लड़ने की संभावना है।

पार्टी गिरिराज सिंह को बेगूसराय से लड़ाना चाहती है जहाँ उनकी टक्कर वामपंथ के नए पोस्टर बॉय कन्हैया कुमार से होने की संभावना है। अब पेंच कुछ यूँ फँसा है कि गिरिराज सिंह अपनी सीट छोड़ने को तैयार नही है और वो नवादा से ही लड़ना चाहते हैं। उन्होंने मीडिया में ये बयान दिया, “लड़ूंगा तो नवादा से वरना नहीं लड़ूंगा।

असल में गिरिराज सिंह भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं, जो कि बिहार में मुख्यतः ज़मींदार वर्ग माना जाता है। इनका वोट शेयर लगभग 4.5% है लेकिन भूमिहार नेतृत्व के नाम पर अभी बिहार भाजपा में सिर्फ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी ठाकुर और गिरिराज सिंह बचे है। चूँकि 1990 से बिहार में कॉन्ग्रेस पार्टी के पतन के बाद से भूमिहार मुख्य तौर पर भाजपा के मतदाता रहे हैं और 2014 में भी मुख्यतः इनका वोट भाजपा को ही मिला था। फिर भी भाजपा ने सिर्फ एक भूमिहार नेता गिरिराज सिंह को टिकट दिया है इसलिए भाजपा इन्हें नाराज़ करके कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगी।

फिलहाल लोजपा भी नवादा पर अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं है और गिरिराज सिंह भी पीछे नहीं हट रहे। हालाँकि गिरिराज सिंह ने एक और बयान में कहा है, “चुनाव लड़ूँ या नही, पार्टी की सेवा की है और करता रहूँगा।” उम्मीद है कि राजग जल्द ही इन मुद्दों को सुलझा कर सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा जल्द करेगी।

जम्मू कश्मीर: 24 घंटे में चार एनकाउंटर, सुरक्षाबलों ने लश्कर के टॉप कमांडर अली समेत 5 आतंकी किए ढेर

होली के त्योहार पर जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के आतंकियों के मंसूबे पर सुरक्षाबलों ने पानी फेर दिया। गुरुवार (21 मार्च 2019) को जम्मू-कश्मीर के चार अलग-अलग जगहों पर हुए मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने पाँच आतंकियों को मार गिराया है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले से शुरू हुई मुठभेड़ चार अलग-अलग जगहों पर पिछले 24 घंटों से जारी है। यह मुठभेड़ शोपियां के अलावा बंदीपोरा और बारामूला में भी हुई। बांदीपोरा में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकी मारे गए हैं, जिसमें लश्कर का टॉप कमांडर अली भाई भी शामिल है। वहींं खबरों के मुताबिक दो-तीन आतंकी अभी भी घरों में छिपे हुए हैं।

इसके साथ ही बारामूला जिले में दो और शोपियां में एक आतंकी मारे गए हैं। यानी कि 24 घंटे में हुए चार एनकाउंटर में अब तक पाँच आतंकियों के मरने की खबर है। इस एनकाउंटर में तीन सुरक्षाबल भी घायल हो गए हैं, जिनका आर्मी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

इस मामले पर श्रीनगर स्थित रक्षा प्रवक्ता कर्नल कालिया ने बताया कि अभियान में एक अधिकारी और दो जवान घायल हुए हैं। घायल जवानों को बादामीबाग छावनी स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने बताया कि कुछ आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद सीआरपाएफ और पुलिस ने वारपोरा इलाके को घेर लिया और तलाशी अभियान शुरू किया। इस दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलियाँ चलाई, जिसके जवाबी कार्रवाई में मुठभेड़ शुरू हो गई।

होली खेल रहे BJP विधायक को दिन-दहाड़े गोली मारकर हमलावर हुए फरार

उत्तर प्रदेश में गुरुवार (मार्च 21, 2019) दोपहर 3 बजे लखीमपुर के विधायक योगेश वर्मा को होली मिलन के दौरान कुछ बदमाशों ने गोली मार दी, जिससे वो घायल हो गए। उन्हें पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ अब उन्हें खतरे से बाहर बताया जा रहा है।

इस घटना में संतोषजनक बात यह रही कि गोली योगेश के पैर में घुटने के नीचे लगी जिससे उनकी जान बच गई। मामला दर्ज होने के बाद इसकी जाँच शुरू हो चुकी है। पुलिस का कहना है कि हमलावार मौके पर ही फरार हो गए थे।

लखीमपुर की एसपी पूनम का कहना है कि भाजपा विधायक योगेश वर्मा उस समय अपनी पार्टी के दफ्तर में कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ होली खेल रहे थे, जब उन्हें गोली मारी गई। अस्पताल में अभी उनका इलाज चल रहा है और हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। पूनम ने बताया कि केस दर्ज कर लिया गया है और जाँच जारी है।

इसके अलावा एएनआई द्वारा ट्वीट में लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी एस सिंह ने बताया कि योगेश वर्मा लोगों से मिल रहे थे, उसी दौरान उनकी बहसबाजी शुरू हो गई और उन्हें गोली मार दी गई।

उन्होंने बताया कि योगेश अभी खतरे से बाहर हैं और कुछ भी बता नहीं पा रहे हैं, लेकिन जाँच जारी है। खबरों की मानें तो अंदाजा लगाया जा रहा है कि हमला करने वाले बदमाश खनन माफिया गिरोह के हो सकते हैं।

बता दें कि पिछले साल नवंबर में राजस्थान के प्रतापगढ़ से भी लगभग इसी तरह का मामला का सामने आया था, जहाँ भाजपा के नेता समरथ कुमावत की बाइक सवार बदमाशों ने क्रूरता से हत्या कर दी थी। यह हमला भी दिन दहाड़े हुआ था जहाँ पहले 4 बदमाशों ने उन्हें गोली मारी थी और फिर तलवार से उनकी गर्दन को अलग कर दिया था।

Oxford Dictionary में ‘चड्डी’ और ‘नारी शक्ति’ जैसे शब्द हुए शामिल, हिंदी की बढ़ी लोकप्रियता

हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों ही मिलीजुली भाषाएँ हैं। जहाँ अंग्रेजी के बहुत से शब्द हिंदी में आ गए हैं वहीं हिंदी के शब्दों ने भी अंग्रेज़ी शब्दकोश में जगह बना ली है। ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी का भारतीयों से पुराना संबंध है। इसके बारे में भी एक रोचक कहानी है। कहते हैं कि एक बार अंग्रेज़ों के साथ महात्मा गाँधी कहीं जा रहे थे। गाँव के रास्ते में उनकी ‘फोर्ड’ गाड़ी खराब हो गई। हालत ये हो गई कि मोटर को बैलों से खिंचवाना पड़ा। तब गाँधी जी ने मजाक में उसे नाम दिया- ‘ऑक्सफ़ोर्ड’।

बहरहाल, आज हिंदी की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में चड्डी जैसे शब्द ने भी जगह बना ली है। वैसे तो लूट, गुरु, ठग आदि शब्द पहले से ही ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में हैं लेकिन अब हिंदी शब्दों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। बताया जा रहा है कि चड्डी शब्द मीरा स्याल और संजीव भास्कर के टीवी शो ‘गुडनेस ग्रेशियस मी’ के ज़रिए लोकप्रिय हुआ। इसके अतिरिक्त 650 नई प्रविष्टियों को भी औपचारिक रूप से अंग्रेजी शब्द के तौर पर मान्यता दी गई है।

चड्डी शब्द को ‘शॉर्ट ट्राउजर, शॉर्ट्स (कच्छा) के तौर पर परिभाषित किया गया है। यह आम तौर पर कपड़ों के अंदर पहना जाने वाला वस्त्र है। ‘ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी’ के वरिष्ठ सहायक संपादक जे डेंट ने कहा कि हर नई और संशोधित होने वाली प्रविष्टी के लिए कड़ी मेहनत से शोध किया जाता है। इससे पहले 26 जनवरी को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने महिलाओं से जुड़े और सबसे ज्यादा चर्चा में आने वाले शब्द ‘नारी शक्ति’ को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी 2018 का शब्द चुना था।

रिपोर्ट के मुताबिक नारी शक्ति को Oxford Dictionaries 2018 Hindi Word of the Year चुना गया। जनवरी 2019 में जयपुर साहित्य सम्मेलन में इसे वर्ड ऑफ द ईयर की घोषित किया गया था। पैनल डिस्कशन में लंबी चर्चा के बाद इस शब्द को डिक्शनरी ऑफ 2018 में शामिल कर किया।

SFI मेंबर ने कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता पर लगाया बलात्कार का आरोप, नवजात बच्ची संग दर-दर भटक रही

केरल में माकपा के क्षेत्रीय कार्यालय में एक महिला के साथ बलात्कार का मामला सामने आया है। केरल पुलिस में दर्ज की गई शिकायत में 20 वर्षीय एक युवती ने आरोप लगाया है कि केरल के पलक्कड़ जिले में माकपा के क्षेत्रीय समिति कार्यालय में उसके साथ बलात्कार किया गया। शिकायत के बाद जाँच शुरू कर दी गई है।

पुलिस ने बताया कि उन्होंने शनिवार (16 मार्च 2019) को सड़क के किनारे एक नवजात बच्ची को लावारिस स्थिति में देखा। जिसके बाद पुलिस ने उसकी माँ के बारे में पता लगाया और जब उससे बच्ची को लेकर पूछताछ की गई तो युवती ने सीपीएम कार्यकर्ता पर आरोप लगाते हुए कहा कि तकरीबन 10 महीना पहले पलक्कड़ जिले में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (एम) के स्थानीय दफ्तर में उसके साथ रेप किया गया था।

युवती ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि ये यह घटना उस वक्त की है, जब वो कॉलेज की एक मैगजीन की तैयारी के लिए पार्टी कार्यालय गई थी। हालाँकि सीपीएम नेताओं ने महिला के आरोप को खारिज कर दिया है। पार्टी के नेता के बी सुभाष ने कहा कि चुनाव के समय इस तरह का आरोप पार्टी की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से लगाया जा रहा है। पर साथ ही उन्होंने जाँच करवाने की भी माँग की है।

वहीं इस बारे में माकपा के एक स्थानीय नेता ने बताया कि महिला एसएफआई की कार्यकर्ता है और उसके परिवार का पार्टी के साथ करीबी रिश्ता है। उन्होंने बताया कि अगर कार्यालय में ऐसी कोई घटना हुई है तो पार्टी जाँच करेगी और पुलिस को भी निष्पक्ष जाँच करनी चाहिए।

बता दें कि पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। जाँच अधिकारी पी प्रमोद ने कहा कि उन्होंने आरोपी का नाम एफआईआर में दर्ज कर लिया है, लेकिन महिला की सुरक्षा को देखते हुए उसके नाम का खुलासा नहीं कर सकते।

अमित शाह गाँधीनगर से उतरेंगे लोकसभा चुनावों में, गुजरात ने पटाखों से किया स्वागत

जैसे ही भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को गुजरात के गाँधीनगर से चुनाव का उम्मीदवार बनाने की घोषणा की, गाँधीनगर और अहमदाबाद में जश्न का माहौल हो गया। उनकी उम्मीदवारी की ख़बर आते ही लोगों ने पटाखे छोड़े और ढोल बजाकर सड़कों पर नाचकर अपनी खुशी का इज़हार किया। 

पार्टी ने आज आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए पहली उम्मीदवार सूची जारी की जिसमें 184 लोगों का नाम है। प्रधानमंत्री मोदी जहाँ बनारस से चुनाव लड़ेंगे, वहीं अमित शाह को गाँधीनगर की ज़िम्मेदारी दी गई है। गाँधीनगर में भाजपा ने 1989 से आजतक चुनाव नहीं हारा है। 

“गाँधीनगर लगभग दो दशकों से भाजपा का गढ़ रहा है। अटल बिहारी बाजपेयी ने 1996 में गाँधीनगर से चुनाव लड़ा था और प्रधानमंत्री बने थे, भले ही वो सिर्फ 13 दिन के लिए रहा हो। भाजपा ने, खासकर लालकृष्ण आडवाणी जी ने, इस लोकसभा क्षेत्र को अपनी सेवा से सींचा है। हम बस यही उम्मीद करते हैं कि अमित शाह इस क्षेत्र को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ,” अहमदाबाद के गौरांग मेहता ने पटाखों के शोर के बीच बताया। 

अमित शाह का गुजरात से चुनाव लड़ना, और वह भी गाँधीनगर जैसे सीट से, जिसके साथ आडवाणी जैसे क़द्दावर नेता का नाम जुड़ा हुआ है, बाकी गुजरात का भी मनोबल ऊँचा करेगा। 

फ़िलहाल, पूर्व उप प्रधानमंत्री रह चुके आडवाणी, गाँधीनगर लोकसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं। वहीं, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुजरात से ही राज्यसभा सदस्य हैं। 

गुजरात में कुल 26 लोकसभा सीटें हैं, जिसमें से बचे 25 सीटों के उम्मीदवार का नाम आना बाकी है। 

नीरव मोदी की गिरफ़्तारी से दुःखी और अवसादग्रस्त कॉन्ग्रेस पेट पर मूसल न मार ले

नीरव मोदी याद ही होगा, वही नकली हीरे बेचने वाला क्यूट टाइप का आदमी जिसमें पंजाब नेशनल बैंक को चर्चा में ला दिया था। फिर नरेन्द्र मोदी के साथ ‘मोदी’ उपनाम शेयर करने के कारण उसे कॉन्ग्रेस वाले, और मज़े लेने वाले पत्रकार, भाई-भाई कहकर भी बुलाने लगे थे, तस्वीरें निकाली जा रही थीं कि मोदी ने माइनॉरिटी रिपोर्ट टाइप भविष्य देखकर उसके साथ फोटो खिंचाने से मना क्यों नहीं किया… रॉबर्ट वाड्रा को दूल्हा बनाकर घर ले आने वाले लोग जब नीरव मोदी और नरेन्द्र मोदी की साथ की तस्वीर पर बवाल करते हैं तो उनका क्यूटाचार चरमसुख देने लगता है।

नीरव मोदी का पैसे लेने वाला घोटाला हो रहा था कॉन्ग्रेस के शासन काल में, पकड़ाया मोदी के काल में, कॉन्ग्रेस ने ऐसे अपराधियों के लिए कोई कानून तक बनाना सही नहीं समझा, मोदी सरकार ने कानून बनाया, और अब कोशिशें जारी हैं कि वो जब लंदन में पाया गया है, तो उसे वापस भारत लाया जाए, लेकिन भ्रष्टाचार का पोषक कौन है? मोदी!

विपक्ष के लिए नीरव मोदी, विजय माल्या आदि बड़े मुद्दे हैं इस बार के चुनाव में। भले ही कांड कॉन्ग्रेस के दौर में हुए, मोदी सरकार ने उन्हें पकड़ा, और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों एवम् संधियों के दायरे में रहकर जितना दबाव बनाया जा सकता था, बनाकर उनकी ‘घरवापसी’ के प्रयत्न चल रहे हैं, लेकिन कॉन्ग्रेस तो राफेल टाइप इसी बात को एक-दो लाख बार बोलेगी ही। काहे कि आदत है। ऊपर से नीचे तक लबरा लोग ही तो है इस पार्टी में। 

अध्यक्ष ही जब बकैत निकल गया हो, और महासचिव बनने तक की इच्छा आप रखते हों, तो कीजिएगा भी तो क्या! प्रलाप करना ही बचता है। इसलिए, अब जो बयान आते हैं, वो आपकी समझ में नहीं आएँगे। आप सोचने लगेंगे कि अगर भारत सरकार नीरव मोदी को भारत लाने की कोशिश कर रही है, तब इसमें गलत क्या हो सकता है?

कॉन्ग्रेस के कुछ नेताओं के हिसाब से ‘टाइमिंग’ गलत है। जिस देश में हर साल पाँच चुनाव होते हैं, उसमें आप सड़क बनवा दीजिए, बल्ब लगवा दीजिए, चोर पकड़ लीजिए, पाकिस्तान पर बम मार दीजिए, सब कुछ ‘चुनाव’ के नाम पर विपक्ष खेल जाती है।

विपक्ष की मजबूरी आप समझ सकते हैं। विपक्ष के पास सच में एक भी मुद्दा नहीं है। उनके जो मीडिया कैम्पेनर्स थे, वो भी आजकल बहकी-बहकी बातें करने लगे हैं। बेचारे जब तमाम सवाल पूछकर थक गए तो दो साल यह बोलते रहे कि सवाल पूछने नहीं दिया जा रहा! अब उनका ये लॉजिक भी नहीं चलता क्योंकि लोगों ने पूछना शुरु किया कि कौन सा सवाल आपको पूछने नहीं दिया जा रहा, तो चुप हो गए। 

पहले टीवी पर ये बोलकर, कोट हैंगर में टाँगते हुए, बाल बिखरा कर, सॉल्ट और पेप्पर लुक में कूल बनकर पत्रकार लोग निकल लेते थे। अब वहाँ से निकलने के रास्ते में होते हैं कि लोग सोशल मीडिया पर घेरकर पूछ लेते हैं, “चाचा, कौन सा सवाल पूछ नहीं पा रहे? इतना जो टीवी पर बोल रहे हैं, वहीं सवाल पूछ लेते!” चचवा के पास जवाब नहीं होता।

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भले ही न रहा हो, लेकिन विपक्ष का दूसरा स्तम्भ तो ज़रूर है। विपक्ष अब सोच नहीं पा रहा कि लोकपाल भी बन गया, घोटाला साबित नहीं हो पाया, मोदी की डिज़ायनर जैकेट का दाम जानने में जनता उत्सुक नहीं है, तो आखिर करें क्या? 

आप जरा सोचिए कि नीरव मोदी चाहे चुनाव की टाइमिंग पर आए, या चुनाव के बाद, आपको क्या चाहिए? आपको एक चोर भारत के कोर्ट में चाहिए, जिसने एक बैंक से पैसे गलत तरीके से लिए और फ़रार हो गया। अगर आपको इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ा था कि ‘मेरा तो पंजाब नेशनल बैंक में खाता भी नहीं’, तो फिर आपके लिए नीरव मोदी आए, न आए, एक ही बात है। लेकिन, अगर आपने नीरव मोदी के, कानून के अभाव में भाग जाने पर मोर्चा संभाला था, तो आप सच-सच बताइए, उसे वापस लाने के प्रयत्न पर आप सरकार से सवाल किस आधार पर पूछ रहे हैं?

या, आपको लगता है कि जिस देश में लोटा लेकर खेत में बैठे आदमी फेसबुक पर वो तस्वीर और इन्स्टा पर सीज़र सैलेड की फोटो हर आधे घंटे में शेयर करता है, फिर भी आधार कार्ड के मामले में प्रायवेसी का बहाना बनाकर सुप्रीम कोर्ट में पहुँच जाता है, वहाँ नीरव मोदी जैसों के कंधे में हॉलीवुड फ़िल्म स्टाइल का चिप फ़िट करके, अपने सेटैलाइट से ट्रैक करता रहे कि वो कहाँ है, और फोन करके राष्ट्राध्यक्षों को बोले, “अरे, वो मोदी जी आपसे गले मिले थे ना, उनका एक काम था। लीजिए बात करेंगे।” किस तर्क से चलते हैं भाई? दो देश क्या व्हाट्सएप्प चैट पर मीम शेयर करके संधियाँ निपटाते हैं?

क्या चोरों को वापस लाने की बात पर आचार संहिता लागू कर दी जाए? या फिर, जो प्रोसेस है, उसके हिसाब से चलते हुए प्रयास करते रहें? आखिर विपक्ष या मोदी-विरोधी क्या चाहते हैं? क्या उन्हें यह बात पता भी है कि वो क्या चाहते हैं? या फिर, उनकी पूरी कैम्पेनिंग सिर्फ इस आधार पर थी कि वो तो भाग गया, अब हाथ आएगा नहीं और नरेन्द्र मोदी अनंतकाल तक कोसा जाता रहेगा?

बात इतनी-सी है कि विपक्ष वालों को अपने चुनावी कैम्पेन का स्क्रिप्ट हर दिन बदलना पड़ रहा है। वो जो कल्पना करके चल रहे थे, वैसा हो नहीं रहा। उन्होंने सोचा था कि पहले साल नहीं, दूसरे साल नहीं, तीसरे साल नहीं, लेकिन चौथे साल तो कोई मंत्री घोटाला कर ही देगा, पाँचवे में तो दो-चार मंत्रालयों से धुआँ निकलेगा, और फिर हम सब मिलकर मोदी को दबोच कर लिंच कर देंगे। 

वो तो हुआ नहीं, उनके दिमाग में जलने वाली आग और धुआँ मानसिक मवाद बनकर, विचित्र बयानों के रूप में बाहर आ रहा है। इसलिए नीरव मोदी भी टाइमिंग के हिसाब से लंदन में पकड़ा जा रहा है। हाल ही में शशि थरूर ने पुलवामा हमले के बारे में बोलते हुए कह दिया कि पुलवामा तक उनकी पार्टी बेहतर पोजिशन में थी, लेकिन भाजपा ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद वापसी कर ली है। 

यहाँ कॉन्ग्रेस लगभग दुःखी है कि मोदी के टाइम में सेना ने ऐसा एक्शन क्यों ले लिया। उसी तरह विपक्ष दुःखी है कि इंग्लैंड सरकार माल्या और नीरव मोदी पर एक्शन क्यों ले रही है। कॉन्ग्रेस चिंतित है कि मोदी सरकार कॉन्ग्रेस सरकार की तरह क्यों काम नहीं कर रही जहाँ हर आदमी अपनी पार्टी, परिवार और स्वयं की जेब में पैसे और पावर भर रहा हो?

कॉन्ग्रेस की यही समस्या है कि वो इतना नकारा तो चौवालीस सीट पाने के बाद भी नहीं महसूस कर पाया जितना विपक्ष में कि इतने नेताओं के महागठबंधन के बाद भी मोदी को घेरने के लिए उसके पास सिवाय अहंकार और अभिजात्य घमंड के और कुछ भी नहीं है। आप ज़रा सोचिए कि आप शारीरिक तौर पर तो कमजोर हैं ही, लेकिन आपके नाक में कीड़े घुस जाएँ और आपकी खोपड़ी को भी धीरे-धीरे खाली कर दें, तो कैसा महसूस करेंगे? 

आप भारत की उस पार्टी की तरह फ़ील करेंगे जिसे सत्ता से बाहर रहने का कुछ अनुभव तो था, लेकिन जनता का विश्वास पूरी तरह से खोने का अंदेशा नहीं था। कॉन्ग्रेस अपने सत्तारूढ़ समय के कुकर्मों से संसद और राज्यों से नकारी गई, लेकिन विपक्ष में होकर अपनी मूर्खता, घमंड और जनता से डिस्कनेक्टेड होने के कारण लगातार किए जा रहे प्रलापों से पूरी तरह से एक्सपोज होकर इस स्थिति में पहुँच चुकी है कि उनके अध्यक्ष और नई इंदिरा गाँधी के लिए भी रैलियों की ज़मीन तो छोड़िए, कुर्सियाँ भी खाली रह जाती हैं। 

The Tashkent Files: मीडिया गिरोह वालों… यह प्रोपेगेंडा नहीं, अपने ‘लाल’ का सच जानने का हक है

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत के बारे में सवाल उठाने वाली फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ रिलीज के लिए तैयार है। ऐसे में लिबरल मीडिया ने कॉन्ग्रेस के झूठ का नक़ाब उतर जाने और लोकसभा चुनावों में संभावित क्षति को देखते हुए इसे भी प्रोपेगेंडा फिल्म कहना शुरू कर दिया है। ये धुरंधर बहुत तेज हैं, ये हर तरह के सच को प्रोपेगेंडा कह उसे ख़ारिज करने में लग जाते हैं। ये भूल जाते हैं कि प्रोपेगंडा सच दिखाना नहीं, बल्कि छिपा कर नाहक गाल बजाना है।

जानकारी के लिए बता दें कि वामपंथी मीडिया गिरोह ने ठाकरे, द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर, मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झाँसी और उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक जैसी फिल्मों को प्रोपेगेंडा फिल्म कह कर खूब दुष्प्रचार किया। लेकिन फिर भी दाल गलती न देख, कहीं से ढूँढ के कंगना का काठ का घोड़ा उठा लाए। ये साबित करने के लिए कि देखो ये नकली राष्ट्रवाद है।

अब वामपंथियों, लिबरल मीडिया का खतरनाक प्रश्न ये है कि ये फिल्में लोकसभा चुनाव वाले साल में क्यों रिलीज हो रही हैं? जैसे निर्माता-निर्देशकों को फिल्म बनाने से पहले इनसे परमिशन लेना चाहिए? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रबल पक्षकार यहाँ स्वघोषित सेंसर बोर्ड बने बैठे हैं। लेकिन इनकी एक नहीं चल रही। इनका हर झूठ अगले ही पल चिन्दी-चिन्दी हो जा रहा है।

खैर, इस बार निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने प्रोपेगेंडा फिल्म के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि केवल एक ‘बेवकूफ या दोषी व्यक्ति’ ही इसे प्रोपेगेंडा कह सकता है, यह फिल्म तो ‘सच जानने का नागरिक अधिकार’ है। यह उस महान नेता की बहुत बड़ी सेवा है, जिसकी रहस्यमय मौत की पिछले 53 वर्षों में कभी जाँच नहीं की गई। फिल्म एक नागरिक के अधिकार के बारे में है। उस सच के बारे में, जिसे जान बूझकर छिपाया गया।

अग्निहोत्री ने उन पत्रकारों से ही सवाल पूछ लिया कि यह प्रोपेगेंडा फिल्म कैसे हो सकती है? शास्त्री कॉन्ग्रेस के पीएम थे, तो क्या मैं कॉन्ग्रेस के एजेंडे का प्रचार कर रहा हूँ? पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसे समय में देश का नेतृत्व किया जब भारत नेहरू की ही नीतियों के कारण 1962 में चीन के साथ युद्ध में अपमानजनक हार का सामना कर चुका था। वहाँ से उन्होंने देश को निकालकर पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में न सिर्फ हमें जीत दिलाई बल्कि भारत का मान भी बढ़ाया। अग्निहोत्री ने उनके लिए कहा, “शास्त्री भारत के पहले आर्थिक सुधारक और एक सैन्य पीएम थे। उन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच भी हार नहीं मानी। जय जवान,जय किसान का नारा दे देश को सम्बल दिया था।”

वैसे सार्थक और रियलिस्टिक सिनेमा का बढ़िया दौर चल रहा है। 2019 की शुरुआत पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के जरिए हुई। इसके बाद ठाकरे, ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झाँसी’ और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बन रही बॉयोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ 5 अप्रैल को रिलीज होने जा रही। जिसका ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है और दर्शकों ने ज़बरदस्त उत्साह दिखाया है।

इसी कड़ी में 12 अप्रैल को एक और बायोपिक फिल्म रिलीज को तैयार है। यह फिल्म भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बाहदुर शास्त्री की ‘डेथ मिस्ट्री’ पर बनाई गई है। फिल्म का नाम ‘द ताशकंद फाइल्स’ है। इसका ट्रेलर 25 मार्च को रिलीज होगा।

‘द ताशकंद फाइल्स’ भारत के चर्चित और दूसरे प्रधानमंत्री लाल बाहदुर शास्त्री की डेथ मिस्ट्री पर लगभग 3 साल के रिसर्च के बाद बनाई गई है। फिल्म का नाम ‘द ताशकंद फाइल्स’ रखा गया है क्योंकि लाल बाहदुर शास्त्री की मौत ताशकंद में ही हुई थी। शास्त्री जी, उस समय ताशकंद के राजनीतिक दौरे पर थे। दरअसल, 10 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद शहर में भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौता हुआ था। इस समझौते के एक दिन बाद यानि 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। यह कहा जाता है कि उनकी मृत्यु कार्डियक अरेस्ट से हुई लेकिन उनके परिवार ने हत्या का आरोप लगाया था।

फिल्म-मेकर और फिल्म से जुड़ी टीम पिछले 3 साल से इस घटना पर रिसर्च कर रही है और दुनिया भर से तथ्य जमा किए गए हैं। ऐसा इसलिए भी करना पड़ा कि उस समय कॉन्ग्रेस की सरकार ने उनकी मौत से जुड़ा कोई फाइल नहीं बनाया, न पोस्टमॉर्टम हुआ और न ही इस पर कोई जाँच समिति बैठाई गई। तभी तो सरकार के पास अपने एक पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत से जुड़ा कोई डॉक्यूमेंट्स ही नहीं है।

पिछले साल फिल्म के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर फिल्म की टीम ने दर्शकों के साथ ही देश-विदेश के तमाम विद्वानों से शास्त्री जी की मौत से जुड़े तथ्य माँगे थे। उन्होंने लिखा था, “शास्त्री की मौत आज भी रहस्य है अगर आपके पास इससे जुड़ा कोई भी तथ्य है तो हमारे साथ शेयर करिए।”

फ़िलहाल, फिल्म का नया पोस्टर रिलीज हो चुका है जो एक अखबार के कटिंग की तरह दिखाई देता है, जिसमें लिखा है, “पाकिस्तान को हराने के बाद, भारत के प्रधानमंत्री रहस्यमय तरीके से मृत पाए गए।” इसमें शास्त्री जी की तस्वीरों वाला एक डाक टिकट भी है।

निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की यह फिल्म तमाम नेशनल अवॉर्ड विनर कलाकारों से सजी है जिसमें नसीरुद्दीन शाह, मिथुन चक्रवर्ती, श्वेता बासु, पंकज त्रिपाठी, विनय पाठक, मंदिरा बेदी, पल्लवी जोशी, अंकुर राठी और प्रकाश बेलावाड़ी प्रमुख हैं।