Wednesday, April 24, 2024

सामाजिक मुद्दे

एक नारे से क्या होता है? ‘राम लला हम आएँगे, मंदिर वहीं बनाएँगे’ भी एक नारा ही था…

कई लोग अगस्त में ही दीपावली मानाने की तैयारी में भी दिखते हैं। वैसे इससे हमें दूसरा वाला नारा - काशी-मथुरा बाकी है, याद आ जाता है, मगर उससे दीयों के बजाए कुछ और ही जलने लगेगा! नहीं?

जब हुआ मंदिरों का ध्वंस, तब किस दोजख में था सौहार्द? – यह ‘हिंदू’ बनने का वक्त, ‘सेकुलर’ नौटंकी से बचो

क्या UP और केंद्र में BJP की सरकार न होती, तब भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह सब इतना ही आसान होता? 'अच्छा हिंदू' कहेगा कि क्यों नहीं?

राम मंदिर की नींव में मुस्लिम ईंट क्यों रखेगा: अजीत भारती का सवाल | Ajeet Bharti on Faiz Khan Ram Mandir issue

एक हिन्दू मंदिर की नींव में समुदाय विशेष का व्यक्ति ईंट क्यों रखेगा? इसके पीछे तर्क क्या है? आखिर वो करना क्या चाहते हैं? इसके पीछे एजेंडा क्या है?

सहिष्णुता और अधिकार, वामपंथ के टैक्टिकल हथियार: ऐयारों जैसा है कट्टरपंथी कम्युनिस्टों और इस्लामपंथियों का उदारवाद

ये नव-उदारवादी बहरूपिए ऐयारों की तरह दुनिया भर में इस्लामिस्ट्स और कम्युनिस्ट मानव अधिकारों, महिला अधिकारों, अल्पसंख्यक अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सहिष्णुता की वकालत करते नज़र आते हैं।

लव जिहाद और वामपंथी नैरेटिव: हिंदू नारीवादी विमर्शों से ही खतरे का मुकाबला संभव

मेरठ में माँ-बेटी के क़त्ल ने एक बार फिर लव जिहाद के विमर्श को हवा दी है। हिंदूवादी नारीवादी विमर्शों से ही इस खतरे का मुकाबला किया जा सकता है।

मनोरजंन के नाम पर हिंदू पहचान और मान्यताओं पर प्रहार: इस मानसिक युद्ध का प्रतिकार जरूरी

फिल्म हो या सीरियल। विज्ञापन या वेब सीरिज। खलनायक ही क्यों हिंदू प्रतीक चिह्नों के साथ नजर आते हैं? हिंदू नायक क्यों नहीं रुद्राक्ष की माला पहनते हैं?

अजमल कसाब ने आत्महत्या की थी… Google यही दिखा रहा है: भारत-विरोधी प्रोपेगेंडा के पीछे किन-किन का हाथ

जब आप गूगल पर 'Ajmal Kasab Death' लिख कर सर्च करेंगे तो आप 'मृत्यु का कारण' वाले सेक्शन में पाएँगे कि आत्महत्या लिखा हुआ है।

मातृभाषया सह सापत्न्यम् आक्रान्तृभाषाभिः गर्लफ्रेंड् इव व्यवहारः किमर्थम्?

ह्यः अपि मित्रैः सह यूथं रचयितुं वाट्सैपे प्रयोजयामासिम। प्रसङ्गेऽस्मिन्नेकेन मित्रेण स्वरांशः प्रेषितः, नाम ऑडियो-क्लिप्। तदस्माभिश्चालितम् इत्युक्ते प्ले कृतं तदा मित्रस्य ध्वनिः श्रुतः “ब्रोज़ लेट्स हैंग आउट टुमॉरो! आई एंट गॉट टाइम टुडे।”

पशु अधिकारों की आड़ में क्यों हिन्दूघृणा फैला रहा PETA: अजीत भारती का सवाल | Ajeet Bharti on Peta India Pushing Hinduphobia issue

PETA हर हिन्दू त्योहार के समय इस तरह का प्रोपेगेंडा ले आता है। PETA गाय पर ऊँगली सिर्फ इसलिए उठाती है, क्योंकि ये हिन्दुओं के लिए एक प्रतीक है।

अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी: कोरोना त्रासदी के दौर में भी महिलाओं संग वही हिंसा

जब महिला कोरोना वॉरियर्स का सम्मान होना चाहिए तो स्थितियाँ ठीक विपरीत नजर आ रही हैं। फील्ड में ड्यूटी के दौरान इन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।

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