Tuesday, April 30, 2024
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ट्रंप समर्थक ने कहा- कश्मीर के लिए किया कैपिटल हिल पर हमला, JNU में बना हीरो

"ब्लैक लाइव्स मैटर, मुस्लिम लाइव्स मैटर, रेनबो मैटर्स, एग्रीकल्चर मैटर्स, डेथ टू रेसिस्ट्स, स्मैश ब्राह्मणवादी पितृसत्ता…" यह उस एकाउंट से पोस्ट किया गया आखिरी ट्वीट था, जिसके फॉलोवर्स की संख्या 2000 प्रति मिनट की दर से बढ़ रही थी।

हाल ही में, बकरी का मुखौटा और मास्क लगाए एक ट्रम्प समर्थक गेटी की तस्वीर पूरे अमेरिका में वायरल हुई थी, उसने अभी-अभी दावा किया है कि अमेरिका के फेडरल गवर्नमेंट बिल्डिंग (कैपिटल हिल) को निशाना बनाना दरअसल, कश्मीर के लिए न्याय की लड़ाई थी।

यकीन नहीं हो रहा है तो गेटी द्वारा किए गए इस ट्वीट को खुद पढ़िए, जिसे यह रिपोर्ट लिखे जाने तक 25 हजार से भी अधिक बार रीट्वीट किया जा चुका था, “यह कश्मीर के लिए था। यह पूँजीपतियों द्वारा गरीबों पर किए गए अत्याचार करने के लिए था। यह मोदी के लिए एक चेतावनी थी। यह ट्रम्प के लिए नहीं था।”

इतना ही नहीं गेटी ने बाद के कुछ ट्वीट्स में यह भी दावा किया कि ‘वे’ कश्मीर में भारत की नीतियों पर मोदी का समर्थन करने के लिए ट्रम्प से नाराज़ थे, और वास्तव में अमेरिका की राजधानी में उन्होंने इतना बवाल इसलिए काटा था कि ट्रम्प को उनके सुनहरे बालों से पकड़कर, घसीटते हुए बाहर निकाल सके, लेकिन कहीं न कहीं ट्रम्प समर्थक होने के कारण गच्चा खा गया।

“प्रूफ क्या है?” जैसे ही यह सवाल किसी ने गेटी की तरफ उछाला, गेटी ने भी बिना देर किए अपनी बात साबित करने के लिए ट्वीट कर कहा, “वह वही व्यक्ति था जो पूरे अमेरिकी बवाल में अकेला भारतीय झंडा लहरा रहा था, यह संकेत पर्याप्त है कि उसका विरोध भारत के विरुद्ध था न कि अमेरिका के।”

“ब्लैक लाइव्स मैटर, मुस्लिम लाइव्स मैटर, रेनबो मैटर्स, एग्रीकल्चर मैटर्स, डेथ टू रेसिस्ट्स, स्मैश ब्राह्मणवादी पितृसत्ता…” यह उस एकाउंट से पोस्ट किया गया आखिरी ट्वीट था, जिसके फॉलोवर्स की संख्या 2000 प्रति मिनट की दर से बढ़ रही थी।

गेटी, एक 21 साल का तेजतर्रार विद्रोही, जैसा कि उसका परिचय उसके ट्विटर बायो में ही लिखा है। जिसके लिए सर्वनाम ‘वे’ का प्रयोग ऊपर किया गया है, ने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर द्वारा अपने 12 घंटे के लिए ‘ब्लॉक प्रमुख’ बनाए जाने अर्थात 12 घंटे का प्रतिबन्ध समाप्त होने पर ट्विटर पर जब अपना स्पष्टीकरण पोस्ट किया। तो वह ट्वीट ही वायरल हो गया और परिणाम में गेटी को मिला एक ब्लू टिक यानी अब उसके ट्विटर एकाउंट को सत्यापित कर दिया गया है।

मारे ख़ुशी के, अब उस 21 साल के विद्रोही ने अपनी प्रोफ़ाइल पिक्चर को अपडेट कर दिया था, जिसमें लाल रंग के पृष्ठभूमि में एक बंद मुट्ठी ताने एक नौजवान दिखाई दे रहा है, जबकि कवर तस्वीर में अफ़ज़ल गुरु सहित कई हस्तियों का एक कोलॉज था, वही अफजल गुरु, जिसने 2001 में भारतीय संसद पर आतंकी हमला किया था।

जैसे ही यह जानकारी वामपंथियों को हुई उन्होंने यह महसूस करते हुए कि गेटी ने एक महान कार्य किया है, जो कि 2001 में अफ़ज़ल गुरु द्वारा किए गए कार्यों से बिलकुल भी अलग नहीं है, और वह भी एक वाजिब उद्देश्य के लिए, कहा जा रहा है कि ऐसे ‘महान क्रांतिकारी’ गेटी के विभिन्न पोस्टरों से जेएनयू को पाट दिया गया है।

दिल्ली में लिबरलों के सुरक्षित आरामगाह जहाँ लिबरल्स के अलावा किसी भी अन्य नत्थू-खैरे को बोलने की अनुमति नहीं है, ऐसे जेएनयू यानी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्रों और प्रोफेसरों ने गेटी के समर्थन में न सिर्फ घंटों बतोलेबाजी अर्थात भाषण दिया बल्कि उनके जैसे अन्य संभावित प्रदर्शनकारियों ने कैपिटल हिल की घेराबंदी करने की भी कोशिश की, और उसका / उसकी / उसके अर्थात आपस में ही सबने एक दूसरे के कार्यों का जमकर स्वागत करते हुए, एक-दूसरे को तिसमारखान घोषित किया।

नव-अफ्रीकी फेयरनेस क्रीम अध्ययन के प्रोफेसर महमूद भास्कर ने ऑपइंडिया को फोन पर बताया, “हमें गेटी और अन्य ट्रम्प समर्थकों जैसे आम लोगों के बीच अंतर स्पष्ट करना होगा क्योंकि एक लोकतंत्र की रक्षा और दबे-कुचले लोगों के लिए आवाज उठाने की कोशिश कर रहा था, जबकि अन्य लोकतंत्र का गला घोटने, उसे खत्म करने और फासीवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे।”

“गेटी हम शर्मिंदा हैं, तुझे जलील करने वाले ज़िन्दा हैं!” जैसे नारे बुलंद करते हुए एक छात्र नेता ने गेटी के समर्थन में कहा कि हमें उन सभी की कड़ी निंदा करनी चाहिए जिन्होंने 21 साल के वैश्विक विद्रोही को आगजनी करने वाला और अपराधी करार दिया था।

जेएनयू समुदाय, पूरे वैश्विक जागृत समुदाय के साथ, आश्वस्त है कि गेटी सच बोल रहा है और कश्मीर के लिए लड़ रहा था, क्योंकि वे ऐसा कहते हैं। जेएनयू के एक छात्र आनंद संघनॉट ने यह भी कहा, “भारतीय झंडे फहराना अपने-आप में इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है। तिरंगे लहराना और अफ़ज़ल गुरु का गुणगान करना, कहीं से गलत नहीं है- हमने शाहीन बाग और सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी ऐसा ही करते हुए देखा था।”

ऑपइंडिया के हाथ लगे खुफिया सूत्रों के अनुसार महत्वपूर्ण खबर यह है कि, जेएनयू इस बार गणतंत्र दिवस नहीं मनाएगा, इसके बजाय ‘वी आर ऑल गेटी’ डे मनाएगा।

नोट: ऑपइंडिया सीईओ राहुल रौशन द्वारा लिखे इस व्यंग्य को आप मूल रूप में अंग्रेजी में यहाँ पढ़ सकते हैं।

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Rahul Roushan
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