Saturday, April 5, 2025
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राहुल गाँधी ने तैश में आकर किया था वीर सावरकर का अपमान, अब केस में बुरा फँसे: इलाहाबाद HC ने राहत देने से किया मना, ट्रायल कोर्ट ने भी कहा था- दुश्मनी फैलाने वाला

अदालत ने पाया था कि राहुल गाँधी ने 17 नवंबर 2022 को समाज में नफरत और दुर्भावना फैलाई थी। लखनऊ के अपर सिविल जज (सीनियर डिविजन)/एसीजेएम आलोक वर्मा ने अपने आदेश में कहा था, "प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले से छपे पर्चे और पत्रक वितरित करना दर्शाता है कि राहुल गाँधी ने समाज में नफरत और दुश्मनी फैलाकर राष्ट्र की बुनियादी विशेषताओं को कमजोर और अपमानित किया है।"

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार (4 अप्रैल 2025) को विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले राहुल गाँधी को राहत देने से इनकार कर दिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गाँधी ने साल 2022 में भारत जोड़ो यात्रा रैली के दौरान यह टिप्पणी की थी। इस मामले में सत्र न्यायालय ने उन्हें तलब किया था। इस आदेश को हाई कोर्ट ने रद्द करने से इनकार कर दिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने राहुल गाँधी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि राहुल गाँधी के पास दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 397 (निचली अदालत के रिकॉर्ड की समीक्षा) के तहत सत्र न्यायाधीश के समक्ष याचिका दायर करने का विकल्प है। पिछले साल दिसंबर में लखनऊ सत्र न्यायालय ने उन्हें अदालत में हाजिर होने के लिए कहा था।

अदालत के इस आदेश को रद्द करने के लिए राहुल गाँधी ने हाई कोर्ट में याचिका दी थी। अपने आदेश में ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि राहुल गाँधी ने कहा था कि सावरकर एक ब्रिटिश नौकर थे, जिन्हें पेंशन मिलती थी। ट्रायल कोर्ट ने कहा कि इन टिप्पणियों से समाज में नफरत और दुर्भावना फैली है। इसलिए, ट्रायल कोर्ट ने राहुल गाँधी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाया है।

अदालत ने पाया था कि राहुल गाँधी ने 17 नवंबर 2022 को समाज में नफरत और दुर्भावना फैलाई थी। लखनऊ के अपर सिविल जज (सीनियर डिविजन)/एसीजेएम आलोक वर्मा ने अपने आदेश में कहा था, “प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले से छपे पर्चे और पत्रक वितरित करना दर्शाता है कि राहुल गाँधी ने समाज में नफरत और दुश्मनी फैलाकर राष्ट्र की बुनियादी विशेषताओं को कमजोर और अपमानित किया है।”

दरअसल, सावरकर के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे ने राहुल गाँधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। याचिका में कहा गया है, “राष्ट्रवादी विचारधारा के महान नेता क्रांतिवीर सावरकर आजादी के इतिहास में एक निडर स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत माता को गुलामी से मुक्त कराने के लिए अंग्रेजों के अमानवीय अत्याचारों को सहन किया।”

पांडे ने अपनी शिकायत में यह भी दावा किया है कि महात्मा गाँधी ने पहले भी विनायक दामोदर सावरकर को देशभक्त माना था। अधिवक्ता की शिकायत के बाद कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं रायबरेली से लोकसभा सांसद राहुल गाँधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A (शत्रुता को बढ़ावा देना) और 505 (सार्वजनिक शरारत) के तहत आरोप लगाए गए हैं।

शिकायत के बाद जून 2023 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने पांडे की शिकायत को खारिज कर दिया था। इसके बाद पांडे ने सत्र न्यायालय में इसे चुनौती दी थी। सत्र न्यायालय ने तब याचिका को स्वीकार कर लिया और मामले को वापस मजिस्ट्रेट अदालत में भेज दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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