Wednesday, October 9, 2024
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‘कृषि कानूनों के नहीं था खिलाफ, PM मोदी का धन्यवाद’ : अरबपति धालीवाल को मिला ‘भारतीय प्रवासी सम्मान’ , सिंघु बॉर्डर पर लंगर लगवाने पर दी सफाई

किसान आंदोलन के समय में सिंघु बॉर्डर पर जिन दर्शन सिंह धालीवाल ने लंगर का आयोजन किया था, वो अमेरिका में गैसोलीन का बिजनेस करते हैं, सरकार उन्हें भारतीय प्रवासी सम्मान से सम्मानित करने वाली है।

अमेरिका में गैसोलीन का व्यवसाय करने वाले अरबपति बिजनेसमैन दर्शन सिंह धालीवाल को अब ‘प्रवासी भारतीय सम्मान’ से सम्मानित किया जाएगा। विदेश में रहकर अपना नाम कमाने वाले भारतीयों को दिया जाने वाला यह सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। वह उन 27 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें इंदौर में 8 से 10 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम के दौरान यह पुरस्कार दिया जाएगा।

धालीवाल उस वक्त चर्चा में आए थे जब निरस्त किए जा चुके 3 कृषि कानून के विरोध में हो रहे किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस शिकागो लौटा दिया गया था।

शिरोमणी अकाली दल (SAD) सरकार में मंत्री रहे सुरजीत सिंह राकड़ा के भाई धालीवाल को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गाँधी एयरपोर्ट (IGI) से 23/24 अक्टूबर 2021 की मध्यरात्रि को वापस अमेरिका लौटा दिया गया था। दरअसल धालीवाल ने किसान आंदोलन के समय चर्चित रहे सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था की थी।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने किसान आंदोलन के समय इस आंदोलन को समर्थन और हवा देने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए थे। इसी के चलते धालीवाल को पूछताछ के बाद वापस लौटा दिया गया था।

उस समय धालीवाल ने कहा था, ”जब मैंने पूछा कि मुझे भारत में प्रवेश करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है, तो आव्रजन अधिकारियों ने वही सवाल पूछे जो वे पहले से पूछ रहे थे– मैंने सिंघु बॉर्डर पर लंगर का आयोजन क्यों किया और इसके लिए भुगतान कौन कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर मैं भारत में प्रवेश करना चाहता हूँ, तो मुझे इस लंगर को फंड देना बंद कर देना चाहिए।”

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, धालीवाल भारत सरकार के इस फैसले से खुद चौंक गए हैं। उन्होंने अख़बार से बातचीत में कहा, ”यह मेरे लिए आश्चर्यजनक है। वास्तव में सरकार ने बीते 2 सालों में मुझे दो शॉक दिए हैं। इस बार मैं बहुत खुश हूँ कि भारत सरकार ने अमेरिका में भारतीय समुदाय के लिए किए गए मेरे काम को पहचाना है।”

उन्होंने कहा, ”बिजनेस करने के आलावा, मैं समाज को वापस देने में विश्वास रखता हूँ। मैं अमेरिका में भारतीयों को पढाई, व्यापर करने और काम दिलाने में मदद करता हूँ। यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मेरे जन्मभूमि भारत ने मेरे काम को मान्यता दी है। मैं इंदौर पुरस्कार लेने के लिए अपने परिजनों और दोस्तों के साथ जाऊँगा।”

वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, धालीवाल ने कहा कि वह कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल नहीं थे। सिंघु बॉर्डर पर लंगर चलाने का फैसला उन्होंने किसानों की हालत को देखकर किया था। इसके साथ ही धालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने देश के लिए बहुत कुछ किया है। साथ ही सिखों के लिए भी बहुत काम किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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