Thursday, March 28, 2024
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राजदीप के खिलाफ SC ने नहीं किया केस दर्ज, स्वतः संज्ञान वाली बात सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से अनजाने में हुई गलती

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना के मामले में...

नोट: कल शाम में खबर आई थी कि पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया। हालाँकि बाद में पता चला कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की वेबसाइट पर यह अनजाने में गलती से अपलोड कर दिया गया था। इसे सुधार लिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट रजिस्टरी के भूल सुधार से पहले की खबर

सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया है। राजदीप के खिलाफ यह मुकदमा उनके अगस्त 2020 में एडवोकेट प्रशांत भूषण और न्यायपालिका की आलोचना मामले में किए गए ट्वीट को लेकर किया गया है।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट ने आस्था खुराना की याचिका के आधार पर दर्ज किया। इससे पहले, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया था।

आस्था खुराना ने सितंबर 2020 में याचिका दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना के मामले में मुकदमा पंजीकृत किया है। आस्था ने याचिका में राजदीप सरदेसाई के कई ट्विट्स का हवाला दिया था।

याचिका में राजदीप सरदेसाई के खिलाफ देश की न्यायपालिका को लेकर विवादित टिप्पणी करने के लिए अवमानना ​​की कार्रवाई की माँग की गई थी। उसमें यह भी कहा गया कि राजदीप सरदेसाई के ट्वीट से पता चलता है कि ये न केवल लोगों के बीच प्रचार का एक सस्ता स्टंट था, बल्कि भारत विरोधी अभियान के रूप में नफरत फैलाने का जानबूझ कर एक प्रयास किया गया था।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश की अवमानना के मसले पर प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण पर एक रुपए का ज़ुर्माना लगाया था। कोर्ट ने ज़ुर्माना न भर पाने की सूरत में तीन महीने की क़ैद तथा साथ ही तीन साल के लिए वकालत पर प्रतिबंध लगाया था। हालाँकि बेशर्मी से माफी नहीं मॉंगने की बात कहने वाले भूषण ने जुर्माना भर दिया था।

राजदीप सरदेसाई ने एक ट्वीट में प्रशांत भूषण मामले पर दिए गए फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना करते हुए दावा किया था कि शीर्ष अदालत के पास अवमानना ​​मामले की सुनवाई के लिए समय था जबकि कश्मीर में हिरासत में लिए गए लोगों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका एक साल से अधिक समय से लंबित पड़ी थी।

उन्होंने यह भी कहा था कि भूषण को कोर्ट केस की अवमानना ​​में दी गई सजा सुप्रीम कोर्ट के लिए खुद में एक शर्मिंदगी है। एक और ट्वीट में उन्होंने अदालतों को काम करने का तरीका भी बताया था।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले राजदीप सरदेसाई ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। गौरतलब है कि जस्टिस अरुण मिश्रा ने सचिन पायलट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट बेंच की अध्यक्षता की थी। राजदीप सरदेसाई ने उनका नाम घसीटते हुए कहा था कि यह वही अरुण मिश्रा है, जिन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को ‘बहुमुखी प्रतिभा’ के रूप में वर्णित किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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