Friday, April 19, 2024
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630 इमाम-मौलवी जेल में, 18 की मौत: प्रोफेसर से लेकर 90 साल तक के उइगर मुस्लिमों की चीन में कहानी

मजहब से जुड़ाव, बच्चों को मजहब की शिक्षा देना, नमाज पढ़ना... इन सब कारणों को भी चीन में उइगर मुस्लिमों के लिए डिटेन्शन या सजा का आधार बनाया गया है।

हाल ही में उइगर ह्यूमन राइट्स प्रोजेक्ट (UHRP) द्वारा चीन के शिनजियांग प्रांत में बसे हुए उइगर मुस्लिम इमामों और अन्य मजहबी प्रतिनिधियों के उत्पीड़न पर एक रिपोर्ट जारी की गई। ‘Islam Dispossessed: China’s Persecution of Uyghur Imams and Religious Figures’ नाम की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने 2014 से कम से कम 630 उइगर इमामों और अन्य मुस्लिम प्रतिनिधियों को बंधक बना कर रखा है। इसके अलावा रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि 18 मौलवी या तो सजा के दौरान ही मर गए या फिर सजा से आजाद होने के तुरंत बाद।

जस्टिस फॉर ऑल के साथ तैयार की गई इस रिपोर्ट में UHRP द्वारा 2014 से लेकर अब तक शिनजियांग प्रांत के तुर्किक इमामों और अन्य हजहबी हस्तियों के 1,046 मामलों के डाटासेट को संकलित किया गया है। डाटासेट में संकलित सभी केसों में से 428 इमामों को सामान्य जेल भेज गया है जबकि 202 इमामों या अन्य मजहबी मुस्लिम हस्तियों को कंसंट्रेशन कैम्प या जिन्हें चीन ‘Re-Education’ कैम्प कहता है, वहाँ भेजा गया है। डिटेन्शन या सजा में रहते हुए अथवा सजा से आजाद होने के तुरंत ही बाद लगभग 18 की मौत हो चुकी है।

डिटेन्शन या सजा का कारण

रिपोर्ट में चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा इमामों तथा अन्य मुस्लिम प्रतिनिधियों के विरुद्ध डिटेन्शन या सजा के कारणों के बारे में भी बताया गया है। इनमें से लगभग 46% सजा डिटेन्शन के मामले मजहब से जुड़ाव, मजहब से जुड़े अवैध मटेरियल जैसे साहित्य, वीडियो इत्यादि और बच्चों को मजहब की शिक्षा देने से संबंधित हैं। इसके अलावा अलगाववाद, कट्टरवाद, अवैध शिक्षा और यहाँ तक कि प्रार्थना करने को भी डिटेन्शन या सजा का आधार बनाया गया है।

उइगर इमामों और अन्य मुस्लिम प्रतिनिधियों पर लगाए गए आरोप (फोटो : UHRP)

90 साल का इमाम भी 2017 से है डिटेन्शन में

UHRP की रिपोर्ट में कुछ इमामों और इस्लामिक कार्यकर्ताओं की केस स्टडी कर उनके मामले के बारे में बताया गया है। 90 वर्षीय अबिदिन आयप एक स्थानीय मस्जिद में 30 सालों तक इमाम रहे और शिनजियांग इस्लामिक इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर के तौर पर भी रहे। रिपोर्ट में बताया गया है कि अबिदिन को जनवरी से अप्रैल 2017 के बीच ‘कट्टरपंथी विचारों के उत्तराधिकारी’ के आरोप में डिटेन्शन कैम्प में रखा गया है।

अबिदिन के अलावा एक और इमाम है जिसे 25 सालों की सजा दी गई है। अब्लाजान बेकरी, काराकाश मस्जिद में हातिप या शुक्रवार के इमाम थे। बेकरी को नियम का उल्लंघन करने के लिए 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया और 25 साल की सजा दी गई।

ऐसे ही कई मामले हैं जहाँ मामलों में अदालतों द्वारा भी कोई पुख्ता जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी लेकिन फिर भी आरोपित बनाए गए इमामों या मुस्लिम प्रतिनिधियों को कई सालों की सजा सुनाई गई है।

उइगर स्त्रियों का नर्क से बदतर जीवन

चीन के शिनजियांग प्रांत में न केवल पुरुषों बल्कि उइगर महिलाओं को भी अलग-अलग तरह के कैम्पों में रखा जाता है। कुछ महीनों पहले शिनजियांग में नजरबंद डिटेन्शन कैम्पों में उइगर महिलाओं की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि कैम्पों में महीनों तक रहने वाली महिलाओं ने आरोप लगाया कि चीनी अधिकारी इन कैम्पों के माध्यम से एक तरह से संगठित बलात्कार व्यवस्था बनाते हैं जहाँ वो (चीनी पुरुष) रात बिताने के लिए खूबसूरत उइगर महिलाओं को चुनते हैं और इसके लिए भुगतान भी करते हैं।

कई महिलाओं ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि हर रात महिलाओं को जेलों या कैम्पों से बाहर निकाल जाता है और उनके साथ बलात्कार किया जाता है। कई बार तो इन महिलाओं का गैंगरेप किया जाता है। कैम्प में रहने वाली महिलाओं के अनुसार बलात्कार के अलावा इन डिटेन्शन कैम्पों में महिलाओं को करंट भी दिया जाता है।

कई एक्स्पर्ट्स ने यह भी दावा किया है कि शिनजियांग प्रांत में लगभग 16,000 मस्जिदों को तोड़ दिया गया है जो कि कुल मस्जिदों का लगभग दो तिहाई है। शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय से जुड़ी हजारों मस्जिदों के तोड़े जाने की खबर मीडिया रिपोर्ट्स में आईं। इन रिपोर्ट्स में बताया गया कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार पुनर्निर्माण के नाम पर मस्जिदों को तोड़ रही है और उनकी इस्लामिक पहचनों को नष्ट कर रही है।

इन मीडिया रिपोर्ट्स में यह बताया गया कि मस्जिदों में इस्लाम से जुड़े सभी प्रकार के निर्माण जैसे डोम, मीनारों और मस्जिदों के हरे रंग को खत्म किया जा रहा है। इनमें से कई मस्जिदें स्थानीय मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण हैं लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार इन मस्जिदों की एक-एक इस्लामिक पहचान को समाप्त कर रही है।

चीन का मानना है कि शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने से पहले उइगर कट्टरपंथियों द्वारा धारदार हथियारों से हमले आम हुआ करते थे लेकिन बाद में चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने शिनजियांग प्रांत के इन मुस्लिम कट्टरपंथियों पर अपना शिकंजा कसा। चीन के स्टेट इंटरनेट इनफॉर्मेशन ऑफिस (SIIO) के अनुसार उइगर के कट्टरपंथी इस पूरे क्षेत्र में जिहाद समर्थित साहित्य और आतंकी वीडियो प्रसारित करते थे। जिहाद और इस्लामिक कट्टरपंथ पर आधारित यह मटेरियल पूरे चीन में बढ़ रहा था जिसका प्रभाव बड़ा ही खतरनाक था।

चीन का उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग प्रांत सांस्कृतिक रूप से तुर्किक (Turkic) समुदायों का निवास स्थान है। इनमें तुर्किश, कजाख, किर्गिज, उइगर और उज्बेक आदि शामिल हैं। शिनजियांग के इन निवासियों में एक बड़ी जनसँख्या मुसलमानों की है जो पिछले कुछ समय से चीन की कम्युनिस्ट सरकार के निशाने पर हैं।

सालों से इस क्षेत्र में कुरान को बदलने, बुर्का पहनने और दाढ़ी रखने पर पाबंदी की खबरें आ रही हैं। हालाँकि कई बार अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर चीन की आलोचना कर चुका है लेकिन जैसा कि चीन हमेशा से करता आया है, इस मुद्दे पर भी अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं को सिरे से नजरअंदाज कर देता है।

उइगरों का निवास स्थान है चीन का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र (फोटो : ब्रिटानिका)

आपको बता दें कि उइगर ह्यूमन राइट्स प्रोजेक्ट (UHRP) शोध के माध्यम से उइगर मुस्लिमों के अधिकारों की वकालत करता है और अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार मानकों के हिसाब से उइगर मुस्लिमों के अधिकारों से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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