Monday, December 23, 2024
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लड़कियों के नाम पर अल्लाह और कुरान की दुहाई बेकार: अफगानिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई पर बैन, क्रिकेटर राशिद खान और मोहम्मद नबी लगा रहे गुहार

तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद से महिलाओं पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जा चुके है। पहले तालिबान ने छठी कक्षा के बाद लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा बंद की। फिर जो महिलाएँ विश्वविद्यालय जा रही थीं, उनपर भी प्रतिबंध लगा दिया।

अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद लड़कियों की पढ़ाई पर आए दिन नई रोक लग रही है। हाल में सामने आया कि वहाँ महिलाओं को मेडिसिन से जुड़ी पढ़ाई नहीं करने दी जाएगी। इस फैसले के बाद कई लोगों ने तालिबान सरकार से अनुरोध किया कि वो इस प्रतिबंध पर पुनर्विचार करें। इन लोगों में अफगानिस्तान के स्टार क्रिकेटर राशिद खान और मोहम्मद नबी भी शामिल हैं।

राशिद खान ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि वह तालिबानी सरकार के इस फैसले से बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम में तालीम का महत्व सभी के लिए है, और कुरान भी तालीम लेने की आवश्यकता पर जोर देता है।

राशिद ने अपने संदेश में लिखा कि इस निर्णय के प्रभाव से न केवल औरतों के भविष्य पर पड़ेगा, बल्कि समाज के समग्र विकास पर भी इसका गहरा असर होगा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को चिकित्सा क्षेत्र में पेशेवरों की सख्त जरूरत है, खासकर महिला डॉक्टरों और नर्सों की, क्योंकि यह महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल और गरिमा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है। राशिद ने तालिबान से अपील की कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें ताकि लड़कियाँ तालीम ले सकें और देश के विकास में योगदान दे सकें।

राशिद के बाद मोहम्मद नबी ने भी राशिद खान के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि तालिबान का यह फैसला बेहद अन्यायपूर्ण है। उन्होंने बताया कि इस्लाम हमेशा सभी लोगों के लिए शिक्षा के महत्व को मान्यता देता है और मुस्लिम इतिहास में कई प्रेरणादायक महिलाएँ हैं जिन्होंने ज्ञान के माध्यम से समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने तालिबानी सरकार से गुहार लगाई है कि वे कुछ बिंदुओं पर विचार करें और लड़कियों को पढ़ाई करने दें ताकि वे एक बेहतर अफगानिस्तान का निर्माण कर सकें।

बता दें कि तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद से महिलाओं पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जा चुके है। पहले तालिबान ने छठी कक्षा के बाद लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा बंद की। फिर जो महिलाएँ विश्वविद्यालय जा रही थीं, उनपर भी प्रतिबंध लगा दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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