बांग्लादेश एक बार फिर आंतरिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। छात्रों को सड़कों पर उतार कर प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्ता पलट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नाहिद इस्लाम ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से इस्तीफा दे दिया है। वे सूचना सलाहकार थे। उन्होंने कहा कि वे नई राजनीतिक पार्टी बनाएँगे। इस बीच बांग्लादेश की फौज ने देश के नेताओं को चेतावनी दी है।
मोहम्मद यूनुस को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद 27 साल के नाहिद इस्लाम ने मीडिया से बातचीत में कहा, “देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वे छात्रों के बीच दोबारा लौटना चाहते हैं। इसके लिए एक नई राजनीतिक ताकत का उभरना जरूरी है। मैंने सलाहकार परिषद से इस्तीफा इसलिए दिया है, ताकि मैं सड़क पर रहकर जनांदोलन को मजबूत कर सकूँ।” हालाँकि, पार्टी के नाम का खुलासा नहीं हुआ है।
कहा जा रहा है कि बांग्लादेश में छात्र आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ (SAD) और ‘नेशनल सिटिजन्स कमिटी’ (NCC) मिलकर नए दल का गठन करेंगे। इस नए दल का संचालन नाहिद इस्लाम और सरजिस आलम मिलकर करेंगे। सरजिस आलम ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के कोऑर्डिनेटर हैं। वहीं, नाहिद ने अपने छात्र संगठन से भी इस्तीफा दे दिया है।
नाहिद के संगठन के सहयोगी छात्र संगठन ‘जातीय नागरिक कमिटी’ ने भी इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वो लोग मिलकर एक नई राजनीतिक पार्टी बनाएँगे। इससे पहले शेख हसीना की प्रतिद्वंद्वी और यूनुस सरकार को समर्थन देने वाली ख़ालिदा ज़िया की ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ समेत कुछ संगठनों ने कहा था कि सरकार में रहते हुए पार्टी नहीं बनाई जा सकती। इसके बाद नाहिद का इस्तीफ़ा आया है।
हालाँकि, शेख हसीना के तख्तापलट के दौरान नाहिद इस्लाम का साथ देने वाले छात्र नेता महफूज़ आलम और आसिफ महमूद सरकार में बने रहेंगे। इस्तीफे के बाद मोहम्मद यूनुस के प्रेस सलाहकार शफ़ीकुल आलम ने नाहिद की जमकर तारीफ़ की और कहा कि वो एक दिन बांग्लादेश के प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं। नाहिद भारत विरोध हैं और कहा जा रहा है कि उन्हें चीन का समर्थन मिल रहा है।
मुल्क में हलचल से वहाँ की फौज भी सतर्क है। बांग्लादेशी फौज के प्रमुख वकार-उज्जमान ने मुल्क के नेताओं को चेतावनी दी है कि नेता आपस में ना उलझें। उन्होंने, “मैं आपको चेतावनी दे रहा हूँ। बाद में मत कहना कि मैंने आगाह नहीं किया था। अगर आप अपने मतभेदों को भूलाकर साथ मिलकर काम नहीं करते हैं और एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं तो देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता खतरे में पड़ जाएगी।
बांग्लादेशी फौज के मुखिया ने कहा, “ऐसा कहने के पीछे मेरा कोई निजी एजेंडा नहीं है। मैं बस मुल्क की भलाई चाहता हूँ और इसकी के लिए यह बात कह रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि मुल्क में शांति बने रहे और इसकी संप्रभुता को खतरा ना हो।” इससे पहले उन्होंने कहा कि जब तक बांग्लादेश में चुनी हुई सरकार का गठन नहीं हो जाता, तब तक सेना ही कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सँभालेगी।