अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमला करने का मन तो बना लिया है, लेकिन अभी आखिरी फैसला नहीं लिया है। ट्रंप की नज़र इस बात पर है कि क्या ईरान अपना परमाणु हथियार बनाने का काम छोड़ता है या नहीं। ट्रंप का कहना है कि उनके पास हर मुश्किल का हल है, लेकिन वह अभी इंतज़ार कर रहे हैं।
ट्रंप का यह भी कहना है कि ईरान ने पहले अच्छे समझौते से इनकार कर दिया था, लेकिन अब वे व्हाइट हाउस आकर मिलना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा कि वह युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर ईरान के पास लड़ने या परमाणु हथियार रखने का विकल्प है, तो उन्हें वही करना होगा जो ज़रूरी है।
#WATCH वाशिंगटन, डीसी | ईरान की स्थिति पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, "… मेरे पास हर चीज के लिए एक योजना है, लेकिन हम देखेंगे कि क्या होता है। उन्हें सौदा करना चाहिए था। मेरे पास उनके लिए एक बढ़िया सौदा था। हमने 60 दिनों तक इस बारे में बात की और अंत में, उन्होंने… pic.twitter.com/3Df2PWP9zL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 18, 2025
ट्रंप ने अपने सैन्य सलाहकारों से यह भी पूछा है कि क्या अमेरिका के 30,000 पाउंड वजनी बंकर-बस्टर बमों का इस्तेमाल ईरान की अत्यधिक संरक्षित फोर्डो परमाणु साइट को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है।
ट्रंप के समर्थक और युद्ध
ट्रंप के कुछ समर्थक, जिन्होंने उन्हें राष्ट्रपति बनने में मदद की, वे नहीं चाहते कि देश को मिडिल ईस्ट के एक नए युद्ध में धकेला जाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप को सत्ता में लाने वाले समर्थकों के बीच विभाजन पैदा हो गया है। उनके कुछ प्रमुख रिपब्लिकन समर्थक, जैसे स्टीव बैनन, ईरान पर हमले के विरोध में हैं।
वे ट्रंप की देश को अलग-थलग करने वाली नीतियों के समर्थक हैं। बैनन ने कहा है कि इजरायल ने ‘जो शुरू किया था, उसे पूरा करने दें।’ हालाँकि, ट्रंप का कहना है कि उनके कुछ समर्थक अब थोड़े नाखुश हैं लेकिन अन्य लोग उनसे सहमत हैं कि ईरान परमाणु शक्ति नहीं बन सकता।
ईरान में हालात और हमला
ईरान और इजरायल के बीच पिछले सात दिनों से हमले जारी हैं। इजरायल तेहरान के अलग-अलग हिस्सों में हवाई हमले कर रहा है और उसके परमाणु ठिकानों को नुकसान पहुँचाने का दावा कर रहा है।
वहीं, ईरान इजरायल पर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें दाग रहा है। ईरान पर इजरायली हमलों में कम से कम 639 लोग मारे जा चुके हैं और 1,329 घायल हुए हैं। इजरायल में 24 लोगों की मौत की खबरें हैं।
ईरान का जवाब
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने ट्रंप की धमकियों को खारिज कर दिया है और चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका हमले में शामिल होता है तो उसके ‘बुरे परिणाम होंगे‘ और अमेरिका को काफी ज्यादा नुकसान होगा।
खामेनेई ने कहा कि ईरान कभी झुकेगा नहीं और धमकी भरी भाषा में बात करने वालों को ‘ईरानी राष्ट्र सरेंडर नहीं करेगा’ समझना चाहिए।
इजरायल की फॉर्डो साइट पर नजर
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू चाहते हैं कि ट्रंप अमेरिका को ईरान के खिलाफ सैन्य अभियान में शामिल करें और उसके संभावित भूमिगत हथियार बनाने वाले परमाणु कार्यक्रम को खत्म कर दें। इजरायल का दावा है कि उसने फॉर्डो परमाणु साइट सहित कई परमाणु साइटों पर हमले किए हैं और उन्हें नुकसान पहुँचाया है।
इजरायल का मानना है कि फॉर्डो साइट सबसे महत्वपूर्ण है, जहाँ ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है और जिसे इजरायली सेना नुकसान नहीं पहुँचा पा रही है। नेतन्याहू को उम्मीद है कि अगर ट्रंप अंतिम आदेश देते हैं, तो अमेरिकी वायु सेना B2 बॉम्बर से ‘बंकर बस्टर’ बम गिरा सकती है, जिससे इस भूमिगत प्लांट को तबाह किया जा सकता है।
रूस का रुख
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह ईरान-इजरायल के बढ़ते संघर्ष को लेकर इजरायल और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगातार संपर्क में हैं। पुतिन ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि इस लड़ाई को रोकने के रास्ते खोजे जाएँ और ऐसा समाधान निकाला जाए जो इजरायल की सुरक्षा और ईरान के हितों दोनों का सम्मान करे।
पुतिन ने यह भी पुष्टि की कि रूस के वर्कर ईरान के बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र में काम कर रहे हैं, और इजरायल से सहमति बनी है कि वह इन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। पुतिन ने साफ किया कि रूस और ईरान के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग जारी रहेगा।