Thursday, April 25, 2024
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इजरायली रॉकेट से मरीं केरल की सौम्या… NDTV फिर खेला शब्दों से, Video में कुछ और, शीर्षक में जिहादियों का बचाव

सौम्या की मौत फिलिस्तीनी रॉकेट से हुई। फिलिस्तीनी रॉकेट मतलब हमास... हमास मतलब इस्लामी आतंकी। सीधे-सीधे रिपोर्टिंग से NDTV का वामपंथी मामला गड़बड़ा जाता। इसलिए शब्दों के साथ खेला गया।

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी संघर्ष में अब तक 100+ लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें भारत के केरल की सौम्या संतोष भी हैं। आज इनका पार्थिव शरीर इजरायल से भारत लाया गया।

केरल की सौम्या संतोष इजरायल में थीं, जब उनकी मौत हुई। वह अपने पति से बात कर रही थीं और तभी फिलिस्तीनी रॉकेट उनके पास आकर गिरा। इससे उनकी और जिनके यहाँ वो काम कर रही थीं, दोनों की मौत हो गई।

विभिन्न मीडिया में छपी खबर

ऊपर एक खबर है, जिससे छेड़छाड़ नहीं की गई है। जो आधिकारिक सूचना है, उसके आधार पर खबर बनाई गई और पाठकों तक पहुँचाई गई – इसे पत्रकारिता कहते हैं। लगभग सभी मीडिया हाउस ने इसे ऐसे ही कवर भी किया।

केरल की सौम्या और NDTV की पत्रकारिता

सौम्या की मौत फिलिस्तीनी रॉकेट से हुई। फिलिस्तीनी रॉकेट मतलब हमास… हमास मतलब कट्टरपंथी इस्लामी आतंकी। यहीं पर लोच है। सीधे-सीधे रिपोर्टिंग से NDTV का वामपंथी मामला गड़बड़ा जाता। इसलिए शब्दों के साथ खेला गया। कैसे? पहले ये फोटो देखिए। शीर्षक को 10 बार पढ़िए। समझ गए हों तो भी पढ़िए कि आखिर ऐसा क्यों लिखा गया।

इजरायल रॉकेट स्ट्राइक में मारी गईं केरल की महिला का शव भारत लाया गयाNDTV की पत्रकारिता

NDTV का यह शीर्षक इंग्लिश में है। इसलिए तुलना के लिए इसके ऊपर जो फोटो लगाई गई है, वो भी हिंदी रिपोर्टों की नहीं बल्कि इंग्लिश मीडिया संस्थानों की ही है। शायद NDTV से कमजोर इंग्लिश होगी उनकी… क्योंकि उनमें से किसी ने भी नहीं लिखा – “killed in Israel Rocket Strike”

अब इसी NDTV के इसी खबर की वीडियो सुन लेते हैं। पत्रकारिता के दोहरे मापदंड में गोल्ड मेडल कैसे जीता जा सकता है, यह तुरंत समझ जाएँगे।

सिर्फ 19 सेकंड का वीडियो है। फिर भी पुरा सुनने का मन नहीं है तो 4 से 7 सेकंड तक सुन जाइए। एंकर कहती हैं – “the woman from kerala who died in the palestinian rocket strike” – मतलब केरल की वो महिला, जो फिलिस्तीनी रॉकेट अटैक में मारी गईं।

ऊपर का ट्वीट डिलीट कर दिया NDTV ने, वीडियो के कारण नहीं, शीर्षक के कारण। उनकी इसी अदा-ए-पत्रकार के कारण हमने स्क्रीनशॉट रख लिया था। अब उसी वीडियो के साथ शीर्षक बदल कर फिर से ट्वीट किया है – वही 19 सेकंड का वीडियो – 4 से 7 सेकंड तक सुन जाइए।

वीडियो में एंकर सच बोल गईं… तो क्या हुआ? NDTV चुप बैठ जाएगा? नहीं। वो शीर्षक में शब्दों से खेलेगा। वो इजरायल (मतलब फिलिस्तीन का दुश्मन, मतलब मुस्लिमों का दुश्मन, मतलब वामपंथियों का दुश्मन… इनका नैरेटिव यही है, भले ऐसा कुछ हो या न हो) का खौफनाक रूप ही जनता को परोसेगा। भले पत्रकारिता जाए तेल लेने।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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