Thursday, May 30, 2024

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दक्षिणपंथ मतलब भाजपा नहीं: क्यों इसकी लड़ाई अपने समर्थकों से ही है? ‘कॉन्ग्रेस’ होने से बचने की क्या है वजह?

यदि दुराग्रही वामपंथियों के प्रपंच में उलझे बिना देखें, तो दक्षिणपंथ कहीं ज्यादा तार्किक और समाधान का हिस्सा है, लेकिन 'नेहरु घाटी सभ्यता' के दौरान पैदा हुए विचारकों ने कभी किसी को यह सोचने का मौका ही नहीं दिया कि उनके अलावा भी कोई दूसरी विचारधारा इस पृथ्वी पर हो सकती है और उनसे कहीं ज्यादा बेहतर हो सकती है।

सस्पेंड हुआ था सुशांत सिंह का ट्रोल अकाउंट, लिबरलों ने फिर से करवाया रिस्टोर: दूसरों के अकाउंट करवाते थे सस्पेंड

जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, वो उस गड्ढे में खुद गिरता है। सुशांत सिंह का ट्रोल अकाउंट @TeamSaath के साथ यही हुआ।

भारत के सदानंद मास्टर हों या चीन का थियानमेन चौक: वामपंथी छल-बल ने मानवता को दिए हैं बेहिसाब घाव

4 जून 1989 वामपंथी पाखंड का एक नमूना है। उसका इतिहास से लेकर वर्तमान तक, हिंसा और रक्त से ही सना है।

…तो ट्विटर देश के भी PM नहीं रहेंगे राहुल गाँधी, ट्रेंड में अब पटक ना दें बंगाली दीदी

आज ट्विटर पर एक ट्रेंड चला #BengaliPrimeMinister जिसमें ट्वीट के जरिए ममता बनर्जी को 2024 में प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किए जाने को लेकर ट्वीट देखे गए।

‘हेनरी’ लड़की छेड़ता था, इसलिए वामपंथियों ने उसे ‘हरि’ बना दिया: NCERT की किताबों से हिंदू घृणा की खेती, बच्चे शिकार

सवाल यह है कि ये चीजें कब बदलेंगी? बच्चों को उनकी किस्मत के भरोसा छोड़ा जाना एक गैर जिम्मेदाराना काम होगा।

128 मौतें, 21 शपथ, 500 मेहमान: वामपंथी पॉलिटिक्स का एक चैप्टर यह भी

केरल में जिस दिन विजयन ने करीब 500 लोगों वाले समारोह में शपथ ली, उसी दिन कोरोना के 30 हजार से ज्यादा नए केस सामने आए हैं।

कल गौरी अम्मा, आज शैलजा टीचर: महिलाओं को ऐसे ही निपटाते हैं वामपंथी, केरल हो या पोलित ब्यूरो-सुलूक दोयम ही

वामपंथी दलों के वैचारिक दोगलापन की पहली शिकार नहीं हैं शैलजा। आधी आबादी हमेशा से 'शो पीस' बने रहने को मजबूर।

चीनी वायरस पर मोदी घृणा से सना लेफ्ट-लिबरल प्रोपेगेंडा: कोरोना से भी घातक है ये राजनीति

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर जैसे-जैसे तेज होती गई इसके समानांतर एक और लहर भी उफान मारने लगी। यह लहर संक्रमण से भी घातक है।

…क्यूँकि ये बंगाल है: पहले लेफ्ट-अब TMC, वही किया जिसका सावरकर को दशकों पहले हो गया था एहसास

आज जो बंगाल में हो रहा है, वह बंगाल के लिए नया नहीं है। पर बीजेपी के लिए नया है। हिंसा के रास्ते वर्चस्व कायम की राजनीति का अंत कब?

मोदी से घृणा के लिए वे क्या कम हैं जो आप भी उसी जाल में उलझ रहे: नैरेटिव निर्माण की वामपंथी चाल को समझिए

सच यही है कि कपटी कम्युनिस्टों ने हमेशा इस देश को बाँटने का काम किया है। तोड़ने का काम किया है। झूठ को, कोरे-सफेद झूठ को स्थापित किया है।

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