Thursday, May 2, 2024
Home Blog Page 2588

नाम- अमीनुल इस्लाम, लत- ड्रग्स की… 40000 रुपए में बेच दिया ढाई साल का बेटा: साजिदा बेगम के साथ गिरफ्तार

असम के मोरीगाँव जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। लहरियाघाट के रहने वाले अमीनुल इस्लाम ने अवैध ड्रग्स खरीदने के लिए अपने ही ढ़ाई साल के बच्चे को 40,000 रूपए में बेच दिया। पुलिस ने बच्चे के पिता और उसे खरीदने वाले को गिरफ्तार कर लिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बच्चे की माँ रुक्मिना बेगम ने गुरुवार (05 अगस्त 2021) को एफआईआर दर्ज कराई थी। इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने बरबरी की रहने वाली साजिदा बेगम के पास से रुक्मिना के बेटे को बरामद कर लिया और साजिदा व अमीनुल इस्लाम को गिरफ्तार कर लिया।

रुक्मिना द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अमीनुल के ड्रग तस्करी में संलिप्त रहने के कारण रुक्मिना की उससे रोज लड़ाई होती रहती थी। इसी कारण पिछले कुछ समय से रुक्मिना अपने पिता के घर रह रही थी। एफआईआर के मुताबिक, कुछ दिन पहले अमीनुल, रुक्मिना के पिता के घर पहुँचा और बच्चे को यह कहते हुए अपने साथ ले आया कि उसका आधार कार्ड बनवाना है। लेकिन दो-तीन दिन बीत जाने के बाद भी अमीनुल बच्चे को लेकर वापस उसकी माँ के पास नहीं पहुँचा।

अमीनुल ड्रग्स लेने का आदी है और पिछले तीन सालों से ड्रग्स की तस्करी समेत कई अन्य गंभीर अपराधों में संलिप्त है। इसके अलावा, उसके ऊपर सेक्स रैकेट चलाने का भी आरोप है। पुलिस का कहना है कि इन सभी आरोपों की पूरी जाँच की जा रही है।

ज्ञात हो कि असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में ड्रग और नशीले पदार्थों की तस्करी पर जबरदस्त कार्रवाई की जा रही है। सीएम सरमा खुद भी ड्रग, हेरोइन और नशीली गोलियों को सार्वजनिक रूप से नष्ट करते हुए देखे गए। कभी उन्होंने ड्रग निस्तारण कार्यक्रम में नशीले पदार्थों को आग लगाई तो कभी उन पर बुलडोजर चलाकर उन्हें नष्ट किया। जुलाई महीने में ही असम में लगभग 163 करोड़ रुपए की ड्रग को नष्ट किया जा चुका है। इसके साथ ही ड्रग तस्करी से जुड़े लगभग 900 मामलों में 2,000 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

‘बहुसंख्यक मुस्लिमों को मंदिरों के बाहर गाय काटने का अधिकार’: MYC ने पाकिस्तान में गणेश मंदिर पर हमले की निंदा से किया इनकार

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रहीमयार खान गाँव के गणेश मंदिर में कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा हमला करने और उसे अपवित्र करने के दो दिन बाद शुक्रवार (6 अगस्त) को पाक का चेहरा फिर बेनकाब हो गया। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, 22 धार्मिक और राजनीतिक दलों के गठबंधन ने हिंदुओं पर हिंसा और हिंदू मंदिर को निशाना बनाने के कुकृत्य की निंदा तक नहीं की।

राजनीतिक पार्टियों के गठबंधन ने मिल्ली याकजेहटी काउंसिल (MYC) को कहा, ”उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि हिंदू मंदिर पर हमला किया गया था।” इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान साहिबजादा अबुल खैर जुबैर ने इस विषय को हैदराबाद की एक अन्य घटना से जोड़ दिया। उन्होंने आरोप लगाया, ”हैदराबाद में एक मंदिर के सामने एक मुस्लिम परिवार रहता है। इस क्षेत्र में कुछ हिंदू परिवार भी रहते थे और उन्होंने अधिकारियों को शिकायत दर्ज कराई कि मंदिर के सामने बलि देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जबकि बहुसंख्यकों को इसका अधिकार है।”

जुबैर ने आगे कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को इस्लामी कानूनों (शरिया) के तहत ‘संरक्षित’ किया जाता है, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक समुदाय (मुसलमानों) के ‘अधिकारों’ से भी इनकार नहीं किया जाना चाहिए। मालूम हो कि जुबैर कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान (JUP) के सदस्य हैं और MYC की सर्वोच्च परिषद के नव निर्वाचित अध्यक्ष हैं। जब पाकिस्तानी पत्रकारों ने मिल्ली याकजेहटी परिषद के नेताओं को और उकसाया, तो महासचिव लियाकत बलूच ने कहा, “देश में अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी स्वतंत्रता है।”

प्रताड़ना के डर से 150 हिंदू परिवार गाँव छोड़कर भागे

जमात-ए-इस्लामी के एक सदस्य बलूच ने तथ्यों से अवगत न होने के बहाने मंदिर हमले की निंदा करने से इनकार कर दिया। जब पत्रकारों ने मंदिर की घटना के बारे में MYC नेताओं से सवाल किए, तो पूर्व उप महासचिव डॉ. साकिब अकबर ने उन्हें किसी अन्य विषय पर आगे बढ़ने और मंदिर के मुद्दे पर चर्चा करने से परहेज करने के लिए कहा।

इस तथ्य के बावजूद है कि मिल्ली याकजेहटी परिषद ने मुहर्रम के महीने से पहले उत्तेजक भाषणों और बयानों को नहीं देने की कसम खाई थी। हिंदू अधिकार कार्यकर्ता (Hindu rights activist) राहत ऑस्टिन (Rahat Austin) के अनुसार, रहीमयार खान के भोंग में लगभग 150 हिंदू परिवारों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “पंजाब एक समय में हिंदू बहुसंख्यक प्रांत था, लेकिन अब रहीमयार खान एकमात्र ऐसा शहर है, जहाँ हिंदू बड़ी संख्या में मौजूद हैं।”

गौरतलब है कि बुधवार (4 अगस्त 2021) को कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादियों ने हिंदुओं के मंदिर में घुसकर भगवान गणेश, शिव-पार्वती की मूर्तियों को तोड़ दिया था। इसके साथ ही उन्होंने मंदिर में लगे झूमर, घंटे को भी तहस-नहस कर दिया और मंदिर परिसर को भी काफी नुकसान पहुँचाया था।

इसका वीडियो पाकिस्तान में ‘द राइज न्यूज’ की पत्रकार और संस्थापक संपादक वींगास (Veengas) ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था। उन्होंने लिखा था, ”पंजाब के रहीमयार खान के गाँव भोंग के गणेश मंदिर में तोड़फोड़ की गई है। एक बार फिर पाकिस्तान में हिंदुओं पर हमला किया गया है।”

बताया जाता है कि इसके बाद पाकिस्‍तानी कट्टरपंथ‍ियों ने इस पूरी घटना को फेसबुक पर लाइव भी किया था। घटना को अंजाम देने के बाद उन्होंने मंदिर को आग के हवाले कर दिया था। वहीं, जब स्‍थानीय लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस में की, तो उन्होंने हिंदुओं की बात पर कोई ध्‍यान नहीं दिया।

मेजर ध्यानचंद के नाम पर जो पुरस्कार है, उसका क्या… उसका नाम नेता के नाम पर रख दोगे? रवीश कुमार का सवाल

PM नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट किया – खेल रत्न पुरस्कार अब मेजर ध्यानचंद के नाम पर होगा। 6 अगस्त के ट्वीट में उन्होंने बताया कि इसके लिए देश भर से नागरिकों का आग्रह मिला।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, “मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम रखने के लिए देशभर से नागरिकों के अनुरोध मिले हैं। मैं उनके विचारों के लिए उनका धन्यवाद करता हूँ। उनकी भावना का सम्मान करते हुए, खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा! जय हिंद!”

इसके बाद जनता खुश हो गई। सोशल मीडिया में कॉन्ग्रेस मुक्त भारत के जयकारे लगे। लेकिन दूसरा पक्ष शांत रहा, इस भुलावे में न रहें। मिर्ची लगी है उन्हें, लाल वाली। यह ट्वीट देखिए। इसमें अंकुर नाम के व्यक्ति ने लिखा है – “राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदल दिए जाने पर जितना दुःख रवीश को हुआ, उतना शायद राहुल गाँधी को भी नहीं हुआ होगा।”

निश्चित ही नहीं हुआ है। लेकिन इतना दृढ़ होकर कैसे कह रहा हूँ? यह रहा जवाब:

“यह दुर्भाग्यपूर्ण है। राजीव गाँधी ने 21वीं सदी में देश का नेतृत्व किया। उन्होंने खेल, युवाओं को प्रोत्साहित किया… राजीव गाँधी जी इस देश के नायक थे, नायक रहेंगे।”

इस तरह की टिप्पणी कॉन्ग्रेसी सांसदों-नेताओं की ओर से जरूर आई लेकिन राहुल गाँधी अपने चिर-परिचित अंदाज में कुर्ते की बाँह उठा कर चलते बने इसी सवाल (राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार) पर।

खैर। बात रवीश कुमार के दुख पर। पूरी प्राइम टाइम ही कर डाली। यह काम उस रवीश कुमार ने किया है, जो पहले मजदूरों-विद्यार्थियों की आवाज उठाने वाली पत्रकारिता करते थे और बाकी टीवी मीडिया से दूर रहने की सलाह देते थे। 31 मिनट 16 सेकंड का प्राइम टाइम खेल-खिलाड़ी-राजनीति कर दिया जिस रवीश ने, शायद वो यह भूल गए कि 6 अगस्त को पूरे देश में कहीं न कहीं बारिश हुई होगी, बाढ़ भी आई होगी… लेकिन दुख उनको हुआ खेल-खिलाड़ी वाले मुद्दे पर? पत्रकार की सोच शायद मर गई है उनकी!

सवाल कैसे-कैसे पूछ रहे हैं रवीश कुमार, यह भी देखा जाए: संबित पात्रा के ट्वीट में ध्यानचंद से ज्यादा बड़ी तस्वीर प्रधानमंत्री की क्यों? रवीश बाबू, फोटो तो आपकी भी मायावती के साथ थी, क्या कीजिएगा! और अखिलेश के साथ तो आपने हद ही कर दी थी… एक सीएम से ज्यादा बड़ी तस्वीर आपने खींच ली थी, शायद धोखा देते हुए उन्हें पीछे धकेल कर? जवाब तो स्वयं आप ही दे सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे आपके सवाल का जवाब सिर्फ संबित पात्रा दे सकते हैं।

प्राइम टाइम PM मोदी और उनकी राजनीति के नाम पर ताकि माल बिक सके… लेकिन सवाल और जवाब किसी दूसरे के कंधे पर रख कर? मानिए या न मानिए, एक पत्रकार तो आपके अंदर बसता ही है रवीश ‘कौन जात हो’ कुमार!

तिरंगा फहराने पर CM अमरिंदर और राज्यपाल मरेंगे राजनीतिक मौत: खालिस्तान आतंकी की धमकी

हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को धमकी देने के बाद खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को भी धमकी दी है। पन्नू के ऑडियो मैसेज में कहा गया है कि अगर स्वतंत्रता दिवस को तिरंगा फहराया गया तो अच्छा नहीं होगा और ऐसा करने पर CM एवं राज्यपाल अपनी राजनीतिक मौत के जिम्मेदार खुद होंगे।

पन्नू के इस ऑडियो मैसेज में किसान आंदोलन की चर्चा की गई है और कहा गया है, “हमारे किसान मर रहे हैं, ऐसे में किसी भी हालत में स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराया जाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” पिछले कुछ दिनों से ऐसे ही मैसेज हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए। इसके बाद हिमाचल प्रदेश में शिमला के साइबर थाने में खालिस्तान समर्थक एवं SFJ के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया। इसमें आईटी एक्ट समेत कई और धाराएँ भी जोड़ी गई हैं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर को भी पन्नू ने इसी तरह के फोन कॉल के माध्यम से धमकाया है। इस धमकी के कारण गुरुग्राम के साइबर क्राइम थाने में पन्नू के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है। शुक्रवार (06 अगस्त 2021) को ही पन्नू के नाम से यूपी पुलिस के पास आए फोन कॉल में सीएम आदित्यनाथ को भी धमकी दी गई। SFJ ने कहा है कि योगी आदित्यनाथ को स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा नहीं फहराने दिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि उसी दिन थर्मल पावर प्लांट भी बंद कर दिए जाएँगे। इस कॉल में यह भी धमकी दी गई कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और रामपुर समेत कई इलाकों को खालिस्तान द्वारा आजाद कराया जाएगा।

हाल ही में हिमाचल प्रदेश में श्री नयना देवी-कोलां वाला टोबा सड़क पर खालिस्तानी आतंकवादी संगठन और जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थन में नारे लिखे देखे गए थे। जगह-जगह पेंट और मार्कर पेन से ‘खालिस्तान जिंदाबाद’, ‘खालिस्तान में शामिल हों‘ और पंजाबी भाषा में ‘जनमत संग्रह 2021‘ व ‘SFJ में शामिल हों’ लिखा हुआ देखा गया था। इस तरह की घटनाओं को देखते हुए राज्यों में सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं और खुफिया एजेंसियाँ भी सतर्क हो चुकी हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

ट्विटर ने राहुल गाँधी का ट्वीट किया डिलीट: बलात्कार पीड़िता के माता-पिता की तस्वीर की थी शेयर, NCPCR के नोटिस पर एक्शन

दिल्ली में कथित रेप पीड़िता के माता-पिता की फोटो ट्वीट कर पहचान उजागर करने के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने ट्विटर इंडिया को नोटिस जारी कर कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की थी। जिसके बाद कार्रवाई करते हुए ट्विटर ने उनके विवादित ट्वीट को हटा लिया है।

स्क्रीनशॉट

बुधवार (4 अगस्त, 2021) को राहुल गाँधी ने दिल्ली में नाबालिग लड़की के परिवार से मुलाकात की थी और मृतक नाबालिग लड़की के माता-पिता की एक तस्वीर ट्वीट की थी। नौ साल की दलित पीड़िता के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया, उसकी हत्या कर दी गई और फिर अपराधियों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया, जो कि अब पुलिस हिरासत में हैं।

राहुल गाँधी के ट्वीट के बाद, कॉन्ग्रेस नेता के खिलाफ दिल्ली की नांगल बलात्कार पीड़िता की पहचान का खुलासा करने और इस प्रकार यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 23, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 74, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) का अधिनियम 228 ए का उल्लंघन करने के लिए दिल्ली पुलिस में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट करते हुए लिखा था, “एक पीड़ित बच्ची के माता पिता की फ़ोटो ट्वीट कर उनकी पहचान उजागर कर POCSO ऐक्ट का उल्लंघन करने पर NCPCR ने संज्ञान लेते हुए ट्विटर इंडिया को नोटिस जारी कर राहुल गाँधी के ट्विटर हैंडल के विरुद्ध कार्यवाही करने एवं पोस्ट हटाने के लिए नोटिस जारी किया है।”

बता दें कि बीजेपी ने तस्वीरें साझा करने को POCSO कानून का उल्लंघन बताते हुए उनके खिलाफ NCPCR से संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का निवेदन किया था।  बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गाँधी ने अपने ट्वीट में पीड़िता के परिजनों का चेहरा सार्वजनिक किया है, जो पोक्सो एक्ट की धारा 23 जुवेनाइल जस्टिस केयर के तहत चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 74 का उल्लंघन है। NCPCR इसका संज्ञान लें और राहुुल गाँधी को नोटिस जारी करे।

गौरतलब है कि दिल्ली के ओल्ड नांगल में 9 साल की एक बच्ची की संदेहास्पद हालत में मौत हो गई। आरोप है कि श्मशान घाट के भीतर रेप करने के बाद बच्ची को जला दिया गया। इस मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। साथ ही बताया है कि पोस्टमॉर्टम से भी मौत की वजह से पर्दा नहीं उठ पाया है।

चित्रकूट के प्राचीन बालाजी मंदिर के बैनर में मुगल शासक औरंगजेब की तस्वीर, बवाल के बाद महंत सहित 3 पर मामला दर्ज

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में मंदाकिनी तट पर स्थित प्राचीन बालाजी मंदिर के बैनर में क्रूर मुगल शासक औरंगजेब की तस्वीर लगाने के बाद बवाल हो गया है। मंदिर के साथ-साथ खुद का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से यज्ञवेदी के महंत ने अपनी और औरंगजेब की तस्वीरों वाले इस बैनर को बनवाया था। महंत की हरकत को देेखते हुए हिंदू युवा वाहिनी ने मामले की शिकायत की और शिकायत मिलने पर पुलिस ने महंत समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, हिदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष बुद्ध प्रकाश ने गुरुवार को कर्वी कोतवाली में तहरीर दी कि यज्ञवेदी के महंत सत्यप्रकाश दास, उनके सहयोगी चरण दास और मंदिर के पुजारी ने मंदिर और खुद का प्रचार करने के लिए बैनर बनवाया था। इस बैनर में इन लोगों ने अपनी तस्वीर के साथ-साथ मुगल शासक औरंगजेब की तस्वीर भी लगवा दी। बुद्ध प्रकाश ने कहा कि 16वीं सदी में पन्ना नरेश द्वारा बनवाए गए इस मंदिर की प्रचार सामग्री में तस्वीर लगाकर मुगल शासक को महान दर्शाने का घृणित काम किया गया है।

बैनर में औरंगजेब की फोटो देखकर संगठन के लोगों ने महंत से मिलकर आपत्ति जताई और इसका कारण पूछा। कारण पूछने पर महंत सत्यप्रकाश दास ने कहा कि मंदिर में औरंगजेब का ताम्रपत्र है। उन्होंने बताया कि मंदिर को लेकर उन्होंने जो लोगों से सुना था और पढ़ा था, उसी के अनुसार उन्होंने बैनर में फोटो लगवाई थी।

महंत सत्यप्रकाश दास ने बताया कि हिंदू युवा वाहिनी के करीब 24 लोग उनके पास आए थे और बैनर को लेकर आपत्ति जताई थी। उन लोगों ने कहा था कि इस बैनर को हटा दें। महंत सत्यप्रकास ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि बात यहाँ तक पहुँच जाएगी।

वहीं, थाना कोतवाली के प्रभारी वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि तहरीर के आधार पर मंदिर के महंत समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि मामले की जाँच सीतापुर चौकी के प्रभारी को सौंपी गई है।

कुरान का पाठ पढ़ 33 साल की गर्लफ्रेंड को 60 साल का डॉक्टर देता था जहरीला इंजेक्शन, छाती में घुसा दिया था ट्यूब

इंग्लैंड के साउथ यॉर्कशायर से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जहाँ एक डॉक्टर ने एक कथित इस्लामी रस्म की प्रक्रिया अपनाते हुए अपनी गर्लफ्रेंड की हत्या करने की कोशिश की। 60 वर्षीय डॉक्टर होस्साम मेटवल्ली को जेल भेज दिया गया है। ये घटना शेफील्ड की है, जहाँ के क्राउन कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। ‘इस्लामी रस्म’ अपनाते हुए उसने अपनी 33 वर्षीय गर्लफ्रेंड केली विल्सन को सैकड़ों बार जहरीला इंजेक्शन दिया।

डॉक्टर की इस कथित इस्लामी ‘झाड़-फूँक’ के कारण उसकी गर्लफ्रेंड के शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया। डॉक्टर इस सम्बन्ध में यूट्यूब पर वीडियोज देखता था और फिर उन्हें जो प्रक्रिया बताई जाती थी, उसे अपनी गर्लफ्रेंड पर आजमाता था। इसी तरह उसने ऐसी कई रस्में की और इंजेक्शन के माध्यम से खतरनाक पदार्थ अपनी गर्लफ्रेंड के शरीर में डालता रहा। उसके घर से भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुए हैं।

इनमें से कई तो खतरनाक व जहरीले ड्रग्स भी हैं। वरिष्ठ जज जेरेमी रिचर्डसन ने कहा कि ये उनके 41 साल के करियर का सबसे अजीबोगरीब मामला है। डॉक्टर ने लगभग 4 वर्षों तक अपनी गर्लफ्रेंड के साथ ऐसा किया था। इस दौरान उसने 200 वीडियोज रिकॉर्ड किए, जिन्हें कोर्ट में जूरी को भी दिखाया गया। उत्तर-पूर्वी लिंकनशायर के ग्रिम्स्बी नामक इलाके में स्थित अपने घर में उसने ये ‘इस्लामी झाड़-फूँक’ की।

वीडियो में देखा जा सकता है कि जहाँ एक तरफ डॉक्टर होस्साम मेटवल्ली कुरानशरीफ का पाठ कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ अपनी गर्लफ्रेंड की छाती में ट्यूब लगा कर उसके शरीर में ड्रग्स डाल रहा है। इस दौरान उसे इस्लाम की ‘रुक़्या रस्म’ के तहत गर्लफ्रेंड का झाड़-फूँक किया। इसके तहत सफ़ेद ग्लव्स पहले मौलवियों को मरीज के सिर पर हाथ रख कर कुरान पढ़ते हुए देखा जा सकता है।

इससे जीन वगैरह भगाने व रोग नाश करने के दावे किए जाते रहे हैं। साथ ही ‘रूह के शुद्धिकरण के लिए’ शहद व पानी का इस्तेमाल किया जाता है। चूँकि ये वीडियोज व्यथित करने वाले थे, इसीलिए जूरी को पहले ही इसके बारे में बता दिया गया था और फिर दिखाया गया था। कुछ वीडियोज में तो केली विल्सन को बिस्तर से बाँध कर या बाथरूम में ले जाकर एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र से उसके भीतर केमिकल डालते हुए देखा जा सकता है।

एक वीडियो में केली डॉक्टर से ये पूछती नजर आ रही हैं कि क्या उसने उनके साथ बलात्कार किया है? डॉक्टर का कहना है कि अपनी गर्लफ्रेंड के शरीर पर आए बुरे जिन्न को भगाने के लिए वो ऐसा कर रहा था। आरोपित डॉक्टर मूल रूप से इटली का रहने वाला है। केली विल्सन का अब भी अस्पताल में इलाज चल रहा है। वो एक अस्पताल में एनेस्थीसिया के डॉक्टर के रूप में कार्यरत था। अब उसे जेल भेज दिया गया है।

‘मुझे नंगी कर के बनवाते थे वीडियोज, कहते थे शिल्पा को पसंद आया’: 8 घंटे में शर्लिन चोपड़ा ने खोले कई राज, मुस्कुराते हुए निकलीं

पोर्न फिल्मों की शूटिंग कर के उन्हें एप के माध्यम से बेचने के मामले में फँसे राज कुंद्रा के बारे में अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा ने कई खुलासे किए हैं। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार (6 अगस्त, 2021) को पूछताछ की। ये पूछताछ 8 घंटे तक चली। प्रॉपर्टी सेल विभाग ने एक्ट्रेस-मॉडल शर्लिन चोपड़ा को समन भेजा था। शर्लिन चोपड़ा ने पुलिस को बताया कि राज कुंद्रा ने उन्हें ये कह कर गुमराह किया था कि शिल्पा शेट्टी को उनके वीडियोज पसंद आ रहे हैं।

बता दें कि हाल ही में ‘हंगामा 2’ से 14 सालों बाद बॉलीवुड में वापसी करने वाली अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी, राज कुंद्रा की पत्नी हैं। शर्लिन चोपड़ा ने बताया कि राज कुंद्रा उनके मेंटर हुआ करते थे और उन्होंने ये कह कर वीडियों शूट कराए थे कि ये ग्लेमर के लिए है। राज कुंद्रा ने पोर्न को ‘सेमी न्यूड एवं कैजुअल’ बताते हुए कहा था कि चूँकि हर कोई ऐसा कर रहा है, इसीलिए शर्लिन चोपड़ा को भी करना चाहिए।

शर्लिन चोपड़ा ने मीडिया से बात करते हुए पुलिस को दिए अपने बयान के बारे में बताया। उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता था कि कहाँ से शुरुआत करनी है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिन इस तरह के स्कैंडल में फँस जाऊँगी और मुझे क्राइम ब्रांच के समक्ष बयान देना पड़ेगा। जब मैं पहली बार राज कुंद्रा से मिली थी तो मैंने सोचा था कि मेरी पूरी जिंदगी बदल जाएगी। मुझे लगा था मुझे बड़ा ब्रेक मिला है लेकिन मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि वो मुझसे गलत चीजें करवाएँगे।”

शर्लिन ने बताया कहा कि उन्होंने आर्म्सप्राइम नामक कंपनी के साथ करार पर हस्ताक्षर किए थे फिर और वीडियोज बनाने लगी थीं। उनका कहना है कि शुरुआत में ये ग्लैमरस वीडियो थी, लेकिन उसके बाद ये बोल्ड फिल्में बनने लगीं और बाद में उन्हें सेमी न्यूड और न्यूड वीडियोज बनाने पड़े। बकौल शर्लिन चोपड़ा, उन्हें हमेशा कहा जाता था कि इसमें कुछ गलत नहीं है क्योंकि सभी ऐसा ही करते हैं।

शर्लिन चोपड़ा ने कहा कि जब-जब वो राज कुंद्रा के मुँह से सुनती थीं कि शिल्पा शेट्टी को उनके वीडियोज अच्छे लगे हैं, उन्हें एक प्रकार का मोटिवेशन मिलता था। इससे वो और बेहतर करने की कोशिश करती थीं। शिल्पा शेट्टी ने राज कुंद्रा मामले में कोई जानकारी होने की बात नकार दी थी। इस पर शर्लिन ने कहा कि काफी व्यस्त रहने के कारण वो भूल गई होंगी। शर्लिन चोपड़ा से आर्म्सप्राइम के साथ उनके करार और कंटेंट बनाने में शामिल लोगों के बारे में भी पूछताछ हुई।

शर्लिन चोपड़ा ने बताया कि उनसे पुलिस ने पूछा कि राज कुंद्रा के साथ उनके कैसे सम्बन्ध थे। साथ ही अभिनेत्री ने दावा किया कि वो पूछताछ के लिए और समय देने को भी तैयार थीं, क्योंकि वो महिलाओं के लिए न्याय चाहती हैं। साथ ही अपील की कि इस केस के बारे में कोई कुछ भी जानता हो तो पुलिस से शेयर करे। शर्लिन चोपड़ा ने पुलिस को व्हाट्सएप्प चैट्स भी सौंपे। साथ ही कई जानकारियाँ दीं। शर्लिन चोपड़ा पूछताछ के बाद मुस्कुराते हुए बाहर निकलीं।

786 फीट तकिया फेंका, देश के लिए लाया पहला ओलंपिक गोल्ड: वो GK जिसे इतिहासकारों ने छिपाया

बहुत समय पहले की बात है। तब सोशल मीडिया नहीं हुआ करता था। लोग खेल-कूद कर समय बिताते थे। भारत तब खेल-कूद की चिड़िया हुआ करती थी। एक पर एक उस्ताद… लेकिन इन सब के एक सरदार भी थे। बड़े रौबदार।

सरदार के रौब के किस्से अभी भी मशहूर हैं… संसद से लेकर गलियों तक, किताब से लेकर यूनिवर्सिटी तक। जो मशहूर (भयंकर वाला) नहीं, वही आज हाजिर है।

रौबदार सरदार का किस्सा लेकिन गुम कैसे हुआ? इसी उत्तर की तलाश में लेखक ने भटकते हुए ‘भारत एक खोज’ कर डाला। भटकते-भटकते 1928 तक जाना पड़ा, तब जाकर पता चला तकिया-फेंक प्रतियोगिता के बारे में!

तकिया-फेंक प्रतियोगिता

तकिया-फेंक प्रतियोगिता! चौंक गए? लेकिन यही सत्य है। वो सत्य, जिसे वामपंथी इतिहासकारों ने छिपाया… या यूँ कह लें कि छिपवाया गया। त्याग देकर… देश की खातिर। किस्सा तो यह भी मशहूर है कि सरदार की नस्लों ने भी त्याग किया

खैर। 26 मई 1928 का दिन था। ओलंपिक में भारत ने हॉकी का गोल्ड जीता था। इस इतिहास को सभी जानते हैं। नहीं जानते हैं तो गूगल वाली किताब में खोजने पर मिल ही जाएगा। तो फिर देश के लिए सरदार ने पहला गोल्ड मेडल जीता था, यह कहानी मोहन काका (कुछ लोग उन्हें बापू काका भी कहते हैं) ने क्यों सुनाई थी?

त्याग, बलिदान, देशहित… यही सब भाव थे, जिनके कारण मोहन काका चाहते थे कि यह कहानी इतिहास के पन्नों के बजाय किंवदंती बने। हुआ भी यही। NCERT से लेकर ICSE तक और उसके बाद कॉलेज-पीएचडी की पढ़ाई तक… यह स्वर्णिम इतिहास आपको ढूँढे नहीं मिलेगा। लेखक को कैसे मिला? नीदरलैंड जाकर। पुराने अखबार में।

हुआ यह कि मैं भारत के पहले ओलंपिक गोल्ड मतलब हॉकी गोल्ड के बारे में जानता था। यानी मोहन काका की कहानी अगर सच है तो इसके पहले के खेलों के इतिहास को खँगालना होगा – यह तर्क मेरे भीतर धँस गई। पहुँच गया एम्सटर्डम। यहीं भारत ने हॉकी का गोल्ड जीता था – 26 मई 1928 को। यानी जगह और दिनांक दोनों मिल गए थे, जहाँ से पीछे की ओर जाकर मुझे कहानी को इतिहास में बदलना था।

शाम में एक जगह झालमूढ़ी खा रहा था। खा क्या रहा था, समझिए सारी कायनात मिल कर खिला रहा था। क्यों? क्योंकि मैं दिल से चाह रहा था। वरना एम्सटर्डम में कोई झालमूढ़ी क्यों खाएगा भला? तो हुआ यूँ कि जिस पेपर के ठोंगे में झालमूढ़ी थी, वो पेपर बहुत ही पुराना था। एक फोटो भी उसमें। फोटो पर नजर अटक गई। हिंदुस्तानी कपड़ों वाला आदमी नीदरलैंड के स्थानीय भाषा वाले अखबार में क्यों? वो भी चेहरा जाना-पहचाना! मेरी खोज शायद सही रास्ते पर थी, मंजिल भी नजदीक थी, ऐसा जान पड़ा।

786 फीट तक फेंका गया था तकिया, हिंदुस्तानी सरदार ने सबको चौंका दिया था

झालमूढ़ी वाले से पढ़वाया। टूटी-फूटी अंग्रेजी में उसने जो बताया, रौबदार सरदार से मेल खा गया… मोहन काका की कहानी अब मेरे सामने थी। 25 मई 1928 का अखबार था, मतलब खबर 24 मई की थी। भारत गोल्ड जीत चुका था… बिना हो-हल्ला के, यह आश्चर्य की बात थी।

त्याग-देशहित में प्रेस से छिपाई बात

भारत के लिए पहला गोल्ड जीतने वाले शख्स को पता था कि 2 दिन बाद टीम गेम हॉकी का फाइनल है। टीम में गोरे बिलायती लोग भी थे। कुछ देशी भी थे। सबका ध्यान अचानक से सरदार को कौंध गया। सात समंदर पार भी उन्होंने अपने चाहने वाली को सेट किया। चाहने वाली पावरफुल थी। उन्होंने प्रेस को सेट किया। बात अंतरराष्ट्रीय प्रेस में जा ही नहीं पाई। खबर हिंदुस्तान तक आती कैसे?

भला हो उस स्थानीय पत्रकार का, जिसने प्रेस पर लगी रोक (सिर्फ इस खबर के लिए, यह सिर्फ सरदार जानते थे और बाद में उनकी बेटी ने जाना-समझा और प्रेस पर अंकुश लगाया… वो भी सिर्फ देशहित में!) के बावजूद यह खबर छाप दी थी लेकिन जेल जाने के डर से अखबार को अगले दिन मार्केट में नहीं भेजा था। ऑफिस की लाइब्रेरी में छिपा ली थी सारी कॉपी… उन्हीं कॉपी में से एक, जिस पर मैं झालमूढ़ी खा रहा था क्योंकि इस प्रेस के वर्तमान मालिक ने अब इसे कूड़ा समझ फेंक दिया था, जो मेरे लिए सोना था, देश के लिए इतिहास।

खैर मेरी यात्रा राहुल सांकृत्यायन की जितनी महान तो नहीं लेकिन इतिहास के योगदान में जानी तो जरूर जाएगी। वो इतिहास, जिसे वामपंथियों तक ने छिपाया। वो इतिहास, जिसे खुद इतिहास रचने वाले ने छिपाया… और देश आज इनसे 60-70 सालों का हिसाब माँग रहा है? देश की इतनी हिम्मत?

अनुच्छेद-370 हटने का कमाल: अब बिना परमिट लद्दाख में कहीं भी जाइए, तिरंगे से रोशन हुआ लाल चौक का घंटाघर

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने और लद्दाख के रूप में एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के गठन के साथ ही लोगों को बदलाव दिखने शुरू हो गए थे। अब इस फैसले के 2 साल पूरे होने पर ये बदलाव स्पष्ट रूप से नज़र आ रहा है। राजधानी श्रीनगर के लाल चौक पर स्थित घंटाघर तिरंगे के रंग से जगमगा रहा है। वहीं लद्दाख में यात्रा के लिए पर्यटकों को अब ILP (इनर लाइन परमिट) लेने की कोई ज़रूरत नहीं है।

लद्दाख: अब बिना परमिट बेधड़क कीजिए पर्यटन

अब लद्दाख के किसी भी क्षेत्र में पर्यटन के लिए भारतीय नागरिकों को किसी प्रकार का कोई परमिट लेने की आवश्यकता नहीं है। ‘प्रोटेक्टेड क्षेत्रों’ में भी आप घूम सकते हैं। इससे पहले लद्दाख के आंतरिक हिस्सों में जाने के लिए ILP लेना अनिवार्य था। बिना परमिट के भारतीय नागरिक सिर्फ पनामिक से आगे वर्षी तक जा सकते थे। इसमें लेह की नुब्रा घाटी में स्थित यर्मा गोम्पा/गोंबो मठ भी शामिल है।

साथ ही लद्दाख के एक ‘प्रोटेक्टेड क्षेत्र’ के लोग अब बिना किसी परमिट के किसी दूसरे ‘प्रोटेक्टेड क्षेत्र’ में जा सकते हैं। लद्दाख के उप-राज्यपाल दफ्तर ने ये आदेश जारी किया है। इसके तहत ‘प्रोटेक्टेड एरियाज’ के नागरिकों को पहचान का दस्तावेज मिलेगा और पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वो ऐसे तहसील और जिलों के बारे में विवरण जारी करें, जिन्हें ‘प्रोटेक्टेड’ की श्रेणी में रखा गया है।

साथ ही उप-राज्यपाल आरके माथुर ने लद्दाख पुलिस के ‘टूरिस्ट विंग’ का भी गठन किया। पुलिस की ये शाखा पर्यटकों से जुड़ी समस्याओं को देखेगी और साथ ही पर्यटकों के लिए एक उचित माहौल तैयार करने के लिए काम करेगी। पर्यटकों को कोई मेडिकल इमरजेंसी होती है या वो कहीं फँस जाते हैं तो लद्दाख पुलिस की ‘टूरिस्ट विंग’ तकनीक की सहायता से उनकी मदद करेगी। उन्हें पर्यटकों और पर्यटन एजेंसियों से कम्युनिकेशन के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।

जम्मू कश्मीर: तिरंगे से रोशन हुआ श्रीनगर के लाल चौक का घंटाघर

उधर जम्मू कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के लिए भी खास तैयारियाँ की जा रही हैं। श्रीनगर का घंटाघर चौक तिरंगे से रोशन हो गया है और रात को इसकी शोभा देखते ही बन रही है। ये वही जगह है, जहाँ 1992 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और तब ‘एकता यात्रा’ के संयोजक रहे नरेंद्र मोदी ने आतंकियों की धमकी के बावजूद तिरंगा झंडा फहराया था। श्रीनगर नगर निगम ने चौक की साफ़-सफाई की है।’

साथ ही घंटाघर में नई घड़ियाँ भी लगा दी गई हैं। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने इस पर ख़ुशी जताते हुए लिखा कि वो कहते थे लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराने देंगे, पीएम मोदी ने लाल चौक ही तिरंगा कर दिया। वहीं फ़िल्मकार अशोक पंडित ने लिखा कि आज़ादी के बाद जम्मू कश्मीर में ऐसा पहली बार हो रहा है। लोगों ने अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाएं को इसका श्रेय दिया।