Sunday, September 29, 2024
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कॉन्ग्रेस कुछ भी विलक्षण चुनावी वादे कर रही है क्योंकि उन्हें पता है वो वापस नहीं आ रहे: PM

अपने लोकलुभावन न्यूनतम आय गारंटी (न्याय) के वादे पर कॉन्ग्रेस पर कटाक्ष करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि एक ही परिवार की आज पाँचवीं पीढ़ी ऐसे ही विलक्षण वादे करके गरीबी उन्मूलन का एक ही वादा दोहरा रही है। क्योंकि वे जानते हैं कि वे वास्तव में सत्ता में आने वाले तो है नहीं, जो उन्हें इन योजनाओं को लागू करना पड़े।

लोकसभा चुनाव से पहले आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिपब्लिक भारत को दिए इंटरव्यू में बहुत से महत्तवपूर्ण विषयों पर चर्चा की। हर सवाल का उन्होंने खुलकर जवाब दिया फिर चाहे वो विपक्ष से संबंधित हो या फिर आगामी चुनाव से जुड़ा प्रश्न। 2019 में अपनी सुनिश्चित जीत का आश्वासन देते हुए उन्होंने बाकी दलों को 2024 के चुनाव की तैयारी करने की सलाह भी दी।

लोकसभा चुनाव को मद्देनज़र रखते हुए मोदी ने दावा किया कि इन चुनावों में महागठबंधन का गणित नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि नामांकन के बाद अभी विपक्ष और भी ज्यादा बिखरता हुआ नज़र आएगा।

साथ ही प्रधानमंत्री मोदी को हमेशा बेबुनियाद सवालों पर घेरने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी और अन्य विपक्ष को भी उन्होंने मुँहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान क्या सरकार गंभीर मुद्दों पर भी नहीं बोल सकती हैं? विपक्ष का अज्ञान बड़ा है।

उन्होंने कहा कि उनकी देशभक्ति पर कोई सवाल नहीं कर सकता है। जनता ने विपक्ष के मुँह पर ताला लगाया है। विपक्ष द्वारा उनके कार्यों पर उठाए सवालों पर पीएम ने खुली चुनौती दी, “आइए डिबेट हो जाए, बैंक खाते और रोजगार पर, आइए डिबेट हो जाए मेरे कामकाज पर।”

पीएम ने जनता से इस दौरान कहा कि जनता को उन लोगों को पहचानना होगा जो अपने पीएम पर शक करते हैं और जो पाकिस्तानी पीएम की तारीफ़ करते हैं। यहाँ पीएम ने अभिनन्दन वाली घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अभिनन्दन के मुद्दे पर लोग कैंडल लेकर निकलने तक को तैयार हो गए थे। लेकिन जैसे ही वहाँ के पीएम ने उन्हें छोड़ने को कहा विपक्ष की राजनीति धरी की धरी रह गई।

विपक्ष द्वारा किए जा रहे सवालों पर पीएम बोले कि उन पर 250 जोड़े कपड़े रखने का आरोप लगा है। जनता तय करेगी कि वह 250 जोड़े कपड़े रखना, 250 करोड़ चुराने से अच्छा है या नहीं। बता दें कि मोदी ने यह टिप्पणी विपक्ष के उन नेताओं और उनके बच्चों पर की हैं जिनकी आय और संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोतरी पाई गई।

पूरे विपक्ष पर मोदी ने हमला बोला और कहा कि सारे ठग इंतजार कर रहे हैं कि कब भाजपा सरकार बदले और वह लौटें।

माल्या जैसे भगौड़ों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सारे भगोड़ों की संपत्ति जब्त की है। सरकार ने 14000 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किया।

मिशेल द्वारा प्राप्त जानकारियों और रॉबर्ट वाड्रा पर भी नरेंद्र मोदी ने खुलकर बयान दिया। उन्होंने बताया कि मिशेल भ्रष्टाचार के बारे में बड़े खुलासे कर रहा है, लोग पकड़े जा रहे हैं। दामादश्री’ पर पीएम मोदी का बयान- खुद को राजा-महाराजा समझते थे।

नरेंद्र मोदी ने अपने इस इंटरव्यू में जो बेबाकी दिखाई है, वो उनके हर भाषण का हिस्सा रही है। यहाँ उन्होंने 2014 के बारे में भी जानकारी दी और हाल ही में अंतरिक्ष में टेस्ट की गई ASAT के बारे में भी बताया।

गौ तस्करी मामले में इरफ़ान, असरफ़ गिरफ़्तार, रियासत अली और अरशद फ़रार, पुलिस पर चढ़ा दी गाड़ी

सहारनपुर के नानौता में गुरुवार तड़के हुई गोलीबारी में एक कांस्टेबल और दो गाय तस्कर घायल हो गए। ख़बर के अनुसार, पुलिस ने दो देसी पिस्तौल और कुछ कारतूस भी बरामद किए हैं।

थाना प्रभारी मनोज कुमार चौधरी के मुताबिक, गुरुवार (29 मार्च) सुबह क़रीब 4 बजे, SI सैय्यद मुनाजिर हुसैन, हेड कॉन्स्टेबल राजीव और अन्य चार पुलिस अधिकारियों ने एक संदिग्ध पिकअप ट्रक को चेकिंग के लिए रोका। ट्रक चालक ने पेडल को धक्का दिया और वाहन की गति बढ़ा दी। इतना ही नहीं, पीछा करने के दौरान जब पुलिस टीम उस पिकअप के पास पहुँची तो पिकअप ट्रक के चालक ने पुलिस कर्मियों को जान से मारने की मंशा से वाहन को उनके ऊपर चढ़ाने की कोशिश की।

तभी पिकअप ट्रक में सवार चार लोग कूद कर बाहर निकले और एक झील के पास भागे जहाँ से उन्होंने पुलिस पर ताबड़तोड़ गोलियाँ चलाईं। इसी गोलीबारी में हेड कॉन्स्टेबल राजीव घायल हो गए लेकिन थाना प्रभारी चौधरी बुलेटप्रूफ जैकेट के कारण बच गए। पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में, दो गाय तस्कर घायल हो गए जिन्हें प्राथमिक चिकित्सा दिए जाने के बाद ज़िला चिकित्सालय रेफर किया गया। इसके अलावा पुलिस को चकमा देकर रियासत और अरशद वहाँ से भागने में क़ामयाब हो गए। पकड़े गए घायल तस्करों में एक इरफ़ान है और दूसरा असरफ़ है।

जानकारी के अनुसार, महिन्द्रा पिकअप और उसमें लदे छह बछड़ों को पुलिस ने अपने क़ब्जे में ले लिया है। बता दें कि पिकअप में लदे छह बछड़ों को नशीली दवा पिलाई गई थी जिससे वो शोर न मचा सकें। फ़िलहाल पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी है।

गाय की तस्करी से जुड़ा यह मामला कोई पहला नहीं हैं। इससे पहले भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है, ये और बात है कि इनमें से केवल कुछ ही मामले सामने आते हैं और बाक़ी हवा हो जाते हैं।

भारत के लोकसभा चुनाव पर पाकिस्तान के अलावा अमेरिका और चीन की भी है पैनी नज़र

भारत के लोकसभा चुनाव पर वैसे तो दुनियाभर की आँखे लगी हुई हैं लेकिन इसमें भी पाकिस्तान समेत अमेरीका और चीन की विशेष नज़र है। इसकी वजह है भारत का लगातार बढ़ता बाज़ार यानी आर्थिक रूप से सशक्त बनते भारत से सभी को उम्मीदें है और इसीलिए भारत का साथ सभी चाहते हैं। भले ही देश के अंदर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ हो लेकिन देश के बाहर बड़ी शक्तियाँ भारत को एक मज़बूत साझेदार के रूप में देख रही हैं।

भारत-पाकिस्तान के रिश्ते भले ही खटास लिए हों लेकिन बात अगर आर्थिक जगत की करें तो साल 2016-17 के बीच भारत ने पाकिस्तान के साथ लगभग 1,821 मिलियन यूएस डॉलर का निर्यात किया था जबकि क़रीब 454 मिलियन यूएस डॉलर का सामान आयात किया था। यह आर्थिक सौदा इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि इसी दौरान (2016) जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने भारतीय सेना के कैंप पर हमला किया था। इस हमले में सेना के 19 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। आतंकी गतिविधियों के बावजूद भारत-पाकिस्तान के व्यापार में कोई गिरावट नहीं दर्ज की गई थी जोकि पहले की ही तरह बदस्तूर जारी रहे। आने वाली सरकार से भविष्य की नीतियों को लेकर पाकिस्तान के लिए भारत का लोकसभा चुनाव काफी मायने रखता है।

चीन की नज़र भी भारत की आने वाली सरकार पर टकटकी लगाए हुए है। इसकी सबसे बड़ी वजह व्यापार को ही लेकर है जो 2017 के मुकाबले 2018 में बढ़ा था। भारत सरकार के आँकड़ों के अनुसार चीन को 18.1584 बिलियन यूएस डॉलर का एक्सपोर्ट किया गया था जोकि 2017 के मुक़ाबले क़रीब 15.2 फ़ीसद अधिक था। चीन इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानता है कि भारत का बढ़ता कारोबार उसके लिए सोने की खान से कम नहीं है। इसीलिए उसने भारत में पिछले पाँच वर्षों में अरबों का निवेश किया है।

अमेरिका के भारत के साथ संबंध काफी मायने रखते हैं। बीते सालों में अमेरिका ने भारत का साथ हर मुद्दे पर बख़ूबी निभाया है। हाल की गतिविधियों में आतंकवाद जैसे मुद्दे में भारत के साथ खड़ा होना और चिनूक हेलीकॉप्टर देना भारत के प्रति उसकी वफ़ादारी को दर्शाता है। बीते पाँच सालों में अमेरिका ने भारत के साथ अपने संबंधों को पहले की तुलना में काफी बेहतर बनाया है। दोनों देशों के बीच 2018 में व्यापारिक घाटे में लगभग डेढ़ बिलियन यूएस डॉलर से अधिक की बढ़त हुई है। अमेरिका को अपना माल खपाने के लिए चीन के साथ-साथ भारत की भी काफी ज़रूरत है इसलिए आगामी लोकसभा चुनावों पर अमेरिका की नज़र लगातार बनी हुई है।

A-SAT पर कॉन्ग्रेस में प्राथमिक ज्ञान का अभाव, ऐसे टेस्ट से पहले लंबी ग्लोबल प्लानिंग की ज़रूरत: PM

27 मार्च 2019 का दिन भारतवासियों के लिए काफी गर्व का दिन रहा, क्योंकि इस दिन भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व की चौथी महाशक्ति बन गया। इस सफलता पर जहाँ लोग खुशियाँ मना रहे हैं, गर्वित महसूस कर रहे हैं, वहीं कुछ विपक्षी राजनीतिक पार्टियाँ इस मसले पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे।

इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ को एक इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने ‘मिशन शक्ति’ को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई भी परीक्षण बस ऐसे ही नहीं हो जाता, इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया होती है। ऐसे परीक्षण के लिए लिए दुनिया के देशों को इस बात से अवगत कराना होता है कि हमें अंतरिक्ष में जगह चाहिए, ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो जाए। पीएम मोदी ने कहा कि जब दुनिया से तालमेल करके आपको समय मिलता है, तभी आपको परीक्षण का समय मिलता है।

इसके साथ ही पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टी कॉन्ग्रेस के बारे में बात करते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस में प्राथमिक ज्ञान का अभाव है। A-SAT टेस्ट से पहले लंबी ग्लोबल प्लानिंग चाहिए होती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष में कोई छोटा दल इस तरह की बातें करे तो समझा जा सकता है, लेकिन कॉन्ग्रेस जैसी पार्टी, जिसने लंबे समय तक देश में शासन किया है और उनके पास काफी अनुभवी नेता हैं। ऐसे में कॉन्ग्रेस को यह समझना चाहिए कि वो जिस विषय पर बोलने जा रहे हैं, वो विषय क्या है? इसके साथ ही पीएम ने कहा कि किसी भी विषय पर बोलने के लिए जो प्राथमिक ज्ञान चाहिए, उसका भी कॉन्ग्रेस में अभाव दिखाई देता है।

इस दौरान मोदी ने कहा कि दो दिन पहले ही ओडिशा एक ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धि का गवाह बना है, जिसने पूरी दुनिया को भारत के सामर्थ्य से परिचित कराया है। भारत अब अंतरिक्ष में भी चौकीदारी करने में सक्षम है।

पीएम मोदी ने कहा कि 2019 का चुनाव सिर्फ एक सांसद और विधायक का चुनाव नहीं है। ये चुनाव केंद्र और राज्य में विकास का डबल इंजन लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के चुनाव का समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मतदान के दिन जब आप पोलिंग बूथ जाएँगे तो एक स्पष्ट मन बनाकर जाइएगा। आपको ये तय करना है कि आतंक के ठिकानों में घुसकर मारने वाली सरकार चाहिए, या फिर घबराकर बैठ जाने वाली सरकार।

गौरतलब है कि भारत ने बुधवार (मार्च 27, 2019) एंटी सैटेलाइट मिसाइल क्षमता हासिल कर ली है। इससे पहले सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन के पास ये ताकत थी। इस ऐतिहासिक दिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत ने ‘मिशन शक्ति’ के तहत एक मुश्किल ऑपरेशन को पूरा किया है। ये लक्ष्य अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर था। हमारे वैज्ञानिकों ने लो अर्थ ऑरबिट में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है।

ठगी करने वाले धन्नासेठों को फुटपाथ पर बैठा दिया, ठग धन्नासेठ आज मेरी वजह से भाग रहे हैं: PM

लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने आज रिपब्लिक टीवी को एक इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी बड़े ही बेबाक अंदाज में अर्नब के हर सवाल का जवाब देते नज़र आए। अर्नब गोस्वामी से बात करते हुए मोदी ने एक तरफ़ जहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर देश के कई अहम मुद्दों पर बात की वहीं आगामी चुनावों के साथ 2014 के चुनावों को भी याद किया। साथ ही बताया कि विपक्ष और जनता उनके बारे में क्या राय रखती है।

पीएम मोदी ने इस इंटरव्यू में कहा कि पहले लोग उन्हें नहीं जानते थे, लेकिन अब देश उन्हें जानता है और राष्ट्रीय सुरक्षा के मसलों पर भी देश उनके रुख से अच्छी तरह वाकिफ़ है। पीएम मोदी ने इस इंटरव्यू में बताया कि पिछली बार (2014) में जब वह पूर्ण बहुमत की सरकार आने का दावा करते थे तब विपक्ष कहता था कि मोदी हवा में हैं, उन्हें गुजरात से बाहर का ज्ञान नहीं हैं लेकिन जनता ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार दी।

इस इंटरव्यू में पीएम ने पिछली सरकार के बारे में कहा “30 साल की अस्थिरता वाली सरकार का दौर जनता ने देखा है, देश की जनता गठबंधन के खिलाफ नहीं है, लेकिन वो ऐसी सरकार चाहती है जहाँ गठबंधन का सबसे बड़ा दल है, उसे पूर्ण बहुमत मिले और बाकि गठबंधन के घटक दलों को भी अच्छी ताकत मिले और 5 साल में जो भी हम अच्छा कर पाएँ हैं उसके पीछे जनता का हाथ है, जिसने हमें पूर्ण बहुमत देकर भरोसा जताया। दुनिया के किसी भी नेता से मैं मिलता हूँ तो पूर्ण बहुमत सरकार का नेता होने के नाते, दुनिया के देखने के नज़रिए में भी बदलाव आता है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज 30 से 40 उम्र का मतदाता 30 सालों वाली अस्थिर और 5 साल वाली स्थिर सरकार के बीच में फर्क़ जानता है। इसके अलावा मोदी पर हमेशा उद्योगपतियों का भला करने का इल्जाम विपक्ष के द्वारा लगाया जाता रहा है। इस पर पीएम ने जवाब दिया कि उन्होंने जो 9 करोड़ टायलेट और 1.25 करोड़ घर बनवाए क्या वो अडानी-अंबानी थे।

पीएम मोदी के काल में माल्या और नीरव जैसे भगौड़े आर्थिक अपराधियों के विदेश भाग जाने का इल्जाम भी पीएम पर लगता रहा है। इस इंटरव्यू में पीएम ने जवाब देते हुए कहा कि उन्होंनें ठगी करने वाले धन्नासेठों को फुटपाथ पर बैठा दिया। ठग धन्नासेठ आज मेरी वजह से भाग रहे हैं।

पीएम ने इंटरव्यू में जनता के मन के बारे में बात करते हुए कहा कि अब जनता ने भी मन बना लिया है कि अब जो सरकार बनेगी वो पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि आज लोगों को पता है कि मोदी ने सुऱक्षा, गरीबी जैसे विषयों पर क्या-क्या किया है। इसलिए इस चुनाव में उन्हें विश्वास कि वो इसमें पहले से भी ज्यादा सीटें के साथ और पूर्ण बहमत के साथ सरकार में आएगी और एनडीए के घटक दलों को भी पहले से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी। पीएम ने आश्वासन दिया कि जहाँ वह कमी महसूस करते हैं कि कुछ जगह ऐसी है जहाँ से उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, इस बार उन जगहों से भी जनता उनकी सरकार को चुनकर सत्ता में भेजेगी।

इंटरव्यू के ज़रिए मोदी ने उन लोगों को चेतावनी दी है, जो किन्हीं भी माएनों देश को नुकसान पहुँचाने के लिए प्रयासरत हैं। पीएम ने कहा है कि जो देश का नुकसान करेगा, उसे भुगतना पड़ेगा।

बता दें 2019 का लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होना तय हुआ है। पहले चरण की तारीख 11 अप्रैल है जबकि आखिरी चरण की तारीख 19 मई को है। देखना अब यह है कि 23 तारीख को आने वाले नतीजों में क्या एक बार फिर से देश की जनता पूरे विपक्ष को गलत साबित करते हुए नरेंद्र मोदी के विश्वास को जिताएगी।

पटना में पकड़े गए 2 आतंकियों की निशानदेही पर महाराष्ट्र में 1 और आतंकी गिरफ्तार

हाल ही में पटना जंक्शन के पास 2 संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकवादी गिरफ्तार हुए थे। जिनकी निशानदेही पर ATS ने कल महाराष्ट्र से एक और आतंकी को गिरफ्तार कर लिया है।

आतंकी का नाम शरीयत मंडल है। महाराष्ट्र एटीएस और राज्य एटीएस की टीम ने पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ से सटे चाकण इलाके से इसे गिरफ्तार किया है। पूरे ऑपरेशन को कामयाब बनाने में एनआइए का भी खासा योगदान रहा है। गिरफ्तारी के बाद शरीयत को महाराष्ट्र के अदालत में पेश किया गया। इसके बाद उसे महाराष्ट्र के कोर्ट ने ट्रांजिट रिमांड पर बिहार ATS को सौंप दिया।

आतंकी मूल से रूप से पश्चिम बंगाल के नादिया जिला के हासखली थाना क्षेत्र वाजिदपुर का रहने वाला है। शरीयत से ATS ने पूछताछ पर खुलासा किया है कि वह पटना में गिरफ्तार आतंकवादी अबु सुल्तान और खैरूल मंडल से संपर्क में बना हुआ था।

यहाँ बता दें कि शरीयत के पास से दो मोबाइल के अलावा एक एसडी कार्ड बरामद हुआ है। यह आतंकी इस्लामिक स्टेट बांग्लादेश का एक सक्रिय सदस्य था।। पटना में गिरफ्तार दोनों आतंकियों की तरह यह भी ISIS से जुड़ना चाहता था।

मीडिया खबरों के मुताबिक हाल ही में पकड़े गए आतंकियों ने बताया कि वे पीएम मोदी की होने वाली जनसभा और रैलियों की जानकारी जुटा रहे थे। बांग्लादेश में बैठे इन आतंकियों के सरगना ने उन्हें हिंसक घटनाओं को अंजाम देखर भारत के सामाजिक और धार्मिक माहौल बिगाड़ने की साजिश के साथ भेजा था।

भारत के सख्त एक्शन से डरा पाकिस्तान, PoK में बंद किए चार आतंकी कैंप

पुलवामा हमले के जवाब में भारतीय वायु सेना की तरफ से पाकिस्तान स्थित बालाकोट के आतंकी कैंपों पर किए गए एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान सहमा हुआ है। एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की तरफ से लगातार सीजफायर का उल्लंघन किया जा रहा है। जिसका भारत मुँहतोड़ जवाब दे रहा है। भारत के इस जवाबी कार्रवाई से अब सीमा पार मौजूद आतंकी संगठनों में खौफ साफ दिख रहा है। भारत की कार्रवाई से डरे पाकिस्तान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद 4 आतंकी कैंपों को बंद कर दिया गया है। इस बात का खुलासा मीडिया रिपोर्ट्स में किया गया है।

जानकारी के मुताबिक 16 मार्च को PoK में एक बैठक हुई। इस बैठक में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी अशफाक बड़वाल भी शामिल हुआ था। इस बैठक में ही ये तय किया गया कि यहाँ पर मौजूद सभी आतंकी संगठनों को बंद किया जाए, क्योंकि भारत की ओर से लगातार सीज़फायर उल्लंघन का जवाब भारी गोलीबारी से दिया जा रहा है। इसकी वजह से ये कैंप भी निशाने पर आ सकते हैं। बता दें कि, पाकिस्तान ने जिन कैंपों को बंद करने का फैसला किया है, वह कोटली और निकियाल सेक्टर में हैं, जो सुदंरबनी और राजौरी के पास हैं। चारों आतंकी कैंपों का संचालन आतंकी अशफाक बड़वाल ही किया करता था। जबकि दो कैंप पाला और बाघा क्षेत्र में है, जो जैश-ए-मोहम्मद के द्वारा संचालित किया जाता है।

इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई पाकिस्तान की राष्ट्रीय आंतरिक सुरक्षा समिति की पहली बैठक में पाक पीएम इमरान खान ने कहा कि आतंकवाद और चरमपंथ से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना का क्रियान्वयन उनकी सरकार की प्राथमिकता में है। ऐसा माना जा रहा है कि इमरान ने यह बयान जैश-ए- मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच दिया है।

पाक राष्ट्रीय आंतरिक सुरक्षा समिति की यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है, जब वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) से जुड़े क्षेत्रीय संगठन धन शोधन पर एशिया प्रशांत समूह इस बात पर गौर करने के लिए पाकिस्तान आया है कि पाकिस्तान ने वित्तीय अपराधों के खिलाफ वैश्विक मानकों पर पर्याप्त प्रगति की है या नहीं। पाक पीएम ने कहा कि उनकी सरकार इस योजना को पूरी तरह से लागू करने और सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गौरतलब है कि 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की। जिसमें आतंकी सरगना जैश के कई आतंकी कैंप नष्ट हो गए। इस घटना के बाद पाकिस्तान पर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है कि वह आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे और आतंकियों को पनाह ना दे।

लव जिहाद मामले में शादीशुदा युवक ने हिन्दू लड़की को किया अगवा, हालात बेक़ाबू

हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में एक हिन्दू लड़की द्वारा दूसरे समुदाय के शादीशुदा व्यक्ति से निक़ाह किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। ख़बर के अनुसार लड़की पिछले 3 दिन से लापता है जिसका अब तक कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। इस बात से गाँव में तनाव का माहौल इस क़दर बना हुआ है कि लोगों ने युवक के घर को आग लगा दी, जिसके बाद पुलिस ने मौक़े पर पहुँच कर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती करवाकर पूरे गाँव को सील कर दिया। इतने के बाद भी लोगों का ग़ुस्सा जस का तस बरकरार है। मामले को गम्भीरता से लेते हुए नालागढ़ के SDM और बद्दी के SP समेत अन्य अधिकारियों ने मौक़े पर पहुँचकर ग्रामीणों को उचित जाँच किए जाने का आश्वासन दिया जिसके बाद गाँव में शांति का माहौल बन सका।

जानकारी के अनुसार, प्रशासनिक अधिकारियों ने गाँव में रह रहे युवक के परिवार को फ़िलहाल 2 घंटे के भीतर गाँव से निकल जाने का आदेश दिया और 4 अप्रैल तक सामान समेत गाँव छोड़ने को कहा। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ की नदियों के किनारे बसे प्रवासी लोगों को भी वहाँ से हटने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

बद्दी के SP रोहित मालपानी ने कहा कि पुलिस इस मामले की गहराई से जाँच कर रही है और जल्द ही अगवा की गई लड़की को उसके परिवार को सौंप दिया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि वो किसी भी तरह का आपसी विवाद न करें जिससे क़ानून को हाथ में लेने की नौबत आए, साथ ही भरोसा दिलाया कि प्रशासनिक अधिकारी उनके साथ हैं।

इसी मामले पर दैनिक जागरण ने अपनी ख़बर में लिखा है कि हिमाचल में लव जिहाद का ख़तरनाक खेल खेला जा रहा है। बाहर से आए दूसरे मजहब के लोग हिमाचल की लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फँसा कर वहाँ की ज़मीने हथिया लेते हैं। सीमांत क्षेत्रों में हुए सर्वे के अनुसार क़रीब 300 से अधिक लव जिहाद के मामले उजागर हो चुके हैं। जागरण ने अपनी ख़बर में हिमाचल सरकार से यह अपील की है कि वो बाहरी लोगों के राशनकार्ड बनवाने में तत्काल रोक लगा दी जाए और हिमाचल की बेटियों को लव जिहाद से बचाने के लिए ठोस क़दम उठाए जाएँ।

2019 में मोदी के सामने कोई नहीं, 2024 में ‘मोदी बनाम कौन’ लाइएगा : PM मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने आज समाचार चैनल रिपब्लिक भारत को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि भाजपा नीत राजग न केवल 2019 के आम चुनाव जीतेगी, बल्कि 2014 की तुलना में अधिक सीटों के साथ जीत हासिल करेगी। विपक्षी दलों के गठबंधन महागठबंधन पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज विपक्ष 2014 की तुलना में अधिक बिखरा हुआ है।

“बंगाल, केरल और ओडिशा में, क्या विपक्षी दलों के बीच कोई आपसी समझ या समझौता है? फिर गठबंधन कैसे काम कर रहा है? यह अभी तक तो नहीं है। अगर इस देश के लोगों ने हमें बहुमत देने का फैसला किया है, तो विपक्षियों के चुनाव के बाद सहयोगी बनने का फैसला करने पर भी हमें कौन बाहर रख सकता है? 2019 में मोदी के सामने कोई नहीं कॉन्ग्रेस 2024 की तैयारी करे।

देश ने पूर्ण बहुमत सुनिश्चित करने और राजग सरकार को बहाल करने का अपना निर्णय ले लिया है, अब इस पर कोई सवाल ही नहीं है, पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा, साथ ही साथ उसके सभी सहयोगी दल निश्चित रूप से 2014 की तुलना में अधिक सीटें जीतेंगे।

सत्तारूढ़ दल होते हुए भी, विपक्ष के साथ मिलकर काम करना एक प्रधानमंत्री के रूप में उनकी जिम्मेदारी है। “यह कॉन्ग्रेस हो या ममता या मायावती, मैं उनके साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।” उन्होंने कहा कि देश की जनता सरकार को मजबूत जनादेश और पूर्ण बहुमत देने के पक्ष में है।

कॉन्ग्रेस के झूठे वादों पर चुटकी लेते हुए पीएम मोदी ने कहा, ”वे दशकों से गरीबी की बात कर रहे हैं। नेहरू, इंदिरा, राजीव, सोनिया और अब राहुल भी ऐसा ही बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर देश के लोग विपक्ष द्वारा किए गए सभी वादों को पढ़ते हैं, तो वे खुद सहमत होंगे कि उन्हें कभी भी ये मौका नहीं दिया जाना चाहिए कि वो सरकार बनाएँ।”

अर्नब गोस्वामी ने जब उनके प्रतिद्वंद्वी पर सवाल किया तो मोदी ने कहा कि ‘मोदी बनाम ये और वो’ करना मीडिया का पुराना शगल है। इसी बात पर उन्होंने कहा कि फिलहाल तो मोदी के सामने कोई नहीं दिखता, 2024 में कोई आएगा तो देखा जाएगा।

पिछले 15 साल के सारे चुनाव और बेगूसराय का वोटिंग पैटर्न कन्हैया को बनाते हैं नंबर 3

मैंने आज तक चुनाव विशेषज्ञ तो छोड़िए अपने पंचायत का विशेषज्ञ होने का दावा नहीं किया है। उसका कारण बहुत ही सीधा है कि चुनावों के विश्लेषण में, खासकर तब जब जाति, पार्टी, क्षेत्र, वोटिंग पैटर्न, पर्सनल रुतबा, गठबंधन, विरोधी प्रत्याशी से लेकर चुनावों के पहले चैनलों के स्टूडियो से कैसी कैम्पेनिंग चल रही है, इतने सारे वैरिएबल्स होते हैं, तो गणित में कमजोर विद्यार्थी दिमाग लगाने की सोचता भी नहीं।

वैसे भी, पिछले पंद्रह सालों से तो यही देख रहा हूँ कि एक-दो सर्वे या एग्जिट पोल के अलावा, सारे गलत साबित होते हैं। जो सही भी साबित होते हैं, उनके तर्क आपको उनके सही साबित होने से पहले तक कन्विन्सिंग नहीं लगेंगे। फिर, जब कोई हार या जीत जाता है, तो उसके उलट रिजल्ट बताने वाले अभय राजनीत दूबे टाइप के विशषज्ञ आपको बताते हैं कि किस जाति या समुदाय के लोगों का वोट, पार्टी के किस नेता के किस बयान के कारण पलट गया और उसका परिणाम ऐसा आया।

यहाँ ज़मीनी वोटर इतना शातिर होता है कि आप उनसे पूछिए, “क्या चचा, किसको वोट दिए?” “दे दिए किसी को… किसी को तो दिए ही हैं।” चचा का यह जवाब सुनकर आप घूम जाएँगे। चचा ज्यादा शातिर हुए या आपने ज्यादा पूछा तो किसी भी रैंडम पार्टी का नाम लेकर निकल लेंगे। ऐसे में एग्जिट पोल के परिणामों पर विश्वास करना मूर्खता है। 

एग्जिट पोल या भविष्यवाणी करने वालों पर एक और कारण से विश्वास नहीं किया जा सकता। वह कारण है ऐसे सर्वेक्षणों के सैंपल साइज का। जहाँ पहले और दूसरे नंबर पर आने वाले प्रत्याशियों की जीत में अंतर हजार और दो हजार वोटों का रहता हो, वहाँ एक प्रतिशत मतदाता से मतदान केन्द्र के बाहर खड़े होकर पार्टी का नाम पूछकर सटीक गणना करने की बात कहना ज़्यादती है। 

अब आते हैं हमारे केस स्टडी कन्हैया कुमार पर। इस पर मैंने काफी समय से उकसाए जाने के बावजूद लिखना उचित नहीं समझा था, लेकिन अज्ञानी लोग दिल्ली में बैठकर बेगूसराय के जातीय समीकरणों पर जब ज्ञान देते हैं, तो मुझसे रहा नहीं जाता। मेरा घर बेगूसराय है, और वहाँ की राजनीति की समझ दिल्ली में बैठे फेसबुकिया बुद्धिजीवियों से थोड़ी ज़्यादा है मुझे। 

बेगूसराय से पिछले कुछ समय से भाजपा या भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। 2004, 2009, 2014 में बेगूसराय से क्रमशः जद(यू) (भाजपा से गठबंधन) से राजीव रंजन सिंह, मोनाजिर हसन और भाजपा के भोला सिंह ने संसद में जगह बनाई। अगर हाल के विधायकों की बात करें तो बेगूसराय में सात विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें से तीन पर राजद (लालू की पार्टी), दो पर कॉन्ग्रेस और दो पर जद(यू) (नितिश की पार्टी) के विधायकों ने जीत हासिल की। सातों सीटों पर भाजपा या रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा दूसरे नंबर पर रहे। यहाँ पर यह जानना ज़रूरी है कि कॉन्ग्रेस और लालू पार्टी का गठबंधन था। यानी, पाँच सीटें उनको गईं। 

नितिश की पार्टी ने भाजपा से गठबंधन नहीं किया था, उसके बावजूद दो सीटें ले आना ठीक परफ़ॉर्मन्स है। अब हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इस देश की जनता कई जगहों पर अलग तरीके से वोट करती है। मतलब यह कि एक ही समय में वोटिंग होने पर भी जनता ने विधानसभा में एक पार्टी को चुना, तो लोकसभा में दूसरी को। 

2014 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो, में नंबर एक पर रहे थे भाजपा से भोला सिंह, नंबर दो पर रहे थे राजद के तनवीर हसन, और नंबर तीन पर रहे थे सीपीआई के राजेन्द्र प्रसाद सिंह। राजेन्द्र प्रसाद सिंह से याद आया कि वामपंथियों ने 1995 में बेगूसराय से पाँच विधानसभा सीटें जीती थीं, जो 2005 में दो पर गईं, 2010 में भी दो पर ही रहीं, और 2015 में शून्य हो गईं। इसके लक्षण 2014 लोकसभा चुनावों में ही दिखे थे जब राजेन्द्र प्रसाद सिंह को तीसरी जगह मिली थी। 

राजेन्द्र प्रसाद सिंह को जानना ज़रूरी है। वो 1995 से 2010 तक बरौनी विधानसभा सीट (अब जिसका नाम तेघड़ा है) से विधायक रहे। बेगूसराय को लेनिनग्राद और मिनी मॉस्को आदि नाम नब्बे के दशक में वामपंथियों की पैठ के कारण मिला था, जिसे बेगूसराय के लोगों ने जल्दी ही पहचाना और नकारना भी शुरु कर दिया। ख़ैर, कहने का मतलब यह है कि तीन बार के विधायक रहे व्यक्ति का जनाधार भी लोकसभा और हाल के विधानसभा चुनावों में काम नहीं आया। इसी पार्टी के टिकट पर अब कन्हैया को उतारा गया है।

अब बात करते हैं बेगूसराय के वोटिंग पैटर्न की। अमूमन बिहार में लोग ये मानकर चलते हैं कि वोट जाति के आधार पर होता है। जबकि, देश का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा हो जहाँ जाति (या उसी तरह की किसी बात पर) पर वोट न होता हो। कई वेबसाइट आँख मूँदकर यह लिख देते हैं कि बेगूसराय भूमिहारों का गढ़ है, ये बस कहने की बात है। 

मुस्लिमों का प्रतिशत लगभग 13 है, और 86% हिन्दू हैं। हिन्दुओं में भूमिहार और ब्राह्मण को साथ रख दें तो वो 13-14% तक पहुँचते हैं। इसके अलावा यादवों का प्रतिशत 10 के आस-पास है, और बाकी की जनसंख्या दलित कहलाने वाली जातियों की है। ये सारे प्रतिशत (हिन्दू और मुस्लिम वाले छोड़कर) लगभग में हैं, अंतिम नहीं माने जाएँ। भूमिहारों का गढ़ इसे इसलिए कहा जाता रहा है क्योंकि यहाँ कम संख्या में होने के बावजूद राजनीति में इनकी चलती है, और इस जाति के नेता संसद और विधायक बनकर ऊपर जाते रहे हैं। इसलिए, यह सोचना कि भूमिहार वोट देकर भूमिहार को चुन लेते हैं, गलत आकलन है। 

जब यहाँ भूमिहारों की ही चलती है तो फिर मोनाजिर हसन भाजपा-जदयू के टिकट पर कैसे जीत जाते हैं? वो इसलिए कि यहाँ भूमिहार जाति नहीं, कमल का फूल (या गठबंधन रहे तो तीर छाप) पहचानता है। इसलिए, पिछले चुनावों को ध्यान में रखा जाए तो, यहाँ प्रत्याशी की जाति तभी मायने रखती है जब वो भाजपा या गठबंधन का नहीं रहे। सवर्णों यानी भूमिहार और ब्राह्मणों का वोट वामपंथियों को इसलिए नहीं जाएगा कि वहाँ भूमिहार खड़ा है, बल्कि भूमिहार दूसरे समुदाय को भी वोट देते हैं जब वो तीर छाप पर मोनाजिर हसन के नाम पर खड़ा होता है। 

मैंने ‘मुस्लिमों को भी’ लिखा है, जिसका मतलब यह है कि आमतौर पर ऐसा नहीं होता। जैसा कि मेरी ही गाँव के पंचायत में चार गाँव हैं, जिसमें एक गाँव मुस्लिमों का है, दो गाँव सिर्फ दलितों का और एक भूमिहारों का। वहाँ के चुनावों में भूमिहार कभी भी मुस्लिम प्रत्याशी को वोट नहीं देता, न ही मुस्लिम भूमिहार को। लेकिन, उसी मज़हब का उम्मीदवार कमल छाप या तीर छाप से खड़ा हो, तो भूमिहार पार्टी के प्रत्याशी को वोट देते हैं। 

इसीलिए कहते हैं कि बिहार की राजनीति थोड़ी जटिल है, उसे क्षेत्रों को हिसाब से पढ़ना चाहिए और कोई वहाँ का हो, जिसकी राजनीति में रूचि हो, तो उससे बात करनी चाहिए। हालाँकि, लोग फेसबुक पर बैठकर ही जाति के समीकरण बना लेते हैं और उन्हें न तो जाति की जनसंख्या का पता होता है, न ही इस बात का कि उस क्षेत्र में वोटिंग पैटर्न कैसा रहा है। 

आजकल हवा चल रही है कि कन्हैया कुमार के भूमिहार होने का उसको लाभ मिलेगा। जबकि, पिछले तीन सालों में जितनी बार घर गया हूँ, कन्हैया कुमार को भूमिहार होने पर, जेएनयू कांड के कारण गालियाँ ही पड़ते सुना है। ये मैं सुनी-सुनाई बात नहीं कर रहा, बल्कि लोगों के भीतरी क्षोभ की बात कर रहा हूँ जो कि एक नहीं, कई गाँवों में सुनने को मिला, “ये भूमिहार के नाम पर कलंक है! बेगूसराय से ऐसे लोग कैसे निकल गए! दिल्ली में यही सब पढ़ाता है क्या?”

बेगूसराय राष्ट्रकवि दिनकर की भूमि है। वहाँ के लोग तिरंगा और देश को लेकर हमेशा से संवेदनशील रहे हैं। बहुत लोग ऐसा सोचते हों, पर यह सत्य नहीं है कि बेगूसराय टेलिविज़न चैनल का बहुत बड़ा स्टूडियो है जहाँ कन्हैया माइक लेकर ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ बोल देंगे और बेगूसराय वाले मान लेंगे। ऐसा बिलकुल नहीं है। 

कन्हैया भाजपा के गिरिराज सिंह को दो ही सूरत में टक्कर दे सकता है। पहला यह कि राजद के तनवीर हसन (जो पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे थे) बैठ जाते और महागठबंधन कन्हैया को उम्मीदवार बनाकर उतारता। दूसरा, अभी की स्थिति में गिरिराज सिंह स्वयं ही भाजपा की हार के लिए प्रार्थना करें जैसा कि दिल्ली के विधायकों ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में किया था। 

मुस्लिम अमूमन, अगर उम्मीदवार भाजपा का न हो, तो मुस्लिम को ही वोट करता है। ये बात 2014 से तनवीर हसन के वोटों की संख्या और मुस्लिमों की जनसंख्या का प्रतिशत देखकर लगाया जा सकता है। लगभग तीस लाख की जनसंख्या वाले बेगूसराय में मुस्लिमों की आबादी लगभग चार लाख है, और वोटरों की संख्या क़रीब ढाई लाख होगी। कुल वोटर 18 लाख के लगभग हैं, जिनमें से 60% मतदान होने पर लगभग 10.8 लाख लोगों ने वोट दिया था। 

तनवीर हसन को 3,69,892 वोट मिले थे। एक तो वो राजद (लालू वाली पार्टी) के कैंडिडेट थे, और दूसरे मुस्लिम। तो उनको बेगूसराय के यादवों का भी ठीक ठाक वोट मिला और मुस्लिमों का एकमुश्त अलग से। यही कारण है कि वो दूसरे नंबर पर रहे। वहीं, भाजपा के भोला सिंह को उनसे लगभग 60,000 ज्यादा वोट मिले। नंबर तीन पर दूसरे भूमिहार कैंडिडेट वामपंथी राजेन्द्र प्रसाद सिंह रहे, जिन्हें लगभग 1,92,000 वोट मिले। 

इसके साथ ही, अगर 2009 के चुनावों को भी देखें तो पता चलता है कि वोटिंग प्रतिशत 48 रहने के बाद भी जदयू के मोनाजिर हसन और लोजपा के प्रत्याशी के वोटों को जोड़ दें तो अभी के हिसाब से भाजपा गठबंधन का वोट शेयर लगभग 34% पहुँच जाता है। वहीं वामपंथी पुरोधा शत्रुघ्न प्रसाद सिंह जो कि भूमिहारों के एक क़द्दावर वामपंथी नेता हैं, दूसरे नंबर पर 1.64 लाख वोटों के साथ थे। इसी वामपंथी पार्टी को अगले चुनावों में 1.92 लाख वोट मिले लेकिन वोट शेयर 22% से घटकर 16% हो गया। 

कहने का मतलब यह है कि पूरी दुनिया और भारत देश में वामपंथियों को वोट देने वाले लोग लगातार घट रहे हैं। कन्हैया भी उसी पार्टी के हैं, उसी जाति के हैं, लेकिन उनके पास न तो शत्रुघ्न सिंह का जनाधार है, न ही राजेन्द्र प्रसाद का जो कि अपने क्षेत्र से दशकों से से राजनीति में सक्रिय हैं। ऐसे में सिर्फ भूमिहार और युवक के नाम पर कन्हैया को कितने वोट मिलेंगे, वो देखने वाली बात है। मेरे हिसाब से लाख का आँकड़ा छूना भी एक चुनौती होगा। 

अब इसमें भोला सिंह की जगह भाजपा के ही गिरिराज सिंह को ले आइए, राजद से इस बार भी तनवीर हसन ही लड़ रहे हैं, और वामपंथ ने तीन बार के विधायक और ठीक-ठाक जनाधार वाले नेता की जगह नवयुवक कन्हैया को आगे किया है। वामपंथ के पहले भी प्रत्याशी भूमिहार ही थे, और इस बार भी कम्युनिस्ट होने के बावजूद अपनी भूमिहार का दावा करने वाले भूमिहार कन्हैया कुमार ही हैं। 

मैंने आपके सामने इतने आँकड़े रख दिए। आपको वोटिंग पैटर्न बता दिया। आपको जाति और मज़हब की बात बता दी। कब, कौन जीता यह भी बता दिया। जनसंख्या बता दी, प्रतिशत बता दिया। अब, जब आपसे कोई कहे कि असली टक्कर तो तनवीर हसन और कन्हैया में है तो उनसे कहिए कि लालू के पैर छूने वाले कन्हैया को राजद ने इतना दूर कैसे कर दिया कि असली टक्कर लगाने लगे दोनों?

फिर इनसे पूछिए कि क्या वो बेगूसराय गए कभी या फिर टीवी देखकर (जिस पर बेगूसराय के नाम से सीरियल भी आता है जिसमें वहाँ राजपूतों का वर्चस्व दिखाया गया है, जिनका प्रतिशत शायद दशमलव के बाद शून्य लगाने पर आता हो) पता करते हैं कि बेगूसराय भूमिहारों का गढ़ है और गिरिराज सिंह नाराज हैं, और भूमिहारों का वोट बँट जाएगा! 

भूमिहारों का वोट बँटता नहीं, भाजपा को जाता है। बँटने के बाद भी भाजपा के लिए इतना रहता है कि वो किसी को भी खड़ा कर दे, वो जीत जाते हैं। जो लोग गिरिराज सिंह की नाराज़गी में कहानी ढूँढ रहे हैं, उन्हें ध्यान रखना चाहिए वो सरकार में मंत्री हैं। रूठने पर भी, समझदार और दूरदर्शी आदमी स्थिति का जायज़ा लेता है। खासकर वह आदमी जो सत्ता में हो, वो सत्ता में होना चाहता है। वरना गिरिराज सिंह भी शत्रुघ्न सिन्हा बनकर राहुल गाँधी के बहुमुखी नेतृत्व में नवादा से चुनाव लड़ रहे होते। मुझे बेहतर पता है कि गिरिराज सिंह मेरे गाँव में होने वाले मृतक भोज से लेकर वैवाहिक कार्यक्रमों में तीन साल से कैसे आते हैं। 

इसलिए, जब कोई यह कहता है कि असली टक्कर तो राजद के तनवीर हसन और कन्हैया कुमार में है, वो फेसबुक पर ही चुनावों का विश्लेषण करता है, फेसबुक पर ही सरकार बनाता है, फेसबुक पर ही सरकार को कोसता है, और फेसबुक पर ही अपने नागरिक होने की ज़िम्मेदारी भी निभाता है। अगर, राजद अपने प्रत्याशी को बिठा दे, जो कि करने से रही, तो भी कन्हैया कुमार के लिए जीतना तो छोड़िए, अपनी पार्टी के दो लाख वोटों का आँकड़ा छूने में भी कम से कम लाख वोटों का अंतर रहेगा ही।