कॉन्ग्रेस पार्टी ने पाकिस्तान द्वारा हिरासत में लिए गए भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनन्दन वर्तमान का अपमान करते हुए उन्हें पाकिस्तानी झंडे के साथ दिखाया। दरअसल, समाचार एजेंसी बीबीसी ने भारतीय पायलट अभिनन्दन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए एक कार्टून बनाया। इस कार्टून में एक तरफ़ विंग कमांडर अभिनन्दन हैं तो दूसरी तरफ पीएम मोदी। मोदी के पीछे भाजपा का झंडा लगा है जबकि अभिनन्दन के पीछे पाकिस्तान का झंडा लगा है। कॉन्ग्रेस नेता और विवादों की मलिका प्रियंका चतुर्वेदी ने अभिनन्दन का अपमान करते हुए इस कार्टून को शेयर किया।
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी पाकिस्तानी झंडे और इमरान ख़ान का प्रचार-प्रसार करने में व्यस्त हैं। प्रियंका चतुर्वेदी पहले भी ऐसे ट्वीट्स कर चुकी हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने प्रियंका गाँधी की रैली में आसमान से भीड़ उतार दी थी। हाल ही में उन्होंने चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर उनके नाम के साथ भगत सिंह की फोटो शेयर की थी।
While at one end because of the might of Indian Army & Diplomatic capital built by Indian PM,the World stands with India ..on the other end I see no reason as to why the @INCIndia should be busy promoting the Pakistan Flag & their PM This is disgusting & depressive! pic.twitter.com/7Gd4D1h5B6
प्रियंका चतुर्वेदी द्वारा भारतीय विंग कमांडर का अपमान किए जाने के बाद लोगों ने उनकी जम कर क्लास लगाई। अंकित जैन ने प्रियंका से पूछा कि क्या यह किस तरह का मज़ाक है?
यो यो फनी सिंह ने प्रियंका को फटकार लगाते हुए कहा कि यह ट्वीट मोदी के प्रति नहीं बल्कि देश के प्रति उनकी घृणा को दिखाता है। उसने कहा कि पाकिस्तान इस ट्वीट को ज़ल्द ही लपक लेगा। ज्ञात हो कि हाल ही में पाकिस्तान ने राहुल गाँधी सहित अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा मोदी के ख़िलाफ़ दिए गए बयान का अपने पक्ष में इस्तेमाल किया था।
The way I see WC Abhinandan’s caricature with ‘Sewak’ and Pakistan’s flag in the background.. it’s more like Hate for India via Hate for Modi and who better to display it brazenly but Congress. Wait till this is picked up Pakistani media. Never fail to shame us. Well done.
पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इस एयर स्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। पाकिस्तान की इस हिमाकत के दौरान भारत ने उसके एक एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया। इसके बाद पाकिस्तान ने एक भारतीय पायलट को अपने हिरासत में ले लिया। पाकिस्तान द्वारा यूट्यूब पर पोस्ट किए गए वीडियो काफ़ी वायरल हुए। इन वीडियो में भारतीय पायलट को पाकिस्तान के हिरासत में दिखाया गया था। इन वीडियो में दिखाया गया था कि कैसे पाकिस्तानी सेना उन्हें हिरासत में ले रही है।
हमें शिकायतें मिली थीं, कल एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई थी, जहां पाकिस्तान की तरफ से विंग कमांडर(अभिनंदन) का अपनामजनक विडियो यूट्यूब पर अपलोड किया जा रहा था। हमने यूट्यूब को इसके लिए एक नोटिस भेजा, उन्होंने यूट्यूब से ऐसे 11 विडियो को हटाया: रविशंकर प्रसाद
भारत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए न सिर्फ़ पाकिस्तान बल्कि यूट्यूब पर भी कड़ा रुख़ अपनाया है। पाकिस्तान द्वारा ये वीडियो पोस्ट करने को भारत ने ‘जेनेवा कन्वेंशन’ का उल्लंघन बताया। ताज़ा ख़बरों के अनुसार, भारतीय पायलट को आज शुक्रवार (मार्च 1, 2019) को वाघा बॉर्डर से वापस भारत भेजा जाएगा। सरकार ने यूट्यूब को नोटिस दिया है। यूट्यूब सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कड़ी चेतावनी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा:
“भारतीय लोकतंत्र अभिव्यक्ति और विचारों की स्वतंत्रता का सम्मान करता है, लेकिन वर्तमान स्थिति के मद्देनज़र हम सोशल मीडिया कंपनियों से उम्मीद करते हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके प्लेटफार्म पर ऐसे वीडियो डालने की अनुमति न दी जाए जो देश के मनोबल को कमज़ोर करने के लिए तैयार किए गए हैं। सरकार उम्मीद करती है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अधिक ज़िम्मेदारी से काम करेंगे और ऐसे मुद्दों से तत्काल आधार पर निपटेंगे।”
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोशल मीडिया कंपनियों को यह साफ़ कर दिया है कि देश का मनोबल तोड़ने वाले कोई भी कार्य बर्दाश्त नहीं किए जाएँगे। ख़बरों के अनुसार, यूट्यूब की पेरेंट कम्पनी गूगल के प्रवक्ता ने इस बाबत बयान देते हुए कहा:
“कंपनी प्राधिकारियों से मिले वैध क़ानूनी अनुरोध पर जितनी ज़ल्दी संभव होगा, कार्रवाई करेगी। कंपनी इस तरह की सामग्री हटाने का काम तेज़ी से करती है। यह हमारी दीर्घकालीन नीति का हिस्सा है। सरकार के अनुरोध पर संबंधित सामग्री को गूगल की सेवाओं से हटा दिया गया है और इसे जल्द ही हमारी पारदर्शिता रिपोर्ट में भी अपडेट किया जायेगा।”
भारत सरकार सोशल मीडिया की आजादी की पूरी पक्षधर है, सोशल मीडिया का लोग उपयोग करें हम उसका सम्मान करते है, लेकिन सोशल मीडिया का प्लेटफॉर्म देश के अंदर की ताकत को कमजोर करने के रूप में नहीं दुरुपयोग होना चाहिए: केंद्रीय मंत्री @rsprasadpic.twitter.com/L9sNKqmKBt
भारत सरकार के नोटिस पर कार्रवाई करते हुए यूट्यूब ने ऐसे 11 वीडियो हटा दिए। इन वीडियोज़ के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोगों से इस से सम्बंधित ट्रेंड कराने शुरू कर दिए थे।
पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान पर की गई एयरस्ट्राइक पर गुरुवार (फरवरी 28 2019) को तीनों सेनाओं (वायु सेना, थल सेना, नौसेना) के प्रमुखों ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन से मुलाकात की। भारतीय पॉयलट को पाकिस्तान द्वारा पकड़ लिए जाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। पूरे मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी मंत्री की जगह सेनाधिकारियों द्वारा संबोधित किया गया।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई प्रकार के खुलासे हुए। भारत ने उन सबूतों को सामने रखा जो इस इसे साबित करते हैं कि इस्लामाबाद द्वारा किया गया दावा पूर्ण रूप से झूठा है। दरअसल, जिस एफ-16 को मार गिराने के चक्कर में हमारा पायलट पाकिस्तान पहुँच गया उस एयरक्राफ्ट के बारे में इस्लामाबाद ने कहा है कि उन्होंने एयरस्ट्राइक के लिए एफ-16 का प्रयोग नहीं किया। लेकिन, गुरुवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान का यह झूठ भी बेनकाब हुआ।
पाकिस्तान ने F-16 का इस्तेमाल किया इसे साबित करने के लिए भारत द्वारा बताया गया कि जिस मिसाइल से भारत की सीमा में घुस कर अटैक करने की कोशिश की गई वो सिर्फ F-16 से ही संभव है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में AMRAAM मिसाइल का टुकड़ा दिखाया गया, यह वो मिसाइल है जिससे पाकिस्तान ने अटैक किया था। सेना के प्रवक्ताओं ने बताया कि ये मिसाइल सिर्फ F-16 से ही फायर की जा सकती है। पाकिस्तान के पास और दूसरा कोई ऐसा विमान नहीं है जिससे इस मिसाइल को फायर किया जा सके।
AMRAAM मिसाइल के टुकड़े राजौरी में भारतीय सरहद के भीतर पाए गए हैं। इसके अलावा इलैक्ट्रॉनिक सिग्नेचर के जरिए भी यह पता लगाया गया कि वह एफ-16 विमान था।
बता दें कि अमेरिका के सामने एफ-16 लड़ाकू विमान के इस्तेमाल को लेकर यह सबूत काफी महत्वपूर्ण है, जिसने इसे इस्लामाबाद को बेचा था। जो उसे इस तरह की आक्रामक कार्रवाई की इजाजत नहीं देता है। दरअसल अमेरिका ने पाकिस्तान को यह विमान आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए दिया था लेकिन पाकिस्तान ने इसके इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ किया है।
उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिला स्थित चुनार में एक मस्ज़िद के इमाम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर न सिर्फ़ भद्दी टिप्पणी की बल्कि उनकी कई फोटो को भी आपत्तिजनक रूप से एडिट कर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। वो खुद को ‘इस्लामिक स्कॉलर’ बताता है। सोशल मीडिया पर उसके द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी को लेकर लोगों ने उसका विरोध किया। लोगों द्वारा मना किए जाने व विरोध दर्ज कराने के बावजूद इमाम ने वो पोस्ट हटाने से मना कर दिया। बाद में थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया है। इमाम का नाम आबिद अली हुसैन है।
ख़बरों के अनुसार, पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान पर किए गए एयर स्ट्राइक के खिलाफ इस व्यक्ति ने कई आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट की थीं, जो कि भद्दी और अश्लील होने के साथ प्रधानमंत्री मोदी के चरित्र तक उँगली उठा रही थीं। ये तस्वीरें किसी सॉफ़्टवेयर की मदद से मैनिपुलेट की गई थीं।
इस मामले को लेकर चुनार पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है। उसने पीएम मोदी का अपमान करने के लिए उनकी फोटो को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की फोटो के साथ एडिट कर फेसबुक पर पोस्ट किया। उसने एक के बाद एक ऐसी कई भद्दी फोटोज शेयर की। मूल रूप से बिहार का रहने वाला इमाम आबिद पर निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है:
आईपीसी की धारा 153 ए (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, और सद्भाव बनाए रखने के ख़िलाफ़ पूर्वाग्रहपूर्ण कार्य करना।)
295 ए (जानबूझकर किया गया दुर्भावनापूर्ण कृत्य।)
किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाने के उद्देश्य से, उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना।
505 (सार्वजनिक उपद्रव को बढ़ावा देने वाला बयान देना।)
“मिर्जापुर: भारत ने पीओके में आतंकियों पर की कार्यवाई तो गुस्से में पीएम मोदी को फेसबुक पर गाली लिखने लगा मस्जिद का इमाम, गिरफ्तार।
जलालपुर माफी गांव स्थित एक मस्जिद मे इमाम मो. आबिद हुसैन पर 153-A, 295, 502 के तहत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गय… https://t.co/PzArds1ehA“
27 वर्षीय इमाम आबिद के ख़िलाफ़ चुनार थाने में भाजपा जिला युवा मोर्चा के अध्यक्ष मोहन यादव व अन्य की शिकायतों के बाद ये मामले दर्ज किए गए। आबिद को एफआईआर फाइल होने के तुरंत बाद गिरफ़्तार कर लिया गया। वह लगभग एक दशक पूर्व बिहार से मिर्ज़ापुर आ कर बस गया था। उसे 2012 में जलालपुर गाँव स्थित मस्ज़िद का इमाम बनाया गया था।
उधर एक अन्य मामले में बाराबंकी के एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को भी पुलवामा हमले को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के कारण उसके पद से ससपेंड कर दिया गया। उसने एक व्हाट्सएप्प ग्रुप के माध्यम से यह ओछी हरकत की थी। इस बारे में विशेष जानकारी देते हुए शिक्षाधिकारी वीपी सिंह ने कहा:
“बड़वन के सरकारी प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर सुरेंद्र कुमार ने मंगलवार रात को एक व्हाट्सएप ग्रुप में पुलवामा हमले को लेकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। बुधवार को मुझे जानकारी मिली और संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) को इस पर गौर करने के लिए कहा गया। बीईओ द्वारा उसे (हेडमास्टर को) दोषी पाए जाने के बाद हमने यह कार्रवाई की।”
पुलवामा में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत की दंडात्मक कार्यवाही के बाद अनुच्छेद 35-A और 370 को हटाने को लेकर बहुत सी बातें कही जा रही हैं। इन दोनों विवादास्पद अनुच्छेदों को हटाने के पक्ष, विपक्ष और कठिनाईयों के बारे में लेख पर लेख प्रकाशित किए जा रहे हैं।
बहुत से विचार पढ़ने के बाद यही समझ में आता है कि अधिकांश जानकारों और लेखकों ने अपने हिसाब से अनुच्छेद 35-A की व्याख्या की और अपनी धारणा को स्थापित करने के लिए तर्क प्रस्तुत किए लेकिन तथ्यों को सही प्रकार सामने नहीं रखा। अनुच्छेद 35-A को हटाना कितना आवश्यक है यह समझने के लिए इसके औचित्य और उत्पत्ति को समझना होगा। अनुच्छेद 35-A की उत्पत्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में निहित शक्तियों में है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 से अधिक विवादित कोई अन्य अनुच्छेद कभी नहीं रहा। अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर जितना विवाद है उससे अधिक इसकी गलत व्याख्या की जाती रही है। इस अनुच्छेद की व्याख्या में अनर्गल तर्क देने वाले बुद्धिजीवी यहाँ तक कहते रहे हैं कि 370 ‘कश्मीर को असाधारण स्वायत्तता’ प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त यह भी कहा जाता है कि 370 ‘कश्मीर को विशेष राज्य’ का दर्ज़ा देता है।
इस प्रकार के तर्क अपने आप में कितने हास्यास्पद हैं इसकी पड़ताल करने के लिए संविधान को पढ़ना आवश्यक है। भारतीय संविधान के भाग-21 में ‘Temporary, Transitional and Special Provisions’ के अंतर्गत अनुच्छेद 370 एक ‘अस्थाई’ (temporary) प्रावधान है। अपने मौलिक स्वरूप में यह अनुच्छेद संख्या ‘306-ए’ था जब इसे संविधान सभा में लाया गया था। वह 17 अक्टूबर 1949 का दिन था जब अनुच्छेद 306-ए को गोपालस्वामी आयंगर चर्चा के लिए संविधान सभा में लेकर आए थे।
गोपालस्वामी आयंगर इस अनुच्छेद को क्यों लेकर आए थे इसपर हम लेख में आगे बात करेंगे। फ़िलहाल यह समझें कि जब संविधान बनकर तैयार हो गया था तब भाग-21 में ‘Temporary’ और ‘Transitional’ शब्द ही थे। ‘स्पेशल’ शब्द तेरहवें संशोधन से 1962 में जोड़ा गया था। इस दृष्टि से किसी राज्य के लिए जिन्हें विशेष (special) प्रावधान कहा जाना चाहिए वह तो अनुच्छेद 371 (A से लेकर I तक) है जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर पूर्वी राज्य, गोवा और आंध्र प्रदेश के विकास के लिए तमाम प्रावधान किए गए हैं। यदि जम्मू कश्मीर एक अस्थाई अनुच्छेद 370 को लेकर किसी ‘विशेष’ दर्ज़े का दावा कर सकता है तो अनुच्छेद 371 A-I तक में विशेष राज्य का दर्ज़ा पाने वाले राज्यों को तो भारत से अलग ही हो जाना चाहिए।
स्वायत्तता की बात करें तो जम्मू कश्मीर राज्य को लेकर विगत 70 वर्षों में शब्दों की गजब बाजीगरी की गई है। हमेशा ‘कश्मीर’ की स्वायत्तता की बात की जाती है जबकि राज्य का नाम ‘जम्मू और कश्मीर’ है। पूरे जम्मू कश्मीर राज्य में जम्मू, कश्मीर घाटी, मीरपुर, मुज़फ्फ़राबाद, गिलगित, बल्तिस्तान, सियाचिन, शक्सगाम घाटी, लेह और लदाख का क्षेत्र सम्मिलित है।
यह सच है कि गिलगित-बल्तिस्तान और मीरपुर-मुज़फ्फ़राबाद के क्षेत्र पर पाकिस्तान का अनधिकृत कब्जा है और चीन का भी जम्मू कश्मीर राज्य के एक बड़े भूभाग पर कब्जा है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम जब भी बात करें तो कश्मीर की बात करें और बाकी क्षेत्रों का नाम भी न लें। कश्मीर घाटी की जनसंख्या भले ही अधिक है लेकिन इसका क्षेत्रफल पूरे जम्मू कश्मीर राज्य की तुलना में बहुत कम है। फिर भी 70 वर्षों तक इस क्षेत्र ने समूचे जम्मू कश्मीर राज्य की राजनीति और उससे उपजे अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण को गढ़ा है।
अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर राज्य को स्वायत्तता प्रदान करता है या नहीं इसे समझने के लिए भारत स्वाधीनता अधिनियम (India Independence Act 1947) और उस अधिमिलन पत्र (Instrument of Accession) को देखना होगा जिस पर महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को हस्ताक्षर किए थे। भारत स्वाधीनता अधिनियम के अनुसार दो डोमिनियन बनने थे- इंडिया और पाकिस्तान। लगभग साढ़े पाँच सौ रियासतों में से कुछ सबसे बड़ी रियासतों को अधिमिलन पत्र के द्वारा इंडिया और पाकिस्तान में से किसी एक को चुनने का अधिकार दिया गया था।
आज ऐसा भ्रम फैलाया जाता है कि रियासतों को तीन विकल्प दिए गए थे जिनमें स्वतंत्र रहने का विकल्प भी था लेकिन यह सत्य नहीं है। रियासतों को भारत और पाकिस्तान इन्हीं दो डोमिनियन में से एक को चुनना था वह भी इस शर्त पर कि रियासत जिस डोमिनियन में जा रही है उसकी सीमा उस डोमिनियन से लगनी चाहिए। इसी शर्त के चलते हैदराबाद पाकिस्तान का भाग नहीं बन पाया और बलूचिस्तान भारत में सम्मिलित नहीं हो पाया।
जम्मू कश्मीर की स्वायत्तता को लेकर एक भ्रम यह भी फैलाया जाता है कि भारत में जम्मू कश्मीर राज्य का विलय पूर्ण रूप से नहीं हुआ था। इसके पीछे तर्क दिए जाते हैं कि राजा द्वारा अधिमिलन पत्र में तीन विषय ही सरेंडर किए गए थे- रक्षा, विदेश मामले और संचार। यह तर्क पूरी तरह से गलत है क्योंकि महाराजा हरि सिंह ने केवल अधिमिलन पत्र पर ही हस्ताक्षर नहीं किए थे बल्कि उन्होंने स्टैन्ड्स्टिल एग्रीमेंट (Standstill Agreement) पर भी हस्ताक्षर किए थे जिसमें उन्होंने रक्षा, विदेश मामले और संचार के अतिरिक्त भी बाकी सारे विषय भारत को सरेंडर कर दिए थे।
इसके साथ ही 25 नवंबर 1949 को महाराजा हरि सिंह के पुत्र और जम्मू कश्मीर राज्य के रीजेंट कर्ण सिंह ने आधिकारिक घोषणा कर भारतीय संविधान को स्वीकार किया था। अर्थात 26 नवंबर को भारत की संविधान सभा द्वारा संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित तथा आत्मार्पित करने से एक दिन पहले जम्मू कश्मीर राज्य ने भारतीय संविधान को अपनाया था।
इन तथ्यों से मुँह फेरकर यह कहना कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्ज़ा देता है और यह कश्मीरियों का अधिकार है और इसके आधार पर जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष और स्वायत्त राज्य बताना वामपंथी गिरोह की चालबाज़ी है और कुछ नहीं। अब सवाल यह उठता है कि यदि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर राज्य को भारत से अलग नहीं करता तो इसे लेकर इतना विवाद क्यों है? इसकी पड़ताल के लिए हमें पुनः 17 अक्टूबर 1949 के दिन संविधान सभा में गोपालस्वामी आयंगर द्वारा दी गई दलीलों को देखना होगा।
उस दिन संविधान सभा में गोपालस्वामी आयंगर ने जब अनुच्छेद 306-A (जो बाद में 370 कहलाया) प्रस्तुत किया तब उनसे इसके औचित्य पर सवाल किए गए। इस पर आयंगर ने जो उत्तर दिया वह ग़ौर करने लायक है। आयंगर ने कहा कि चूँकि जम्मू कश्मीर राज्य में युद्ध की स्थिति है और राज्य के एक बड़े हिस्से पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है इसलिए भारत का संविधान जस का तस पूरा वहाँ लागू नहीं किया जा सकता इसलिए जैसे-जैसे राज्य की स्थिति सामान्य होती जाए वैसे-वैसे संविधान के प्रावधान एक-एक कर के वहाँ लागू किए जाने चाहिए।
इस प्रकार अनुच्छेद 370 में यह लिखा गया कि जम्मू कश्मीर राज्य में भारतीय संविधान का केवल अनुच्छेद 1 लागू होगा और बाकी प्रावधान समय-समय पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा कुछ परिवर्तन और अपवादों सहित लागू किए जाएँगे। इस प्रकार भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के 200 से अधिक अनुच्छेद और अन्य प्रावधानों को संवैधानिक आदेश (Constitution Order) द्वारा जम्मू कश्मीर राज्य में लागू किया है।
लेकिन आज भी भारत के बहुत से ऐसे कानून हैं जो जम्मू कश्मीर में लागू नहीं हुए हैं जिसके लिए केंद्र की पूर्ववर्ती सरकारें ज़िम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए भारतीय दण्ड संहिता (IPC) जम्मू कश्मीर में लागू नहीं है, इसके स्थान पर राजाओं के जमाने का रणबीर पीनल कोड लागू है। अनुच्छेद 370 की आड़ में कुछ ऐसे भी संवैधानिक आदेश लागू किए गए जिनके कारण अनुच्छेद 35-A जैसे असंवैधानिक प्रावधान जोड़े गए। नेहरू और इंदिरा ने 370 की आड़ में शेख अब्दुल्ला से विभिन्न करार किए जिनकी न कोई वैधानिकता थी न ज़रूरत। उन्हीं करारों के चलते जम्मू कश्मीर राज्य को अलग झंडा और न जाने क्या-क्या दे दिया गया जिसके कारण बाद के सालों में अलगाववाद को हवा मिली। भारत के विभाजन के समय जनता की राय लेने जैसी कोई शर्त नहीं रखी गई थी। केवल राजा को ही यह तय करना था कि वह अपने राज्य सहित किस डोमिनियन में जाएगा। फिर भी आज तक कश्मीरी जनता के जनमत संग्रह की बात की जाती है।
इन सब विसंगतियों के लिए तत्कालीन सरकारें ज़िम्मेदार हैं। ऐसा भी नहीं है कि अनुच्छेद 370 को हटाया नहीं जा सकता। यह भारतीय संविधान का एकमात्र अनुच्छेद है जिसमें इसके हटाने के प्रावधान भी लिखे हैं। अनुच्छेद 370 के क्लॉज़ 3 में लिखा है कि राष्ट्रपति इसे जम्मू कश्मीर की संविधान सभा से सलाह लेकर कभी भी हटा सकता है।
जम्मू कश्मीर की संविधान सभा तो अब रही नहीं इसलिए भारत की संसद इसे हटा सकती है क्योंकि 370 संविधान का एक अनुच्छेद है और संसद द्वारा संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 368 में उल्लिखित है। उच्चतम न्यायालय ने केशवानंद भारती के केस में यह निर्णय दिया था कि संविधान के मौलिक ढाँचे के अलावा संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है।
उच्चतम न्यायालय ने 2016 के अपने निर्णय में भी यह कहा है कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर राज्य को भारतीय संविधान से बाहर किसी भी प्रकार की स्वायत्तता प्रदान नहीं करता। सन 1964 में संसद में 370 के दुष्परिणामों को लेकर दस घंटे बहस हुई थी जिसमें इस अनुच्छेद को हटाने को लेकर पूरी संसद एकमत थी लेकिन तत्कालीन राजनैतिक नेतृत्व में इतना हौसला नहीं था कि इसे हटा सके। इस अनुच्छेद को लेकर न्यायालय में कई मामले लंबित हैं जिनपर पड़ने वाली तारीखों में क़ानूनी दाँवपेंच खेले जाते हैं और जानबूझकर 370 को बरकरार रखने के प्रयास किए जाते हैं जबकि इस अनुच्छेद की आयु और औचित्य दोनों पूरे हो चुके हैं।
आखिरकार पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के पायलट को भारत को वापस सौंपने की बात कर दी है। मीडिया का ‘क्यूट तंत्र’ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को मसीहा साबित करने में जुट चुका है। सागरिका घोष तो जज्बातों में इतना बह गई कि इमरान खान की घोषणा के अगले ही पल ट्वीटकर अपनी वैचारिक विकलांगता का प्रमाण दे डाला, जो यह साबित करता है कि वो किसी लोकतंत्र, सेना या सिपाही की लड़ाई नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ अपनी विचारधारा को श्रेष्ठ साबित करने की जंग लड़ रही है।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि आख़िरकार साबित हो गया कि लिबरल्स की देशभक्ति ‘मस्कुलर राष्ट्रवाद’ से ऊपर है। वो ये ट्वीट करने के लिए 2 दिन भी रुक गई यही बड़ी बात मानी जानी चाहिए। उन्हें पढ़ने वालों के लिए ये सुकून देने वाली बात होती अगर वो एक बार भी पाकिस्तान की तरफ से रोजाना दोहराई जाने वाली आतंकवादी घटनाओं के साथ-साथ हाफ़िज़ सईद पर भी कार्रवाई करने की अपील करते।
वहीं NDTV की एक पत्रकार ने आज शाम ही ट्वीट कर जेनेवा संधि पर बात करने वालों का मजाक बनाते हुए लिखा है, “कल से भक्तों को गूगल पर जेनेवा संधि सर्च करते हुए देखकर मजा आ रहा है।” ऐसे लोग पत्रकारिता में स्थापित होकर बैठे हैं, ये बात सबसे ज्यादा चौंका देने वाली है। इसका सीधा सा जवाब ये हो सकता है कि ‘भक्त’ प्रॉपेगैंडा से ज्यादा अपने सैनिकों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं इसलिए वो हर संभावना के प्रति आशावान हैं।
Lovely to see bhakts googling “Geneva Convention” since yesterday.
कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के प्रेस में दिए गए ‘शान्ति वार्ता के प्रयास’ के बयान पर तमाम मीडिया गिरोह कल से ही स्खलित हुए जा रहा था। मीडिया गिरोह का नाम लेते ही अगर आपके दिमाग में तुरंत बरखा दत्त, सागरिका घोष जैसे पत्रकारिता के नाम पर कलंकों के नाम स्वतः स्मरण हो आते हैं, तो आप एकदम सही खेल रहे हैं।
ये वही मीडिया का समुदाय विशेष है जो जैश-ए-मोहम्मद द्वारा प्रायोजित फिदायीन हमले में 40 भारतीय सैनिकों की निर्मम हत्या के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज करता है कि आखिर 56 इंच अब क्यों चुप है उसे पाकिस्तान पर करने में क्या समस्या आ रही?
इसके कुछ ही दिन बाद जब सेना अपने रौद्र रूप में आकर जवाबी कार्रवाई में इन्हीं आतंकवादियों के अड्डों को तबाह करने की बात कहती है तो पहले यह सबूत माँगता है और उसके बाद दुहाई देता है कि नरेंद्र मोदी का यह हिंसक तरीका सही नहीं है। आतंकवादियों के लिए इनके मन में अचानक से ममता फूट पड़ती है।
फिर 2 दिन बाद अपने 300-400 लाडले आतंकवादियों की मौत से बौखलाया पाकिस्तान अपनी औकात में आकर भारतीय सेना में घुसकर उधम मचाने का प्रयास करता है और दावा करता है कि एक भारतीय पायलट उनकी कैद में है। भारत का यही बिन पेंदी का मीडिया गिरोह एक बार फिर सक्रिय होकर नरेंद्र मोदी को निशाना बनाकर शान्ति और सहिष्णुता की माला जपना शुरू कर देता है। इसके बाद यह मीडिया तंत्र वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक को ‘नरेंद्र मोदी का अहंकार और चुनाव जीतने की लालसा’ बताता है।
हक़ीक़त ये है कि समाज और मीडिया अपनी संवेदनशीलता खो चुका है। अपने मुद्दे इस कारण से नहीं चुनता है कि ये वाकई में कहना सही या गलत होगा बल्कि इस वजह से चुनता है कि किस के विरोध में अपने अजेंडा को दिशा देनी है।
अक्सर भारतीय मीडिया तंत्र का एक बेहद बड़ा वर्ग ‘सत्संग’ और अपने ‘ताकतवर आदर्श लिबरल’ होने के नाम पर पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम करने दिए जाने की वकालत करता नजर आता है। यह मुद्दा कभी राहत फ़तेह अली खान की वजह से गर्माता है तो कभी किसी अन्य पाकिस्तानी कलाकार की वजह से। इन आदर्श लिबरलों का मानना हमेशा यही रहा है कि ‘कला’ की सीमा नहीं होती है।
मजे की बात ये है कि कल भारतीय वायुसेना के पायलेट अभिनन्दन की तस्वीरें मीडिया में आने के बाद से ही, वही पाकिस्तान के भिखारी कलाकार भारतीय सेना पर अभद्र टिप्पणियाँ करते हुए अपनी कुंठा खुलेआम व्यक्त कर रहे हैं। उन्हीं में से एक नाम है वीणा मालिक का जो भारतीय TV सीरियल बिग बॉस में आ चुकी हैं। वो लगातार अपने ट्वीट के जरिए बॉलीवुड से लेकर भारतीय सेना को निशाना बना रही है।
क्या ये सिर्फ एक संयोग है कि वीणा मलिक उन्हीं लोगों का मजाक बनाते देखी गई जिन्हें अक्सर हमारे देश की ‘मीडिया का समुदाय विशेष’ अपना निशाना बनाता है? जैसे कंगना रानौत, अक्षय कुमार और निःसन्देह, भारतीय सेना। वास्तव में यह सिर्फ मामला वीणा मलिक जैसी वाहियात हस्तियों के बारे में नहीं बल्कि इनके उन प्रशंसकों को लेकर है जो इस सबके बावजूद इनके लिए अपने दिल में अलग जगह रखते हैं।
इनकी वकालत करने वाले लोग वही हैं जो अपने सैनिकों की चिंता करने वालों को ‘भक्त’ कहते हैं। सस्ती लोकप्रियता और चर्चा में बने रहने के लिए अक्सर TV कलाकार और मीडिया तंत्र इस तरह की हरकत करता हुआ आए दिन नजर आता है। वरना यह मात्र संयोग तो नहीं हो सकता है कि राजदीप सरदेसाई से लेकर बरखा दत्त और सागरिका घोष हर सुबह उठते ही जनता की गालियाँ सुनकर हैं। स्पष्ट है कि ये लोग सिर्फ चर्चा में बने रहने की लालसा के कारण ऐसा करते हैं, जिनका कि वास्तविक मुद्दे से कोई लेना देना नहीं होता है।
पुलवामा आत्मघाती हमले के बाद से भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज की है। इसमें कई ऐसे बड़े क़दम शामिल हैं जिनसे ये स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री की अगुआई में चल रही केंद्र सरकार बड़ी ही मुस्तैदी के साथ पाकिस्तान को जवाब देने की जुगत में है।
अपने इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी आज विज्ञान भवन में शांति स्वरूप भटनागर प्राइज के लिए पहुँचे। वहाँ उन्होंने अपने संबोधन में सीधे और सरल शब्दों में कहा कि अभी-अभी एक पायलट प्रोजेक्ट पूरा हुआ है जो एक प्रैक्टिस थी, लेकिन रियल अभी बाक़ी है। उनके इन शब्दों को अगर एक फ़िल्मी डॉयलॉग से जोड़कर देखें तो वो ये होगा, ‘ये तो ट्रेलर था, लेकिन पिक्चर अभी बाक़ी है’। पीएम मोदी के संबोधन में छिपा संदेश पाकिस्तान के लिए था जिसमें पायलट प्रोजेक्ट का ज़िक्र हाल ही में की गई एयर स्ट्राइक के लिए था और पूरी तरह से सबक सिखाने का मतलब रियल एक्शन से है। यानि अगर आतंकवाद को पालने वाले अपनी हरक़त से बाज नहीं आए तो उसका ख़ामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहे पाकिस्तान।
आज यह बात सभी जानते हैं कि आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है न सिर्फ़ भारत के लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी। इसमें एक बात तो सर्वविदित है कि पाकिस्तान आतंकवाद को न सिर्फ़ पनाह देता है बल्कि अपनी छत्रछाया में आतंकियों को फलने-फूलन के पूरे अवसर भी उपलब्ध कराता है। पाकिस्तान का यह डर ही था कि उसने भारत के डर से LOC के पास से आतंकियों के लॉन्च पैड्स खाली करा लिए थे। 26 फ़रवरी को भारत की ओर से हुए एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने अपने गढ़ में छिपे आतंकवादियों को रावलपिंडी से बहावलपुर में छिपने का रास्ता दिखाया, ये भी पाकिस्तान के थर्रा जाने का साक्षात दर्शन है।
पुलवामा हमले के दौरान 40 भारतीय जवानों के हिस्से आई वीरगति समूचे देश के लिए अविस्मरणीय है। अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए भारत की ओर से प्रतिक्रियात्मक गतिविधियों में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति को स्पष्ट कर दिया। सत्ता पर आसीन होते ही पीएम मोदी ने देश-दुनिया को यह चेता दिया था कि सीमापार से संचालित आतंकी गतिविधियों के ख़िलाफ़ हमारी नीति और नीयत दोनों स्पष्ट हैं।
14 फरवरी को पाकिस्तान के छद्म वार की जहाँ देश और दुनिया में कड़ी आलोचनाएँ हुईं वहीं भारत के प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया था कि पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले दुनिया के किसी भी कोने में नहीं छिप सकते, उनका बच पाना नामुमकिन है।
#WATCH PM Modi says, “Main aatanki sangathanon ko kehna chahta hun ki woh bahut badi galti kar chuke hain, unko bahut badi kemaat chukani padegi.” pic.twitter.com/XBL9YLZrVC
#WATCH PM Narendra Modi pays tribute to CRPF soldiers who lost their lives in #PulwamaTerrorAttack, says, “logon ka khoon khaul raha hai, yeh main samajh raha hun. Humare suraksha balon ko purn swatantra de di gayi hai.” pic.twitter.com/kxdCIKe88q
प्रधानमंत्री ने अपनी कथनी और करनी में भेद न करते हुए देश की जनता को यह दिखा दिया कि उन्हें वास्तव में देश के हित-अहित की चिंता है। इसी का नतीजा एयरस्ट्राइक के रूप में पूरी दुनिया ने देखा। पीओके में भारतीय वायु सेना द्वारा की गई एयरस्ट्राइक की कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकाने तो ध्वस्त हुए ही साथ ही वायु सेना ने अपने मात्र 12 मिराज-2000 विमानों ने चंद मिनटों में 300 से अधिक आतंकियों को भी मार गिराया गया।
अगर हम बात करें कि पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी की जो तमाम प्रतिक्रियाएँ आईं वो भले ही सीधे और सरल शब्दों के आवरण में सामने आए हों लेकिन उनके मायने बेहद ही गहन और गंभीर थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ अभियान के तहत नमो एप के ज़रिये देशभर में करीब 15 हजार स्थानों पर पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद किया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं कभी नहीं चाहता कि मेरी कोई निजी विरासत हो। इस देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के घर में विकास का जो दीपक जला है, यही मेरी विरासत है।’ इसके उन्होंने आगे कहा, “सेना को हमने न केवल सशक्त बनाया, बल्कि देश की रक्षा के लिए उन्हें खुली छूट दी, यही मेरी विरासत है।”
इससे पहले 26 फरवरी को दिल्ली मेट्रो का सफर करके इस्कॉन मंदिर पर पहुँच कर उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी और वजनी भगवत गीता का अनावरण किया। 670 पृष्ठों वाली 800 किलोग्राम की भगवत गीता के लोकार्पण के दौरान उन्होंने कहा, “मानवता के दुश्मनों से धरती से बचाने के लिए प्रभु की शक्ति हमेशा हमारे साथ रहती है। यही संदेश हम पूरी प्रमाणिकता के साथ दुष्ट आत्माओं, असुरों को देने का प्रयास कर रहे हैं।”
26 फरवरी को ही राजस्थान में रैली के दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने वीर रस से भरी कविता को शामिल किया और कहा कि सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूँगा, मैं देश नहीं रुकने दूँगा, मैं देश नहीं झुकने दूँगा, मेरा वचन है भारत माँ को, तेरा शीश नहीं झुकने दूँगा, सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूँगा… इन पंक्तियों का सीधा मतलब देश की मान-मर्यादा और गौरव से है। अपने संबोधन में उन्होंने इस बात को भी पूरे जोश के साथ कहा कि देश से बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं है, देश की सेवा करने वालों को, देश के निर्माण में लगे हर व्यक्ति को आपका ये प्रधान सेवक नमन करता है।
PM Narendra Modi in Churu, Rajasthan: Today I repeat what I said back in 2014 – Saugandh mujhe is mitti ki main desh nahi mitne doonga, main desh nahi rukne doonga. Main desh nahi jhukne doonga….Mera vachan hai Bharat maa ko, tera sheesh nahi jhukne doonga… pic.twitter.com/lChHOJm94Z
इतने के बाद भी विपक्ष द्वारा बेबुनियादी मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके नेतृत्व वाली सरकार को बेवजह के मुद्दों पर घेरा जाना कहाँ तक सही जान पड़ता है, यह वो प्रश्न है जिसका जवाब बाहर नहीं बल्कि अपने अंतर्मन में झाँककर खोजने की आवश्यकता है। और इसके लिए एक सार्थक प्रयास कम से कम एक बार तो ज़रूर ही करना चाहिए।
भारत पिछले कुछ समय में मोदी के नेतृत्व में कितना बदला है इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि पहले के नेताओं के पाकिस्तान ऑब्सेस्ड भाषणों से दूर अब बड़े से बड़े हमलों के बाद भी पाकिस्तान का नाम लिए बग़ैर, जो करना होता है, वो कर दिया जाता है। ये पूरी तरह से, नई नीति के तहत पाकिस्तान की समस्या और पाकिस्तान जैसे क्षुद्र देश को देखने जैसा है।
पाकिस्तान की अहमियत मोदी के लिए इतनी भी नहीं है कि उसके द्वारा किए गए हमलों के जवाब में एयर स्ट्राइक होने पर एक भी बार कहीं सीधा बयान दे। पूरे प्रकरण में मोदी ने अपनी रैलियों से लेकर, कई कार्यक्रमों के दौरान कहीं भी पाकिस्तान पर किए गए स्ट्राइक का सीधे ज़िक्र नहीं किया। जैसे कि जिस सुबह यह हुआ, उस दिन मोदी ‘गाँधी शांति पुरस्कार’ दे रहे थे, और दोपहर में दुनिया की सबसे बड़ी गीता के दर्शन कर रहे थे।
एयर स्ट्राइक की पुष्टि भी विदेश मंत्रालय के सचिव द्वारा कराई गई। ये अपने आप में योजनाबद्ध तरीके से एक संदेश देना है कि एक आतंकी राष्ट्र पर की गई कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री तो छोड़िए, रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री भी बयान नहीं दे रहा, बल्कि मंत्रालय का सचिव उसे हैंडल कर रहा है। ये पाकिस्तान को उसकी जगह दिखाने जैसा है।
इसी तरह का वाक़या यूएन में भारत की जूनियर अफसर ईनम गम्भीर द्वारा पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के भाषण पर जवाब देने पर याद आता है। उरी हमलों के बाद पाकिस्तान को धिक्कारते हुए, नवाज़ शरीफ को जवाब देने के लिए ईनम को आगे करना भारत की नीति में बदलाव की ओर इशारा करता है।
मोदी ने तब बोला, जब उन्हें बोलना चाहिए था। वो समय था हमारे बलिदानियों के सम्मान का, उनके परिवार और पूरे देश को बताने के लिए कि सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। तब मोदी ने आतंक के ख़ात्मे की बात की थी। ये कहा था कि सेना के लोगों को पूरी छूट दी गई है कि वो इसे अपने तरीके से हैंडल करें।
उसके बाद चाहे एयर स्ट्राइक्स हों, या फिर हमारे एक पायलट द्वारा पाकिस्तानी जेट को मार गिराने के बाद उनकी सीमा में पकड़ा जाना, मोदी ने कभी भी एक भी शब्द सीधा नहीं बोला। सिर्फ सूक्ष्म तरीके से संदेश दिए कि जिनके हाथों में क्षमता है, जो इस मुद्दे पर काम कर सकते हैं, वो अपना काम कर रहे हैं, और पाकिस्तान इतना बड़ा नहीं हुआ है कि भारत का प्रधानमंत्री उसे भाव देता रहे।
उसके उलट पाकिस्तानी खेमे में उनके पीएम से लेकर सारे बड़े नेता और आला अधिकारी लगातार बयान देते पाए जा रहे हैं। कल की घटना के बाद जहाँ इमरान खान के चेहरे पर खुशी थी, वहीं उन्होंने पुरानी पाकिस्तानी धूर्तता का चेहरा लेकर शांति के पहल की बात की। पाकिस्तान के पीएम ने न सिर्फ लगातार युद्ध की विभीषिका को लेकर अपने तर्क दिए, बल्कि यहाँ तक स्वीकारा कि उनके द्वारा भारतीय पीएम को किए गए फोन कॉल की कोशिश पर कोई रिस्पॉन्स नहीं आया।
कल रात ही कराची से लेकर स्यालकोट, रावलपिंडी आदि बड़े शहरों में खलबली मची हुई थी क्योंकि भारतीय कोस्ट गार्ड और नेवी की मूवमेंट की ख़बर पाकिस्तान पहुँची। सिंध क्षेत्र की असेंबली में किसी भी तरह के युद्ध के हालात को लेकर तैयारी की बातें हो रही थीं, क्योंकि वहाँ कई विदेशी रहते हैं जो चीन एवम् अन्य देशों के हैं। हॉस्पिटलों को तैयार रहने कहा गया था, और सोशल मीडिया पर लगातार कराची के ऊपर पाकिस्तानी जेट की गर्जना सुनाई दे रही थी।
इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान जानता है कि उसके सामने क्या विकल्प हैं। वहाँ का शीर्ष नेतृत्व जानता है कि छद्म युद्ध आज के भारतीय नेतृत्व के सामने विकल्प नहीं क्योंकि उनके योद्धाओं को भारतीय सेना साल में 250 की दर से निपटा रही है। नर्क के गुप्त सूत्र यह भी बताते हैं कि वहाँ हूरों की सप्लाय कम पड़ गई है।
सेना द्वारा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों को मारने के तरीके भी बदल गए हैं। अब वो घरों को घेरकर, आतंकियों द्वारा घर के लोगों को बंधक बनाने की बात पर नहीं रुकते, बल्कि घर को ही आग लगा देते हैं। पत्थरबाज़ों पर लगातार पैलेट गन का इस्तेमाल होने से, उनके अलगाववादी नेताओं को उनकी जगह बताने से लेकर हर वो काम किए जा रहे हैं ताकि भारतीय धरती से पाकिस्तान के आतंकी मंसूबों को मदद न मिले।
मोदी के नेतृत्व में भारत ऐसे ही बदला है। मानवाधिकार लॉबी सिकुड़ी है क्योंकि उन्हें देश का हित सोचने वाले लोग अब ढूँढकर जवाब देना सीख गए हैं। साथ ही, ऐसे तमाम एनजीओ पर सरकार ने कड़ा एक्शन लिया जो बाहर के पैसों पर भारत के अंदर आतंकी या देशविरोधी गतिविधियों को हवा देते थे।
मोदी के नेतृत्व का दूसरा पहलू यह भी रहा है कि राजनीति ने सेना पर अपना प्रभाव जताया नहीं। मोदी ने सुनिश्चित किया कि सेना का काम, आतंकियों से निपटने का कार्य, पाकिस्तान को जवाब देने की योजना बनाना नेताओं का कार्य नहीं है। नेताओं का काम उनकी बात को समझना और सिर्फ उन्हें भारतीय हितों को सुनिश्चित करते हुए, सेना को स्वतंत्रता से कार्य करने देना है।
इससे पहले हम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार या सेनाध्यक्षों के नाम याद किया करते थे, लेकिन आज के दौर में उनकी कार्रवाई भी हम देख रहे हैं। आज के दौर में भारतीय सीमाओं से लेकर आंतरिक सुरक्षा तक हमारे सुरक्षा बलों के अफसर एक्शन में दिखते हैं। हो सकता है कि इसका एक कारण सोशल मीडिया रहा हो, लेकिन लगातार आतंकियों और नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त होते भारत में उनका बहुत बड़ा हाथ है।
इन सबके बीच तीसरा पहलू है हमारे घर के उन चिराग़ों का जो अपने अंदर का तेल पर्दों पर छिड़क कर बत्ती उधर घुमा देते हैं। पत्रकारिता का यह धूर्त समुदाय विशेष अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के ‘नैतिक रूप से बेहतर जगह’ पर होने की बात कर रहा है क्योंकि उसने हमारे पायलट को लौटाने की बात की है। ऐसा नहीं है कि राजदीप सरदेसाई को जेनेवा कन्वेन्शन या भारत द्वारा लगातार की जा रही इंटरनेशनल डिप्लोमैटिक कोशिशों की जानकारी नहीं है, लेकिन बात जब भारत और पाकिस्तान की हो तो, ऐसे सड़े हुए पत्रकार कहाँ खड़े होते हैं, यह किसी से छुपा नहीं है।
We in India may not like this, but in terms of pure optics, @ImranKhanPTI at the moment is winning the day by taking the moral high ground .. we have a strong case on terror but too many of our leaders busy calculating votes at the moment..
एक क्यूट पत्रकार ने लिखा है कि ‘इसमें मोदी की जीत कैसे है?’ खैर इस पत्रकार का तर्क इतना बेकार है कि इसे जवाब देना भी अपने शब्द बेकार करने जैसा है। इसलिए, आप बस ट्वीट पढ़ लीजिए कि ऐसे लोग जो लिख रहे हैं वो इसलिए लिखते हैं क्योंकि इनके लिए धान और गेहूँ में अंतर नहीं। क्या अभिसार शर्मा, कुछ भी ब्रो?
अभिनन्दन लौट रहा है तो इसमे मोदीजी की जीत कैसे हो गयी। उन्होने तो एक शब्द नही बोला। आज बूथ संवाद मे भी न ही उनके कुछ समर्थक तो चाहते थे वो शहीद हो जाये। कुछ भी ? #AbhinandanMyHero
तीसरी क्यूटाचारी हैं सगारिका जी, जिन्हें पत्रकार इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो टीवी पर आती थीं। इसके अलावा उनका एक ट्वीट या लेख ऐसा नहीं होता जिसे बेकार की श्रेणी में रखकर ‘बेकार’ शब्द का अपमान न किया जाए। इनके अनुसार जो हो रहा है, वो काफी नहीं है, बल्कि डिफ़ेंस मिनिस्टर कहाँ हैं, वो कुछ क्यों नहीं करती नज़र आ रही।
Shocking that @narendramodi has so far not uttered a word on Wing Commander #Abhinandan, that his party colleague has implied surgical strike was for BJP's political benefit, that Defence Minister has so far been missing in action. Thank god Indira Gandhi was PM during Bangladesh
ऐसे गिरोह की समस्या यही है कि जब मंत्री बोले तो कह दिया जाए कि इसका राजनीतिकरण हो रहा है, और जब सारे काम हो जाएँ, कोई बयान न दे, तो पूछा जाता है कि मंत्री कहाँ हैं। और अंत में चाटुकारिता के उच्चतम स्तर पर इंदिरा गाँधी को याद कर लिया गया।
धूर्त गिरोह के सदस्यो! पाकिस्तान को उसकी औक़ात बताना भारत का मक़सद है, न कि उसे इतना महत्व देना कि प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री अपने सारे कार्य छोड़कर परेशान होकर पूरे देश को यह संदेश दे कि भारत तनाव में है। मोदी तनाव में नहीं है क्योंकि मोदी को अपनी सेना और उसकी क्षमता पर विश्वास है। मोदी राष्ट्राध्यक्ष है, न कि स्टूडियो में बैठा एंकर जिसका चौबीस घंटा पाकिस्तान-पाकिस्तान रटने में जा रहा है।
बोलचाल की भाषा में कहें तो मोदी को लिए पाकिस्तान की अहमियत @#&% जितनी ही है। इसलिए उसकी बात करके, उस पर रिएक्शन देकर, भारत को अपनी महत्ता नीचे करने की आवश्यकता नहीं। भारत एक बड़ी अर्थ व्यवस्था है, प्रभावशाली देश है, अंतरराष्ट्रीय जगत में वो एक आगे बढ़ती शक्ति है, वो अब दूसरे देशों से अपनी बात गर्दन तान कर करता है। पाकिस्तान क्या है?
पाकिस्तान गधे और भैंस बेचकर अपना घर चलाने वाला गुंडा देश है, जिसके बड़े शहरों से बिजली चली जाती है और अपने ही जेट की आवाज सुनकर वहाँ के लोग ‘अल्ला रहम करे’, ‘अल्ला खैर करे’ करने लगते हैं क्योंकि उनको भी पता है कि भारत क्या कर सकता है।
पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच आर्मी, नेवी और वायुसेना प्रेस को सम्बोधित कर रहे हैं। आज गुरुवार (फरवरी 28, 2019) सुबह तीनो सेनाओं के प्रमुखों ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाक़ात की। कल बुधवार (फरवरी 27, 2019) को पाकिस्तान द्वारा भारतीय पायलट को हिरासत में लेने के बाद यह पहला मौका है जब द्वारा प्रेस को सम्बोधित किया जा रहा है। चूँकि यह एक काफ़ी संवेदनशील मुद्दा है, इसीलिए राजनेताओं की जगह सेनाधिकारी ही प्रेस को सम्बोधित करेंगे।
मुख्य बातें:
27 फरवरी को पाकिस्तान के जेट को बड़ी मात्रा में आते देखा, हमारे सुखोई, मिग मिराज ने उनका पीछा किया उनका हमला नाकाम किया: आरजीके कपूर
पाक ने कहा कि उसने जानबूझकर ओपन स्पेस पर बम गिराया जबकि वह हमारे मिलिटरी इन्सटॉलमेंट को टार्गेट कर रहे थे
पाकिस्तान ने कहा कि हमारा एफ16 नहीं था जबकि हमारे पास सबूत है, उनकी मिसाइल हमारी राजौरी एरिया में मिली
पाक ने 26 फरवरी की सुबह और रात में अनप्रवॉक्ड सीजफायर वॉयलेशन किया, हमारे मिलिट्री इंस्टॉलेशन को टार्गेट करने की कोशिश की, हमने उनका हमला नाकाम किया: मेजर जनरल सुरेंद्र सिंह बहल
बालाकोट अटैक से आतंकवादियों के कैंप डैमेज हुए हैं इसके सबूत हैं, संख्या के बारे में बताना जल्दबाजी होगी: इंडियन आर्मी
पाकिस्तान ने जो टुकड़े दिखाए हैं वह मिग 21 के नहीं हैं, वह पाक के एफ 16 के हैं: इंडियन एयरफोर्स
‘आतंकी ठिकानों पर अटैक करने के सबूत हमारे पास हैं’ : जैश के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई पर सेना ने कहा कि हमारे पास सबूत हैं कि जो हम जो करना चाहते थे, टारगेट को जितना डिस्ट्राय करना चाहते थे। वो हमने किया। अब सरकार के ऊपर है कि वो एविडेंस देना है कि नहीं।
हमारी लड़ाई आतंकवाद के साथ है। जब तक पाकिस्तान इन्हें सपोर्ट करता रहेगा, तब तक हम आतंकी कैंम्पों को टारगेट करते रहेंगे। पिछले दो दिनों में 35 सीजफायर हुए हैं। लेकिन हम दुश्मन को वैसे ही जवाब दे रहे हैं।
भारतीय वायुसेना ने कहा, “हम खुश हैं कि हमारा पायलट वापस आ रहा है, एक बार वह आ जाए तब हम देखते हैं कि आगे क्या किया जा सकता है।”
‘पाकिस्तान ने F-16 के इस्तेमाल किया, इसका क्या सबूत है’ – इस सवाल के जवाब पर कहा गया कि जिस मिसाइल से भारत की सीमा पर अटैक किया गया वो सिर्फ F-16 से ही संभव है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एम्राम मिसाइल का टुकड़ा दिखाया गया, जिससे पाकिस्तान ने अटैक किया था। सेना के प्रवक्ताओं ने कहा कि ये मिसाइल सिर्फ F-16 से ही फायर की जा सकती है। पाकिस्तान के पास और दूसरा कोई ऐसा विमान नहीं है जिससे इस मिसाइल को फायर किया जा सके।
बालाकोटा में वायुसेना हमले के बाद से भारत-पाक की स्थिति और भी अधिक संवेदनशील हो गई है। जो दोनों देशों की जनता के मन में कई सवाल खड़े कर रही है। हालाँकि जनता के सभी सवालों का जवाब दोनों देशों की सरकार द्वारा दिया जाना है। इन सवाल-जवाब के सम्प्रेषण के बीच जिस मीडिया को सिर्फ माध्यम के रूप में अपनी भूमिका को निभाना होता है, वही मीडिया हेडलाइन और खबरों के जरिए न सिर्फ पाकिस्तान में बल्कि विश्व भर के अपने पाठकों के लिए माहौल का निर्माण कर रहा है। आज हम ऐसी ही चुनिंदा खबरों पर गौर करेंगे। शुरुआत भारतीय मीडिया से।
भारतीय मीडिया के हाल
एक तरफ जहाँ पर पुलवामा हमले के बाद से भारतीय मीडिया के विशेष समुदाय से जुड़े लोगों के सुर बलिदान हुए जवानों की जाति पूछ-पूछकर बदले की गुहार कर रहे थे। वहीं वायुसेना के एक्शन के बाद से #saynotowar पोस्ट कर रहे हैं। भारत में तो खैर सरकार और मीडिया समूहों (अधिकाँश) के बीच इतनी गहरी खाई है कि वास्तविकता जनता तक आते-आते एक सम्पादकीय का रूप धारण कर लेती है। फिर, जो परोसा जाता है वही पाठक ग्रहण करता है और वही ट्विटर पर ट्रेंड बन जाता है।
पाकिस्तानी मीडिया: खबरों के एंगल से बदलना चाहता है हकीकत
पाकिस्तान इस समय भारतीय वायुसेना के हमले से इतना अधिक घबराया हुआ है कि वहाँ के मीडिया कवरेज में खबरों की हैडिंग और सब-हैडिंग में उसका असर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है।
पाकिस्तान इस बात को अच्छे से जानता है कि भारत में केवल सरकार और सेना ही नहीं बल्कि देश के लगभग हर नागरिक के मन में पाकिस्तान और वहाँ पल रहे आतंकवाद के ख़िलाफ़ नफरत और बदले का भाव पनप रहा है। पूरा विश्व इस समय आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारत के समर्थन में आ गया है। चारों ओर से दबाव की स्थिति बनने के कारण, पाकिस्तानी मीडिया अमन शांति की बातें कर रहा है। ताकि ऐसे संदेश देकर वास्तविक मुद्दे को बरगलाया जा सके।
हमले की बात करने वाले इमरान चाहते हैं अब मोदी से बात करना
पाकिस्तानी मीडिया में अगर अभी कुछ देर पहले की ख़बर को देखा जाए तो अंदाजा लगेगा कि कुछ दिन पहले तक बदला लेने की बात करने वाले इमरान खान नरेंद्र मोदी से शांति पर बात करने के लिए तैयार हैं। पाकिस्तानी मीडिया का लगभग हर समूह यह खबर दिखा रहा है। अपने खबर में वो जिस एंगल को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं उसमें यह है कि उनके पीएम बात करने को तैयार हैं लेकिन क्या नरेंद्र मोदी इसके लिए तैयार हैं?
पाकिस्तान मीडिया फिलहाल इस समय पर जोरो-शोरों से प्रमाण देने पर तुला हुआ है कि उसे शांति और अमन चाहिए… शायद पाकिस्तान इस बात को अच्छे से जानता है कि अब भारत किसी भी कीमत पर चुप नहीं रहने वाला है। यह एक ख़बर की बात नहीं है, पूरी वेबसाइट भारत संबंधित खबरों से भरी पड़ी है।
भारतीय पायलट के वीडियो की खबरें
इस समय पाकिस्तानी मीडिया में भारतीय पायलट के हर बयान को खबरों का हिस्सा बनाया जा रहा है। ऐसा करके पाकिस्तान केवल सहानुभूति इकट्ठा करने का प्रयास कर रहा है ताकि लोग पाकिस्तान की उन्मादी हरकतों को भुलाकर अपना सारा ध्यान उसके अमन-शांति वाले रवैये पर लगाएँ। आपको बता दें कि यूएन में हुई जेनेवा संधि के तहत पाकिस्तान इस बंधन में बंधा हुआ कि उसे हमारे पायलट को भारत को सौंपना ही होगा।
पाकिस्तान ने आज इसकी घोषणा भी कर दी है कि कल (मार्च 1, 2019) को भारतीय पायलट को वापस भेजा जाएगा। और ऐसा इमरान खान के शांति प्रस्ताव के कारण नहीं बल्कि जेनेवा संधि के साथ-साथ भारतीय कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण मुमकिन हो पाया है।
जेट क्रैश होने की झूठी अफवाहें
पाकिस्तान में इस समय इंडियन एयरफोर्य के जेट को गिराए जाने की फेक तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं। जबकि भारत में इन ख़बरों का फैक्टचेक करके पोल खोली जा चुकी है।
पाकिस्तान इस समय उस स्थिति से गुजर रहा है कि अगर वो कुछ करता है तो भी आफ़त है और नहीं करता है तो भी उसके लिए मुश्किल है। अपनी खबरों और हेडलाइन से पूरे विश्व में अमन-शांति के प्रयासों को जगजाहिर करने वाला पाकिस्तान मौक़ा मिलते ही कुछ दिन बाद फिर से अपनी धरती पर जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के प्रशिक्षण के लिए जगह उपलब्ध कराएगा।
ऐसे में अगर वाकई में भारत के साथ पाकिस्तान को बातचीत से मसले को सुलझाना है तो इसमें क्या बुराई है कि वो मसूद अज़हर (जो पुलवामा और प्लेन हाईजैक जैसी घटनाओं से जुड़ा है) को भारत को सौंप दे। पूरा विश्व जानता है कि मसूद भारत का गुनहगार है लेकिन फिर भी पाकिस्तान उसके ख़िलाफ़ किसी प्रकार का एक्शन लेने से कतराता है। क्यों?
पाकिस्तानी मीडिया का इन मुद्दों पर न बोलना बताता है कि वो किस तरह अपने देश की सरकार के दबाव में मीडिया के मूल तत्वों को खत्म कर रही है। जिस मीडिया का काम दुनिया के समक्ष सच्चाई को दिखाना है वो इस समय अपनी हुक्मरानों की वाणी बोलने में लगा हुआ है।